Lifestyle Changing Thoughts in hindi (Part-10)




LCT-56:
कुछ लोग अपना अपना कहकर
सब कुछ हासिल करना चाहते हैं।
मगर हासिल करते करते उम्र निकल जाता है
जो कुछ हासिल किए थे
दूसरे के नाम पे छोड़ना पड़ता है ।।



LCT-57:
आपकी काबिलियत को दूसरे द्वारा तारीफ
मिलना मतलब  उसी कार्य मे आप सफल हुए हो।
और
अपनी काबिलयत को दिखाबा करना मूर्खता केहलाता है ।



LCT-58:
गलती होने के पश्चात
प्रथम कर्तब्य यह है कि गलती को कैसे सुधारा जाए, ना कि गलती करने वाले को दंड दीया जाय ।



LCT-59:
अपनों से दूरी बनाने की कोशिश में हार जाओगे ।
जब बो  दुनिया छोड़ जाएगा उसकी हार महसूस करोगे।।



LCT-60:
गम को कुछ समय केलिए भुला देता है।
मन हल्का तथा शरीर को पीड़ा मुक्त करता है ।।
अर्थात
यह महसूस कुछ समय केलिए है।
उसके पश्च्यात आपको गलत एहसास होता है । इसीलिए मदिरा पान का त्याग खुसी का उचित मार्ग है ।।




Clear the unused space and data from any WhatsApp number and groups.


Hi friends

This information help us clear your unused space and storage of Whatsapp group and number
So lets start step by step
1. Open the WhatsApp and click the 03 dots 



2. Open the settings menu



3. Click the data and storage usage


4. Click the storage usage


5. You see the large amount of MB/GB storage occupied your number or Groups. The heavy storage occupied seen on top.


6. After opened the option you see the how many conversations text messages contacts, photos etc.. with how many space occupied will shown on the right. If you wish to clear the so Click the Free up space.


7. You choose and tick the option what you did not want and clear the space for free your ROM. Click the delete items(000MB/GB) etc.

After click the option a few seconds taken and free up your space.

So please the review in comment box 

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How to set a fingerprint lock to your WhatsApp


Hi friends this information helps you for lock and unlock through fingerprint on your WhatsApp application. So lets start step by step.

1. Open application on the above right corner click 03 dots for proceed for settings menu.




2.open Settings


3. Click Account settings


4. Click privacy settings


5. Go to last option Fingerprint lock





9.Then the option show enabled immediately



10.when u again start the WhatsApp ask for fingerprint
11. When you promt the fingerprint the application opened.
 



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Bless (आशीर्वाद)

A Blessed From Poor Person
Blessed From Poor Person

एक ब्यक्ति भारी सामान के साथ एक रिक्शा बाले के पास जाता है । रिक्शा बाले की उम्र करीब 50 के होंगे । बह ब्यक्ति उसको पूछता है कि कितना रुपये लोगे मेट्रो जाने केलिए । रिक्शा बाला बोलता है 20 रुपए । परंतु वहां से बैटरी रिक्शा में 10 रुपये लगता है । बह ब्यक्ति उस रिक्शा बाले से बोला कि “ताऊ जी 10 रुपये लोगे तो में बैठूंगा” अगर चाहता बह ब्यक्ति मेट्रो तक पैदल आराम से पहुंच सकता था उसके पास बहुत समय था । वहां पे कोई बैटरी वाला नहीं था । सामान को देखकर बह ब्यक्ति थोड़ा आलसी हो गया । ब्यक्ति ने आगे की और निकलते समय पीछे से रिक्सा बाले की पुनः आवाज़ आया । भाई साहब कितना दोगे बैठो । उस ब्यक्ति ने बोला कि 10 रुपये दूंगा ,रिक्सा बाले बोला 15 रुपये देदो साहब बहुत देर से खड़ा हूँ कोई सबारी नहीं मिला। आप चलोगे तो 10-20 रुपये मिल जाएगा । उस ब्यक्ति रिक्सा बाले की चेहरा को देखकर बोला ताऊ जी 10 रुपये दोगे तो चलो नहीं तो बैटरी रिक्सा से चले जाऊंगा । भारी सामान को देखकर रिक्सा बाले ने हाँ बोलते हुए कहा चलो साहब 10 रुपये दे देना। ब्यक्ति ने रिक्सा में बैठ गया तथा कुछ रास्ता चलने के पश्च्यात एक बूढ़ी औरत पैदल जा रही थी । रिक्सा बाले ने उनको बोला बैठ जाओ मां जी । वो बूढ़ी औरत को बिठाने केलिए रिक्सा बाले ने उस ब्यक्ति से अनुमति मांगी । ब्यक्ति के अनुमति मिलने पर बूढ़ी औरत को बिठाया । रास्ते में बहुत भीड़ था । बहां से मेट्रो स्टेशन की दूरी 1 km के आसपास होगा । रिक्सा बाले ने भीड़ को आवाज़ दे कर अपना रिक्सा आगे लेके जा रहा था । कभी रिक्सा से उतरता था तो कभी रास्ता साफ मिलने पर वह फिर से रिक्सा में पेडल देकर आगे ले जाता था । शाम को 6 बजने बाला था । मौसम साधारण था मगर गर्मी नहीं था । उस ब्यक्ति ने गौर किया कि रिक्सा बाले की बहुत फसीना आ रहा है । असल में वह फसीना मेहनत की थी ।

मेट्रो स्टेशन में पहुंचने बाला था । ब्यक्ति ने रिक्सा बाले से पूछा ताऊ जी आप दिन में कितना कमा लेते हो। तो रिक्सा बाले ने बोला “क्या बताऊँ साहब हमारी धंदा में ये बैटरी बालो ने ठप करके रखे हैं । कभी 1000 होता है तो कभी 500 और कभी कभी 100 भी बड़ी मुश्किल से होता है ” । तो ब्यक्ति पुनः सवाल किया आपके घर मे कौन कौन रहता है ? तो रिक्सा बाले थोड़ा दुःखी होकर जबाब दिया ।” में और मेरी पत्नी” । ब्यक्ति ने पूछा बेटा या बेटी नहीं है क्या ? रिक्सा बाले ने जबाब दिया ” क्या बताऊँ साहब सब स्वार्थि हो गये हैं । बेटा बहु को लेकर बाहर रहता है और बेटी तो कभी कभी आती थी आजकल बो भी नहीं आती है “। बेटा क्या करता है पुनः ब्यक्ति ने पूछा ? जबाब में रिक्सा बाले ने वोला बह मजदूरी करता है और मेरे घर से एक किलोमीटर की दूरी में रहता है । पुनः ब्यक्ति का सबाल था कि आपके साथ रह सकते थे बो बाहर क्यों रहते हैं । रिक्सा बाले के आँखों से आंशु आ गया और जबाब दिया कि ” बहु को पसंद नहीं है में रिक्सा चलाऊं और उसको हमारी रहन सहन अच्छा नहीं लगता है । इसलिए वह बाहर रहते है”। मेरा तो मजबूरी है , आज से 20 साल होने जा रहा है रिक्सा चलाते चलाते। इस धंदा को कैसे छोड़ दूं ।
तबतक मेट्रो स्टेशन पहुंच गया था । ब्यक्ति ने रिक्सा बाले से पूछा कितना हुआ ? रिक्सा बाले ने बोला “दे दो साहब जो देना है ” ब्यक्ति ने बोला 10 रुपये ना? तो रिक्सा बाले ने बोला ठीक है बाबूजी दे दो” । ब्यक्ति फिर से पूछा कितना बताओ ? रिक्सा बालो ने बोला 15 दोगे तो अच्छा रहेगा। ब्यक्ति ने बोला हमारी बात हुई थी 10 कि आप फिर से 15 बोल रहे हो । इतना बोलकर ब्यक्ति ने 100 रुपये निकाल कर रिक्सा बालो को दिया । रिक्सा बाले ने अपने पॉकेट से कुछ सिक्के और नोट्स निकाले । ब्यक्ति ने पूछा आज कितना कमाई हुआ है ? रिक्सा बाले ने जबाब दिया मेरे हात में जितना रुपये है ! इतना ही कमाई हुआ है । ब्यक्ति ने पूछा कितना है ये , रिक्सा बाले ने गिनकर बताया 335/- रुपये हुआ है सुबह से अभी तक की कमाई । ब्यक्ति ने पूछा छुट्टा है क्या आपके पास? रिक्सा बाले ने बोला कि हो जाएगा साहब । ब्यक्ति थोड़ा मुस्कुराते बोला ये 100/- रुपये आप रख लो । आप जितना मेहनत करते हो उसके बदले ये 100 रुपये कम है । इतना सुन ने के बाद रिक्सा बाले चकित हो कर ब्यक्ति की और देखता रहा गया ।अगले पल ही रिक्सा बाले की चेहरे पर मुस्कान आ गया । सायद बह ब्यक्ति रिक्सा बाले की मुस्कान देखना चाहता था । रिक्सा बाले ने ब्यक्ति को हाथ जोड़कर प्रणाम किया बोला धन्यबाद साहब । आपकी हर मनोकामना पूरी हो और आप जहां भी रहो भगवान आपको अच्छे से रखे । ब्यक्ति भी उसको धन्यवाद देकर आगे बढ़ने लगा ।
ब्यक्ति ने थोड़ा आगे जाकर देखा बह रिक्सा बालो ने दूसरे रिक्सा बालों को उस ब्यक्ति की तरफ इशारा करते हुए कुछ बोल रहा था और 100 रुपये को बार बार देख रहा था । जैसे उसकी खुसी दुगुनी हो गया है । ब्यक्ति को रिक्सा बाले ने दूर से प्रणाम किया । ब्यक्ति मेट्रो स्टेशन की और चला गया ।
दोस्तों आज भी दुनिया में कुछ लोग रहते है जहां गरीब की एक मुस्कान केलिए खुसी से दान करना पसंद करते हैं। बह ब्यक्ति उस रिक्सा बाले से 10 या 15 रुपये देकर आ सकता था । पता नहीं उस ब्यक्ति के मन मे ऐसा दया क्यों आया?
दुनिया में बहुत कुछ कर लो मगर किसी गरीब आदमी की आशिर्बाद आपको मिलता है ना? तो आप सौभाग्यशाली मनुष्य हो। यह आशिर्बाद के आगे बड़े से बड़े कीमती सामान कम पड़ जायेगा । कितना भी पैसा खर्चा करलो मगर गरीब की दया और आशिर्बाद को आप नहीं खरीद सकते । आपकी इच्छा से दान करना भी एक पुण्य है । दान करने के उपरांत आपको पक्का खुसी मिलेगी ये मेरी अनुभूति है ।
यह पोस्ट अच्छा लगे तो सबको शेयर करिए ।
धन्यवाद
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Lifestyle changing thoughts in hindi (Part-9)


LCT-51:

अपनापन दिखाना काफी नहीं है ।
उसको बनाये रखना पड़ता है ।
अर्थात
जो ब्यक्ति आपके जरूरत के समय साथ दिया
उसको आप अपनापन का दर्जा दे सकते हो ।।


LCT-52:
माता जी की प्रसाद मिलना अर्थात
आपको उनकी आशीर्वाद प्राप्त हुआ है।
और
माता जी की दर्शन मिलने से
मन मे शांति तथा शरीर में शक्ति जाग उठता है ।
जय माता दी।।।


LCT-53:
जीबन में संघर्ष
आपको सफल दे सकता है ।
परंतु
सफल होने के पश्चात अहंकार को अपना 
लिया तो सफलता का कोई फायदा नहीं ।।


LCT-54:
अहंकार का त्याग अथार्त सूखी जीबन का असली मार्ग है।


LCT-55:
आपकी सरीर में जिश जगह आघात लगा होगा
उशी जगह आपको बार बार चोट लगेगा ।
ध्यान रहे
किश कार्य से आपको हानि पहुंचेगा
दुशमन सदा उशी कार्य कर सकता है,
सतर्क हो कर यात्रा करना आपकी जिम्मेदारी है ।।

lifestyle changing thoughts Part-2



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Success Story ( Part-1 )

Success Story ( Part-1 )
Success Story ( Part-1 )

16 फरबरी 2010 को शाम को में गाय केलिए खर लेकर आ रहा था । मेरे गांव को प्रबेश से पहले एक चौकी पड़ता है । उश जगह मेरे भाग्य खोलने बाला ब्यक्ति मेरा इंतजार कर रहे थे । पीछे से आवाज़ आया कोई पत्र(Letter) आया है तुम्हारे नाम पर । मेंने पूछा कहाँ से आया है । तो वो बोले कि “तू फ्रेश होकर घर के सामने आ जा” में इंतजार कर रहा हूँ आने के बाद खुद देख लेना । में हां बोलते हुए गाय को खर देकर जल्दी जल्दी फ्रेश हो कर घर के सामने आया । बह ब्यक्ति के चेहरे पर थोड़ा मुस्कान था । बह मुस्कान देख कर मेरे चेहरे पर भी थोड़ा मुस्कान आया । में पूछा बताओ तो क्या है पत्र ? बो पत्र को मेरे हाथ मे थमाते हुए बोले की यह तीसरा पत्र है । में क्या बोलूं तू ही खोल और बता क्या है ये ? इस से पहले भी 02 लेटर समान पते से मुझे प्राप्त हुआ था । पत्र को खोला और कुछ शब्द को पढ़कर इतना खुस हुआ जैसे कि मेरे चेहरे में रौनक आ गया । बह था मेरा Medical Examination की आमंत्रण पत्र । में इतना जानता था कि में मेडिकल परीक्षा में विफल नहीं हो सकता । इसलिए मेरे अपने ऊपर भरोसा था ओर खुसी के मारे नाचने को मन किया था । सामने बैठा ब्यक्ति हमारे गांब के पोस्ट मास्टर थे । उनको बहुत धन्यवाद दिया । क्योंकि उश समय मेरे भाग्य लेकर आने बाला ब्यक्ति वही थे । बो भी बहुत खुस हुए । बह एक शब्द बोले कि मुझे लगा कि कोई अति महत्वपूर्ण पत्र होगा इशलिये बह उसको आज ही लेकर आये। इतना बोलकर पोस्ट मास्टर जी अपने गांब की और प्रस्थान किये ।

अगले दिन 17 तारीख मेरा BA Last Year की आखरी Paper था । परंतु मेरा मन तो आमंत्रित पत्र पर था । परीक्षा कैसे गया और क्या लिखा मुझे ठीक से याद नहीं फिर भी परिक्षा मेरा अच्छा हुआ था । मेरे पास सिर्फ 05 दिन था और उसी 05 दिन के अंदर एक दिन इतवार भी था बचा 04 दिन में कुछ कागजात इकठ्ठा करना था । जो तहसीलदार और पुलिस स्टेशन तथा जिलापाल कार्यालयों से इकठ्ठा करना था । आप जानते होंगे इस कार्यलयों में काम जल्दी होता नहीं है फिर भी मेरा भाग्य मेरा साथ दिया था ।
18 तारीख को में पुलिस स्टेशन पर गया जो कि मुझे अपनी Personal Verification करना था । Verification यह कि मेरे ऊपर कोई गैर कानूनी मुकदमा तो नहीं चल रहा है या पहले हुआ है । किसी भी सरकारी नौकरी होने से पूर्ब यह कागजात आपको इकठ्ठा करना पड़ता है तो उस दिन सुबह 10 बजह पुलिस स्टेशन पहुंच गया । मेरे हाथ में अपना आमंत्रित पत्र तथा Blank Police Verification Letter को लेकर पुलिस स्टेशन के अन्दर प्रबेश किया । मन मे डर रहते हुए जीबन काल मे पहली बार पुलिस स्टेशन में प्रबेश कर रहा था । अंदर दो पुलिस के जवान कुछ लिख रहे थे । मुझे पूछे क्या हुआ भाई मेने दोनों पत्र उनको दिखाते हुए कहा कि श्रीमान मुझे अपनी पुलिस Verification करना है । दोनों जवान मेरे चेहरे को बार बार देखें और बोले कि जाओ बाहर जो बेंच है उसमें बैठो हम जब बुलाएंगे तब आप आओगे । उनकी जबाब के बाद में बाहर बेंच में आकर बैठ गया । सुबह 10.00 बजह से लेकर दोपहर 4.00 बजह तक कई बार उनके पास गया । मुझे बही उत्तर मिलता था जाओ बाहर बैठो आपको हम बुलायेंगे । मन तो कर रहा था चला जाऊं अपनी गांब ! सरकारी नौकरी केलिए इतना तंग होना पड़ता है !!! फिर मन को शांत करके बोलता था थोड़ा संयम रख इतना मेहनत के बाद ये मिला है उसको ऐसे जाने देगा क्या?? ठीक है कब तक बिठाएंगे रात भी हो जाये आज Sign करके ही जाऊंगा । 4.05 में एक हाबिलदार मेजर स्टेशन में प्रबेश करने से पहले उनकी नज़र मेरे ऊपर पड़ा । मुझे इसारे से पूछे कहाँ और यहां क्यों बैठे हो ?? उनकी इसारा का जबाब देते हुए अपना आमंत्रित पत्र तथा Verification पत्र दिखाया । तो बह बोले यहां क्यों बैठे हो ?? अंदर आकर Sign करके जाओ अपने गांब । उनकी ये बात सुनकर मेरे दिल मे कुछ समय केलिए खुसी महसुस हुआ । हाबिलदार मेजर को बोला की में कई बार अंदर Sign करने केलिए आया हूँ परंतु बो दोनों Sir मुझे यह बोलते हैं कि आपको हम बुलाएंगे आप बाहर बैठो । फिर हाबिलदार मेजर ने मुझे पूछे की आप कब आये ? मेने कहा श्रीमान में सुबह 10 बजह से यहाँ बैठा हूँ । इतना सुनकर बह थोड़ा गुस्से में उन जवान को बोले “क्यों भी इनका काम क्यों नहीं कर रहे हो” । बाद में मुझे अंदर बुलाया गया और मेरा नाम तथा मेरे बारें मे जानकारी लिया गया और पूछा गया कि कोई गैर कानूनी काम किये हो क्या या कोई राजनीति पार्टी के साथ घूमते हो क्या ?? तथा बहुत सारे प्रश्न पूछे । उन्होंने मेरा नाम उनकी रेजिस्टर में दर्ज किये तथा SHO Sir के चैम्बर में जाने केलिए बोले और आदेश दिया कि जो जो सबाल हम आपको किये बही सबाल SHO Sir पूछ सकते हैं तो सही सही जबाब देना नहीं तो कोई Sign नहीं कराएंगे । उनकी आदेश का पालन करते हुए चैम्बर के अंदर गया । बहां SHO Sir के साथ और एक आदमी बैठे थे । मे उनको सम्मान देते हुए अंदर प्रबेश किया । SHO Sir ने मुझे प्रथम प्रश्न पूछे कि “आप आखरी बार police स्टेशन कब आये थे” तो मैने जबाब दीया Sir में आज पहली बार आया हूँ । दूसरा प्रश्न नहीं था एक सलाह था “आप एक देश के जवान बन ने जा रहे हो ” देश का नाम ऊंचा रखना । इतना सुन कर में बहुत खुश हुआ । Sir मुझे Pen मांगे और मेरे Pen से Verification पत्र पर Sign किये । दिन भर भूका था जब आखरी में SHO Sir की सलाह सुनकर दिल को थोड़ा सुकून मिला और मन मे एक अलग सी आशा जागने लगा था ।
तीसरा दिन मेरा तहसीलदार कार्यालय में Central OBC Certificate में Sign की जरूरत था । बह कार्य भी हुआ परंतु दोपहर के बाद हुआ क्योंकि तहसीलदार साहब कार्यालय से बाहर थे । आखरी में जिल्लापाल कार्यालय में कागजात बाकी रह गया । परंतु शनिबार होने हेतु काम होगा या नहीं होगा मन में डर बिठाकर जिल्लापाल कार्यालय में गया मगर बहां भी बहुत आदमी कतार में खड़े थे । परंतु उश जगह भी सही बक्त पर कागजात पर Sign हो गया ।
22 तारीख को शाम को बस से Rourkela की और निकल पड़ा और दूसरे दिन सुबह पहुंचा । अगले दिन सुबह यानी कि 24 feb को मेरा medical Examination था और सुबह Recruitment की गेट पर सही समय पर पहुंच गया था।
बाकी की कहानी में अगले Blog में लेकर आऊंगा । वह भी बहुत मजेदार कहानी है । मुझे पता है आप जरूर पढ़ेंगे परंतु इस से पूर्ब मेरा Blog को आप follow करना पड़ेगा तब आपको Email में Notification आएगा और बाकी की कहानी को आप आसानी से पढ़ पाएंगे ।
दोस्तो एक सबाल था आपसे की असल मे उश दिन भर मुझे पुलिस स्टेशन पर क्यों बैठना पड़ा । वह दोनों जवान मेरे साथ ऐसा ब्यबहार क्यों किये ??? अगर वह चाहते तो मेरा काम 10 मिनट में कर सकते परंतु सुबह 10.00 बजह से दोपहर 04.00 बजह तक बिठाके रखने का क्या तात्पर्य था ???
आपके पास इसका जबाब है तो Comment Box में जरूर बताएं !!
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Lifestyle changing thoughts in hindi (Part-8)


LCT-46:

आप क्या सुनकर खुस होते हैं ।
बह आपके ऊपर निर्भर करता है ।
अर्थात
जब आपको कोई सम्मान देता है ।
बह है असली खुसी ।।
यह तब सफल है जब आप किसीको 
दिल से सम्मान दिए होंगे ।







LCT-47:
यह सत्य को आप बदल नहीं सकते
और जानकार भी आप हैरान होंगे।।
बह है
जब शरीर मिट्टी का रूप लेगा तब 
बह मिट्टी को गंद होना पडेगा।
कब तक गंद की बजह से मुहं टेड़ा करते रहोगे
स्वच्छ रहने और रखने की प्रयास जारी रखो।।




LCT-48:
कुछ ब्यक्ति की आदत है की
समय से पहले निकलेंगे नहीं 
और समय पर पहुंचेंगे नहीं ।
असल में
वह ब्यक्ति अपने आप को धोखा दे रहा है। 
खुद की सोच से बह चालाक है 
परंतु सबसे ज्यादा गाली बही खाता है ।
आपके आसपास भी कुछ लोग जरूर होंगे ।




LCT-49:
कुछ ब्यक्ति की आदत है दूसरे का कार्य हो या
ना हो परंतु मेरा कार्य पहले होना चाहिए ।।
हाँ
याद रहे खुद का मूल्यबान समय को मत गबाइये
क्या पता बाद में पश्चात्ताप करने पड़े ।
दूर रहे ऐसे ब्यक्ति से ।।




LCT-50:
मेरी इच्छा के मुताबिक अगर सारे कार्य हो जाते 
तो में समय को नहीं देखता ।।
अर्थात
अपनी इच्छा को पूरी करने केलिए समय को 
देखकर कार्य करना अनिवार्य है ।
आपकी अगली इच्छा क्या है ??? 




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Meri Matrubhumi Eassay (Topic in hindi for kids)

   Style-1(Long Topic)
भारत मेरी मातृभूमि है यहां के अधिकांश लोग गांवों में रहते हैं। यहां कई बड़े शहर भी हैं| मुंबई, दिल्ली, कोलकाता और चेन्नई इनमें से कुछ हैं| भारत संतों का देश है| यह कालीदास, कबीर और गुरु नानक की भूमि है। भारत एक बहुत बड़ा देश है। इसके उत्तर में, हिमालय हैं वे दुनिया के सर्वोच्च पर्वत हैं। हिंद महासागर अपने दक्षिण में है भारत बड़े वन, झीलों, घाटियों और नदियों की भूमि है। वे अपनी सुंदरता को जोड़ते हैं भारत की मिट्टी बहुत उपजाऊ है यह हमें कई प्रकार की फसलों देता है भारत शेरों, बाघों और हाथियों की भूमि है और भारतीय बहादुर और बुद्धिमान लोग हैं वे शांतिप्रिय लोग हैं मुझे अपने देश और उसके लोगों पर गर्व है।

मैं भारत को प्यार करता हूं| भारत, सबसे बड़ा लोकतंत्र है और विश्व के सबसे पुराने नागरिकों में से एक है, चेन के बाद दुनिया में दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है। भारतीय सभ्य लोग हैं मेरे देश ने पुरु, रण प्रताप और शिवाजी और जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी और सरदार पटेल जैसे नेता और नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बगट सिंह और लाला लाजपेट रे जैसे स्वतंत्रता सेनानियों जैसे योद्धाओं का निर्माण किया है।

साहित्य और विज्ञान के क्षेत्र में मेरे देश ने रबींद्रनाथ टैगोर, प्रेमचंद, सारा चंद्रा, सी.वी. रमन, जगदीश चंद्र बोस और डॉ अब्दुल कलामा ऐसे महान नाम मुझे अपने देश पर गर्व करते हैं। मेरा देश गांवों और खेतों से भरा इलाका है। मुझे उनके गाँव पर गर्व है जहां से भारतीय सभ्यता आगे बढ़ रही है। हमारे देश के महान नेताओं गांवों से आए थे। हमारे खेतों को गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, गोदावरी, नर्मदा, कृष्णा और कावेरी जैसे नदियों से पानी मिलता है। गंगा वैली हमारे देश के सबसे उपजाऊ क्षेत्र हैं।

महासागर जो तीन तरफ उसके तटों को धोते हैं और उत्तर में खड़े शक्तिशाली हिमालय ने मेरे देश को प्राकृतिक सीमाएं पक्षों से दी हैं। फिर, पहाड़ों की लालच ने समृद्ध संस्कृति के इस देश में कई कारनामों को आकर्षित किया है।


Style-2( Short Topic)

 जिस व्यक्ति का जन्म जहाँ पर होता है उसे वह भूमि बहुत प्यारी होती है। वह उस भूमि की गोद में ही बढ़ा होता है और वह उसकी माँ के समान होती है और उसे उसकी मातृभूमि कहा जाता हैं। मेरी मातृभूमि भारत है और मुझे इससे बहुत ही ज्यादा प्यार है। यह कला संस्कृति और साहित्य से भरपूर है। इसे रिशि मुनियों की भूमि भी कहा जाता है और यहाँ पर बहुत से महापुरूषों का भी जन्म हुआ है। मेरी मातृभूमि चारों तरफ से प्रकृति से घिरी हुई हैं। इसमें कहीं पर घने जंगल है तो कहीं पर पहाड़ और कहीं पर नदियाँ हैं।

इसमें बहुत से मंदिर और आश्रम बने हुए हैं। इसकी मातृभाषा हिंदी है। इसमें पर्यटन के बहुत सारे स्थल हैं। यहाँ पर सभी त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं। मेरी मातृभूमि विभिन्नता में एकता की प्रतीक है। यहाँ पर सभी धर्मों के लोग रहते हैं और प्रत्येक राज्य की अपनी विशेषता है। इसके कण कण में माँ की ममता छिपी है और कृषि प्रधान देश होने के कारण यहाँ पर हर समय खेतों में फसलें लहलहाती नजर आती है। मेरी मातृभूमि बहुत ही सुंदर है और इसकी सुंदरता को देखने हर साल बहुत से पर्यटक विदेशों से भी आते हैं।

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Lifestyle Changing Thoughts in hindi (Part-7)



LCT-41:
कौन क्या सोचता है उसका परबाह मत करो और करो ही मत !!
क्योंकि
आप जो करते हो सही तरीके से करते हो क्योंकि आप अपनी दिल की सुनते हो। 
यही आपकी अच्छा स्वभाब है ।।

LCT-42:
आपके आस पास के लोग अच्छे हैं या नहीं।
तब आप सुनिश्चित कर सकते हो 
जब आप किसी समस्या में होंगे ।
अर्थात
आपकी सतर्क रहना !! आने बाले 
समस्या झेलने की शक्ति है ।
आशा है उश शक्ति का सही उपयोग करते होंगे ।

LCT-43:
कौन कहता है लोग दुःख भूल जाते है ,
अपनो के साथ रहने के बाद । गलत सुने हैं आप!!  
कहने के मतलब
जब अपने लोग ही दूर में रहना चाहते हैं तो सुख क्या ??
दूरी को नज़दीकी बनाओ यारोँ ।


LCT-44:
कील को शक्त प्रहार देने से पूर्ब अपने
हात को सही तरीके से पकड़ना आपके जिम्मेदारी है।
क्योंकि
कोई भी जोखिम कार्य से पूर्ब 
खुद को सही तरीके से स्थापित करना आपकी जिम्मेदारी है । नहीं तो कष्ठ और बिपत्ति कभी भी जन्म ले सकता है ।


LCT-45:
धान की नसीब में लिखा रहता है कि
बह फिर से पौधा बनेगा या खाने का चावल !!
अर्थात
उसी तरह ब्यक्ति का कार्य कहता है 
बह अछि रास्ते को चुनेगा या बुराई को !!
चयन आपका है !!!




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Eng(5) Shimla, Kullu and Manali

The Tour of Shimla, Kullu and Manali.
Fifth/Last day
We woke up early in the morning because we had planned to visit the apple garden near the hotel. We spend more time in the apple garden. After roaming the garden we check out the hotel and start the tour towards the Bashisht Banu temple. There was a hot water spot nearby. There is a waterfall some distance away from the place where some people returned but after knowing its distance, we came back from halfway. Buy some goods from there and then we spend a lot of time on the banks of Beas river on the way. At 03 PM went to Mall Road to spend some time with enjoyed the light sunshine. In the evening, 4 o’clock arrived at the Bus Stand for Volvo Bus. we had got 31,32 Volvo Bus tickets. The bus ticket was already booked by the ITO agency. we gave thanks to ITO representative Babita Sharma and gave feedback for the entire tour. There was a doubt in my mind not to vomit during the tour. The conductor had given us polyethylene. If vomiting occurs, the Bus should not be dirty. Volvo was also given water bottles with blankets. We both slept in the evening for fear of vomiting and we did not eat anything at night when the car stopped for Dinner. We slept around 10-11 hours on that day.
The entire Arrangement of the Tour was done by ITO agencies. Tour was very good and awesome. There was a complaint against the driver, we speaking daily for car cleaning. But in the 5-day journey, he cleaned his car only on the last day, after repeated complaints. We gave many many thanks to Miss Babita Sharma after the tour. she had supported us everywhere and I noticed one thing in Miss Babita Sharma. Whenever I used to call she would laugh and say “yes”, she never refused any request of us with never angry and show the way to the solution. One thing my Wife said that time “when our children plan to hang out after marriage, they will contact a representative like Babita Sharma and send them to the Tour”.

How did you like our tour? So friends please give the feedback on the above tour. If you are thinking to go to Shimla and Kullu Manali so call the ITO representative Miss Babita Sharma.

India Travels online Information

Email.

babitasharma.ito@gmail.com (Babita Sharma)
indiatravelsonline@gmail.com(Official Email)
Some of Fifth day Tour Photos:-
The Tour of Shimla, Kullu and Manali (5th Day)
plucking apple
The Tour of Shimla, Kullu and Manali (5th Day)
Beas river
The Tour of Shimla, Kullu and Manali (5th Day)
Meditation at Beas river
The Tour of Shimla, Kullu and Manali (5th Day)
style
running at the bank of the river
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Lifestyle Changing Thought in Hindi (Part-6)



LCT-36:
मन मे अगर कुछ आशा जगा है तो उसको उसी समय पूर्ण कीजिये ।
कहने का तार्पर्य
बाद में आप सोचने लगोगे की वहां मुझे वह कार्य कर लेना चाहिए था ।
फिर आपको कभी मौका मिलेगा ये नहीं आप नहीं जानते ।

Lifestyle Changing Thought (Part-1)


LCT-37:
किसी से अगर बर्तालाप करते हो तो ध्यान दीजिए कि बह आपकी बातों पर संतुष्ट हो रहा हो।
क्योंकि 
अछि बात पर लोग आपकी सारी गलतियां माफ कर देते हैं तथा संतुष्ट होते हैं तो खुसी से उपहार भी देने लगते हैं।

Lifestyle Changing Thought (Part-2)


LCT-38:
आपकी स्तिथि के बारे में कोई जानकारी नहीं लेता है तो दुख मत करो ।
अर्थात
बर्तमान स्तिथि में आप खुसी महसूस कर रहे हो !!
तो उतना पर्याप्त है आपकी सुखी जीबन केलिए ।
खुस रहिए, दुःख करना मूर्खतापूर्ण है ।

Lifestyle Changing Thought (Part-3)


LCT-39:
ऐसा समय भी आया होगा किसके जिंदगी में, की उनके माता पिता अपने पुत्र को खाना खिलाकर खुद पानी पी कर गुजारा किये होंगे ।
और आज के दुनिया मे पैसे की मात्रा बढ़ गया है ।
कुछ लोग अपने माता पिता को खाना खिलाने के बजाय खाना फेंकना पसंद करते हैं।
भगवान सुधरने का मौका देंगे या नहीं इस तरह पुत्र या पुत्रि को ???

Lifestyle Changing Thought (Part-4)

LCT-40:
अगर आप किसी से कुछ ज्ञान प्राप्त किये हो, तो बह मार्गदर्शक ब्यक्ति को कभी मत भूलियेगा।
क्योंकि
आगे की सफर में आपको बह मार्गदर्शक के ज्ञान, सफल की और ले जायेगा।
अपने गुरु की सम्मान आपकी आदर्श होना चाहिए ।।

Lifestyle changing thought (Part-5)


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Lifestyle Changing thought in hindi (Part-5)



LCT-31:
ब्यक्ति को शांत देखकर कुछ लोग
उनको साधारण समझते हैं ।
यह चिंताधारा उनकी  गलत है !!
क्योंकि

शांत ब्यक्ति के कदम और कलम से दूर रहें ।
अर्थार्त
जब बिजली गिरती है!
तो बह किसीको लपेट में लेता ही है । 
सतर्क रहना आपकी कर्तब्य है ।
LCT-32:
अनजान ब्यक्ति मुख से मीठी बात हो रहा है तो सतर्क रहें ।
क्योंकि बह आपसे कुछ इच्छा प्राप्ति की आशा रख रहा है।

अर्थार्त

प्रत्येक ब्याकि गलत नहीं है परंतु परखना आपकी कार्य है ।
Lifestyle Changing Thought (Part-2)

LCT-33:
ब्यक्ति की चाहत भगवान पूरा नहीं करते
भगवान सिर्फ आपको मदद करते हैं।
अर्थार्त
अपनी अच्छा कार्य तथा दूसरे की दुआ को भगवान जल्दी सुनते हैं ।
मगर कर्म आपको करना पड़ेगा और दूसरे केलिए कभी कभी दुआ करते रहिए ।

LCT-34:
दूसरे की कार्य को देखकर
दुखी होने बाले जान लो
वो अपनी अच्छे समय को
बर्बाद कर रहै है ।
क्योंकी
जलने से दुर्गंध ही नसीब होता है
सुगंध से तो खुसी मिलती है  ।
LCT-35:
आप अगर सोचते हैं कि में
सही कर रहा हूँ ।
तो आप बिल्कुल सही कर रहे होंगे।
मगर
पहले जाांच कर लेना जरूरी है ।
क्योंकि ठगने बाले बहुत है दुनिया में
सतर्क और चौकन्ना रहना आपकी जिम्मेदारी है ।


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Lifestyle Changing Thoughts in hindi (Part-4)

LCT-26:
काश में उसकी तरह होता अच्छा मार्क लाता ?
बिना मेहनत करके बह अच्छा नंबर लाता है ।
कुछ याद आया स्कूल या कॉलेज की ?

रुको बताता हूँ

स्कूल या कॉलेज के समय क्लास में अच्छा पढ़ने बाले
को देखके खयाल आता था ना ? और ये सच है ।
मेरे सारे Viewer पढाई अच्छे थे !
यह यादें मध्य और पीछे बैठने बाले को समर्पित है ।

Lifestyle Changing Thought(Part-1)



LCT-27:
बचपन का कुछ पल हम कभी नहीं भूलते हैं।
हमको अछि तरह पता था गलती किसकी थी !!
चेहरा गुस्सा से लाल भी हो जाता था ।

ऐसा क्यों होता था ??

बचपन में जरूर पिटाई खाये होंगे!
बह तो एक सामान्य दंड था और कुछ देर पश्च्यात हम भूल जाते थे ।
आज की दुनिया हमें तनाब एबं मानसिक दंड दे रहा हैं ।
 उसको कैसे भूलें ।
सच बताओ बचपन बहुत अच्छा था ना ?

Lifestyle Changing Thought (Part-2)

LCT-28:
समस्या का कोई समय नहीं
किसी भी बक्त आपके दरवाज़े पे आ सकता है
आपको सतर्क रहना है!!!

अर्थार्त

समस्या को कैसे सुलझा सकते हो, सोचो?
नहीं तो मार्गदर्शक ब्यक्ति के तरीका अपनाओ
समस्या अगर हल नहीं हुआ तो समस्या झेलने की
तरीका तो मिल जाएगा ।

Lifestyle Changing Thought (Part-3)

LCT-29:
समस्या दिखे तो समाधान करने की कोशिस जारी रखना।
कभी सरल में हो सकता है तो कभी देरी से होगा !
समय आपकी समस्या का हल निकाल सकता है ।

बताओ कैसे ??

कभी दूसरे की जान बचाने की जरूरत पड़े तो पहले उनको मदद करें ।
क्या पता उनकी मदद से भगवान आपकी समस्या को हल कर दें।

Sad Moments

LCT-30:
मोती की इकट्ठा करने से
आपकी कार्य पूरा नहीं हुआ ।
मोती को लेकर उसको हार बनाना
आपका मुख्य लक्ष है ।

अर्थार्त

बिद्या अर्जन करके प्रमाण पत्र को
सजाकर रखने से कोई फायदा नहीं ।
उसी प्रमाण पत्र का सही उपयोग में
अच्छे कार्य की प्राप्ति करना आपकी लक्ष्य होना चाहिए।

Dangerous Night


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Lifestyle Changing Thoughts in Hindi Part-03

Lifestyle_Changing_Thoughts_in_Hindi_Part_03   

Lifestyle_Changing_Thoughts_in_Hindi_Part_03Lifestyle Changing Thoughts in Hindi Part-03         



LCT-21:
मोबाइल की आंतरिक स्तिति को सुधारने तथा सही रखने  केलिए हम Antivirus और अन्य स्रोत से Cached files को साफ करते हैं।

अर्थार्त

शरीर की गंदगी को भी समय समय पर पूरी तरह साफ करना चाहिए। आप निम्बू पानी गरम करके पियो या उपबास में ज्यादा पानी का सेवन करके करो । बजह यह है कि अभी से करेंगे तो बृद्ध काल मे दबाई का जरूरत ही ना पड़े।

<div dir="ltr LCT part-2

LCT-22:
धन का सही उपयोग करिये, दुरुपयोग करते हो तो साबधान !!! धन से खुसी को खरीद सकते हो और दुख को दूर कर सकते हो ।

अर्थार्त

धन बाली खुसी कुछ समय केलिए और जब जरूरत होगा तब दुरुपयोग ब्यय धन का एहसास होगा  ।
मोह, माया और मदिरा पान में ब्यर्थ धन ब्यय मत कीजिए आने बाला समय आपको बहुत दुख देगा ।


LCT-23:

बुरे बक्त पे अपना दुख सोच समझ कर उस ब्यक्ति को बताईये जो आपको सलाह के साथ सहायता भी कर सके ।

अर्थार्त

ऐसे ब्यक्ति को ना बताए जो उश बक्त की फायदा उठाकर आपकी मजाक उड़ाए । दर्द कि आंसू की कीमत चोट लगने बालो को पता होता है ।
आप भी कभी एहसास किये होंगे , क्यों की हर सरीफ ब्यक्ति के जिंदगी मे ये होता रहता है ।

LCT-24:
मंद बुद्धि ब्यक्ति बहुत चालक होते हैं ।
बह अपना कार्य समय से पहले कर लेता है और बुद्धिमान ब्यक्ति शांत रहता है ।

अर्थार्त

बुद्धिमान ब्यक्ति सबको ज्ञान देते है और
ज्ञान आहरण करने वाला ब्यक्ति बुद्धिमान ब्यक्ति की कार्य को और आसान कर देते है । इशलिये बुद्धिमान बनो तेज दिमाग लेकर मंदबुद्धि मत बनो ।

Dangerous Night

LCT-25:
हताश हो जाना अपने मे एक कमी है।
आप सही राह पर चल रहे हैं इशलिये तो लोग आपके ऊपर जलते हैं ।


अर्थार्त

जलने बाले को नजरअंदाज किजिये ।
आप चलते रहिए क्योंकि आपकी राह को अनुसरण करके बहुत लोग सफल हो रहे हैं ।

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Lifestyle Changing Thoughts in Hindi Part-02

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Lifestyle Changing Thoughts in Hindi Part-02



LCT-16:

जिंदगी मेट्रो की तरह हो गया है
कब कौनसा मेट्रो आएगा यकीन करना मुश्किल है??
समय देखो, खाली या भीड़ को देखकर सफर करो  ।
अथार्त

जीबन में हरवक्त अच्छा समय आएगा ये कोई नहीं बता सकता ।
इशलिये अपनी दिमाग को ज्यादा जोर दे कर तनाब नहीं लेना !!
आने बाले पल जैसा होगा उसी हिसाब से कार्य कीजिये एबं उसका आनंद लीजिये ।



LCT-17:
इच्छा आपकी हो या उनकी,
जो भी कार्य होता है उनकी मर्जी से,
कर्म और प्रेम सब उनकी लीला है,
फल और अन्न उनके चरण के प्रसाद है।
अथार्त
भक्ति और मन की शांति से जीती जाती है उनकी कृपा,
ना कि मंदिर में दान और बड़े मात्रा की भोग,
अपनी अहंकार को त्याग कर के मन से पुकारना असली पूजा है ।।



LCT-18:
घर मे प्रबेश से पहले हम दरबाजा के पास पड़ी चटाई में अछि तरह पेर को साफ करके प्रबेश करते हैं । जिस से संतुष्टि होते हैं कि मेरे द्वारा अनाधिकृत शक्ति या गंदगी घर मे प्रबेश नहीं हुआ है।

अथार्त

जीबन में कोई भी कार्य का पहला कदम सोच समझ कर बढाइये । दुष्ट चरित्रबान लोगो की बातो को अनदेखा करें और तनाब रहित कार्य करिए फलस्वरूप मन मे संतुष्टि उत्पर्ण होगा ।



LCT-19:
सम्मान उनको दीजिये जो आपके उपर निगाह और घर पहुंचने तक चिंतित रहते हैं, बजह यह की आप उनके करीब रहें ।

अथार्त

हर एक मनुष्य की कोई ना कोई सुभचिंतक होते हैं ।
सुभचिंतक के अलाबा बाकी सब स्वार्थरूपी मनुष्य है ।
सुभचिंतक की सेवा और उनकी ध्यान रखना आपकी प्रथम कर्तब्य होना चाहिए ।




LCT-20:

भाई, बहन, माता और पिता में परिबार अपूर्ण रहता है ।
समय के साथ परिबार में सदस्यता की बृद्धि होती है।
तत्पश्चात मन मे लोभ जन्म लेकर “मेरा” शब्द का उत्पर्ति होता है ।

अथार्त

सदस्य पांच हो या दस जब लोभ का त्याग करेंगे तब परिबर्तन आ सकता है । “मेरा” के बदले “हमारा एक अच्छा परिबार” का पुनः निर्मित होगा, और आप एक पबित्र परिबार का सदस्य बन सकते हैं ।।


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Lifestyle Changing Thoughts in Hindi Part-01

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Lifestyle Changing Thoughts in Hindi Part-01

LCT-01


कुछ लोग का आदत है कि दूसरे द्वारा किया गया कार्य सम्पूर्ण से पहले उस कार्य की कमी को निकालना !!!
उस कार्य का परिणाम तब अच्छा होता है जब कार्य को शांति से करने दिया जाय ।
उन ब्यक्ति को समर्पित है जो अपने कार्य को मन से करते हैं ।।

LCT-02

कुछ लोग आपको आपकी कमी के बारे मे बार बार याद दिलाएंगे परंतु आपको उनकी बातों पर अनदेखा करके कार्य को करते रहना ।
क्यों कि भोकने बाले की औकात नहीं है कि हमारे कार्य में बह बाधा दें।
बह लोग आगे बढ़ते हैं जो हाती जैसे कदम बढ़ा कर कुतों की आवाज़ को दबाना जानते हैं ।।
LCT-03

मेरा असफल होने का कारण में उचित मेहनत नहीं किया था ।
यह नहीं है कि में मेहनत करना छोड़ दूं ।
हर एक ब्यक्ति जरूर असफल हुआ होगा चाहे बह अच्छे Job, Business या Examination केलिए हो ।

लक्ष्य को focus करो back step लिया तो, उचित उम्र के बाद ये पश्च्यात ना हो कि “में उश समय थोड़ा अच्छा मेहनत किया होता तो आज का ये बुरा दिन मेरे साथ ना होता” ।।


LCT-04

अपनी गलति को  छुपाने केलिए कुछ लोग, गलती का बोझ दूसरे के ऊपर देना पसंद करते हैं ।
परंतु परिणाम के बाद उनको अपनी गलती का एहसास हो गया तो बह सच्चा ब्यक्ति कहलाता है
अगर नहीं मानता है तो आप जानते हैं उसको कौनसा नाम और क्या गाली आप देते होंगे ????

LCT-05

सुसम्पर्क वहां तक बनाये रखे जहां तक आपकी ब्यबहार से उनको संतुष्टि मिले ।

इंतजार कीजिये
आकस्मिक समय पर बह आपको जरूर याद  करेंगे ।।

LCT-06

सास ससुर की सेवा करोगे तो धन मिलेगा ।

माता पिता की सेवा करोगे तो इज़्ज़त मिलेगा ।।
बिकल्प चुनिए

धन की आशा छोड़ दो  सेवा करो क्यों कि ये सेवा कल आपकी उत्तराधिकारी आपको देने बाला है नहीं तो बह आपकी  अर्जित धन की लालसा में आपको भूका ना रख दे ।।


LCT-07

दूसरे को अत्यधिक धन की मात्रा दिखाने से पहले अपने मन के अंदर जो काला धन नाम की मोह है उसको दूर करो ।

ऐसे धन की कोई फायदा नहीं जो अपनों की तन को संतुष्टि ना कर पाए ।।
LCT-08
माता, पिता की सम्पति पर अपना हिस्सेदारी मत समझो ।
खुद सम्पति अर्जन करके अपनी संपत्ति का मालिक बनो ।

कल ऐसे ना हो कि आपकी सेबा से असंतुष्ट हो कर माता, पिता किसी मंदिर में दान ना कर दें ।।


LCT-09

ऐसा समय आपके नसीब में न आये  की

आपके साथ बीते हुए पल और व्हाट्सएप की DP याद दिलाने का काम आये ।

गुस्सा ,जिद्दी और नजरअंदाज मत करे साथ मिल कर जिंदगी को खुसी खुसी बिताने की कोशिस करें ।।
LCT-10

समय का पता नहीं यारों कब आपके साथ होगा और कब नहीं खुसी बांटने और दुख को दूर करना ही जिंदगी की असली बजह रखो ।
मिट्टी के शरीर की खयाल रखो, गिरने के तुरंत बाद अगर शक्त होगा तो बच जाओगे नहीं तो पल भर में दुनिया Bye Bye बोल देगा ।।

LCT-11

कुछ लोग सुबह उठकर लोभ, लालसा और इच्छा के  भावना में डूब कर अपना दिन को खराप कर देते हैं ।


खुस नसीब वो लोग होते हैं जो सुबह उठ कर ये सोचते हैं कि , एक अच्छा दिन आया इसको में मन भरके उपभोग करेंगे।।

LCT-12

संबंध और नदी का किनारा एक जैसा होता है महत्व तब तक दिया जाता है जब तक नदी में पानी और संबंध के पास धन होता है ।
संबंध का साथ देना और पानी को महत्व देने से सही बक्त पर सबन्ध आपके पास खड़ा रहेगा और अंतिम समय पर पानी भी मिलेगा ।।
 
LCT-13

समय बीत जाएगा खुसी को ढूंढते ढूंढते !!

खुसी तो आप के अंदर है उसको आप बाहर निकालने की कोशिस तो करो ।
बचपन की हसीन पल को याद करो खुसी से चेहरे पर मुस्कान उभर के आएगा ।।

LCT-14

अंतिम समय निकट आ रहा है सजाग रहें

और बह समय आपके लिए भारी पड़ सकता है
चौकन्ना रहें ।

मोबाइल की Voice/Data रिचार्ज कभी भी खत्म हो सकता है चेक करते रहिए । नहीं तो दूसरे दिन सुबह सुबह आपको परेशानी हो सकता है ।।

LCT-15

पौधे को तब तक पानी दीजिये जब तक उसको मिट्टी के अंदर पानी का स्रोत ना मिल जाये ।


उसी तरह अपने आने बाली पीढ़ी या उत्तराधिकारी को सक्ष्यम होने तक उसको मार्गदर्शक दिखाइए ।
जब बह सक्ष्यम हो जाएगा तब आप अनुभब करोगे की में एक महान कार्य किया हूँ ।।

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अतीत के तीन दिन ( Past Three days of my life)

दिनांक 23 मार्च 2013 को दोपहर 02 बजह खाना खा कर थोड़ी देर बिश्राम करने केलिए अपने बिस्तर पर गया । मन ठीक नहीं लग रहा था । Movie देखने केलिए मोबाइल निकाला जिसको आधा देख चुका था और आधा movie बाकी था और बह मुम्बई Terrorist अटैक पर फिल्माया गया था । मूवी का नाम “The Attack of 26/11″ । मूवी खतम होने के बाद मुझे कुछ अलग सा अनुभब हुआ और मूवी के अंदर भी दर्दनाक मौत देखकर बहुत दुखी हो रहा था । मूवी को बंद करके दूसरे मोबाइल की और देखा और उसमें 30 Missed Calls थे ओर वो slow sound होने पर मुझे सुनाई नहीं दिया था । उसमे कुछ मेरे सारे दोस्त और कुछ चचेरे भाई ने कॉल किये थे । में घबरा गया और सोचने लगा कुछ बुरा तो नहीं हुआ है। उसमे मेरा दोस्त अक्षय का कॉल आया था जो मेरे गांव का दोस्त है उसको कॉल लगाया। में कुछ पूछने से पहले वो पूछने लगा ” कैसा है तू ? ” में बोला ठीक हूँ । फिर वो पूछा कि कुछ खबर सुना है क्या ? मैंने बोला नहीं तो !!! मेंने कुछ नहीं सुना और क्या हुआ है ? मेने पूछा ?? तो अक्षय ने बोला कि तुम्हारा जीजा जी का एक्सीडेंट हुआ है !!! में घबरा कर पूछा कब ? और कैसे हुआ ? और कहां हुआ है ? तो उसने बोला में भी अभी अभी सुना हूँ कि आपके जीजा जी और सुरेश भाई मिलकर भंजनगर गाड़ी खरीदने गए थे वहां एक्सीडेंट हुआ है । मुझे इतना ही खबर मिला है बाकी हम निकल रहे है उनको देखने केलिए बहां पहुंचकर बाकी का खबर बताता हूँ । इतना बोलकर बो फ़ोन काट दिया। ये बात सुनकर मेरे पैरों के नीचे जमीन खिसक गई । असली एक्सीडेंट क्या हुआ है ये पता नहीं था ? इसलिए में मेरे पापा को फ़ोन किया । पापा फ़ोन उठाये परंतु वो भी रो रहे थे और बाइक चलाकर एक्सीडेंट कि जगह पर जा रहे थे । मेरा तनाब बढ़ता जा रहा था । उसके तुरंत बाद मेरा और एक दोस्त सागर फ़ोन किया और बोला कि आपको पता है कि नहीं एक्सीडेंट के बारे में? तबतक मेरे आंखों में आशु गए थे । में पूछा क्या हुआ बताओ यार ? कोई मुझे ठीक से नहीं बता रहा है । सागर बोला घबराओ मत ! में सब कुछ बताता हूँ , क्या हुआ है ? क्योंकि मेरा छोटा भाई तपन वहां मौजूद था वो मुझे सब कुछ बोला है । पहले पहले वो आपके जीजू को नहीं पहचान पाया परंतु बाद में उसको पता चल गया और मुझे घटना के बारे में सब कुछ बताया। सागर बोला समय करीब 12.30 बजह आपकी जीजू और आपके गांब के और एक भैया भंजनगर आये थे और साई मंदिर से 200 मीटर की दूरी पर रोड के किनारे पेड़ के नीचे मोबाइल से बात कर रहे थे । एक ट्रक जो कि हाईवे पर जा रहा था अचानक ट्रक की बेरिंग टूटने के कारण ड्राइवर गाड़ी को काबू में नहीं कर पाया और उन दोनों के ऊपर ट्रक चढ़ा गया । मौके पर आपकी जीजा जी की मौत हो गई है और साथ मे जो भैया थे उनको गंभीर हालत में मेडिकल में भर्ती कराया गया है और डॉक्टर भी बोल रहे है उनके सिर पर चोट लगी है वो भी नहीं बचेंगे । यह बात सुनकर जैसे मुझे बहुत जोर से बिजली की झटका लगा और चारपाई के बगल में कैसे गिरा मुझे पता नहीं चला । कुछ समय केलिय में सुन्न हो गया और मेरे हात पेर काम नहीं कर रहे थे। फ़ोन पे हेलो हेलो की आवाज़ आ रहा था और मुझे बुलाने की आवाज़ भी आ रहा था । मुझे उसकी आवाज़ तो सुनाई दे रहा था मगर मेरे जुवान से एक भी लब्ज़ नहीं निकल रहा था !! कुछ मिनट तक मुझे ऐसे लगा कि जैसे मेरे शरीर में जान ही नहीं है । करीब 2 मिनट के बाद में उसकी आवाज़ का उत्तर दिया । सागर बोला कि अपने आप पे कंट्रोल रखो और शांति दिमाग से काम करो , इतना सुनकर में फ़ोन रख दिया। बात खत्म हुआ और मेंरा रोना सुरु हो गया मेरा रोने की आवाज़ सुनकर रूम में बाकी दोस्त सो रहे थे वो भी उठ कर मेरे पास आकर मुझे पूछने लगा ? में रोते रोते सब कुछ बोला और बो मुझे समझाये । समय करीब 3.00 बज चुका था । अपने आप को संभालते हुए मेरे यूनिट कमांडर को कॉल करके सारी बाते बोलने लगा । मेरे यूनिट कमांडर श्री बिधान भंडारी थे वो बहुत अच्छे आदमी थे मेरे बातों को सुनकर वो तुरंत बोले कि आप छूटी की दरखास्त भर कर गांब केलिए निकल जाओ । मेरे दिमाग काम नहीं कर रहा था । मेरे ऊपर ऑफिसर श्री चितरंजन और साथ मे प्रविण कुमार और लिजू साहब को भी बताया । सब लोग मुझे मदद किये मुझे यूनिट से तुरंत गाड़ी दिया गया और में एयरपोर्ट केलिए निकल गया । समय 3.30 हो चुका था। अगर मुझे by Road जाना है तो चार दिन लगेगा घर पहुंचने मे । उस दिन मौसम खराप होने के कारण evening फ्लाइट को रद्द किया गया था । में बापस यूनिट में आया मगर मुझे कहीं मन नहीं लग रहा था । उशी रात में जैसे एक पत्थर बन गया था । खाना भी ठीक से नहीं खाया । एक पल केलिए नींद नहीं आया मेरे आंखों में सिर्फ बहन की याद आ रही थी की बो किस हालात में होगी। जीजा जी की बात याद करके रो रहा था । रात कैसे निकल गया पता नहीं चला ।
24 तारीख सुबह एयरपोर्ट तक यूनिट से मुझे गाड़ी दिया गया । 07 बजह फ्लाइट लेकर में दिल्ली केलिए रबाना हुआ और मुझे आगे हैदराबाद जा कर फिर विजयवाड़ा में उतरना है । क्योंकि मुझे Direct भुबनेस्वर तक फ्लाइट नहीं मिला और में जब भी में घर जाता था भुबनेस्वर हो कर उतरके घर जाता था । मगर मेरा नसीब में भुबनेस्वर वाला फ्लाइट नहीं था । 3 फ्लाइट में सफर करके शाम को 3.30 बजह विजयवाड़ा में उतरा। एयरपोर्ट से मैन हाइवे दूर में था 1 किलोमीटर से ज्यादा था । एक कार बाले को लिफ्ट मांगा मगर वो मुझे ऐसे देखा जैसे में लिफ्ट नहीं उसका किडनी मांग रही हूँ । सुबह से कुछ नहीं खाया था । मुझे भूक तो लग रहा था मगर खाने की इच्छा नहीं था । वहां से पैदल हाईवे तक पहुंच गया और में पहले से ही एयरपोर्ट में सिक्योरिटी से पूछ लिया था रेलवे स्टेशन कैसे जाना है और वो मुझे बता दिए थे । फिर भी में सही दिशा जा रहा हूँ या गलत दिशा की और जा रहा हूँ Confirm करने केलिए बहां के एक आदमी को पूछा । वो आदमी मुझे बिना जवाब दिए चला गया । विजयवाड़ा में हर जगह तेलुगु बोलते हैं मगर मुझे तेलुगु नहीं आता था । में इंग्लिश एबं हिंदी में पूछ रहा था । 25-30 मिनिट के बाद एक सिटी बस आया और बस कंडक्टर को पूछा क्या ये बस रैलबे स्टेशन को जा रहा है क्या ? कंडक्टर मेरी language को समझ गया और बोला “Yes !! Yes !! come in” । रेलवे स्टेशन पहुंच कर पता लगाया कि ब्रह्मपुर केलिए रात को 08 बजह ट्रैन है । टिकट केलिए काउंटर के पास देखा तो वो बंद हो चुका था । तो में General टिकट ले लिया । दो दिन से कुछ खाना नहीं खाया था इसलिए कुछ खाने केलिए स्टेशन से दूर एक होटल में गया। उश होटल की गंदगी देख कर मुझे उल्टी आ रहा था । फिर भी अनदेखा करके खाना खा लिया और स्टेशन में इंतज़ार किया । मगर तबियत ठीक ना रहने के कारण जो भी कुछ खाना खाया था कुछ देर के बाद सब उल्टी हो गया । अभी फिर से पेट खाली हो गया । ट्रैन आने का समय हो चुका था इसलिए कुछ भी नहीं खाया और ट्रेन के sleeper डिब्बे में चढ़ गया । ट्रैन में बहुत भीड़ थी मगर कुछ स्टेशन के बाद लोग उतर गए । TTE ने मेरा टिकट चेक किया और बोला की आप General डिब्बे में जाओ तो में उनको request किया कि मेरा तबियत ठीक नहीं है और में इमरजेंसी छूटी जा रहा हूँ अगर किसी जगह सीट हो सकता है तो adjust कर दीजिए । TTE मेरे चेहरे को देखकर थोड़ा मुस्कुराया और बोला रुको में उधर से देख कर आता हूँ । कुछ देर के बाद TTE बापस आया मुझे बोला कोई सीट नहीं है ऐसे ही आप adjust करलो । में TTE sir को Thank you बोला । रात को 10 बजह एक नमकीन बेचने बाला आया और एक Kurkure की पैकेट लिया और उश रात की खाना उतना ही था । 12 बजह सब सोने जा रहे थे, स्लीपर की शटर उठाकर सब लोग सोने लगे और जिसके सीट में बैठा था वो भी मुझे वहाँ से जाने केलिए कहा । ऐसे ब्याबहार किया जैसे की में एक चोर हूँ । में कुछ नहीं बोला वहां से उठकर लैट्रिन के पास आ कर खड़ा हो गया । मेरा एक ही हैंड बैग था। उसे सीट के नीचे रखा था । मगर वो आदमी मुझे बोला कि ये बैग किसका है यहां से ले जाओ नहीं तो फेक दूंगा। गुस्सा तो आ रहा था फिर भी शांत दिमाग से पूछा भैया जगह तो ज्यादा है ! इसमें क्या परिसानी है ?? । वो बोला आप उठाओ अपना बैग और अपने साथ रखो यहां हमारा बैग रहेगा, इधर उधर हो सकता है। इतना सुनकर में बोलने लगा आप अपना बैग को चैन से लॉक किये हो फिर भी कोई ले जाएगा । इतना बोलने के बाद वो आदमी गुस्से हो कर बोला आप यहां से जाओ !!! में ऐसे ही दुखी था ,सोचा एक रात गुजारना है फिर सुबह बरहमपुर पहुंच जाऊंगा । किस लिए उसके मुहं लगूं? ये सब घटना ऊपर सीट में बैठा एक 17 साल का लड़का देख और वो अपने परिबार के साथ सफर कर रहा था । वो मुझे वोला भैया आप ऊपर आ जाइये और हम दोनों बैठ जाएंगे । मुझे लगा कि चलो कोई तो मेरा दुखी मन को महसूस किया । में ऊपर आया और एक ही सीट पे दोनों adjust करके बैठ गए । कुछ देर मेरे साथ बात करने के बाद उस लड़के को पता चला कि में फ़ोर्स में हूँ । और बो बहुत खुश हो गया और पूछा ” भैया मुझे फ़ोर्स वाले लोग बहुत पसंद है ” वो बोला मेरा इच्छा था कि किसी फ़ोर्स बाले आदमी से में बात करूँ और उनके साथ हाथ मिलाऊं। इतना बोलकर हाथ बढ़ाया और उसके साथ हाथ मिलाया । वो मुझे अनुरोध किया कि भैया में आप की ID Card देख सकता हूँ क्या ? में बोला ! हाँ जरूर देख सकते हो । अपना ID card दिखाया और देखते देखते कहा कि भैया मेरा भी एक सपना है कि ऐसे परिचय पत्र मेरे नाम का हो ?? मेने बोला कोशिस करो जरूर सफल हो जाओगे । मेहनत करो और दौड ते रहना, जो भी भर्ती निकलता है उसको आबेदन करो । कुछ देर बात करने के बाद हम सो गए ।
सुबह 5.30 बजह नींद टूटा और देखा मेरा स्टेशन आने वाला था अपना सामान लेकर में नीचे आ गया । बो लड़का दुखी हो कर पूछा आपका स्टेशन आ गया क्या ? मेने जबाब दिया , आधा घंटे में पहुंच जायेगा । 6.15 में बरहमपुर रेलबे स्टेशन में उतरा । वो लड़का थोड़ा दुःखी होते हुए मुझे Bye कहा । बस स्टैंड पे आया । वहां से बुगुड़ा यानी मेरे घर के नजदीकी बस स्टॉप तक गाड़ी जाता है । बस में बैठा और रास्ते मे असिका नाम का एक जगह है । बहां गाड़ी कुछ देर तक रुकता है और फिर आगे केलिए निकलता है । बहां जब गाड़ी आगे केलिए निकला तब खिड़की से बाहर देखा कि मेरा ऊपर बाले भैया रोड के ऊपर खड़े होकर गाड़ी का इंतज़ार कर रहे थे । बो North East जोन में फ़ोर्स की नौकरी करते है । भैया भी 24 तारीख को निकले थे । में गाड़ी के अंदर से ही आवाज़ लगाया और भैया आये और हम दोनों बुगुड़ा के लिए निकल पड़े । भैया भी उसी दिन सुबह सुबह ट्रैन से उतरकर बरहमपुर से असिका तक आएं और उनको आगे केलिए गाड़ी नहीं मिल रही थी ।
3 घंटे के बाद बुगुड़ा बस स्टॉप आने बाला था । हम दोनों पहले से ही उतर गए क्यों कि हमारे गांब जाने केलिए रास्ता पहले आता है । हम पैदल 300 मीटर तक चलने के बाद हमारे गांब के एक ऑटो बाला भैया हम दोनों को देखे और वो हमको गाड़ी में बिठाए । उसी दौरान मेरे पापा भी बाइक लेकर पहुंच गए। बाइक में दोनों केलिए जगह नहीं था इसलिए हम ऑटो में बैठ कर घर तक आये ।
2 दिन बीत चुका था यानी कि 25 तारीख को में गांब में पहुंचा । दोपहर 2 बजह करीब हम तीनो मेरे बहन की गांब केलिए निकल पड़े ,मेरे घर से वो गांब 10 किलोमीटर की दूरी पर है । गांब का बाताबरण बिल्कुल शांत हो पड़ा था । उशी शांत बाताबरण कह रहा था कि कोई अनमोल चीज़ खो दिया है । सबके मन मे जीजा जी की जाने की दुःख था । क्यों कि जीजा जी हसमुख स्वभाब के आदमी थे और बो दूसरे को सहायता करने केलिए पहले कदम रखते थे। लोगों के आंख में आँसू और घर के बाहर बैठे लोगों ने हम को देख कर फिर से रोने लगे । उनको समझाके हम घर के अंदर आये । घर के एक कोने में मेरी बहन बैठी थी और साथ मे घर की महिलाएं भी बैठे थे । उसी बक्त उसके लिये कुछ खाने केलिए दिया गया था परंतु बह मना कर रही थी। अचानक मेरी बहन की नजर मेरे ऊपर पड़ी मुझे जब देखा तो वो मुझे गले लगाके फिर से रोना शूरू कर दिया। उसकी रोना देख कर मुझे भी रोना आया और में भी बहुत रोया । दो दिन से कुछ नहीं खायी थी। उसको समझाकर खाना खिलाया । और बाकी जो काम था उसमें मदद किये तथा 12 दिन तक जो भी कर्म होता था उसमें मदद करके आखरी में बहन को अपने गांब लेके आ गए थे । अभी दोनों बच्चे की पढ़ाई केलिए वो बुगुड़ा में रहते हैं।
याद करता हूँ वो तीन दिन मेरे लिए दुख और कष्ठ जनक दीन था और बहन की दुख कभी खत्म नहीं होगी ये सोच कर कभी कभी तो बहुत दुःखी हो जाता हूँ ।
कहानी तो कभी खतम नहीं होगी इसलिए कहानी को आगे ना लेकर यहां समाप्त करता हूँ । अच्छा लगे या कोई भी बात पूछना चाहते है तो पूछ सकते है । मेरा या सच्ची कहानी आपको पसंद आया है तो सबको ये लिंक शेयर कीजिये ।
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The Bravery Girls, बहादुर लड़कियां !!! (बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ )

The Bravery Girls, बहादुर लड़कियां !!!  (बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ )
The Bravery Girls, बहादुर लड़कियां !!! (बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ )
भारत बर्ष में एक गांब जो सुंदर पुर के नाम से जाना जाता था । गांब में कुछ परिबार रहते थे । सब अनपढ़ और दूसरे गांब या सहर में जा कर काम करके घर चलाते थे । गांब से दूसरे गांव और सहर में जाने केलिय कच्चा रास्ता था । अगर एक बार बारिश हो जाता था तो कीचड़ दो फीट हो जाता था । अगर कोई बीमार होता था तो गांब से सहर जाते जाते उसका मौत हो जाता था । गांव के लोगों ने सरकार से बहुत बार अच्छा रास्ता केलिय दरखास्त कीए है मगर कोई सुनता था न रास्ता हो पाता था ।

उस गांब में संजय और सरला पति पत्नी रहते थे। दोनों मजदूरी करके घर चलाते थे । संजय मिस्त्री का काम करता था और सरला संजय के साथ मिट्टी उठाना और पानी देने की काम करती थी । कुछ दिन पश्च्यात संजय को पता चला कि वो बहुत जल्द बाप बन ने वाला है । दिन बीत रहा था संजय पत्नी की बहुत खयाल रख रहा था। 9 महीने के बाद प्रसब का समय आया और सरला जुड़वा लड़की को जन्म दी । प्रसब करने के पश्च्यात सरला दुनिया छोड़ के चल गई । संजय पत्नी जाने की दुःख तो था परंतु दो परी जैसी लड़की को देखकर सब दुःख भूल जाता था ।

देखते देखते दोनों लड़की बड़े होने लगे संजय दोनों को श्रीया और प्रिया के नाम पे बुलाता था । दोनों लड़की एक साथ हर काम करते थे । संजय दोनों लड़की को स्कूल भेजा । वो दोनों खेलने कूदने में बहुत अच्छे थे । सातबी परीक्षा खत्म हुआ । लड़की को सातबी से आगे पढ़ाना हो तो गांब से सहर जाना पड़ेगा । संजय और दोनों लड़की की इच्छा थी कि आगे की पढ़ाई केलिए सहर जाकर पढ़ाई करेंगे । ये बात पंचायत को पता चला और संजय को सभा मे बुलाया गया। सरपंच आदेश दिए की दोनों लड़की को अगर पढ़ाई केलिये सहर भेजा तो तुझे जुर्माना देना पड़ेगा और गांब की नल से पानी पीने की अनुमति नही दिया जाएगा । सरपंच बोले की आज तक हमारे गांब से कोई लड़की बाहर पढ़ने नहीं गया है और कभी नहीं जाएगा क्योंकि ये हमारे गांब की परंपरा है । सातबी तक पढ़ लिया ,इतना बहुत है अभी उनको घर की कामकाज सिखाया कर आगे ससुराल में काम आएगा । संजय सभा मे बोला कि दोनों बेटी को पढाना और उनको आगे बढ़ाना मेरा लक्ष्य है। अगर उनको सही दिशा न दिखाया तो वो दोनों भी मेरे जैसा अनपढ़ रहेंगे । मुझे जो भी दंड देंगे स्वीकार है । इतना बोलकर संजय सभा से निकल गया ।

संजय दोनों बेटी को शहर की स्कूल में दाखिला करबाया । दोनों लड़की पढ़ाई में बहुत अछे थे । सहर की स्कूल में अछि ब्यबस्था के साथ खेल केलिय अच्छा प्रशिक्षण दिया जाता था । दोनों Martial Arts(कराटे) सीखने केलिय क्लास में जॉइन किये । और दोनों स्कूल में अच्छा प्रदर्शन भी दिखाए । कुछ दिन बीत गया दोनों लड़की क्लास में प्रथम आये और Martial Arts केलिय स्कूल की तरफ से दोनों को चुना गया । Martial Arts प्रतियोगिता दूसरे सहर में आयोजित किया गया था । परंतु इसमें संजय को थोड़ा डर था कि कहीं मेरे बच्चे गुम ना हो जाये । दोनों लड़की पिताजी की हौसला बढ़ाया और बोले कि पिताजी आपके लड़की वहुत होशियार है और चालाक भी हैं । हम सही सलामत प्रतियोगिता में भाग लेके और जीत के बापस आएंगे ।

पहले की तरह बात पंचायत तक चली गयी , इस बार संजय को चेतावनी दिया कि तेरे लड़कीयों ने पहले से नाक कटबा कर रखी है । सरपंच बोले सुन ले संजय इस बार लड़की दूसरे सहर में खेलने गए तो तुझे भी गांब से बाहर जाना पड़ेगा । ये बात सुनकर संजय घबरा गया और बोला मेरे लड़कियां खेलने केलीये दूसरे सहर जा रहे हैं । इसमें मेरा क्या दोष है । सरपंच बोले हम बोल दिए ! नहीं जाएगा मतलब !! नहीं जाएगा ।

दो दिन के बाद दोनों लड़की को दूसरे सहर में खेलने जाना था ! उश रात करीब 10 बजह 02-04 गुंडे गांब में पहुंचे और नशे की हालत में हतियार के साथ सरपंच के घर घुसे। सरपंच को मारपीट करने लगे और घर मे जो सम्पति था उसको लेने केलिये संदूक को तोड़ने लगे । सरपंच की लड़की के साथ खराब ब्याबहार करने लगे। संजय की घर से सरपंच की घर थोड़े दूर में है। सरपंच की घर मे गुंडे घुसे है गांब बालो को पता है मगर किसी ने हिम्मत करके उनको बचाने केलिय नहीं गए । सरपंच की घर आवाज़ संजय को सुनाई दिया और बाहर आकर देखा तो पूरा गांब सुनसान और सरपंच की घर से रोने और चिलाने की आवाज़ आ रहा था । यह घटना दोनों लड़की भी देख रहे थे । बिना देरी किये दोनों लड़की सरपंच की घर की और निकल पड़े । दोनों लड़की गुंडे के ऊपर टूट पड़े । देखते देखते सारे गुंडे को मार के नीचे गिरा दिए । दोनों लड़की गुंडो के हात पेर बांध कर गांब के मध्य में ले गए । सुबह तक इंतज़ार किये और सरपंच पुलिस को खबर दिया और पुलिस मौके पर पहुंच कर गुंडों को गिरफ्तार कर लिया ।

सरपंच गांब में रहने बाले लोगो को कहने लगे कि आज अगर ये दोनों लड़की नहीं होते तो मेरे घर की इज़्ज़त मिटटी में मिल जाती। इसलिए आज में भी अपनी लड़की को स्कूल भेजूंगा और इनके जैसा बहादुर लड़की बनाऊंगा। तथा पुलिस भी दोनों लड़की को बहादुरता की पुरस्कार दिया। ये बात खबर कागज में आयी और जिला अधिकारी भी लडकियों को पुरस्कार दिए और गांब की उन्नति केलिए अच्छा रास्ता बनाये और गांब में स्कूल बना ने की मंजूरी दे दिया।

दोनों लड़की आगे होने वाला प्रतियोगिता में भी प्रथम स्थान ग्रहण करके गांब में लौटे। गांब में सारे लड़की को पढ़ने की सलाह दिया तथा गांब में Martial Arts की तालीम देने लगे।

इसी तरह अपने लड़की को बहादुर बनाइये और पढ़ने की हौसला बढ़ाइए।
धन्यबाद !!!
Rubi Nahak (Writer)
Buguda, Ganjam.
Stories main motto the Save Daughter and Teach daughter with save Girl child.
बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ
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The result of truth always good. सच्चाई का परिणाम अच्छा होता है।

The result of truth always good
The result of truth always good

नमस्कार दोस्तों 

 आखरी तक पढ़ने की कोशिश करेंगे। कहानी शुरू करते हैं।  

क गांव में शंकर नाम का एक आदमी उसकी धर्मपत्नी मालती के साथ रहता था ।उसके दो लडके है । दोनों बड़े होने के बाद सहर में रहकर काम धंदा करते हैं । दोनों बेटें की सहायता तो दूर अपने माता पिता को मिलने भी नहीं आते हैं।  दोनों पति पत्नी भिक्षा मांग कर गुजारा करते हैं । प्रतिदिन भिक्षा से जितनी आय होता था उसमें दुख कष्ट से दिन निकल जाता था । कभी कभी दूसरे गांव के लोग भिक्षा नहीं देते थे और पत्थर फेक कर गांब से बाहर निकाल देते थे।  परंतु भिक्षा के अलाबा उनके पास कोई और रास्ता नहीं था ।
एक दिन शंकर भिक्षा केलिए निकला । जंगल के उश पार गांव था और बहुत दूर भी था । पत्नी मालती ने शंकर को  कुछ चुड़ा और चीनी  दिया भूक लगने पर खाने केलीये । शंकर कुछ दूर जाने के बाद देखा कि एक तालाब है । पानी को देख कर उसको नहाने का  मन किया । शंकर खाने की गुठली को तालाब के ऊपर रास्ते के किनारे रख कर नहाने गया । उस रस्ते में राजा का हाती जा रहा था । गुठली में जो चुड़ा और चीनी था उसको खा गया । ये देख कर शंकर को गुस्सा आया और जोर जोर से चिल्ला कर  हाती को एक लात मारा । लात मारने पर हाती उशी जगह गिर गया और कुछ देर पश्च्यात उसकी मृत्यु हो गयी । इस दॄश्य को राजा के प्रहरी देख रहे थे । राजा के प्रहरी राज दरबार में पहुंचे और तालब के पास घटना के बारे में बताया । शंकर घर आया और पत्नी को सब कुछ बताया । पत्नी बोली गलती मेरी थी मुझे चूड़ा और चीनी को देखना चाहिए था।  शंकर बोला क्या हुआ , पत्नी बोली आपको जो चुड़ा और चीनी दिया था उसमें कुछ साँप का अंडा और मकड़ी की अंडा मिला और में अनजाने में उन सबको मिलाके आपको दे दिया था । शंकर बोला में ये बात  महाराज को बोल देता हूँ । उसी बक्त राजा के प्रहरी शंकर को बंदी बना कर राजा के सामने ले गए । राजा आदेश दिए की राज परिबार के हाती मारने की दोष में आपको दंड दिया जाएगा । ये सुनकर शंकर बोले महाराज इसमें मेरा क्या दोष है । हम पति पत्नी भिक्षा मांग कर गुजारा करते हैं । आज में नहाने गया था उशी बक्त मेरा एक बक्त की खाना आपकी हाती ने खा लिया । में भूका था इसलिए गुस्से में ये गलती कर बैठा , अगर ये  दोष हे तो में दंड का हक़दार  हूँ ।  बो सच बोलने बाला  ही था  उसी बक्त राजा आदेश दिए कि ” शंकर आपकी बात में दम है और आपकी बात सुनकर में अत्यंत खुश हुआ और आप बुद्धिमान के साथ साथ बलबान भी हो  ” आदेश सुनाते हुए राजा ने कहा की आपको प्रहरी पद पर  नामित किया जाता है । और शंकर को बोलने का मौका नहीं दिया गया  ।  शंकर राजा की आदेश मान कर घर बापस आया ।
पत्नी को सब कुछ बताया पत्नी भी खुस हो गयी। शंकर बोले की राजा की आदेश के आगे में कुछ बोल नहीं पाया । पत्नी बोली भगवान हमारे साथ हैं जो होता है अच्छा होता है । आपको प्रहरी की कार्य भी मिल गया । यह कह कर दोनो भगवान को धन्यवाद दिए ।अगले दिन रात की प्रहरी केलिय वो अपने लाठी के साथ राजा के बगीचा केलिय निकल पड़ा । रात की काली अंधार उसको और भयंकर लग रहा था । फिर भी वो होसियार था देर रात तक घूमता था और  कहीं नहीं सोता था। 

ऐसे कुछ दिन बीत गया । एक रात कुछ चोर राजा के बगीचा में घुसे। शंकर ये सब देख कर एक  पेड़ के ऊपर चढ़ गया  और उनके ऊपर नजर रखा।  चोरों  ने तय किया कि यहाँ कुछ खाना बना कर खाएंगे और रात में यहीं बिश्राम करेंगे । उश नगर में जो धन संपत्ति चुरा कर लाये थे वो एक पेड़ के नीचे रखे। उनके पास हतियार भी था। शंकर जिस पेड़ पर चढ़ा था उसी  पेड़ के निचे चोरों  ने  खाना बनाना सुरु कर दिए।  शंकर सोचा अगर में नीचे उतरा तो वो जान जायेंगे और ये सब भाग जायेंगे।  देखते देखते  चोरों  ने मद्यपान करने लगे। जो सम्पति चुरा कर लाये थे उसको बंटबारे करते करते आपस में लड़ाई शुरू हो गया।  उनका बंटबारा  नहीं  हो पा रहा था।  सब ने तय किया की कुछ देर बिश्राम करेंगे और सुबह उठ कर बँटबारा करेंगे परन्तु नशे की बजह से सुबह चोरों की नींद नहीं  टुटा और बो सोते रह गए।   ये मौके का फायदा उठा कर शंकर पेड़ से नीचे उतरा और दौड़ कर बगीचे के बाहर जाकर दूसरे प्रहरी बुला कर लाया और सब चोरों को गिरफ में ले लिए । कुछ देर पश्च्यात राजा मौके पर पहुंच गये।  राजा शंकर को पूछा और शंकर सव कुछ सच सच बताया साथ मे हाती मरने बाला सच भी बता दिया । राजा शंकर की बातों पर खुश हो गया और बोला वो हाती भी बहुत आलसी था और कोई काम का नहीं था  साथ में आपकी निगरानी बजह से ये चोरों को हम पकड़ने में कामयाब हो गए। ये सब कुछ दिनों से नगर और गांब में बार बार चोरी कर रहे थे। चोरो ने राजपरिवार से बहुत जेबर, धन संपत्ति और हतिार भी  चुराए थे । चोरों को बंदी बनाया गया । शंकर की ये बात सुनकर राजा बहुत खुश हो गए । जितने धन संपत्ति मिला था उसमें से आधा धन शंकर को दे दिया । राजा पुनः आदेश देते हुए कहा कि आप को अपने गांव को दिया जाता है और आपको राजा घोषित किया जाता है।  

शंकर की इस सच्चाई केलिए उसका भाग्य बदल गया इसलिए सच हमेशा अच्छा परिणाम देता है

कहानी अच्छा लगे तो अपने दोस्तों को भी शेयर जरूर कीजिये ।

रोशनी पात्र ( Little Girl) के द्वारा लिखित…

धन्यवाद 

A Dark Night ( काली रात)

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उश रात एक एक सेकंड मेरे लिए दर्दभरी सेकंड था और ऐसी रात किसी और कि जिंदगी में कभी ना आये ! में यही भगवान से प्राथना करूँगा ।

नमस्कार दोस्तों ..

मेरे जीबन की एक सच्ची घटना को लेकर आपके लिए लेकर आया हूँ । मेरा पिछले आर्टिकल को बहुत लोगों को पसंद आया था उम्मीद है ये भी पसंद आएगा । आखरी तक पढ़ना अच्छा लगे तो अपने दोस्तों को भी ये लिंक शेयर कर दीजिए।

काहानी है दिसंबर 2001 की उम्र करीब 11 साल । ये घटना मेरे घर सोलंडी,ओडिशा में हुआ था । उश बक्त मेरे परिबार में बाबा, माँ ,02 बहन, 02 भाई और में । दुःख की बात यह है कि अभी मेरा बड़ी बहन इस दुनिया में नहीं है ।

कहानी पर आते हैं, 2001 में कड़ाके की ठंड थी अभी मौसम साधारण सा हो गया है । सबसे छोटा होने के कारण माँ का लाडला था और माँ की गोद मे ही नींद आता था । हर शाम की तरह उश दिन भी परिबार में सारे सदस्य रात में खाना खाने के बाद सोने जा रहे थे । माँ घर की साफ सफाई और दरबाजा बंद करके सोने केलिए बिस्तर में आये । मेरे बायें तरफ मेरी छोटी बहन सोई थी । छोटी बहन परंतु मेरे से बड़ी है । सोने से पहले हम दोनों हल्का गरम दूध पी कर सोते थे । मगर उश दिन में जल्दी सो गया था । रात के करीब 11 से 12 के बीच होगा । मेरी छोटी बहन को भी हल्का नींद लग चुकी था । माँ दूध लेकर आये, बाकी दिनों की तरह उश दिन दूध थोड़ा गरम था । माँ बिस्तर के पास खड़ी थी अचानक छोटी बहन नींद में उठकर ओढ़ने केलिए कम्बल को खींच लिया । जिश कम्बल को मेरी छोटी बहन ने खिंचा उश कम्बल के ऊपर मेरी माँ की पेर थी । माँ की हाथ में दूध की ग्लास थी वो छूट गयी और दूध की ग्लास मेरे चेहरे के ऊपर आकर गिरा और मेरा बायां चेहरा पूरी तरह से जल गया । में जोर जोर से रोने लगा । मेरा रोना सुनते ही सब उठ गए । नींद में होते बक्त अगर कोई हमे उठा दे तो हमको कितना बुरा लगता है यह आप भी महसूस किए होंगे । परंतु उस वक्त में दर्द से चिल्ला रहा था। बह एक साधारण दर्द नहीं था, मेरे जीबन की एक ऐसा दर्द था जो कि नर्क पीड़ा से भी ज्यादा खतरनाक था ।
मेरी माँ मुझे बाहों में लेकर रोने लगी छोटी बहन भी मुझे पकड़ के रोने लगी । रात के 12 बजने बाला था मेरा रोना सुनते ही पड़ोसी भी आ गये । मेरी पीड़ा बढ़ती जा रहा था । मेरे चेहरे को जब में हाथ लगाया तब मेरे हाथ मे जला हुआ मांस भी आ रहा था । सब चिंतित थे रात में अस्पताल कैसे जाएं । गांब से अस्पताल जाने केलिए जो रास्ता था वो बहुत खराब था । रात के समय जंगली जानबर का भी डर था । ठंड भी ज्यादा था तो रात में अस्पताल जाने केलिए परेशानी हो सकती है । माँ बोली सुबह होने दो हम अस्पताल जाएंगे । पडोश के बड़े पापा वो सलाह दिए की आलू को पिश कर जले हुए जगह पर लगा दो । उसको अच्छा लगेगा और बह सो जाएगा । साथ में कुछ पैन किलर की दबाई देकर मुझे सोने केलिए बोल दिए ।

उनकी बात सुनकर में मान लिया । मगर जले हुए दर्द कम नहीं हो रहा था । दर्द 15 से 20 मिनट तक कम हुआ और बाद में फिर दर्द सुरु हो गया । रात भर दर्द के कारण रोना बंद नहीं हो रहा था कभी माँ सलाह दे रही थी और कभी छोटी बहन सलाह दे रही थी कि ” सोने की कोशिश कर, सुबह उठके मेडिकल जाएंगे ” । रात भर माँ और छोटी बहन मुझे सहला रहे थे । दर्द और आँखों से आंसू बंद नहीं हो रहा था । बीच बीच मे माँ को बोल रहा था की माँ बहुत दर्द हो रहा है । माँ की आंख में भी आशु बंद नहीं हो रही थी । बस बही शब्द आ रहा था “सो जा बाबू” “सो जा बाबु” ।
वो काली रात की दीवार में लगी घड़ी की सुई की टिक टिक आवाज़ मुझे साफ सुनाई दे रहा था । रात के 12 बजह से लेकर सुबह 05 बजह तक एक एक सेकंड को मैने गिना है । रातभर में सोच रहा था कि कब सुबह होगा ओर मुझे अस्पताल ले जाएंगे । आंसू और दर्द के सहारे रात बीत गया । सुबह 05 बजह थोड़ा नींद लगा और में सोने लगा । दूसरे दिन मुझे अस्पताल ले गए । लिखते लिखते मेरे आंखों से आसूं आ जाता है ।

03 महीने तक घर मे ही पड़ा रहा ,डॉक्टर कुछ दबाई दिए थे और उसको लगाकर घर मे रहने केलिए सलाह थी । बाहर जाने केलिए शक्त मना था । धीरे धीरे घाव ठीक होता आ रहा था और कुछ घाब बाकी था। यह घटना से पहले सुबह सुबह में और दोस्त के साथ मिलके तालाब में नहाने केलिए जाते थे मगर यह घटना के बाद मुझे घर में ही नहाना पड़ा । किसीके पता नहीं था ऐसे की मेरे दोस्तों को भी पता नहीं था मेरा ऐसा हाल हुआ है। स्कूल में मास्टर जी मेरे बारे मे पूछते थे मगर सबको यह पता था की उसका तबियत खराब है । एक दिन तालाब में नहाने केलिए सोचा, माँ पडोश में गये थे । में घर से निकल के तालाब में नहाने गया । एक चादर मेरे चेहरे पर ढक कर तालाब में पहुंचा । तालाब को देख कर में वहुत खुश हुआ । नहाने लगा, नहाते समय एक आदमी मुझे बहुत देर से घूर रहा था कि ये अपने चेहरे से चादर क्यों नहीं निकाल रहा है । वो आखरी में मुझे पूछ लिया चादर क्यों नहीं निकाल रहा है ?

मेने बोला ” कुछ नहीं ऐसे ही ” कहकर चुप रह गया । वो मुझे फिर से पूछा क्या हुआ है ? में फिर से चुप रहा मगर वो मेरे चादर को खींच लिया और मेरा चेहरा देख लिया । मेरा चेहरा देख कर जैसे उसको बिजली की झटका लगा !!! वो आश्चर्यजनक हो कर मुझे पूछा ये सब कैसे हुआ और कब हुआ ?? मेने बोला 03 महीने हो चुका है । वो मेरे चेहरे को देख कर दुःखी हो गया । और बोला बाबू तालाब की पानी से मत नहाया कर ये ठीक नहीं होगा । घर मे ही नहाया कर । तब तक मेरा नहाना हो गया था । जब घर वापस आया देखा की माँ गुस्से में थी पूछा कहाँ गया था ?? तुझे बाहर जाने केलिए कौन बोला ? बहुत डांटने लगे । माँ बोली बाहर मत जाना धूप लगेगा तो चेहरा ठीक नहीं होगा । करीब 04 से 05 महीने लग गए ठीक होने में । जब पूरी तरह से ठीक हुआ तब में स्कूल जाने लगा । अच्छा दबाई के चलते मेरे चेहरे पर एक भी जले हुए दाग नहीं रहे । मगर याद को कायम रखने केलिए एक दाग मेरे चेहरे पर रह गया । जब भी में सीसै में अपनी चेहरे को देखता हूँ उश रात की दर्द कुछ समय केलिए महसूस हो जाता है । जब याद करता हूँ घड़ी की छोटी बाली सूई की टिक टिक शब्द मेरे कानो में आज भी गूंज रही है । और ऐसी रात किसी और कि जिंदगी में कभी भी ना आये ! में यही भगवान से प्राथना करूँगा ।

मेरे लाइफ की और भी कुछ कहानी है स्टोरी सेक्शन में जाकर पढ़ सकते हैं ।

।। धन्यवाद ।।

A strong and Sad moments that never forgotten !!!

आशा करता हूँ मेरा ये कहानी आपको पसंद आएगा । कुछ जरूरी कागजात हेतु मुझे भद्रक(ओडिशा) जाना पड़ा । हालांकि में गंजाम (ओडिशा) से हूँ । काम खत्म होने वाला ही था 12.Oct. 2013 को ओडिशा में Cyclone आया और सारे कार्यालय बंद घोसित कर दिया गया । पता चला कि जिस आफिस में गया था वह सब 15 अक्टूबर के बाद खुलेगा । 12 तारीख को में भद्रक के चंदबाली जगह पर एक होटल में रुका सोचा की दूसरे दिन,13 तारीख को घर चले जाते है और 15 तक बापस आ जाऊंगा । दूसरे दिन शाम को भुबनेश्वर केलिए निकल गया । बह Bus शाम को 9 बजह पहुंचता है। रात को 10 बजह भुबनेश्वर से मेरे घर केलिए जो गाड़ी निकलती है उशी बस से घर चले जाऊंगा ।
13 तारीख शाम को 05 बजह बस भद्रक से निकली और रात को 09 बजह भुबनेश्वर पहुंचा ।भुबनेश्वर में पहुंचकर में देखा कि Cyclone की बजह से सारा सहर सुना सुना है । बिजली नहीं था । जिश Bus से आया था बो Bus स्टैंड में ना जाकर रास्ते मे यानी की भुबनेश्वर की जयदेव बिहार चौक में उतार दिया और मुझे बोले कि आप टैक्सी या ऑटो करके बस स्टैंड चले जाओ हम आगे नहीं जाएंगे । में उतर कर करीब 15 मिनट इंतज़ार के पश्च्यात एक ऑटो आया और में उसको पूछा भाई बस स्टैंड चलोगे वो बोला भाई चलेंगे परंतु आप जाओगे कहाँ ? वहां तो कोई बस नहीं है । में सोचा कि ये मजाक कर रहा हो । फिर भी में बोला की बुगुड़ा जाऊंगा । जो कि मेरे घर के नजदीकी मार्किट है । ये सुनकर बो कुछ नहीं बोला और मुझे स्टैंड में उतार दिया । स्टैंड अंदर दौड़ दौड़ के आया कहीं मेरा गाड़ी ना छूट जाये । वहां आकर देखा कि पूरा सुनसान और कोई भी गाड़ी नहीं चल रही है और ऐसे लगा कि जैसे समसान घाट बना हुआ है । में थक चुका था धीरे धीरे स्टैंड से बाहर आया और एक आदमी को पूछा कि भाई बुगुड़ा केलिए बस जो था वो नहीं आया क्या , बो बोलै कोई एक भी बस नहीं आया ना आगे गया है । और आप कहाँ जाओगे ? ये बात सुनकर में दंग रह गया । मेरे आंख से आंसू आ गया ! अभी में जाऊं कहाँ ?? उसने बोला एक काम करो पुलिस स्टेशन चले जाओ वहां रात गुजार लो और सुबह चले जाना नही तो रास्ते के किनारे पे जो बिश्राम घर है उसमें बिश्राम करलो । उनको पूछा कि “इधर कहीं खाना खाने का होटल मिलेगा क्या ? वो बोला पता नहीं बोलकर बहां से चला गया । मेरे पास 500 रुपये रहते हुए भी मुझे खाना नहीं मिल रहा था । उस समय पता चला की जब समय ख़राब चलता है उसी समय पैसे की कोई कीमत नहीं। 11 बजने वाला था में भूखा था । Cyclone की बजह से सबका नेटवर्क भी बंद था जिसको भी फोन करता हूँ स्विच ऑफ आ रहा है । बापस मैन रोड में आया कोई गाड़ी बस,ऑटो कुछ भी नहीं कहाँ जाऊं यही सोचते सोचते आगे चलने लगा । हाथ मे एक बैग था बो भी धीरे धीरे भारी होने लगा क्यों कि थोड़ा थोड़ा बारिश हो रहा था । करीब 11.35 को एक ऑटो आया बह ऑटो में सिर्फ वो लोग बैठे थे जिसको गाड़ी नहीं मिली थी और बो सब रेलवे स्टेशन में जा कर Rest करेंगे । एक मिनट केलिए में भी सोच लिया कि चलो स्टेशन चलता हूँ रात भर रह कर सुबह आ जाऊंगा । परंतु DAV School के पास मेरे मामा रहते है उनके पास जाने केलिए सोचा । DAV School के पास उतर कर ड्राइवर को बोला कि भाई मेरे पास 500 रुपये है चेंज नहीं है , ड्राइवर बोला कि कोई नहीं रहने दो जाइये रात बहुत हो गया है। में मामा के घर की और चलने लगा । मामा के घर के पास पहुंच कर देखा कि वहाँ गेट पे ताला लगा हुआ था। और फोन लगाया फोन switch off था । तबतक मेरा पूरा शरीर बारिश में भीग गया था । टेंशन बढ़ने लगा था और रोना भी आ रहा था । फिर याद आया कि पीछे की कॉलोनी में राजू Uncle रहते थे जो कि हमारे गांव के है । परंतु उनका फोन नंबर नहीं था । उनके घर के पास गया बुलाया परंतु कोई नहीं सुना सोचा कि Uncle भी सायद गांब चले गए होंगे । वापस रास्ते की और आ रहा था तभी देखा कि एक आदमी उम्र 45 करीब होगा लानटेन लगाकर कुछ पढ़ रहे थे । उनके गेट के पास गया और पूछा कि यहां पे जो राजू Uncle रहते थे वो यहां है या गांब गये है । वो बोले में सुबह उनसे मिला था रूम में पक्का होंगे । आप जाओ और जोर से आवाज़ लगाओ वो दरवाज़ा खोलेंगे । में बोला एक बार गया था मगर वो दरवाज़ा नहीं खोले । उनका कोई नंबर होगा तो उनको call करके उठा देंगे ? वो बोले कि मेरे पास उनका कोई नंबर नहीं है, आप जाओ बुलाओ वो उठ जाएंगे ।

उनकी बात सुनकर में फिर से गया और ऊंची आवाज से उनको पुकारा परंतु कोई जवाब नहीं था । समय 12.40 हो गया था , पेट की भूख बढ़ रहा था और बारिश में भीगने के कारण शरीर ठंड से कांप रहा था । उश समय मेरे परिबार की बहुत याद आ रहा था । अगर में कोशिश न करूँ तो मुझे कहीं सोने को न कहीं खाना मिलेगा । तो ये सोचकर फिर वापस वो आदमी के घर गया । वो लानटेन बंद करके दरवाज़ा बंद कर रहा था । में उनको फिर से बुलाया । वो आधा दरवाज़ा खोलकर देखके मुझे पूछा क्या हुआ ?? । में बोला Uncle जी को बहुत बार बुलाया परंन्तु कुछ जबाब नहीं दे रहे है । बो आदमी बोला की में क्या करूँ ? मैंने बोला कुछ मदद करेंगे तो ??(मेरा कहने का मतलब था कि वो अगर Uncle को बुलाएंगे तो काश वो जाग जाते) इतना सुनके बो बोले “उधर जाओ उनको फिर से बुलाओ ” कहकर दरवाज़ा बंद कर दिया । बारिश में भीगने के कारण ठंड लग चुका था और कहीं चलके जाने का हिम्मत नहीं था । रात के करीब 01.30 बजह फिर वापस रास्ते मे आया रास्ते के किनारे बारिश में भीगते हुए कुछ देर बैठा और , आंखों में आँसू और पेट मे भूख बहुत दर्द दे रहा था । घर की याद आ रहा था और सोच रहा था अगर न आया होता तो ये सब न होता । रात के 02.00 बजह फिर Uncle के घर के बाहर गया और फिर जोर जोर से चिल्लाने लगा , रोते हुए भी चिल्लाता रहा । कुछ देर के बाद पड़ोसी के एक आदमी उठ गया और पूछा क्या हुआ भाई ? में बोला की Uncle दरवाज़ा नहीं खोल रहें हैं । वो भी बहुत बार बुलाये , कुछ देर के बाद Uncle दरबाजा खोले और घर के अंदर गया । Uncle को सारी बात बताया और वो मुझे सत्तू बनाके दिए और बिस्कुट खा कर Rest किया। दूसरे दिन फिर भद्रक केलिए बापस निकल पड़ा ।15 तारीख के बाद सरकारी काम खत्म करके बापस अपने यूनिट केलिए रबाना हुए ।
कहानी को जब याद करता हूँ आंख से आंसू आ जाता है । कहानी कैसा लगा Comment करें |

Real story never earse…

# REAL STORY NEVER ERASE
Hi friends मेरा परिचय Nilamadhab Bhuyan, ये Blog कुछ स्पेशल है मेरे और मेरे दोस्तों की है , पढ़िये आखरी तक अगर अच्छा लगे तो शेयर जरूर करना ।
हम चार दोस्त है मेरा नाम Nilamadhab Bhuyan, Normal Looking, Hairstyle: Classic, Color: मध्यम काला, Argument Character एंड हर काम मे साथ रहने वाला वो लड़की कॉमेंट करना हो या कही जाने हो । लड़की के मामले में Zero मगर देखते थे कभी कभी। दूसरा दोस्त Goutam Nayak, Romeo Boy, Hair style: Tere Naam, Colour- Black(Bold Handsome) , laughing character एंड लड़कियों को कोमेंट करने में नम्बर one है । जैसे कोमेंट करने की ट्रेनिंग लीया हो । बहुत Strong कविता लिखने वाला दोस्त है। तीसरा दोस्त Manoj Kumar Behera, silent character, दिखने में गोरा और हसमुख चेहरा वो हमारे ग्रुप के कबि है जो चीज़ उनको दिखा कविता लिखना सुरु हो जाता था । लड़की के मामले में थोड़ा पीछे रहते थे मगर देखते थे सोचते थे कही कोई मुझे देखले । चौथा तो खतरनाक है Digambar Sethi, रंग मध्यम काला, dangerous character, बातों बातों पे मारने पे आ जाते थे । हमारे ग्रुप के Don थे । जुगाड़ करने में ठीक थे और लड़की के मामले में बिल्कुल नहीं जाना है।
हम एक ही कॉलेज (People’s College Buguda) की स्टूडेंट्स हैं और यह कॉलेज ओडिशा के गंजाम डिस्ट्रिक्ट में है । सबका परिचय तो हो गया अब आते हैं कहानी पे कहानी में भी एक लडक़ी है जिसकी नाम है कृष्णा । गौतम उसके पीछे फॉलो करते थे मगर लड़की को पता है कि नहीं हमको पता नहीं था ।
कहानी है 2007 कि कार्तिक महीना का । एक प्रसिद्ध मंदिर जिसका नाम बुधखोल जो कि पांच शिव भगवान की पबित्र स्थल पहाड़ी के मध्य में है । सब लोग प्रति सोम बार दर्शन करने केलिए जाते हैं। उश महीने में हर सोमबार को हम चार दोस्त मंदिर जाते थे आखरी में कार्तिक पूणिमा के दिन भी हम 03 दोस्त Digambar को छोड़ कर मंदिर दर्शन हेतु निकल पड़े ।
भगवान की दर्शन के बाद अगर हमारी Romeo Boy की Girl Friend कहीं दिख जाए तोह और मजा आ जाता यह हम तीनों सोच रहे थे । हम 800 सीढ़ी चढ़ कर भगवान दर्शन किये मगर दर्शन के बाद हमारी जो मन्नत था वो पूरा नहीं हो पाया । करीब 02-03 घंटे इंतज़ार किये और आने बाले सारे लोगो से चुन रहे थे कही वो आये तो नहीं पहाड़ी चढ़ कर हम थक चुके थे। दोपहर 02 बज गया इंतज़ार करते करते 03 घंटे बीत चुके थे । मेरा दोस्त गौतम की मन्नतें पूरी होने की आशा खत्म होने बाली थी मगर मन मे आशा था बापस लौटते समय कहिं दिख जाए । आते समय रास्ते में बही बात की आज दिन ठीक नहीं गया ऐसे बोलकर मंदिर से बापस आ रहे थे । नीचे से मंदिर तक पहुंचने कलिये हम को 20 से 25 मिनिट लगता था ।
मंदिर आखरी सीढ़ी जहां एक Swimming Pool है वहां अचनाक गौतम की नज़र एक लड़की के ऊपर पड़ी और वो कृष्णा थी । मेरा दोस्त बहुत खुश हो गया और बोलने लगा देखो कृष्णा आखरी दिख गयी । सब थक गए थे हम दोनों मनोज और में घर जाने की राह पर थे परंतु गौतम उसके पीछे जाने की सोच रहा था । गौतम ने कहा की चलो उसके पीछे पीछे चलते है । परंतु थकान की बजह से दोनों की इच्छा नहीं था । इच्छा के विरुद्ध जाकर दोस्त की बात को नहीं काट पाए और हम तीनों उसके पीछे जाने की बापस मंदिर की और चले । बापस मुड़ कर देखा तो लड़की गायब गौतम अंदाज़ लगाया कि वो मंदिर की और गयी होगी चलो फिर से मंदिर की और चलेंगे । जब मंदिर का नाम लिया तोह हम दोनों को और थकान महसूस होने लगा ।
आखरी में हमको मंदिर की और जाना पड़ा । रास्ते भर हर एक आदमी को देख रहे थे और परंतु वो न दिखी और हम मंदिर की और बढ़ने लगे । ऐसा लगा कि वो उड़के तो नहीं चल गई ।
उश मंदिर की सीढ़ी को पार करने में 20-25 मिनिट लगता था उश समय हमको मात्र 05 मिनिट समय लगा मगर हम उश लड़की को फॉलो करने का कोई फायदा नहीं हुआ न वो लड़की मंदिर में दिखी न रास्ते में । बहुत थक चुके थे शाम की 04 बजने वाला था । बापस फिर नीचे आये । आखरी में पता चला कि वो ऊपर मंदिर तक नहीं गयी थी।
बहुत दर्द महसूस हुआ और चक्कर भी आने लगा।
अभी भी उश समय को याद करते है तो पेर में दर्द होने लगता है ।
कहानी अच्छा लगा है तो कमैंट्स एंड शेयर कीजिये और अगर नया रियल स्टोरी चाहिए तोह कमेंट जरूर कीजिये ।
धन्यबाद ।

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