A strong and Sad moments that never forgotten !!!

आशा करता हूँ मेरा ये कहानी आपको पसंद आएगा । कुछ जरूरी कागजात हेतु मुझे भद्रक(ओडिशा) जाना पड़ा । हालांकि में गंजाम (ओडिशा) से हूँ । काम खत्म होने वाला ही था 12.Oct. 2013 को ओडिशा में Cyclone आया और सारे कार्यालय बंद घोसित कर दिया गया । पता चला कि जिस आफिस में गया था वह सब 15 अक्टूबर के बाद खुलेगा । 12 तारीख को में भद्रक के चंदबाली जगह पर एक होटल में रुका सोचा की दूसरे दिन,13 तारीख को घर चले जाते है और 15 तक बापस आ जाऊंगा । दूसरे दिन शाम को भुबनेश्वर केलिए निकल गया । बह Bus शाम को 9 बजह पहुंचता है। रात को 10 बजह भुबनेश्वर से मेरे घर केलिए जो गाड़ी निकलती है उशी बस से घर चले जाऊंगा ।
13 तारीख शाम को 05 बजह बस भद्रक से निकली और रात को 09 बजह भुबनेश्वर पहुंचा ।भुबनेश्वर में पहुंचकर में देखा कि Cyclone की बजह से सारा सहर सुना सुना है । बिजली नहीं था । जिश Bus से आया था बो Bus स्टैंड में ना जाकर रास्ते मे यानी की भुबनेश्वर की जयदेव बिहार चौक में उतार दिया और मुझे बोले कि आप टैक्सी या ऑटो करके बस स्टैंड चले जाओ हम आगे नहीं जाएंगे । में उतर कर करीब 15 मिनट इंतज़ार के पश्च्यात एक ऑटो आया और में उसको पूछा भाई बस स्टैंड चलोगे वो बोला भाई चलेंगे परंतु आप जाओगे कहाँ ? वहां तो कोई बस नहीं है । में सोचा कि ये मजाक कर रहा हो । फिर भी में बोला की बुगुड़ा जाऊंगा । जो कि मेरे घर के नजदीकी मार्किट है । ये सुनकर बो कुछ नहीं बोला और मुझे स्टैंड में उतार दिया । स्टैंड अंदर दौड़ दौड़ के आया कहीं मेरा गाड़ी ना छूट जाये । वहां आकर देखा कि पूरा सुनसान और कोई भी गाड़ी नहीं चल रही है और ऐसे लगा कि जैसे समसान घाट बना हुआ है । में थक चुका था धीरे धीरे स्टैंड से बाहर आया और एक आदमी को पूछा कि भाई बुगुड़ा केलिए बस जो था वो नहीं आया क्या , बो बोलै कोई एक भी बस नहीं आया ना आगे गया है । और आप कहाँ जाओगे ? ये बात सुनकर में दंग रह गया । मेरे आंख से आंसू आ गया ! अभी में जाऊं कहाँ ?? उसने बोला एक काम करो पुलिस स्टेशन चले जाओ वहां रात गुजार लो और सुबह चले जाना नही तो रास्ते के किनारे पे जो बिश्राम घर है उसमें बिश्राम करलो । उनको पूछा कि “इधर कहीं खाना खाने का होटल मिलेगा क्या ? वो बोला पता नहीं बोलकर बहां से चला गया । मेरे पास 500 रुपये रहते हुए भी मुझे खाना नहीं मिल रहा था । उस समय पता चला की जब समय ख़राब चलता है उसी समय पैसे की कोई कीमत नहीं। 11 बजने वाला था में भूखा था । Cyclone की बजह से सबका नेटवर्क भी बंद था जिसको भी फोन करता हूँ स्विच ऑफ आ रहा है । बापस मैन रोड में आया कोई गाड़ी बस,ऑटो कुछ भी नहीं कहाँ जाऊं यही सोचते सोचते आगे चलने लगा । हाथ मे एक बैग था बो भी धीरे धीरे भारी होने लगा क्यों कि थोड़ा थोड़ा बारिश हो रहा था । करीब 11.35 को एक ऑटो आया बह ऑटो में सिर्फ वो लोग बैठे थे जिसको गाड़ी नहीं मिली थी और बो सब रेलवे स्टेशन में जा कर Rest करेंगे । एक मिनट केलिए में भी सोच लिया कि चलो स्टेशन चलता हूँ रात भर रह कर सुबह आ जाऊंगा । परंतु DAV School के पास मेरे मामा रहते है उनके पास जाने केलिए सोचा । DAV School के पास उतर कर ड्राइवर को बोला कि भाई मेरे पास 500 रुपये है चेंज नहीं है , ड्राइवर बोला कि कोई नहीं रहने दो जाइये रात बहुत हो गया है। में मामा के घर की और चलने लगा । मामा के घर के पास पहुंच कर देखा कि वहाँ गेट पे ताला लगा हुआ था। और फोन लगाया फोन switch off था । तबतक मेरा पूरा शरीर बारिश में भीग गया था । टेंशन बढ़ने लगा था और रोना भी आ रहा था । फिर याद आया कि पीछे की कॉलोनी में राजू Uncle रहते थे जो कि हमारे गांव के है । परंतु उनका फोन नंबर नहीं था । उनके घर के पास गया बुलाया परंतु कोई नहीं सुना सोचा कि Uncle भी सायद गांब चले गए होंगे । वापस रास्ते की और आ रहा था तभी देखा कि एक आदमी उम्र 45 करीब होगा लानटेन लगाकर कुछ पढ़ रहे थे । उनके गेट के पास गया और पूछा कि यहां पे जो राजू Uncle रहते थे वो यहां है या गांब गये है । वो बोले में सुबह उनसे मिला था रूम में पक्का होंगे । आप जाओ और जोर से आवाज़ लगाओ वो दरवाज़ा खोलेंगे । में बोला एक बार गया था मगर वो दरवाज़ा नहीं खोले । उनका कोई नंबर होगा तो उनको call करके उठा देंगे ? वो बोले कि मेरे पास उनका कोई नंबर नहीं है, आप जाओ बुलाओ वो उठ जाएंगे ।

उनकी बात सुनकर में फिर से गया और ऊंची आवाज से उनको पुकारा परंतु कोई जवाब नहीं था । समय 12.40 हो गया था , पेट की भूख बढ़ रहा था और बारिश में भीगने के कारण शरीर ठंड से कांप रहा था । उश समय मेरे परिबार की बहुत याद आ रहा था । अगर में कोशिश न करूँ तो मुझे कहीं सोने को न कहीं खाना मिलेगा । तो ये सोचकर फिर वापस वो आदमी के घर गया । वो लानटेन बंद करके दरवाज़ा बंद कर रहा था । में उनको फिर से बुलाया । वो आधा दरवाज़ा खोलकर देखके मुझे पूछा क्या हुआ ?? । में बोला Uncle जी को बहुत बार बुलाया परंन्तु कुछ जबाब नहीं दे रहे है । बो आदमी बोला की में क्या करूँ ? मैंने बोला कुछ मदद करेंगे तो ??(मेरा कहने का मतलब था कि वो अगर Uncle को बुलाएंगे तो काश वो जाग जाते) इतना सुनके बो बोले “उधर जाओ उनको फिर से बुलाओ ” कहकर दरवाज़ा बंद कर दिया । बारिश में भीगने के कारण ठंड लग चुका था और कहीं चलके जाने का हिम्मत नहीं था । रात के करीब 01.30 बजह फिर वापस रास्ते मे आया रास्ते के किनारे बारिश में भीगते हुए कुछ देर बैठा और , आंखों में आँसू और पेट मे भूख बहुत दर्द दे रहा था । घर की याद आ रहा था और सोच रहा था अगर न आया होता तो ये सब न होता । रात के 02.00 बजह फिर Uncle के घर के बाहर गया और फिर जोर जोर से चिल्लाने लगा , रोते हुए भी चिल्लाता रहा । कुछ देर के बाद पड़ोसी के एक आदमी उठ गया और पूछा क्या हुआ भाई ? में बोला की Uncle दरवाज़ा नहीं खोल रहें हैं । वो भी बहुत बार बुलाये , कुछ देर के बाद Uncle दरबाजा खोले और घर के अंदर गया । Uncle को सारी बात बताया और वो मुझे सत्तू बनाके दिए और बिस्कुट खा कर Rest किया। दूसरे दिन फिर भद्रक केलिए बापस निकल पड़ा ।15 तारीख के बाद सरकारी काम खत्म करके बापस अपने यूनिट केलिए रबाना हुए ।
कहानी को जब याद करता हूँ आंख से आंसू आ जाता है । कहानी कैसा लगा Comment करें |

Real story never earse…

# REAL STORY NEVER ERASE
Hi friends मेरा परिचय Nilamadhab Bhuyan, ये Blog कुछ स्पेशल है मेरे और मेरे दोस्तों की है , पढ़िये आखरी तक अगर अच्छा लगे तो शेयर जरूर करना ।
हम चार दोस्त है मेरा नाम Nilamadhab Bhuyan, Normal Looking, Hairstyle: Classic, Color: मध्यम काला, Argument Character एंड हर काम मे साथ रहने वाला वो लड़की कॉमेंट करना हो या कही जाने हो । लड़की के मामले में Zero मगर देखते थे कभी कभी। दूसरा दोस्त Goutam Nayak, Romeo Boy, Hair style: Tere Naam, Colour- Black(Bold Handsome) , laughing character एंड लड़कियों को कोमेंट करने में नम्बर one है । जैसे कोमेंट करने की ट्रेनिंग लीया हो । बहुत Strong कविता लिखने वाला दोस्त है। तीसरा दोस्त Manoj Kumar Behera, silent character, दिखने में गोरा और हसमुख चेहरा वो हमारे ग्रुप के कबि है जो चीज़ उनको दिखा कविता लिखना सुरु हो जाता था । लड़की के मामले में थोड़ा पीछे रहते थे मगर देखते थे सोचते थे कही कोई मुझे देखले । चौथा तो खतरनाक है Digambar Sethi, रंग मध्यम काला, dangerous character, बातों बातों पे मारने पे आ जाते थे । हमारे ग्रुप के Don थे । जुगाड़ करने में ठीक थे और लड़की के मामले में बिल्कुल नहीं जाना है।
हम एक ही कॉलेज (People’s College Buguda) की स्टूडेंट्स हैं और यह कॉलेज ओडिशा के गंजाम डिस्ट्रिक्ट में है । सबका परिचय तो हो गया अब आते हैं कहानी पे कहानी में भी एक लडक़ी है जिसकी नाम है कृष्णा । गौतम उसके पीछे फॉलो करते थे मगर लड़की को पता है कि नहीं हमको पता नहीं था ।
कहानी है 2007 कि कार्तिक महीना का । एक प्रसिद्ध मंदिर जिसका नाम बुधखोल जो कि पांच शिव भगवान की पबित्र स्थल पहाड़ी के मध्य में है । सब लोग प्रति सोम बार दर्शन करने केलिए जाते हैं। उश महीने में हर सोमबार को हम चार दोस्त मंदिर जाते थे आखरी में कार्तिक पूणिमा के दिन भी हम 03 दोस्त Digambar को छोड़ कर मंदिर दर्शन हेतु निकल पड़े ।
भगवान की दर्शन के बाद अगर हमारी Romeo Boy की Girl Friend कहीं दिख जाए तोह और मजा आ जाता यह हम तीनों सोच रहे थे । हम 800 सीढ़ी चढ़ कर भगवान दर्शन किये मगर दर्शन के बाद हमारी जो मन्नत था वो पूरा नहीं हो पाया । करीब 02-03 घंटे इंतज़ार किये और आने बाले सारे लोगो से चुन रहे थे कही वो आये तो नहीं पहाड़ी चढ़ कर हम थक चुके थे। दोपहर 02 बज गया इंतज़ार करते करते 03 घंटे बीत चुके थे । मेरा दोस्त गौतम की मन्नतें पूरी होने की आशा खत्म होने बाली थी मगर मन मे आशा था बापस लौटते समय कहिं दिख जाए । आते समय रास्ते में बही बात की आज दिन ठीक नहीं गया ऐसे बोलकर मंदिर से बापस आ रहे थे । नीचे से मंदिर तक पहुंचने कलिये हम को 20 से 25 मिनिट लगता था ।
मंदिर आखरी सीढ़ी जहां एक Swimming Pool है वहां अचनाक गौतम की नज़र एक लड़की के ऊपर पड़ी और वो कृष्णा थी । मेरा दोस्त बहुत खुश हो गया और बोलने लगा देखो कृष्णा आखरी दिख गयी । सब थक गए थे हम दोनों मनोज और में घर जाने की राह पर थे परंतु गौतम उसके पीछे जाने की सोच रहा था । गौतम ने कहा की चलो उसके पीछे पीछे चलते है । परंतु थकान की बजह से दोनों की इच्छा नहीं था । इच्छा के विरुद्ध जाकर दोस्त की बात को नहीं काट पाए और हम तीनों उसके पीछे जाने की बापस मंदिर की और चले । बापस मुड़ कर देखा तो लड़की गायब गौतम अंदाज़ लगाया कि वो मंदिर की और गयी होगी चलो फिर से मंदिर की और चलेंगे । जब मंदिर का नाम लिया तोह हम दोनों को और थकान महसूस होने लगा ।
आखरी में हमको मंदिर की और जाना पड़ा । रास्ते भर हर एक आदमी को देख रहे थे और परंतु वो न दिखी और हम मंदिर की और बढ़ने लगे । ऐसा लगा कि वो उड़के तो नहीं चल गई ।
उश मंदिर की सीढ़ी को पार करने में 20-25 मिनिट लगता था उश समय हमको मात्र 05 मिनिट समय लगा मगर हम उश लड़की को फॉलो करने का कोई फायदा नहीं हुआ न वो लड़की मंदिर में दिखी न रास्ते में । बहुत थक चुके थे शाम की 04 बजने वाला था । बापस फिर नीचे आये । आखरी में पता चला कि वो ऊपर मंदिर तक नहीं गयी थी।
बहुत दर्द महसूस हुआ और चक्कर भी आने लगा।
अभी भी उश समय को याद करते है तो पेर में दर्द होने लगता है ।
कहानी अच्छा लगा है तो कमैंट्स एंड शेयर कीजिये और अगर नया रियल स्टोरी चाहिए तोह कमेंट जरूर कीजिये ।
धन्यबाद ।