The result of truth always good. सच्चाई का परिणाम अच्छा होता है।

The result of truth always good
The result of truth always good

नमस्कार दोस्तों 

 आखरी तक पढ़ने की कोशिश करेंगे। कहानी शुरू करते हैं।  

क गांव में शंकर नाम का एक आदमी उसकी धर्मपत्नी मालती के साथ रहता था ।उसके दो लडके है । दोनों बड़े होने के बाद सहर में रहकर काम धंदा करते हैं । दोनों बेटें की सहायता तो दूर अपने माता पिता को मिलने भी नहीं आते हैं।  दोनों पति पत्नी भिक्षा मांग कर गुजारा करते हैं । प्रतिदिन भिक्षा से जितनी आय होता था उसमें दुख कष्ट से दिन निकल जाता था । कभी कभी दूसरे गांव के लोग भिक्षा नहीं देते थे और पत्थर फेक कर गांब से बाहर निकाल देते थे।  परंतु भिक्षा के अलाबा उनके पास कोई और रास्ता नहीं था ।
एक दिन शंकर भिक्षा केलिए निकला । जंगल के उश पार गांव था और बहुत दूर भी था । पत्नी मालती ने शंकर को  कुछ चुड़ा और चीनी  दिया भूक लगने पर खाने केलीये । शंकर कुछ दूर जाने के बाद देखा कि एक तालाब है । पानी को देख कर उसको नहाने का  मन किया । शंकर खाने की गुठली को तालाब के ऊपर रास्ते के किनारे रख कर नहाने गया । उस रस्ते में राजा का हाती जा रहा था । गुठली में जो चुड़ा और चीनी था उसको खा गया । ये देख कर शंकर को गुस्सा आया और जोर जोर से चिल्ला कर  हाती को एक लात मारा । लात मारने पर हाती उशी जगह गिर गया और कुछ देर पश्च्यात उसकी मृत्यु हो गयी । इस दॄश्य को राजा के प्रहरी देख रहे थे । राजा के प्रहरी राज दरबार में पहुंचे और तालब के पास घटना के बारे में बताया । शंकर घर आया और पत्नी को सब कुछ बताया । पत्नी बोली गलती मेरी थी मुझे चूड़ा और चीनी को देखना चाहिए था।  शंकर बोला क्या हुआ , पत्नी बोली आपको जो चुड़ा और चीनी दिया था उसमें कुछ साँप का अंडा और मकड़ी की अंडा मिला और में अनजाने में उन सबको मिलाके आपको दे दिया था । शंकर बोला में ये बात  महाराज को बोल देता हूँ । उसी बक्त राजा के प्रहरी शंकर को बंदी बना कर राजा के सामने ले गए । राजा आदेश दिए की राज परिबार के हाती मारने की दोष में आपको दंड दिया जाएगा । ये सुनकर शंकर बोले महाराज इसमें मेरा क्या दोष है । हम पति पत्नी भिक्षा मांग कर गुजारा करते हैं । आज में नहाने गया था उशी बक्त मेरा एक बक्त की खाना आपकी हाती ने खा लिया । में भूका था इसलिए गुस्से में ये गलती कर बैठा , अगर ये  दोष हे तो में दंड का हक़दार  हूँ ।  बो सच बोलने बाला  ही था  उसी बक्त राजा आदेश दिए कि ” शंकर आपकी बात में दम है और आपकी बात सुनकर में अत्यंत खुश हुआ और आप बुद्धिमान के साथ साथ बलबान भी हो  ” आदेश सुनाते हुए राजा ने कहा की आपको प्रहरी पद पर  नामित किया जाता है । और शंकर को बोलने का मौका नहीं दिया गया  ।  शंकर राजा की आदेश मान कर घर बापस आया ।
पत्नी को सब कुछ बताया पत्नी भी खुस हो गयी। शंकर बोले की राजा की आदेश के आगे में कुछ बोल नहीं पाया । पत्नी बोली भगवान हमारे साथ हैं जो होता है अच्छा होता है । आपको प्रहरी की कार्य भी मिल गया । यह कह कर दोनो भगवान को धन्यवाद दिए ।अगले दिन रात की प्रहरी केलिय वो अपने लाठी के साथ राजा के बगीचा केलिय निकल पड़ा । रात की काली अंधार उसको और भयंकर लग रहा था । फिर भी वो होसियार था देर रात तक घूमता था और  कहीं नहीं सोता था। 

ऐसे कुछ दिन बीत गया । एक रात कुछ चोर राजा के बगीचा में घुसे। शंकर ये सब देख कर एक  पेड़ के ऊपर चढ़ गया  और उनके ऊपर नजर रखा।  चोरों  ने तय किया कि यहाँ कुछ खाना बना कर खाएंगे और रात में यहीं बिश्राम करेंगे । उश नगर में जो धन संपत्ति चुरा कर लाये थे वो एक पेड़ के नीचे रखे। उनके पास हतियार भी था। शंकर जिस पेड़ पर चढ़ा था उसी  पेड़ के निचे चोरों  ने  खाना बनाना सुरु कर दिए।  शंकर सोचा अगर में नीचे उतरा तो वो जान जायेंगे और ये सब भाग जायेंगे।  देखते देखते  चोरों  ने मद्यपान करने लगे। जो सम्पति चुरा कर लाये थे उसको बंटबारे करते करते आपस में लड़ाई शुरू हो गया।  उनका बंटबारा  नहीं  हो पा रहा था।  सब ने तय किया की कुछ देर बिश्राम करेंगे और सुबह उठ कर बँटबारा करेंगे परन्तु नशे की बजह से सुबह चोरों की नींद नहीं  टुटा और बो सोते रह गए।   ये मौके का फायदा उठा कर शंकर पेड़ से नीचे उतरा और दौड़ कर बगीचे के बाहर जाकर दूसरे प्रहरी बुला कर लाया और सब चोरों को गिरफ में ले लिए । कुछ देर पश्च्यात राजा मौके पर पहुंच गये।  राजा शंकर को पूछा और शंकर सव कुछ सच सच बताया साथ मे हाती मरने बाला सच भी बता दिया । राजा शंकर की बातों पर खुश हो गया और बोला वो हाती भी बहुत आलसी था और कोई काम का नहीं था  साथ में आपकी निगरानी बजह से ये चोरों को हम पकड़ने में कामयाब हो गए। ये सब कुछ दिनों से नगर और गांब में बार बार चोरी कर रहे थे। चोरो ने राजपरिवार से बहुत जेबर, धन संपत्ति और हतिार भी  चुराए थे । चोरों को बंदी बनाया गया । शंकर की ये बात सुनकर राजा बहुत खुश हो गए । जितने धन संपत्ति मिला था उसमें से आधा धन शंकर को दे दिया । राजा पुनः आदेश देते हुए कहा कि आप को अपने गांव को दिया जाता है और आपको राजा घोषित किया जाता है।  

शंकर की इस सच्चाई केलिए उसका भाग्य बदल गया इसलिए सच हमेशा अच्छा परिणाम देता है

कहानी अच्छा लगे तो अपने दोस्तों को भी शेयर जरूर कीजिये ।

रोशनी पात्र ( Little Girl) के द्वारा लिखित…

धन्यवाद 

A Dark Night ( काली रात)

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उश रात एक एक सेकंड मेरे लिए दर्दभरी सेकंड था और ऐसी रात किसी और कि जिंदगी में कभी ना आये ! में यही भगवान से प्राथना करूँगा ।

नमस्कार दोस्तों ..

मेरे जीबन की एक सच्ची घटना को लेकर आपके लिए लेकर आया हूँ । मेरा पिछले आर्टिकल को बहुत लोगों को पसंद आया था उम्मीद है ये भी पसंद आएगा । आखरी तक पढ़ना अच्छा लगे तो अपने दोस्तों को भी ये लिंक शेयर कर दीजिए।

काहानी है दिसंबर 2001 की उम्र करीब 11 साल । ये घटना मेरे घर सोलंडी,ओडिशा में हुआ था । उश बक्त मेरे परिबार में बाबा, माँ ,02 बहन, 02 भाई और में । दुःख की बात यह है कि अभी मेरा बड़ी बहन इस दुनिया में नहीं है ।

कहानी पर आते हैं, 2001 में कड़ाके की ठंड थी अभी मौसम साधारण सा हो गया है । सबसे छोटा होने के कारण माँ का लाडला था और माँ की गोद मे ही नींद आता था । हर शाम की तरह उश दिन भी परिबार में सारे सदस्य रात में खाना खाने के बाद सोने जा रहे थे । माँ घर की साफ सफाई और दरबाजा बंद करके सोने केलिए बिस्तर में आये । मेरे बायें तरफ मेरी छोटी बहन सोई थी । छोटी बहन परंतु मेरे से बड़ी है । सोने से पहले हम दोनों हल्का गरम दूध पी कर सोते थे । मगर उश दिन में जल्दी सो गया था । रात के करीब 11 से 12 के बीच होगा । मेरी छोटी बहन को भी हल्का नींद लग चुकी था । माँ दूध लेकर आये, बाकी दिनों की तरह उश दिन दूध थोड़ा गरम था । माँ बिस्तर के पास खड़ी थी अचानक छोटी बहन नींद में उठकर ओढ़ने केलिए कम्बल को खींच लिया । जिश कम्बल को मेरी छोटी बहन ने खिंचा उश कम्बल के ऊपर मेरी माँ की पेर थी । माँ की हाथ में दूध की ग्लास थी वो छूट गयी और दूध की ग्लास मेरे चेहरे के ऊपर आकर गिरा और मेरा बायां चेहरा पूरी तरह से जल गया । में जोर जोर से रोने लगा । मेरा रोना सुनते ही सब उठ गए । नींद में होते बक्त अगर कोई हमे उठा दे तो हमको कितना बुरा लगता है यह आप भी महसूस किए होंगे । परंतु उस वक्त में दर्द से चिल्ला रहा था। बह एक साधारण दर्द नहीं था, मेरे जीबन की एक ऐसा दर्द था जो कि नर्क पीड़ा से भी ज्यादा खतरनाक था ।
मेरी माँ मुझे बाहों में लेकर रोने लगी छोटी बहन भी मुझे पकड़ के रोने लगी । रात के 12 बजने बाला था मेरा रोना सुनते ही पड़ोसी भी आ गये । मेरी पीड़ा बढ़ती जा रहा था । मेरे चेहरे को जब में हाथ लगाया तब मेरे हाथ मे जला हुआ मांस भी आ रहा था । सब चिंतित थे रात में अस्पताल कैसे जाएं । गांब से अस्पताल जाने केलिए जो रास्ता था वो बहुत खराब था । रात के समय जंगली जानबर का भी डर था । ठंड भी ज्यादा था तो रात में अस्पताल जाने केलिए परेशानी हो सकती है । माँ बोली सुबह होने दो हम अस्पताल जाएंगे । पडोश के बड़े पापा वो सलाह दिए की आलू को पिश कर जले हुए जगह पर लगा दो । उसको अच्छा लगेगा और बह सो जाएगा । साथ में कुछ पैन किलर की दबाई देकर मुझे सोने केलिए बोल दिए ।

उनकी बात सुनकर में मान लिया । मगर जले हुए दर्द कम नहीं हो रहा था । दर्द 15 से 20 मिनट तक कम हुआ और बाद में फिर दर्द सुरु हो गया । रात भर दर्द के कारण रोना बंद नहीं हो रहा था कभी माँ सलाह दे रही थी और कभी छोटी बहन सलाह दे रही थी कि ” सोने की कोशिश कर, सुबह उठके मेडिकल जाएंगे ” । रात भर माँ और छोटी बहन मुझे सहला रहे थे । दर्द और आँखों से आंसू बंद नहीं हो रहा था । बीच बीच मे माँ को बोल रहा था की माँ बहुत दर्द हो रहा है । माँ की आंख में भी आशु बंद नहीं हो रही थी । बस बही शब्द आ रहा था “सो जा बाबू” “सो जा बाबु” ।
वो काली रात की दीवार में लगी घड़ी की सुई की टिक टिक आवाज़ मुझे साफ सुनाई दे रहा था । रात के 12 बजह से लेकर सुबह 05 बजह तक एक एक सेकंड को मैने गिना है । रातभर में सोच रहा था कि कब सुबह होगा ओर मुझे अस्पताल ले जाएंगे । आंसू और दर्द के सहारे रात बीत गया । सुबह 05 बजह थोड़ा नींद लगा और में सोने लगा । दूसरे दिन मुझे अस्पताल ले गए । लिखते लिखते मेरे आंखों से आसूं आ जाता है ।

03 महीने तक घर मे ही पड़ा रहा ,डॉक्टर कुछ दबाई दिए थे और उसको लगाकर घर मे रहने केलिए सलाह थी । बाहर जाने केलिए शक्त मना था । धीरे धीरे घाव ठीक होता आ रहा था और कुछ घाब बाकी था। यह घटना से पहले सुबह सुबह में और दोस्त के साथ मिलके तालाब में नहाने केलिए जाते थे मगर यह घटना के बाद मुझे घर में ही नहाना पड़ा । किसीके पता नहीं था ऐसे की मेरे दोस्तों को भी पता नहीं था मेरा ऐसा हाल हुआ है। स्कूल में मास्टर जी मेरे बारे मे पूछते थे मगर सबको यह पता था की उसका तबियत खराब है । एक दिन तालाब में नहाने केलिए सोचा, माँ पडोश में गये थे । में घर से निकल के तालाब में नहाने गया । एक चादर मेरे चेहरे पर ढक कर तालाब में पहुंचा । तालाब को देख कर में वहुत खुश हुआ । नहाने लगा, नहाते समय एक आदमी मुझे बहुत देर से घूर रहा था कि ये अपने चेहरे से चादर क्यों नहीं निकाल रहा है । वो आखरी में मुझे पूछ लिया चादर क्यों नहीं निकाल रहा है ?

मेने बोला ” कुछ नहीं ऐसे ही ” कहकर चुप रह गया । वो मुझे फिर से पूछा क्या हुआ है ? में फिर से चुप रहा मगर वो मेरे चादर को खींच लिया और मेरा चेहरा देख लिया । मेरा चेहरा देख कर जैसे उसको बिजली की झटका लगा !!! वो आश्चर्यजनक हो कर मुझे पूछा ये सब कैसे हुआ और कब हुआ ?? मेने बोला 03 महीने हो चुका है । वो मेरे चेहरे को देख कर दुःखी हो गया । और बोला बाबू तालाब की पानी से मत नहाया कर ये ठीक नहीं होगा । घर मे ही नहाया कर । तब तक मेरा नहाना हो गया था । जब घर वापस आया देखा की माँ गुस्से में थी पूछा कहाँ गया था ?? तुझे बाहर जाने केलिए कौन बोला ? बहुत डांटने लगे । माँ बोली बाहर मत जाना धूप लगेगा तो चेहरा ठीक नहीं होगा । करीब 04 से 05 महीने लग गए ठीक होने में । जब पूरी तरह से ठीक हुआ तब में स्कूल जाने लगा । अच्छा दबाई के चलते मेरे चेहरे पर एक भी जले हुए दाग नहीं रहे । मगर याद को कायम रखने केलिए एक दाग मेरे चेहरे पर रह गया । जब भी में सीसै में अपनी चेहरे को देखता हूँ उश रात की दर्द कुछ समय केलिए महसूस हो जाता है । जब याद करता हूँ घड़ी की छोटी बाली सूई की टिक टिक शब्द मेरे कानो में आज भी गूंज रही है । और ऐसी रात किसी और कि जिंदगी में कभी भी ना आये ! में यही भगवान से प्राथना करूँगा ।

मेरे लाइफ की और भी कुछ कहानी है स्टोरी सेक्शन में जाकर पढ़ सकते हैं ।

।। धन्यवाद ।।