हातों की लकीरों के ऊपर भरोशा ना करें ।
अपनी पहचान खुद बनाएं ।
भाग्य को दोष ना दें
कोशिश आपकी तो सफ़लता भी आपकी
सोच जितना ऊंचा रहेगा कार्य में आपकी चमक उतना निखर के बाहर आएगा।
कोई आपको ताज नहीं पहनाएगा
ताज को हासिल करना पड़ता है ।
काबिलियत आपके अंदर महजूद है तो
देर किस बात की
नया सोचो
नया रास्ता की और बढ़ें
नया दुनिया को अपनाओ
कहां सफ़लता छुपा हुआ है उसको
ढूंढके निकाले ।
यह केबल आप के द्वारा ही संभव है ।
बिना समय गबाएं अपनी मंजिल की और बढ़ें
दुनिया को अपनी काबिलियत दिखाएं
आप के द्वारा सब कुछ संभव है।
By. Nilamadhab Bhuyan
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