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Lifestyle Changing Thoughts..100

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Lct100


LCT-516
जब समय था तब बहुत समय बरबाद किए,
अभी पश्चाताप के सिवाय कुछ समय ही नहीं बचा,
इसलिए समय की कदर कीजिए।




LCT-517
बतन की बात आ जाएं तो
दिल में अजीब सी उमंग आ जाता है,
क्यूं की में उस मिट्टी का पुत्र हूं
जिन्हे सब हिन्दुस्थान कहते है ।




LCT-518
आपकी तकदीर बाली रेखा आपकी मेहनत से बनेगी, सोचने बाली बात यह है की आपको लक्ष्य की और जाना है या और कहीं ?

http://www.bhuyansblog.in/2021/01/some-customs.html



LCT-519
कुछ लोग मजबूरी में गलत काम कर लेते हैं,
असल उस दौरान किया गया कार्य भविष्य में बड़ी समस्या बन कर आपके सामने खड़ी हो जाती है ।





LCT-520
किसी चीज़ केलिए पागल होना और किसी केलिए पागल होना दोनों में अंतर है। एक आपको ऊंचाई की और ले चलेगा तो दूसरा आपको पूरी तरह नीचे झुका देगा । चयन कीजिए ।




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Lifestyle Changing Thoughts..99

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LCT-511
अपनी काबिलियत उसके सामने दिखाइए
जहां आप उससे बेहतर कर सको ।

https://www.bhuyansblog.in/2019/05/the-bravery-girls.html



LCT-512
कोई कार्य केलिए झूट बोले हो और मन में पकड़े जाने की डर है।
सच तो ये है कि आप जरूर पकड़े जाओगे क्यों कि आप ईमानदार हो ।




LCT-513
झूट बोलना पसंद नहीं,
नहीं झूट बोलने वालों को पसंद है,
मगर यही सोच रखने बाले मुझे बहुत पसंद है ।

http://www.bhuyansblog.in/2021/01/kaincha-budhi.html



LCT-514
चिंता मुक्त होने का सवाल ही नहीं उठता
क्यूं की जीवन है तो चिंता तो रहेगा ।
अच्छा होगा खुश रहना सीख लो !!!




LCT-515
ऐसे सोच रखे कि जितना है मेरे पास बह पर्याप्त है । क्यूं की दूसरे को देखोगे तो अपने में कमी नजर आयेगा।



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Lifestyle Changing Thoughts..98

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LCT-506
दुसरे को कामयाबी दिलाना ही
आपकी सबसे बड़ी कामयाबी है ।



LCT-507
हर सख्स को देखकर उसकी कुंडली मत बताइए क्यूं की आप एक इंसान हो।
क्यूं की कुंडली देखने बाला नहीं जानता कि भविष्य में उसके साथ क्या होने वाला है ।



LCT-508
अगर आपकी दुश्मन दुखी है तो
सोच लो कि आपकी अच्छी समय चल रही है।

http://www.bhuyansblog.in/2021/01/magic-tree.html


LCT-509
आंख में पट्टी बांध कर गलती करने वाले से सतर्क रहें क्यूं की बही गलती आपके पीठ के पीछे फिर से करेगा ।


LCT-510
चुगली करना भी एक कला है,
जहां अपनी गलती को कायदे से छुपाया जाता है ।


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Lifestyle Changing Thoughts..97

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LCT-501
मुकाबला से बेहतर अच्छा ब्यबहार
आपको आसानी से जीता सकता है ।

http://www.bhuyansblog.in/2021/01/chandamama.html



LCT-502
स्वार्थ से सेवा करोगे तो परिणाम
मै थोड़ा बहुत कमी रह जाएगा ।
निस्वार्थ सेवा ही सच्चा सेवा है।





LCT-503
बनने की इच्छा और करने बाली जोश एक ही धारा मे चले तो सफलता वाली सीढ़ी अपने आप दिख जाएगा ।





LCT-504
दूसरे को कम समझना गलत फेहमी तब साबित हो जाता है जब बह आपसे एक कदम आगे रहता है ।




LCT-505
अपनी कार्य से कीसिके आंख में आशु आजाए यह सफलता नहीं आपकी हार कहलाता है ।


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Lifestyle Changing Thoughts..96



LCT-496
हर कदम के बाद नया मोड़ आयेगा,
ध्यान रहे हर मोड़ के बाद नई रास्ता सुरु होगा ।






LCT-497
आजकल अच्छा दिखने बाला इंसान
हदसे ज्यादा खतरनाक साबित होते है ।





LCT-498
बुराई की दौर से जीत हासिल करके
आगे बढ़ने बाला ही सफ़ल होता है।





LCT-499
अच्छा इंसान तब कहलाओग जब
पीठ के पीछे आपकी बुराई करने बाला हो।




LCT-500
है कोई इस दुनिया मे जिसने बिना चोट खाए
सफलता पे कदम रखा हो ???



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Lifestyle Changing Thoughts..95

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LCT-491
असलियत को जाने बिना किसीको दोषी करार देना आपका धर्म से विरूद्ध है ।

https://hi.quora.com/q/dainika-jivani-cintadhara?invite_code=zdfuHZgkypCrbBinF4vM



LCT-492
कुछ नया करते चलो यारों दुनिया भी बोलेगा
कुछ सुधार हुआ है इस नए अवसर पर ।

http://www.bhuyansblog.in/2021/01/new-year-resolutions-2021.html



LCT-493
अगर कोई आपको दूसरो की कमी बता रहा है तो सावधान हो जाइए बह व्यक्ति आपकी कमी को और किसीको भी बताता होगा ।

http://www.bhuyansblog.in/2021/01/blog-post_1.html



LCT-494
साधारण सोच लेकर आगे बढ़ने पर दुनिया आपकी सोच से ज्यादा कठिन परिस्थिति उत्पन्न करता रहता है । खुद को मजबूत बनाएं।

http://www.bhuyansblog.in/2021/01/blog-post.html



LCT-495
मुफ्त में मिलने वाला फल को
मेहनत से किए गए कार्य के साथ तुलना मत करे ।

http://www.bhuyansblog.in/2021/01/102nd%20day.html

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Lifestyle Changing Thoughts..94

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LCT-486
सबसे बड़ा हस्ती बही बनता है,
जो कार्य ज्यादा और कम सोता हो !!

http://www.bhuyansblog.in/2020/11/lakshman-rekha.html



LCT-487
दूसरे को बोलना तब आसान हो जाता है,
जब सामने बाला ब्यक्ती की कमी दिखता हो।

http://www.bhuyansblog.in/2020/11/cheating.html



LCT-488
अगर आप सुंदर दिखते है तो
जलने बाले आपको बुराई करते रहेंगे ।





LCT-489
भूक की असली हिसाब उन्हें पता होता है
जो हर रात भुका रहता हो।





LCT-490
लोग अपने ऊपर कभी विचार नहीं करते,
मगर दूसरे की बात को जल्द विचार करने लगते हैं ।



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Lifestyle Changing Thoughts..92

 
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LCT-476
कहावत को बक्त के साथ जाने दो,
अपनी सोच इस्तेमाल करो देखोगे आगे बढ़ने में आपको कोई नहीं रोक सकता ।

http://www.bhuyansblog.in/p/surabhi-odia.html



LCT-477
दुश्मन कभी भी बोल कर बार नहीं करते इसलिए अपनी ताकत को बचा कर रखें ।

http://www.bhuyansblog.in/2020/12/lifestyle-changing-thoughts-in-hindi.html



LCT-478
असलियत कोई नहीं जानता सिवाय आपके मन,
जबतक चर्चा नहीं करोगे तब तक आपके संदेह कभी दूर नहीं होगा ।

http://www.bhuyansblog.in/2020/12/whats-your-options-new-tax-or-old-tax.html



LCT-479
कांटे बाली रास्ते हर जगह मिलेगा,
फूल बाला रास्ता जब मिलता है तब
हम महसूस नहीं कर पाते हैं ।

http://www.bhuyansblog.in/2020/12/lifestyle-changing-thoughts-in-hindi_17.html



LCT-480
तरीका अच्छा या बुरा नहीं होता,
तरीका अपनाने वाले के कार्य के ऊपर निर्भर करता है।

http://www.bhuyansblog.in/2020/12/lifestyle-changing-thoughts-in-hindi_21.html



Lifestyle_Changing_Thoughts_In_Hindi_Part_92

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Lifestyle Changing Thoughts..93

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LCT-481
संपर्क कितना भी मजबूत क्यूं ना हो,
दरार लाने केलिए एक गलती काफी है ।
गलती करने से पहले 10 बार सोचे…

http://www.bhuyansblog.in/2020/12/lifestyle-changing-thoughts-in-hindi_3.html



LCT-482
ऐसा पल के बारे में सोचो ही मत
जिसकी वजह से आपको बार बार रोना पड़े ।

http://www.bhuyansblog.in/2020/12/lifestyle-changing-thoughts-in-hindi_3.html


LCT-483
स्वयं के अंदर एक बार झाक कर देखिए,
कहीं अपने में कुछ कमी तो नहीं है ।

https://youtu.be/KfZq5p0S21k



LCT-484
आप सुंदर कैसे दिखेंगे ये आपकी कपड़ा के ऊपर निर्भर है ,
और कपड़ा की सुन्दरता उसकी रंग में नहीं आपकी पहनावे में है ।

http://www.bhuyansblog.in/p/prema-eka-bhabanara.html




LCT-485
एक परिक्षा है जिसमे आपको अकेले दुनिया में संयम के साथ आगे बढ़ना है। उसिको अकेलापन कहा जाता है ।

http://www.bhuyansblog.in/2020/12/blog-post.html

Lifestyle_Changing_Thoughts_In_Hindi_Part_93

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Lifestyle Changing Thoughts 91

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LCT-471
पैसे की कीमत तब पता चलता है,
जब अपना कोई अस्पताल में भर्ती हुआ हो।
बचत भी जरूरी है।

http://www.bhuyansblog.in/p/thoughts.html


LCT-472
आपकी चेहरा मायने नहीं रखता जहां पर आपकी काम को देखा जाना चाहिए, मगर देखने बाला दयालु होना जरूरी है ।

http://www.bhuyansblog.in/p/prema-eka-bhabanara.html


LCT-473
भगवान की कृपा है जो आप चार दीबार के अंदर है, ठंड की असली अनुभव तो बह करते हैं जिन्हे केबल देशप्रेम उनके मन में बसा है ।

http://www.bhuyansblog.in/2020/11/some-useful-tips.html



LCT-474
कपड़े में सुंदर नहीं,
असली सुंदर तो आपके मन में है,
मन को स्वच्छ रखें ।

http://www.bhuyansblog.in/2020/09/hospital.html




LCT-475
कुछ इच्छा सीमित होना जरूरी है
नहीं तो बह इच्छा आपको दुःख दे सकता है ।

http://www.bhuyansblog.in/p/other_15.html


Lifestyle_Changing_Thoughts_In_Hindi_Part_91

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ରାଜକୁମାର ( Rajkumar )

ଓଡିଆ କବିତା, ଓଡ଼ିଆ ସେକ୍ସ , ଓଡ଼ିଆ ଗଳ୍ପ, odia story, Odia sex, Odia
Rajkumar
ସୁନିଳ ଆକାଶ ତଳେ ତରୁ ଲତା ବନ ପାହାଡ ମଧ୍ୟରେ ଗୋଟେ ବିରାଟ ବଡ ଘର ଥିଲା । ସେ ଘର ଥିଲା ଶ୍ୟାମ ବାବୁଙ୍କ ଘର । ସେହି ଘରେ ଶ୍ୟାମ ବାବୁ ଓ ତାଙ୍କ ସ୍ତ୍ରୀ ଏବଂ ତାଙ୍କ ମା ଓ କୁନି ଝିଅ ସହ ସେଠୀ ବାସ କରନ୍ତି । ସେହି ଘର କେଉଁ ସ୍ବର୍ଗ ମହଲ ଠାରୁ କମ୍ ନୁହେଁ । ଯେ କୌଣସି ଲୋକ ସେ ଘରକୁ ଦେଖି ଅଟକି ଯାଏ । ଦିନେ ଝିଅ ରାଣୀ ବାପାଙ୍କୁ କହିଲା କି ବାପା ଏହି ଘର କାହାର ଥିଲା । ବାପା କହିଲେ ଏହି ଘର ମୋ ବାପା ଙ୍କ ବାପାର ଥିଲା। ସେ ବହୁ ରାଜାଙ୍କ ଘର ବନେଇଥିଲେ । ସେ ମଧ୍ୟ ଏହି ଘରକୁ ରାଜମହଲ ଭଳି ଘର ବନେଇଲେ । ଏହା ଶୁଣି ରାଣୀ ବହୁତ୍ ଖୁସି ହେଲା ଏବଂ ବାପା ରାଣୀ କୁ କହିଲେ ତୋର ଆଉ ଯାହା ଜାଣିବାର ଅଛି ତେବେ ଜେଜେ ମା ଙ୍କ ଠାରୁ ପଚାରି ବୁଝିନେ । ମୋର ବହୁତ କାମ ଅଛି ମୁଁ ଯାଉଛି । ରାଣୀ ସେଠାରୁ ଧାଇଁ ଆସି  ଜେଜେମା ଙ୍କୁ ନିଜ ଘର ର ସମସ୍ତ କାର୍ଯ୍ୟ ବିଷୟରେ ପଚାରିଲା ଏବଂ ଜେଜେ ମା ସବୁ କଥା କହିଲେ  । ଜେଜେ ମା କହିଲେ ଆଜି ଜଣ ଙ୍କ ଘର କୁ ଯିବାର ଅଛି  ତୁ ଯିବୁକି ମୋ ସହିତ। ରାଣୀ ପଚାରିଲା କଣ ପାଇଁ ଯିବ ସେଠାକୁ  ଏବଂ କଣ କାମ ଅଛି ସେଠୀ  ? ଜେଜେ ମା କହିଲେ କି  ସେଠୀ ଜଣ ଙ୍କର ବାହାଘର ଅଛି ତେଣୁ ସେଠା କୁ ଯିବାକୁ ହେବ। ତୁ ମୋ ସହିତ ଯିବୁକି କହ ? ରାଣୀ ହଁ ମାରିଲା କହିଲା, ମୁଁ ଯିବି ବାହଘର କେମିତି ହେଉଛି ଦେଖିବି । ଜେଜେ ମା ତାକୁ ସାଙ୍ଗରେ ନେଇଗଲେ । ବାହାଘର ସାଜସଜ୍ଜା କୁ ଦେଖି ରାଣୀ ବହୁତ୍ ଆନନ୍ଦ ନେଲା । ଆଉ ସେ ଜେଜେ ମାଙ୍କ ସହ ସେ ଘର ଭିତରକୁ ଗଲା । ସେଠୀ ସେ ବର ଓ କନ୍ୟା କୁ ଦେଖି ପଚାରିଲା । ଏଠି ଏମାନେ କିଏ ଜେଜେ ମା ? ଜେଜେ ମା କହିଲେ, ଏମାନେ ହେଉଛନ୍ତି ନବ ଦମ୍ପତି । ଏମାନେ ଦୁହେଁ ଦୁହିଁଙ୍କୁ ବିବାହ କରିବେ । ସେଠୀ ଦେଖ ସେମାନଙ୍କ ବିବାହ ପାଇଁ ବେଦୀ ପଡ଼ିଛି । ସେ ସବୁ ଦେଖି ରାଣୀ ପଚାରିଲା ଜେଜେ ମା ଏମିତି ସମସ୍ତେ ବିବାହ କରନ୍ତି କି ? ଜେଜେ ମା ହସି କହିଲେ ହଁ ସମସ୍ତେ ଏମିତି ହିଁ ବିବାହ କରନ୍ତି । ସେଠୁ ବିବାହ ଉତ୍ସବ ସରିବା ପରେ ରାଣୀ ଓ ଜେଜେ ମା ଘରକୁ ଆସିଲେ ।
 ତାପର ଦିନ ସକାଳେ ରାଣୀ ଛାତ ଉପରେ ବସି ଭାବୁଥାଏ । ଜେଜେ ମା ଆସି କହିଲେ, ମୋ ଗେଲି ରାଣୀ ଏକା ବସି କଣ ଭାବୁଚି? ରାଣୀ କହିଲା ଜେଜେ ମା ତମକୁ ଗୋଟେ କଥା ପଚାରିବି ନା ? ଜେଜେ ମା କହିଲେ ହଁ ପଚାର, କଣ ପଚାରିବୁ ? ରାଣୀ କହିଲା ଜେଜେ ମା କାଲି ଆମେ ଯେଉଁ ବାହାଘର ଦେଖିଲେ ସେମିତି କଣ ମୋର ବି ବାହଘର ହେବ ? ଜେଜେ ମା ହସି ହସି କହିଲେ ହଁ ହଁ ମୋ ଗେଲି, ତୁ ବି ଏମିତି ବାହା ହେବୁ । ମୋ ଗେଲି କୁ ନେଇଯିବା ପାଇଁ ଆକାଶ ରୁ ରାଜକୁମାର ରଥରେ ବସି ଆସିବ । ରାଣୀ ଜେଜେ ମା ଙ୍କ ଏହି କଥା କୁ ଗଣ୍ଠି କରି ରଖିନେଲା ଏବଂ ତା ମନରେ  ସବୁବେଳେ ରାଜକୁମାର ହିଁ ରହିଲା । ସେ ରାଜକୁମାର ର ସ୍ବପ୍ନ ଦେଖିବା ଆରମ୍ଭ କରିଦେଲା। 
ଦିନ ପରେ ଦିନ ବିତି କିଛି ବର୍ଷ ବିତି ଗଲା । ରାଣୀ ବଡ ହୋଇ ଯାଇଥାଏ। ସେ ସମୟରେ ତା ଜେଜେ ମା ବହୁତ୍ ଅସୁସ୍ଥ ହୋଇଯାଇଥିଲେ । କିଛି ଦିନ ଅସୁସ୍ଥ ଅବସ୍ଥାରେ ରହିଲେ । ଦିନେ ରାଣୀ ବିଦ୍ୟାଳୟ ଯାଇଥାଏ । ସେହି ସମୟ ମଧ୍ୟରେ ଜେଜେ ମା ଙ୍କ ମୃତ୍ୟ ହୋଇଗଲା । ରାଣୀ ବିଦ୍ୟାଳୟ ରୁ ଆସି ବହୁତ୍ କାନ୍ଦିଲା କାରଣ ଜେଜେ ମା ତାର ବହୁତ୍ ଭଲ ସାଙ୍ଗ ଥିଲେ । ସବୁବେଳେ ରାଣୀ ଜେଜେ ମା ଙ୍କୁ ମନେ ପକାଇ ଦୁଃଖୀ ହୋଇ ରହେ । କିଛିଦିନ ଗଲାପରେ ରାଣୀ ର ବାପା ରାଣୀ ପାଇଁ ପୁଅ ଦେଖା ଆରମ୍ଭ କଲେ ଏବଂ ଦିନେ ରାଣୀ କୁ ଦେଖିବା କୁ ପୁଅ ଘର ଲୋକ ଆସିଲେ । ରାଣୀ କୁ ବହୁତ୍ ସଜେଇ ନେଇକି ଆସିଲେ ଠିକ୍ ରାଜକୁମାରୀ ପରି । ପୁଅ ଘର ରାଣୀ କୁ ଦେଖି ବୋହୂ କରିବାକୁ ଈଛା  କରିଲେ କିନ୍ତୁ ରାଣୀ ସେଇ ପୁଅ କୁ ବିବାହ କରିବାକୁ ରାଜି ନଥିଲା । କାରଣ ତା ଜେଜେ ମା କହିଥିବା ରାଜକୁମାର ଅପେକ୍ଷା ରେ ସେ ବସିଥିଲା । 
ରାଣୀ ଭାବୁଥାଏ ମୋ ରାଜକୁମାର ଘୋଡ଼ା ରେ ବସି କେବେ ଆସିବ ? ଏବଂ ମୋତେ ରାଜକୁମାରୀ କରି ନେଇଯିବ । ସେ ତା ବାପା ଙ୍କୁ ମନା କରିଦିଏ ମୁଁ ଏହି ପିଲାକୁ ବିବାହ କରିପାରିବି ନାହିଁ କିନ୍ତୁ ରାଣୀ ସେଇ ପୁଅ କୁ ଆଖି ଉଠେଇ ବି ଦେଖିନଥିଲା । ସେ ତାର ମନର ରାଜକୁମାର କୁ ବିବାହ କରିବ  ବୋଲି କହି ସେଠୁ ଚାଲିଗଲା। ଜେଜେ ମା ଙ୍କ ଫୋଟ ପାଖରେ  ବସି କାନ୍ଦି କାନ୍ଦି କହିଲା ତୁମେ ମୋତେ କହିଥିଲ ଯେ ମୋ ପାଇଁ କୁଆଡେ ରାଜକୁମାର ଆସିବ । ମୋତେ ବିବାହ କରି ତା ସାଙ୍ଗରେ ନେଇଯିବ କିନ୍ତୁ ମୋତେ ବିବାହ କରିବାକୁ ସେମିତି କିଏ ଆସୁନାହାନ୍ତି । ତୁମେ ମୋତେ କଣ ପାଇଁ  ରାଜକୁମାର ସହିତ ବିବାହ ପାଇଁ ଆଶା ଦେଖାଇ ଚାଲିଗଲ, ଜେଜେ ମା  । ଏମିତି କହି ରାଣୀ ବହୁତ୍ କାନ୍ଦିଲା । ସେହି ସମୟରେ ରାଣୀର ମା, ରାଣୀକୁ ପଚାରେ ତୁ କାହଁକି କାନ୍ଦୁଛୁ ? ତୁ ତ ବାହା ହେବୁନି ମନା କରିବା ପରେ ତୋ ବାପା ତାଙ୍କୁ ମନା କରିଦେଇଛନ୍ତି ପୁଣି କାହିଁକି କାନ୍ଦୁଛୁ । ଏହା ଶୁଣି ରାଣୀ ଚୁପ୍ ହୋଇଗଲା । ତା ପର ଦିନ ନିଜ ଘର ପାଖ ପାହାଡ ପାଖକୁ ବୁଲିବାକୁ ଯାଏ । ସେ ପ୍ରକୃତି ର ମଜା ନେଉଥିଲା ସେହି ସମୟରେ ଗୋଟିଏ ବଣୁଆ ହାତୀ ଭୟଙ୍କର ରଡ଼ି କରି ରାଣୀ ଆଡ଼କୁ ମାଡି ଆସିଲା। ରାଣୀ  ହାତୀକୁ ଦେଖି ଡରରେ ଦୌଡ଼ିବାକୁ ଲାଗିଲା। ନିଜ ପ୍ରାଣ ବଞ୍ଚାଇବା ପାଇଁ ସେ ଉପାୟ ଶୂନ୍ୟ ହୋଇ ଜଙ୍ଗଲ ଭିତରକୁ ଦଉଡ଼ି ଗଲା ।
ସେହି ସମୟରେ ଗୋଟିଏ ପୁଅ ମୁନିବର ଙ୍କ ଘୋଡ଼ା କୁ ବୁଲେଇବା ପାଇଁ ଆଣିଥାଏ । ଯେତେବେଳେ ସେ ରାଣୀ ର ଚିତ୍କାର ଶୁଣିଲା ସେ ଦୌଡ଼ିଗଲା ଜଙ୍ଗଲ ଭିତରକୁ ।  ସେଠୀ ସେ ହାତୀ ଠାରୁ ରାଣୀ କୁ ଉଦ୍ଧାର କରିନିଏ । ସେଠୁ ରାଣୀକୁ ଘୋଡାରେ ବସାଇ ତାକୁ ଆଣେ । ସେ ପୁଅକୁ ଦେଖି ରାଣୀ ବହୁତ୍ ଖୁସି ହୁଏ ।ସେ ସେହି ପୁଅକୁ ସ୍ୱପ୍ନର ରାଜକୁମାର ବୋଲି ଭାବିନେଲା । ଗେରୁଆ ବସ୍ତ୍ର ସହିତ ବଳବାନ ଦେହ, ଲାଗୁଥିଲା ଯେମିତି କେଉଁ ରାଜାଙ୍କ ପୁତ୍ର । ରାଣୀ ସେହି ପୁଅକୁ ନିଜ ପରିଚୟ ଦିଏ ଏବଂ ସେଇ ପୁଅ କୁ ତା ନିଜର ପରିଚୟ ପଚାରେ । ସେ ପୁଅ କହେ ମୁଁ ସୁରେନ୍ଦ୍ର । ମୁଁ ଏହି ପାଖ ମୁନିବର ଆଶ୍ରମ ରେ ମୁନିବରଙ୍କ ସେବା କରୁଛି । ସୁରେନ୍ଦ୍ର ରାଣୀ କୁ ନେଇ ମୁନିବର ଙ୍କ ଆଶ୍ରମ ଅଭିମୁଖେ ଚାଲେ । ମୁନିବର ରାଣୀକୁ ଦେଖି ପଚାରନ୍ତି ଏହି କନ୍ୟା ଜଣକ କିଏ ? ୟାଙ୍କ ନାମ ରାଣୀ ସେ ହାତୀ ର ଆକ୍ରମଣର ଭୟରେ ଜଙ୍ଗଲ ଭିତରକୁ ଚାଲି ଯାଇଥିଲେ । ଜଙ୍ଗଲ ଭିତରେ ଚିତ୍କାର ଶବ୍ଦ ଶୁଣି ମୁଁ ତାଙ୍କୁ ସେ ହାତୀ କବଳରୁ ଉଦ୍ଧାର କରି ଆଣିଛି । ଏହା ଶୁଣି ମୁନିବର ଖୁସି ହୋଇ ସୁରେନ୍ଦ୍ର କୁ ଦୀର୍ଘାୟୁ ଭଵଃ ର ଆଶୀର୍ବାଦ ଦେଲେ ।
ମୁନିବର ରାଣୀ ର ମନ କଥା ପଢ଼ି ପାରିଲେ ଏବଂ ସେ ସୁରେନ୍ଦ୍ର କୁ ରାଜକୁମାର ଭାବେ ବାଛି ସାରିଛି ବୋଲି ଜାଣି ପାରିଲେ । କିଛି ବର୍ଷ ତଳର କଥା ମନେ ପକେଇବାକୁ ବାଧ୍ୟ ହେଲେ । ସୁରେନ୍ଦ୍ର ହେଉଛି ଜଣେ ରାଜକୁମାର। ସର୍ତ୍ତ ମୂଳକ ଭାବେ ମୁନିବର ରାଜା ଙ୍କୁ ପୁତ୍ର ପ୍ରାପ୍ତି ର ଆଶୀର୍ବାଦ ଦେଲେ ଏବଂ ପ୍ରଥମ ସନ୍ତାନ ମୁନିବର ଙ୍କୁ ଦେବେ ଏବଂ ଦ୍ଵିତୀୟ ପୁତ୍ର ସେ ଦେଶର ରାଜ କୁମାର ହେବ ବୋଲି କହିଥିଲେ।  ସର୍ତ୍ତ ଅନୁଯାୟୀ ରାଜା ଜନ୍ମ ପରେ ପରେ ନିଜ ପ୍ରଥମ ପୁତ୍ର କୁ ମୁନିବର ପାଖରେ ଛାଡି ଚାଲିଗଲେ ଏବଂ ସେ ଦିନ ଠାରୁ ସେ ସୁରେନ୍ଦ୍ର ନାମରେ ପରିଚିତ ଏବଂ ସେବାୟତ ଭାବରେ ରହି ଆସିଛି । 
ମୁନିବର ବର୍ତ୍ତମାନ କୁ ଫେରି ଆସି ବହୁତ୍ ଖୁସି ହେଲେ ଏବଂ ସୁରେନ୍ଦ୍ର କୁ ଆଦେଶ ଦେଲେ ଯେ ରାଣୀକୁ ତାର ନିଜ ଘରେ ଛାଡ଼ି ଆସିବାକୁ କହିଲେ। ରାଣୀଙ୍କ ଘର ଲୋକ ମଧ୍ୟ ରାଣୀ ଆସିବାର ବହୁତ୍ ବିଳମ୍ୱ ହେବାରୁ ଡରିଯାଇଥିଲେ କିନ୍ତୁ ରାଣୀ ଠିକ୍ ସମୟରେ ଏବଂ ସୁରକ୍ଷିତ ଭାବେ ଫେରିବାର ଦେଖି ସମସ୍ତେ ଖୁସି ହୋଇଗଲେ । ସୁରେନ୍ଦ୍ର କୁ ଶ୍ୟାମ ବାବୁ ଧନ୍ୟବାଦ ଜଣାଇଲେ । ରାଣୀକୁ ଛାଡ଼ି ସୁରେନ୍ଦ୍ର ମୁନି ଆଶ୍ରମ କୁ ଚାଲିଗଲା କିନ୍ତୁ ରାଣୀ ସୁରେନ୍ଦ୍ର ର କଥା ରାତିସାରା ଭାବୁଥାଏ । ସକାଳ ହେବା ପରେ ସୁରେନ୍ଦ୍ର କୁ ଦେଖା କରିବାକୁ ପାଇଁ ତା ବାପାଙ୍କୁ କୁହେ । ରାଣୀ ର କଥାକୁ ମନା ନ କରି ଶ୍ୟାମ ବାବୁ କିଛି ଖାଦ୍ୟ ଶସ୍ୟ ଆଉ ଟଙ୍କା ନେଇ ମୁନିବର ଆଶ୍ରମ କୁ ବାହାରିଲେ । ସୁରେନ୍ଦ୍ର, ରାଣୀ ଆଉ ତା ବାପାଙ୍କୁ ଦେଖି ଆଦରର ସହ କୁଟିର ମଧ୍ୟ କୁ ନେଇ ଚାଲିଲା ସେଠୀ ମୁନିବର ଙ୍କୁ ରାଣୀର ବାପା ସହ ସାକ୍ଷାତ କରେଇଲା । ରାଣୀକୁ ଏବଂ ବାପାଙ୍କୁ ଦେଖି ମୁନିବର ବହୁତ୍ ଖୁସିହେଲେ । ରାଣୀ ଆଉ ତା ବାପା ମୁନିବର ଙ୍କୁ ଟଙ୍କା ଓ ଫଳ ଆଗ୍ରହ ସହ ଗ୍ରହଣ କରିବା କୁ କହିଲେ କିନ୍ତୁ ମୁନିବର ସେ ସବୁ ଗ୍ରହଣ କରିବାକୁ ମନା କଲେ । ରାଣୀ ତା ନିଜ ହାତରେ ଦେଲେ ତଥାପି ମୁନିବର ଗ୍ରହଣ କଲେ ନାହିଁ । ରାଣୀ ଜାଣି ପାରିଲା ଯେ ମୁନିବର କେବଳ ସୁରେନ୍ଦ୍ର ହାତରୁ ଗ୍ରହଣ କରନ୍ତି ବୋଲି । ତାପରେ ରାଣୀ ସୁରେନ୍ଦ୍ରଙ୍କ ଦ୍ଵାରା ମୁନିବର ଙ୍କୁ ସେ ଶସ୍ୟ ଏବଂ ଫଳମୂଳ ଦେବା ପରେ ସେ ଗ୍ରହଣ କରିଲେ। ସେଠାରୁ ରାଣୀ ଆଉ ତା ବାପା ଫେରି ଆସିଲେ । 
ରାଣୀ ବାପା ଙ୍କୁ ସୁରେନ୍ଦ୍ର କୁ ବିବାହ କରିବା କଥା କହିଲା କିନ୍ତୁ  ରାଣୀ ର ବାପା ଏହି ବିବାହ ପାଇଁ ଆଗ୍ରହୀ ନଥିଲେ । ରାଣୀ ଓ ମାଙ୍କ ଅନୁରୋଧ ରେ ବାପା ପୁଣି ରାଜି ହେଲେ ଏବଂ ରାଣୀର ପ୍ରସ୍ତାବ କଥା ନେଇ ରାଣୀର ବାପା, ମା ମୁନିବର ପାଖକୁ ଗଲେ ।  ମୁନିବର କହିଲେ ସୁରେନ୍ଦ୍ର ହିଁ ମୋ ପାଇଁ ସବୁକିଛି । ସେ ମୋ ନିଜ ପୁଅ ଭଳି ଏବଂ ସେ ମୋ ବିଶ୍ଵସ୍ତ ଶିଷ୍ୟ । ତାର ଯଦି ଇଚ୍ଛା ଥାଏ ତେବେ ମୁଁ ନିରାଶ କରିବି ନାହିଁ । ପ୍ରଥମେ ଯାଇ ଆପଣ ପଚାରନ୍ତୁ । ସୁରେନ୍ଦ୍ର ଙ୍କୁ ଏହି ବିଷୟରେ ପଚାରିବାରୁ ସୁରେନ୍ଦ୍ର ମନା କଲା । ସେ କହିଲା କି ମୁଁ ମୋ ଗୁରୁଙ୍କ ପାଖରେ ଏବଂ ତାଙ୍କ ସେବାରେ ଜୀବନ କଟେଇଦେବି କିନ୍ତୁ ତାଙ୍କ ଇଚ୍ଛା ବିରୁଦ୍ଧରେ ମୁଁ କେବେ କୋଉ କାର୍ଯ୍ୟ କରିନି ନା କରିବି । ତାଙ୍କ ଆଦେଶ ହିଁ ମୋ ଆଶୀର୍ବାଦ।  ରାଣୀ ତଥା ବାପା ମା ମୁନିବର ଙ୍କୁ ପୁଣି ଅନୁରୋଧ କରିଲେ କିନ୍ତୁ ମୁନିବର ଗୋଟିଏ ସର୍ତ୍ତ ରଖିଲେ ଯେ ବିବାହ ପରେ ତୁମ ଝିଅ ରାଣୀ ଆମର ଏହି କୁଟୀରରେ ରହିବ ଏବଂ ମୋ ସେବା କରିବ । ତାର ସେବାରେ ଯଦି ମୁଁ ସନ୍ତୁଷ୍ଟ ହେବି ତେବେ ମୁଁ ଏମାନଙ୍କୁ ବିବାହ ପାଇଁ ଅନୁମତି ଦେବି । ତତ୍ ସହିତ ସୁରେନ୍ଦ୍ର ମଧ୍ୟ ତୁମ ଝିଅ ର ସେବା ରେ ସନ୍ତୁଷ୍ଟ ହୁଏ ଏବେ ପସନ୍ଦ କରେ ତେବେ ଏହି ବିବାହ ସଂପନ୍ନ ହେବ । ଅନ୍ୟଥା ଏହା ଅସମ୍ଭବ । ରାଣୀ ଏହି ସର୍ତ୍ତ ଶୁଣି ରାଜି ହୋଇଗଲା ଏବଂ ସେ ସ୍ଥିର କଲା ଯେ ମୁଁ ମୁନିବର ଙ୍କୁ ସେବାରେ ନିଶ୍ଚୟ ସନ୍ତୁଷ୍ଟ କରିବି ଏବଂ ସୁରେନ୍ଦ୍ର କୁ ରାଜକୁମାର ଭାବେ ପାଇବି ।  ବାପା ମା ଝିଅ କୁ କୁଟୀରରେ ଛାଡ଼ି ଯିବାକୁ ଇଚ୍ଛା କରୁ ନଥିଲେ କିନ୍ତୁ ଝିଅ ର ଖୁସି କୁ ଆଖି ଆଗରେ ରଖି ସେ ଝିଅ କୁ କୁଟୀରରେ ଛାଡ଼ି ଚାଲିଗଲେ । 
ଦେଖୁ ଦେଖୁ ଗୋଟିଏ ବର୍ଷ ବିତିଗଲା।  ରାଣୀ ର ସେବା ରେ ମୁନିବର ସନ୍ତୁଷ୍ଟ ହେବା ସହିତ ସୁରେନ୍ଦ୍ର ରାଣୀ କୁ ପସନ୍ଦ କରିବାରେ ଲାଗିଲା।  ମୁନିବର ଏହା ଦେଖି ବହୁତ୍ ଖୁସି ହେଲେ ଏବଂ ଶ୍ୟାମ ବାବୁ ଙ୍କୁ ଖବର ଦେଇ ଡାକିଲେ ଏବଂ ବିବାହ ପାଇଁ ଆୟୋଜନ କରିବା ପାଇଁ ଅନୁମତି ଦେଲେ । ବିବାହ ହେଲା ପରେ ମୁନିବର ସୁରେନ୍ଦ୍ର କୁ ରାଣୀ ସହିତ ରହିବାକୁ ଶ୍ୟାମ ବାବୁ ଘରକୁ ଯିବାକୁ ଅନୁମତି ଦେଲେ। ଦୁହେଁ ସେଠୀ ଖୁସିରେ ନିଜ ଜୀବନ ଯାପନ କରିଲେ । ବେଳେବେଳେ ଆଶ୍ରମ ଆସି ମୁନିବର ଙ୍କ ସେବା ମଧ୍ୟ କରିଥାନ୍ତି।  ଦୁଇ ବର୍ଷ ପରେ ସେମାନଙ୍କ ଏକ ରାଜକୁମାରୀ ଜନ୍ମ ନିଏ ତାହା ଦେଖିବାକୁ ଠିକ୍ ରାଣୀ ପରି । ଶ୍ୟାମ ବାବୁଙ୍କ ପରିବାର ସହିତ ତାଙ୍କ ଝିଅ ରାଣୀ ଏବଂ କୁନି ଝିଅ ସହିତ ଖୁସିରେ  ରହିଲେ । 
ମୁଖ୍ୟ ବିନ୍ଦୁ :-
୧. କୌଣସି କାର୍ଯ୍ୟ ଅସମ୍ଭବ ନୁହେଁ ।
୨. ସବୁବେଳେ ପ୍ରତିଜ୍ଞାବଦ୍ଧ ହେବା ଦରକାର ।
୩. ଯଦି ମନ ଧ୍ୟାନ ଦେଇ କାର୍ଯ୍ୟ କରିବେ ତେବେ ଭଗବାନ ମଧ୍ୟ ଖୁସି ହୁଅନ୍ତି।  
ପୂଜା ସ୍ୱାଇଁ ( ଲେଖିକା) 
ସୋଲଣ୍ଡି, ଗଞ୍ଜାମ ।
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ବୁଲା କୁକୁର (କବିତା)

ବୁଲା କୁକୁର
ବୁଲା କୁକୁର

ପଶୁ କୂଳରେ ଜନ୍ମ ନେଇଥିବା
ଏକ ପାପୀ ସନ୍ତକ
ନା କାହାର ପ୍ରିୟ
ନା କାହାର ନିଜର
ନାଆଁ ଟି ମୋର ବୁଲା କୁକୁର ।

କେବେ ଭୋକରେ ଦିନ କଟେ ତ
ଆଉ କେବେ ଅଚିହ୍ନା ଘର ଆଗରେ
ଗୁହାରି ପଡେ,
କିଏ ଦିଏ ଅଳ୍ପ ତ କିଏ ବେଶୀ
ଖାଇବା ନୂଆ ଆଜ୍ଞା, ମାଡ ସହିତ ଗାଳି 
କାରଣ ମୁଁ ଗୋଟିଏ ବୁଲା କୁକୁର।

ମୋର ମଧ୍ୟ ଇଚ୍ଛା ହୁଏ 
ମନୁଷ୍ୟ ର ଦାସ ହୋଇ ରହିବାକୁ
କିନ୍ତୁ ଏମିତି କୂଳରେ ଜନ୍ମ ମୋର
ଆମ ସ୍ଥାନ କୁ ପୂରଣ କରନ୍ତି
ବିଦେଶୀ ଜାତି ଭାଇ
କାରଣ ଆମେ ହେଉଛୁ ବୁଲା କୁକୁର ।

ମୁକ ହୋଇ ବୁଲୁଥାଏ ସବୁବେଳେ
କେ ଅବା ଶୁଣିବ, ନା ବୁଝିବ
ଆମ ଦୁଃଖ ଦରଦ
କାରଣ ମୁଁ ଜଣେ ବୁଲା କୁକୁର ।

ରାସ୍ତାରେ ପଡ଼ି ରହେ
ଜଣା ପଡ଼େ ନାହିଁ ଦିନ ଅବା ରାତି
ଖରା, ବର୍ଷା, ଶିତ ସବୁ ସହି ଯାଏ
କାହିଁକି ନା ସମସ୍ତେ ଭାବନ୍ତି ପର
ନାଆଁ ଟି ମୋର ବୁଲା କୁକୁର ।

କେତେବେଳେ ଗରମ ପାଣି
ତ ଆଉ କେବେ ଗରମ ଚା ରେ
ଜଳି ଯାଏ ଆମ ଦେହ
କାହିଁକି ନା
ପାଖେ ଚାଲିଯାଉ କିଛି ପାଇବା ଆଶାରେ
କାରଣ ଆମେ ହେଉଛୁ ବୁଲା କୁକୁର ।

ପଡ଼ି ରହେ କାହା ଘର ଆଗରେ
କେବେ କିଛି ମିଳେ ତ କେବେ 
ଧେତ୍ ମାର୍ ର ଶବ୍ଦ ଶୁଣେ
କାରଣ ମୁଁ ଜଣେ ଅଭିଶପ୍ତ ବୁଲା କୁକୁର ।

ଭଗବାନ ନ ଦିଅନ୍ତୁ ଏମିତି
ଜୀବନ କାହାକୁ
ଯାହା ନର୍କ ଜୀବନ ଠୁ ମଧ୍ୟ ଅଧିକା କଷ୍ଟ
କାରଣ ମୁଁ ଜଣେ ବୁଲା କୁକୁର ।

ଆତ୍ମା ରୂପେ ମନୁଷ୍ୟ କେବେ
ସଦ୍ ବୁଦ୍ଧି ପ୍ରାପ୍ତି ହେବେ କେଜାଣି
କାରଣ ମୋ ମଧ୍ୟ ଅଛି ଏକ ଆତ୍ମା
ଯାହା ନାମ ପାଇଛି ଏକ ବୁଲା କୁକୁର ।

ଧନ୍ୟବାଦ ଦେବାକୁ ଚାହିଁବି ସେ
ମହାନ୍ ବ୍ୟକ୍ତି ଙ୍କୁ 
ଯିଏ ବିନା ସ୍ୱାର୍ଥରେ ଆମକୁ
ଖାଦ୍ୟ ଦେବାକୁ ଇଛା ରଖୁଛନ୍ତି
କାରଣ ଆମେ ହେଉଛୁ ବୁଲା କୁକୁର ।

ହେ ମନୁଷ୍ୟ
ଆମେ ମଧ୍ୟ ଚାହୁଁ ଆପଣଙ୍କ
ସେବା କରିବା ପାଇଁ
ନିଜର ବୋଲି ଭାବି ଟିକେ 
ଭଲ ପାଇବା ଦେଇଦିଅ
କାରଣ ଆମେ ହେଉଛୁ ବୁଲା କୁକୁର ।

ନାଆଁଟି ମୋର ବୁଲା କୁକୁର ।




ରୁବି ନାହାକ(ଲେଖିକା)
ବୁଗୁଡ଼ା, ଗଞ୍ଜାମ ।

KTM-400 (ଏକ ବ୍ୟଙ୍ଗ ଗଳ୍ପ-କବିତା)

KTM-400 (ଏକ ବ୍ୟଙ୍ଗ ଗଳ୍ପ-କବିତା)
KTM-400 (ଏକ ବ୍ୟଙ୍ଗ ଗଳ୍ପ-କବିତା)

ପ୍ରଥମ ଦିନ କଲେଜ ରେ ଦେଖା ବହୁତ୍ ରୋମାଞ୍ଚକର ଥିଲା । ସାଙ୍ଗ ମାନଙ୍କୁ ତାଗିଦ୍ କରି କହିଲି, ଆବେ ସେ ତୋର ଭାଉଜ ହେବ…


ସେମାନେ ଫେରେଇ ନେଲେ ସିନା ତାଙ୍କ ଦୃଷ୍ଟି ଭଙ୍ଗୀ କିନ୍ତୁ ମୋର ଆଖି ଲାଗି ରହିଲା ତମ ପାଖରେ…

କେତେବେଳେ ତମ ପ୍ରତି ଏତେ ଭଲ ପାଇବା ବଢ଼ିଗଲା ଯେ ମୁଁ ନିଜେ ଜାଣିପାରିନି…

ନିଜର ହୋଇ ରହିଛି ସିନା ମନ ଟା କେବଳ ତମ ପାଖରେ…

ସେଦିନ ପ୍ରଥମ ଥର କଥା ହେବା ପାଇଁ ବହୁତ୍ ଡର ଡର ଲାଗୁଥିଲା । ପହଞ୍ଚି ଗଲି ତୁମ ଡେଞ୍ଜର୍ ଜୋନ୍ ରେ…

ଭାବିଲି ଆଜି ନିଶ୍ଚୟ କିଛି ଘଟିବ । ତୁମେ ବ୍ୟସ୍ତ ତୁମ ସାଙ୍ଗ ସହିତ । ମୋର ଦୁଇ ଥର ଡାକିବା ଶବ୍ଦ ଯେମିତି ପବନରେ ଉଡ଼ି ଚାଲିଗଲା…

ତୃତୀୟ ଡାକ ରେ ମୋ ଶବ୍ଦ ଜବାବ ତମେ ଦେଇଗଲ ସିନା ରାଗରେ ତୁମ ଚାହାଣି ସତରେ ମୋତେ ଭୟଭୀତ କରି ଦେଲା…

ସାହାସ କରି ନାମ ଟି ପଚାରିଲି ସିନା ତମର ଫୁଲେଇ ହେବା ଢଙ୍ଗ ମୋତେ ହଜେଇ ଦେଲା ତୁମ ସୌନ୍ଦର୍ଯ୍ୟ ମୟ ଚେହେରା ର ବଗିଚାରେ… 

କେବଳ ନାମ ପାଇଁ ଆସି ନଥିଲି । ଦୁଇ ପଦ କଥା ହେବା ବାହାନାରେ ଆସିଥିଲି କିନ୍ତୁ ହଠାତ୍ ତୁମ ଫୋନ୍ ର ରିଙ୍ଗଟୋନ ମୋ ଫିଲିଙ୍ଗ କୁ ଗୋଳମାଳ କରିଦେଲା…

ଫୋନ୍ ସାଇଲେଣ୍ଟ କରି ମୋ ସହିତ କଥା ହେଲ ସିନା, ମନ ମୋର ବୁଝିଲାନି…

ପର ଦିନ ଅପେକ୍ଷା କରିଲି ଗେଟ୍ ପାଖରେ!!!

ଏ କଣ??? ତମେ ପୁଣି କାହାର KTM ବାଇକ୍ ର ପଛ ପଟେ…

ତମକୁ ଦେଖି ବହୁତ୍ ରାଗ ହେଲା, କିନ୍ତୁ ଖୋଜି ଚାଲିଲି ସେ KTM ଚାଳକ କିଏ???

ଯେତେବେଳେ ଜାଣିଲି ମନ ମୋର ଯେମିତି ଅମୂଲ ଗୁଣ୍ଡ ଭଳି ଅନୁଭବ ହେଲା…

ଯାହା ମୋର ଥିଲା ତାକୁ ଆଉ କିଏ ଘୋଳି ଚା ପିଇ ସାରିବା ଭଳି ଅନୁଭବ ହେଲା…

କଣ କହିବି ତାକୁ ସେ ଥିଲା ମୋର ଦାଦା ପୁଅ ଭାଇ ସୁକୁଟା…

ଯେତେବେଳେ କିଛି ଭଲ କାମ କରିବାକୁ ଯାଏ ସେ ଆସି ଲାଗିଯାଏ ମୋ ପଛେ ଯୋକ ଭଳି…

ହଉ ଯାଅ ପ୍ରିୟା ଆଜି ଉତ୍ସର୍ଗ କରି ଦେଲି ମୋ ସୁକୁଟା ଭାଇ ପାଇଁ…

ମୋ ଆଖି ଲୁହ ର ଦୁବ ଚାଉଳ ବାଇକ୍ ଚକାରେ ପକେଇ ମୁଁ ଭୀଷ୍ମ ପ୍ରତିଜ୍ଞା ନେଉଛି..

ଆଜି ସିନା ମୋ ପାଖେ Pulsar ଅଛି କିନ୍ତୁ ଦିନେ ଥିବ ମୋ ପାଖେ KTM-400..

ସେତେବେଳେ ତମଠୁ ସୁନ୍ଦରୀ ବସିଥିବ ଏହି ଟେକା ସିଟ୍ ରେ…

ଭୁଲିଗଲ ନା ପ୍ରିୟା କେବଳ ଗୋଟିଏ KTM ବାଇକ୍ ପାଇଁ…

 ହଉ ହଉ…

ଅପେକ୍ଷା କର ପ୍ରିୟା, ଦିନେ ମୋ ପାଖେ ମଧ୍ୟ ଥିବ KTM-400 …..

KTM-400 ର ଅପେକ୍ଷାରେ……

😩😩😩😩😩😩


ନୀଳମାଧବ ଭୂୟାଁ 
ଙ୍କ କଲମରୁ….

Lifestyle Changing Thoughts In Hindi Part-90

Lifestyle Changing Thoughts 90
90

LCT-466
कुछ लोग होने वाली घटना को हल्के में ले लेते है
मगर जब होता है ना तब खुद हल्का हो जाते हैं।
https://www.bhuyansblog.com/2020/08/lifestyle-changing-thoughts-in-hindi_78.html?m=1

LCT-467
चाहत अगर चुटकी में पूरा होता तो
कोई मेहनत नहीं करता। 
http://www.bhuyansblog.com/2020/08/Lifestyle%20Changing%20Thoughts%20In%20Hindi%20Part-65.html

LCT-468
सफ़र जितना लंबा होता है,
लक्ष्य का परिणाम में उतना मिठास रहता है ।

http://www.bhuyansblog.com/2020/08/daily-mock-test-resoning-89th-day.html

LCT-469
आपके साथ जो भी होता है बह सब आपके द्वारा रचा गया साजिश है, क्यूं की उस चक्रव्यूह को आप ठीक से समझे नहीं ।
http://www.bhuyansblog.com/p/surabhi-odia.html

LCT-470
आपकी कार्य में बह ऊंचाई दिखना चाहिए
जब लोग बड़ी इमारतें देखकर सोचने लगते हैं।
http://www.bhuyansblog.com/p/cisf-asi.html

Lifestyle_Changing_Thoughts_In_Hindi_Part_90


Bhuyans Blog

Lifestyle Changing Thoughts In Hindi Part-89

Lifestyle Changing Thoughts 89
Lct-89

LCT-461
दुश्मन तब हाथ बढ़ाते हैं,
जब उसके पास कोई रास्ता नहीं बचता,
सतर्क रहें ।।
https://youtu.be/yT7K2F-1TLk

LCT-462
कार्य तो सब करते है मगर
कार्य में निखार बही लाता है,
जो कार्य की जड़ को सही से समझा है ।
https://youtu.be/Rivf-SbXSIY

LCT-463
मां की गोद से अच्छी जगह आपको कहीं नहीं मिल सकता जहां आपको स्वर्ग सुख से भी ज्यादा आनंद दे सके ।
https://youtu.be/OB62DwbitAM

LCT-464
लगन से करने वाले कार्य,
भविष्य में आपको सफलता जरूर देगा ।
http://www.bhuyansblog.com/2020/08/Lifestyle%20Changing%20Thoughts%20In%20Hindi%20Part-62.html

LCT-465
पर्याप्त बिस्वास आपके अंदर है, मगर बिस्वास को हकीकत में बदलने केलिए आपको संघर्ष का मार्ग चुनाव करना होगा ।
https://youtu.be/lRg_DBxQxTM

Lifestyle_Changing_Thoughts_In_Hindi_Part_89


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Lifestyle Changing Thoughts In Hindi Part-88

Lifestyle Changing Thoughts 88
88

LCT-456
कभी कभी दूसरे को मदद की जरूरत होती है,
हो सके तो उश समय उसको सहारा देने की कोशिश करें।
http://www.bhuyansblog.com/2020/11/cheating.html

LCT-457
हथेली से आपकी भाग्य नहीं दिखता,
बह आपके द्वारा बताई गई दुर्बलता को बताता है ।
http://www.bhuyansblog.com/p/surabhi-odia.html

LCT-458
चौकी पर अपनी भार बिगाड़ोगे तो खुद को चोट पहुंचाओगे, उसी तरह मनोबल को नीचा गीराओगे तो खुद को हानि पहुंचाओगे ।
http://www.bhuyansblog.com/2020/08/lifestyle-changing-thoughts-in-hindi.html

LCT-459
अपने अच्छे समय को लोग दूसरे की बुराई चिंतन में बिता देते हैं । उस समय को सही उपयोग करें ।
http://www.bhuyansblog.com/2020/10/Lifestyle%20Changing%20Thoughts%20In%20Hindi%20Part-73.html

LCT-460
दूसरों को सुधारने से पहले
खुद को सुधारने कि कोशिश करें  ।

https://www.bhuyansblog.com/2020/04/some-childhood-moments.html?m=1

Lifestyle_Changing_Thoughts_In_Hindi_Part_88


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Lifestyle Changing Thoughts In Hindi Part-87

Lifestyle Changing Thoughts 87
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LCT-451
दूर को नजदीक में लाना आपकी
दृढ़ संकल्प और अच्छे कार्य के ऊपर निर्भर है ।
http://www.bhuyansblog.com/2020/11/some-useful-tips.html

LCT-452
बीना देखते हुए चलोगे तोह गिरना सुनिश्चित,
इसलिए अपनी कदम की खयाल आपको ही करना पड़ेगा ।
http://www.bhuyansblog.com/2020/11/lakshman-rekha.html

LCT-453
सफ़र कितना भी दूर क्यूं ना हो,
नए सोच की तलाश केलिए बढ़ते रहना है ।
*http://www.bhuyansblog.com/2020/11/crazy-poem.html

LCT-454
आपकी पैर खिचने बाले बहुत मिलेंगे मगर आपको ऊंचा बनाने केलिए एक भी नहीं मिलेंगे । विचार आपको करना है ।
http://www.bhuyansblog.com/2020/08/lifestyle-changing-thoughts-in-hindi_69.html

LCT-455
कुछ बातें हद से ऊपर चले जाता है तो अपनी संयम मजबूत   बनाए रखें क्यूं की संयम खो दोगे तो सब बिखर जाएगा ।
http://www.bhuyansblog.com/2020/08/lifestyle-changing-thoughts-in-hindi.html

Lifestyle_Changing_Thoughts_In_Hindi_Part_87


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Lifestyle Changing Thoughts In Hindi Part-86

LCT-86
LCT-86

LCT-446
अगर आप सपना देखें हो तो उसको पूरा करो,
दूसरे के बहकावे में आकर पीछे क्यों हट रहे हो ।
http://www.bhuyansblog.com/2020/11/sun.html

LCT-447
भाग्य के भरोसे चलने वाले आलस हो जाते हैं,
याद रहे बिना कार्य के आपका भाग्य कभी नहीं चमकेगा ।
http://www.bhuyansblog.com/p/thoughts.html

LCT-448
रास्ता की चुनाव ऐसा करो कि,
तरक्की तक पहुंचने में आपको आसान हो ।
http://www.bhuyansblog.com/p/thoughts.html

LCT-449
अगर कोई आपकी दो वक्त की रोटी केलिए मेहनत कर रहा है तो उसकी इज्जत करना आपकी प्रथम कर्तव्य होना चाहिए ।
http://www.bhuyansblog.com/p/thoughts.html

LCT-450
जो अपने कदम को गिनती करते रहते हैं,
उनको लक्ष्य तक पहुंचने में देर लगता है ।
http://www.bhuyansblog.com/p/surabhi-odia.html

Lifestyle_Changing_Thoughts_In_Hindi_Part_86


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Lifestyle Changing Thoughts In Hindi Part-85

Lifestyle Changing Thoughts In Hindi Part-85
Lifestyle Changing Thoughts In Hindi Part-85

LCT-441
जब आपकी अहंकार ख़तम हो जाएगी,
तब दुनिया के हर आदमी में आपको
अपनापन दिखने लगेगा ।
http://www.bhuyansblog.com/2020/10/lifestyle-changing-thoughts-in-hindi.html

LCT-442
कुछ नहीं बचेगा है सिवाय आपके अच्छे गुण,
गुस्सा दिखाकर खुद को खराब क्यूं बना रहे हो ।
http://www.bhuyansblog.com/2020/11/trupti.html

LCT-443
संदेह एक ऐसी बीमारी है,
जिसे संपर्क और कार्य को पल भर में
दरार पैदा कर देता है ।
ठोस सबूत के ऊपर बिस्वास रखें ।
*https://youtu.be/KfZq5p0S21k

LCT-444
अंधेरे में उजाला की बारिश होना
अर्थात मनुष्य के अंदर नई सोच का जन्म लेना ।
https://youtu.be/KfZq5p0S21k

LCT-445
लोग इज्जत की महत्व को ना समझते हुए पैसा कमाने लगते हैं, दोस्तों इज्जत के आगे पैसा कुछ नहीं है।
https://youtu.be/0P8lK_VKQDs

Lifestyle_Changing_Thoughts_In_Hindi_Part_85


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Lifestyle Changing Thoughts In Hindi Part-84

Lifestyle Changing Thoughts 84
Lifestyle Changing Thoughts 84

LCT-436
समय आपका खराब चल रहा है क्या ?
चिंता मत करें
आप करते चलिए धीरे धीरे बह सही होने लगेगा ।
https://youtu.be/sQcIM5S8EH8

LCT-437
मन को ऊंचा रखने का एक ही उपाय है कि अपनी कमियां को भूल जाइए ।
http://www.bhuyansblog.com/2020/11/sun.html

LCT-438
ऐसे व्यक्ति मदद करो की बह पूरी जिंदगी आपको याद करता रहे।
http://www.bhuyansblog.com/2020/11/peace.html

LCT-439
अपनी ताकत को दिखाने केलिए आपको सूर्य की तरह जलना पड़ेगा । तब आप सफल इंसान कहलाओगे ।
http://www.bhuyansblog.com/2020/10/Lifestyle%20Changing%20Thoughts%20In%20Hindi%20Part-74.html

LCT-440
कर दिखाना है तो चांद की तरह बनो जो घन अंधकार में आप आशा लेकर सबको रोशनी दे सको ।
http://www.bhuyansblog.com/2020/10/Lifestyle%20Changing%20Thoughts%20In%20Hindi%20Part-73.html

Lifestyle_Changing_Thoughts_In_Hindi_Part_84


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ସ୍ମୃତି ର ରଙ୍ଗ….(2)

ସ୍ମୃତି ର ରଙ୍ଗ....(2)
ସ୍ମୃତି ର ରଙ୍ଗ….(2)

ସେ ଦିନ ଚିଙ୍କି ର ଡ୍ରେସ ସୁଜାତା ପିନ୍ଧିଥିଲା , ମୁଁ ଜାଣିନି , ମୁଁ ଯାଇ ରଙ୍ଗ ଲଗେଇଲି ସୁଜାତା ମୁହଁରେ ।

ମୋତେ ହଠାତ୍ ଗୋଟିଏ ଶକ୍ତ ଚାପୁଡା ମିଳିଲା। ସମସ୍ତେ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ରେ ଚାହିଁ ରହିଲେ । ଯୋଉ ରେଞ୍ଜ ରେ ଚାପୁଡା ଲାଗିଛି ମୋର ଗାଲ ପକ୍କା ଲାଲ୍ ହୋଇଥିବ ।
ରଙ୍ଗ ଲାଗିଥିବା ଯୋଗୁ ଜଣା ପଡିଲାନି । ବହୁତ୍ ରାଗ ଲାଗିଲା , ପ୍ରଥମ କରି କୋଉ ଝିଅ ମୋତେ ହାତ ଉଠେଇଲା।
ଇଚ୍ଛା ହେଲା ଓଲଟା ଚାପୁଡା ଲଗାଇବାକୁ କିନ୍ତୁ ମୋର ଭୁଲ ଥିଲା ସେଥିପାଇଁ ମୁଁ ପଛ ମୁହାଁ କରି ଚାଲିଲି ।
ଚିଙ୍କି ଦଉଡ଼ି ଆସି ମୋ ହାତ ଧରି କହିଲା ଶୁଣ ଅଶୋକ , ସୁଜାତା ପାଇଁ ମୁଁ ତୋତେ ଭୁଲ ମାଗୁଛି ସେ ତୋତେ ଜାଣିନି ଏବଂ ମୁଁ ଜାଣିଚି ତୁ କେମିତିକା ପୁଅ, ତୁ ଅଜାଣତେ ତାକୁ ରଙ୍ଗ ଲଗେଇ ଚାପୁଡା ଖାଇଲୁ ।
ମୁଁ ରାଗରେ ତା କଥା କୁ ଧ୍ୟାନ ନ ଦେଇ ଚାଲିଲି ବାରଣ୍ଡାକୁ ଚିଙ୍କି ପୁଣି ଥରେ କହିଲା, ଶୁଣ ମୋ କଥା, ରାଗେନି ପ୍ଲିଜ, ଘରକୁ ଆସେ ମୋ ସାଙ୍ଗ ଟା ପରା, ପ୍ଲିଜ୍ ।
ମୁଁ ତା କଥା ରଖି ଘରକୁ ଗଲି, ଯେତେ ହେଲେ ସେ ମୋର ପିଲା ଦିନ ର ସାଙ୍ଗ ।
ଚିଙ୍କି ସୁଜାତା ଉପରେ ରାଗି କହିଲା, ତୁ କଣ କଲୁ ??? ମୋର ପିଲା ଦିନ ର ସାଙ୍ଗ କୁ ଚାପୁଡା ଲଗେଇ ଦେଲୁ ।
ମୁଁ କହିଲି ଛାଡ଼ ସେ କଥା , ମୋର ଭୁଲ ଯୋଗୁ ମୁଁ ଦଣ୍ଡ ପାଇଛି । ସେଥିରେ ତାର କିଛି ଦୋଷ ନାହିଁ ।
ସୁଜାତା ମୋ ପାଖକୁ ଆସିଲା ,କାନକୁ ଧରି ସରୀ 😐 କହିଲା, ମୋର ଭୁଲ ହୋଇଯାଇଛି,
ଶ୍ରୀକାନ୍ତ ଭାବି ତମକୁ ଚାପୁଡା ଲଗେଇ ଦେଲି । କ୍ଷମା କରିଦିଅ । ମୁଁ କିଛି ନ କହି ଚୁପ୍ ରହିଲି ।
କିନ୍ତୁ ତାପରେ ଆମ ସମସ୍ତଙ୍କ ନଜର ପଡିଲା ଶ୍ରୀକାନ୍ତ ଉପରେ। ଶ୍ରୀକାନ୍ତ ରାଗରେ ଘରୁ ବାହାରି ଗଲା ।
ତା ପଛେ ପଛେ ଆମେ ତିନି ଜଣ । ତା ଘରେ ପହଂଚିଲୁ । ସେଠୀ ଚିଙ୍କି ଶ୍ରୀକାନ୍ତ କୁ ପଚାରିଲା । ତୋତେ ପୁଣି କଣ ହେଲା।
ଶ୍ରୀକାନ୍ତ କହିଲା ସେ ମୋତେ ଚାପୁଡ଼ା ମାରିବ ବୋଲି ଭାବିଥିଲା। ଚିଙ୍କି କହିଲା ସେ ତ ଠିକ୍ ଭାବିଛି, ସେ ଯୋଉ ପ୍ରକାର ଝିଅ , ତୋ ଘରେ ପଶି ତୋତେ ଚପଲ ମାରି ଆସିଥାନ୍ତା।
କେବଳ ମୋ ଯୋଗୁ ସେ ଶାନ୍ତ ଅଛି । ମୁଁ ପଚାରିଲି କଣ କରିଛି ସେ।
ଚିଙ୍କି କହିଲା ଶୁଣିବୁ ଏ ଘୁଷୁରୀ କଣ କରିଛି । ସେ ଆସିବା ଦୀନଠୁ ଶ୍ରୀକାନ୍ତ ତାକୁ ଦେଖୁଥିଲା ।
ସେ ମଧ୍ୟ ଧିରେ ଧିରେ ପସନ୍ଦ କରିବାରେ ଲାଗିଥିଲା କିନ୍ତୁ ଦୁଇ ଦିନ ପୂର୍ବରୁ ସେ ଗାଧୋଇବା ବେଳେ ଏ ଶ୍ରୀକାନ୍ତ ଛାତ ପଟୁ ଆମ ବାଥ୍ ରୁମ୍ କୁ ଦେଖୁଥାଏ।
ସେ ବାହାରକୁ ଆସିଲା ପରେ ଉପରକୁ ତା ନଜର ପଡିଲା ଦେଖିଲା ଶ୍ରୀକାନ୍ତ ଉପରେ ବସି ମୁରୁକି ହସୁଛି , ସେ ହସିବା ଯୋଗୁ ତାର ପ୍ରବଳ ରାଗ ।
ଏବଂ ଯିଏ ଭଲ ପାଏ ସେ ଏମିତି ଖରାପ ଲୋକ ଭଳି ବ୍ୟବହାର ଦେଖାନ୍ତି ନାହିଁ ।
ବରୁଣ କହିଲା , କଣ ବେ, ଏମିତି କଣ ବ୍ଯବହାର ତୋର । ଶ୍ରୀକାନ୍ତ କହିଲା ମୁଁ ଯାଇଥିଲି ଛାତ ଉପରକୁ କପଡା ସୁଖେଇବାକୁ ସେତିକି ବେଳେ ହଠାତ୍ ନଜର ପଡିଲା ସୁଜାତା ଉପରେ। ମୁଁ କଣ କରିବି ।
ମୁଁ ଜାଣିଛି କି ସେ ଏହି କାରଣ ଯୋଗୁ ରାଗିବ । ମୁଁ ପଚାରିଲି ହେଲେ ଏବେ ସେ ୟାକୁ ପସନ୍ଦ କରୁଛି ନା ନାହିଁ ।
ଚିଙ୍କି କହିଲା ଶ୍ରୀକାନ୍ତ ର ନାମ ଶୁଣିଲେ ସେ ରାଗରେ ଜଳି ଯାଉଛି । ସେ ପୁଣି ପସନ୍ଦ କରିବ।
ମୁଁ କହିଲି ହଉ ଛାଡ଼ ସେ କଥା ଏବେ ଚାଲ ହୋଲି ଖେଳିବା ।
ଚିଙ୍କି କହିଲା ଆମ ଘରକୁ ଚାଲ ସେଠୀ ମଜା ମସ୍ତି କରିବା ।
ବରୁଣ କହିଲା, ନା ଲୋ, ଆମେ ଯିବୁ DJ ରେ ନାଚିବୁ ତୁ ଯାଅ ତୋ ସାଙ୍ଗ ସହିତ ଥେଇ ଥେଇ ହେବୁ।
ଚିଙ୍କି ମୋତେ ଅନୁରୋଧ ଆଖିରେ ଦେଖିଲା ,ଅଶୋକ ତୁ କହ…. ବରୁଣ କୁ, ଆମ ର ମଧ୍ୟ ଇଚ୍ଛା ଅଛି ଖେଳିବାକୁ । ଆମ ସାଙ୍ଗରେ ଖେଳିଲେ କଣ ଅସୁବିଧା ।
ମୁଁ ତୋ ପିଲା ବେଳର ସାଙ୍ଗ । ଆମେ ତମ ଭଳି ରୋଡ଼ ରେ ନାଚି ପାରିବୁ ନାହିଁ କିନ୍ତୁ ତମେ ଯଦି ଆଜି ଆମ ସାଙ୍ଗରେ ନାଚିବ, ଆମକୁ ଭଲ ଲାଗିବ ।
ଆମେ ପଞ୍ଚମ ଶ୍ରେଣୀ ରେ ଥିଲେ ମନେ ଅଛି ନା?? ବାରିପଟେ କେତେ ମସ୍ତି କରୁଥିଲେ ।
କେତେବେଳେ କାଦୁଆ ରେ ତ କେତେବେଳେ ଶଗଡ଼ କାଳିରେ ହୋଲି ଖେଳୁଥିଲେ। ମନେ ଅଛି ନା??
ମୁଁ କହିଲି ହଁ ୟାର, ସେ ସମୟ କେତେ ମଜା ଥିଲା । ଭୂଲି ହେବନି ।
ଏତିକି କଥା ଶୁଣିଲା ପରେ ମୋର ପୁରୁଣା ସ୍ମୃତି ସହିତ ମସ୍ତି କରିବାକୁ ଇଚ୍ଛା ହେଲା । ମୁଁ କହିଲି ତାହା ହେଲେ DJ କେମିତି ହେବ ।
ଚିଙ୍କି କହିଲା ଆମର ହୋମ୍ ଥିଏଟର କେବେ କାମରେ ଆସିବ । ଆଜି ଘରେ ଆମେ ଦୁଇ ଚଣ୍ଡୀ ବାପା କିଛି କାମରେ ଭୁବନେଶ୍ୱର ଯାଇଛନ୍ତି କାଲି ଆସିବେ ଏବଂ ମମି କେବେ ମନା କରିବେ ନାହିଁ ।
ମୁଁ ପଚାରିଲି ଆରେ ମାଉସୀ ଙ୍କୁ ତ ଦେଖିଲିନି । ସେ କୁଆଡେ ଯାଇଥିଲେ।
ସେ ରୋଷେଇ ଘରେ ଥିଲେ, ସେଥିପାଇଁ ତୁ ଦେଖିନୁ (ଚିଙ୍କି କହିଲା) ।
ବରୁଣ ପଚାରିଲା ହେଲେ ରଙ୍ଗ କେମିତି ଆଣିବା। ଚିଙ୍କି କହିଲା ଆରେ ସୁଜାତା ଖାସ୍ ହୋଲି ଖେଳିବା ପାଇଁ ଆମ ଗାଁକୁ ଆସିଛି ।
ସେ ରଙ୍ଗ ନେଇ ଆସିଛି। ଆମେ ବାହାରିଲୁ ଚିଙ୍କି ଘରକୁ ।
ଶ୍ରୀକାନ୍ତ ମନା କରିଲା । କହିଲା ତମେ ଯାଅ ମୁଁ ଯିବିନି ।
ଚିଙ୍କି କହିଲା ତୋର ରଙ୍ଗ କମ୍ ନାହିଁ ଯେ, ତୋ ଯୋଗୁ ଅଶୋକ ମାଡ ଖାଇଲା , ଏବେ ସେ ମାନିଗଲା, ତୋର ନାଟକ ଆରମ୍ଭ ହେଲା ।
ବରୁଣ କହିଲା ଚାଲ୍ ବେ , ବେଶୀ ହେଉଛୁ । ସମସ୍ତେ ଚାଲିଲୁ , ସେଠୀ ସୁଜାତା ମନ ଦୁଃଖରେ ବସି ଥାଏ । ପ୍ରଥମେ ଆମେ ମାଉସୀ ପାଖକୁ ଗଲୁ, ମାଉସୀ କୁ ପ୍ରଣାମ କରିଲୁ ।
ମାଉସୀ କହିଲେ ଆଜି ମୁଁ ତମ ସାଙ୍ଗରେ ମଧ୍ୟ ହୋଲି ଖେଳିବି । ମୁଁ ପଚାରିଲି ମାଉସୀ ତମେ କେମିତି ଜାଣିଲ ଆମେ ଆସିବୁ ବୋଲି ।
ମାଉସୀ କହିଲେ, କାଲି ରାତିରେ ଚିଙ୍କି କହୁଥିଲା ବରୁଣ ଏବଂ ଅଶୋକ କୁ ଡାକିବା ସମସ୍ତେ ମିଶି ହୋଲି ଖେଳିବା ।
ମୁଁ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ!!! ଆରେ ବାଃ ଆମେ ଭାବିବା ପୂର୍ବରୁ ତମେ ସମସ୍ତେ ଆଗରୁ ପ୍ଲାନ୍ କରି ରଖିଛ ।
……………………………………
(ଏହି ମଧ୍ୟରେ ସୁଜାତା ମୋ ସହିତ ନାଚିବାକୁ ପସନ୍ଦ କରୁଥାଏ । ମାତ୍ର ଚିଙ୍କି ତାକୁ ଦୂରେଇ ନେଇ ଚାଲି ଯାଉଥାଏ ଏବଂ ପୁଣି ଚିଙ୍କି ଆସି ମୋ ସହିତ ନାଚେ । )
ଏହି କାହାଣୀ ଟି ଆପଣଙ୍କୁ କେମିତି ଲାଗିଲା କମେଣ୍ଟ କରି ନିଶ୍ଚୟ ଜଣେଇବେ ।

ସ୍ମୃତି ର ରଙ୍ଗ…..(1)

ସ୍ମୃତି ର ରଙ୍ଗ....(1)
ସ୍ମୃତି ର ରଙ୍ଗ….(1)
ସକାଳ ୭ ଟା ରେ ଆଲାରମ୍ ଦେଇ ଉଠିଲି। ପୂର୍ବ ରାତିରୁ ସ୍ଥିର କରିଥିଲି ଯେ କାଲି ସକାଳେ କୁଆଡେ ଯିବିନି ଘରେ ହିଁ ରହିବି ଏବଂ ଦିନ ଯାକ ପଢିବି ।
ବଡ ଭାଇ ର ବାଧ୍ୟକତା ରେ ୦୨ ଦିନ ପୂର୍ବରୁ ଏସ୍ ଏସ ସି ପରୀକ୍ଷା ପାଇଁ ଏପ୍ଲାଇ କରି ଆସିଛି ।
ଠିକ୍ ଦେଢ଼ ମାସ ପରେ ପରୀକ୍ଷା ଅଛି । ସେଥିପାଇଁ ପରୀକ୍ଷା ପାଇଁ ପୁରା ଧ୍ୟାନ ଦେବାକୁ ହେବ ।
ସକାଳୁ ଗାଧୁଆ ପାଧୁଆ ସାରି ଆଜି ପ୍ରଥମ କରି ପୂଜା ଘରେ ମୁଣ୍ଡିଆ ମାରିବାକୁ ଗଲି, ମନରେ ଥିଲା କି ଆଜି ପାଠ ପଢ଼ା ର ଶୁଭାରମ୍ଭ ହେବ ।
ଭଗବାନ ପାଖରେ ଗୁହାରି କରି କହିଲି “ମୋତେ ପଢ଼ିବାକୁ ଶକ୍ତି ଦିଅ ପ୍ରଭୁ” ।
ପଢା ଘରେ ବସି ପଢିବା ଆରମ୍ଭ କରିଲି । ଗଣିତ ଏବଂ ଇଂରାଜୀ ମୋର ଘୋର ଶତ୍ରୁ , ସ୍ଥିର କରିଲି ଇତିହାସ ନହେଲେ ଭୂଗୋଳ ରୁ ଆରମ୍ଭ କରିବି।
ପ୍ରାୟ ଅଧ ଘଂଟାଏ ପଢା ସରିବା ପରେ , ଭାବିଲି ଅଳ୍ପ ବ୍ରେକ୍ ନେଇ ପୁଣି ପଢିବି। ମା ଙ୍କୁ କହିଥିଲି, ମା ଆଜି ଦିନ ଯାକ ପଢିବି , କିଏ ଯଦି ପଚାରିବ କହିବୁ, ମୋର ଦେହ ଖରାପ।
ମା ମଧ୍ୟ ରାଜି, କେତେ ଦିନରେ ମୋ ପୁଅ ପଢ଼ିବା ପାଇଁ ମନ କରିଛି। +୩ ସାରି ଛଅ ମାସ ହେଲା ଘରେ ବସିଛି ବୋଧେ ଚାକିରି ପାଇଁ ପଢୁଛି ।
ଏହା ଭାବି ମା ମୋ ପାଖରେ ପାଣି, ହର୍ଲିକ୍ସ ଏବଂ ବିସ୍କୁଟ ପ୍ୟାକେଟ ରଖି ଦେଇ ଚାଲି ଗଲେ।
ପାଠ ପଢା ଅଧା ହୋଇଛି ମୋ ସାଙ୍ଗ ବରୁଣ ଆସି ମା କୁ ପଚାରିଲା, ଅଶୋକ କୁଆଡେ ଗଲା?? ମା କହିଦେଲେ ତାର ଦେହ ଖରାପ, ସେ ଶୋଇଛି।
ବରୁଣ ଭାରି ଚାଲାକ୍, ସେ ମୋତେ ପିଲା ଦିନରୁ ଜାଣେ, ସେ ମା କୁ କହିଲା ଅଶୋକ ର କେମିତି ଦେହ ଖରାପ୍ ହେଇଥିବ ମୁଁ ଜାଣିଚି, ମା କହିଲେ ନାହିଁ ବାବୁ ତାକୁ ବିରକ୍ତ କରେନି।
ବରୁଣ କହିଲା , ମାଉସୀ ସେ ପାଠ ପଢୁଥିବ, ମୁଁ ଜାଣିଛି, ୦୨ ଦିନ ପୂର୍ବରୁ ଫର୍ମ ପକେଇଛି ସେଥିପାଇଁ ସେ ଭାବୁଥିଲା କୋଉ ଦିନ ଆରମ୍ଭ କରିବି।
ଆଜି ଭଲ ଦିନ ଦେଖି ଆରମ୍ଭ କରିଛି । ମା କହିଲେ , ହଁ ସେ ପଢୁଛି। ବରୁଣ କହିଲା ମୁଁ ସବୁ ଜାଣିଚି ମାଉସୀ !!!
ଏତିକି କହି ସେ ସିଧା ପହଞ୍ଚିଲା ମୋ ରୁମ୍ ପାଖରେ ମୁଁ ଭିତରୁ କବାଟ ବନ୍ଦ କରି ପଢ଼ିବାରେ ବ୍ୟସ୍ତ ।
ହଠାତ୍ କବାଟ ଠକ୍ ଠକ୍ ର ଶବ୍ଦ ଏବଂ ଆବେ କବାଟ ଖୋଲ, ମୁଁ ଜାଣିଛି ତୁ ଶୋଇନୁ, ପଢ଼ୁଛୁ, ଚାଲ୍ ମୁଁ ତତେ କିଛି କରିବିନି, କବାଟ ଖୋଲେ ।
ମୁଁ ବିଶ୍ୱାସ ରେ କବାଟ ଖୋଲିଲି କିନ୍ତୁ ସେ କମୀନା କବାଟ ଖୋଲୁ ଖୋଲୁ ରଙ୍ଗ ମୁଠା ଟି ସିଧା ମୋ ଉପରେ ଫୋପାଡି ଦେଲା । ମୋର କପଡା ଖରାପ କରିଦେଲା।
ମୋତେ ପ୍ରବଳ ରାଗ, କିନ୍ତୁ ରାଗ କୁ କଣ୍ଟ୍ରୋଲ କରି କହିଲି, ଆବେ କଣ କରିଲୁ । ବରୁଣ କହିଲା , ତୋତେ ଆଜି ଦିନ ଟା ମିଳିଲା, ପଢ଼ିବାକୁ ।
ମୁଁ କହିଲି, ଆବେ ସମୟ ହେଉନି ପଢିବି କେତେବେଳେ? ବରୁଣ କହିଲା, କାଲି ପଢ଼ିବୁ ଆଜି ଭଳିଆ ଦିନରେ ତୁ ହୋଲି ନ ଖେଳି ପାଠ ପଢ଼ିବୁ ଏଇଟା ହେବାକୁ ଦେବିନି ।
ଚାଲ୍ ଆଜି ହୋଲି ଖେଳିବା !!! ମୁଁ ମନା କରିଲି,
ସେ କହିଲା ବେଶୀ କଟ କଟ କରିବୁ, ମୋ ଠୁ ଖରାପ କେହି ହେବେନି, ତୁ ଭଲ ଭାବରେ ଜାଣିଛୁ । ବାଧ୍ୟ ହୋଇ ବାହାରିଲି ବରୁଣ ସାଙ୍ଗରେ ରଙ୍ଗ ଖେଳିବାକୁ।
ବରୁଣ କହିଲା , ଗୋଟେ କଥା ଶୁଣ, ଆମେ ସମସ୍ତେ DJ ଲଗେଇ ହୋଲି ଖେଳିବାକୁ ପ୍ରୋଗ୍ରାମ ହେଇଛି କିନ୍ତୁ DJ ବାଲା ଏବେ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଆସିନି ।
ତେବେ ଆମେ ଆଉ ଗୋଟିଏ ସ୍ଥାନ କୁ ଯିବା ସେଠୀ ଅଳ୍ପ ମସ୍ତି କରିବା । ମୁଁ କହିଲି, ମସ୍ତି ମାନେ ତୁ କିଛି କିଳା କରିବୁ, ନା ନା , ମୁଁ ତୋ ସାଙ୍ଗରେ ଯିବିନି ।
ବରୁଣ କହିଲା କେତେ ଡରକୁଳା ବେ ତୁ!!
ମୋତେ ଅପମାନ ଅନୁଭବ ହେଲା, କହି ଉଠିଲି, ନା ମୁଁ ଡରକୁଳା ନୁହଁ, ଚାଲ୍ କୁଆଡେ ଯିବୁ ଚାଲ !!!
ବରୁଣ କହିଲା ଏବେ ଭଲ ପିଲା ର ସଂକେତ ଦେଖା ଦେଲା । ତେବେ ଚାଲ୍…।
ଆମେ ଚାଲିଲୁ, ଶ୍ରୀକାନ୍ତ ଘରକୁ ସେ ରେଡ୍ଡୀ ହୋଇ ବସିଥାଏ । ଶ୍ରୀକାନ୍ତ ଆମ ଠାରୁ ଗୋଟିଏ ବର୍ଷ ଜୁନିଅର କିନ୍ତୁ ଆମର ଖାସ୍ ସାଙ୍ଗ ସେ ତାର ଛୋଟ ଭଣଜା ସହିତ ତରଙ୍ଗ ମ୍ୟୁଜିକ ଲଗେଇ ନାଚ କରୁଥାଏ ।
ଆମେ ପହଞ୍ଚିଲା ପରେ ସେଠୀ ସମସ୍ତେ ମିଶି ଅଳ୍ପ ନାଚ କରିଲୁ, ତାପରେ ଶ୍ରୀକାନ୍ତ ତାର ଆଇଡିଆ କହିଲା।
ଶ୍ରୀକାନ୍ତ ର ପଡିଶା ଚିଙ୍କି ର ଘର । ତା ସାଙ୍ଗ ସୁଜାତା। ସହର ରୁ ଆସିଛି। ଯେତେବେଳେ ମଧ୍ୟ ଦେଖ ୧/୩ ର ପ୍ୟାଣ୍ଟ୍ ଏବଂ ଟପ୍ ଟେ ପିନ୍ଧି ଦାଣ୍ଡ କୁ ବାରି ହେଉଥିବ ।
ଦେଖିବାକୁ ପୁରା ରଜନୀ ଗନ୍ଧା, ମାନେ କୋଉ ସେଣ୍ଟ ଲଗାଉଛି କେଜାଣି ସେ ଯୁଆଡ଼େ ଯିବ ଖାଲି ରଜନୀ ଗନ୍ଧା ର ବାସ୍ନା ହେଉଥାଏ ।
ଶ୍ରୀକାନ୍ତ ତାକୁ ନଜର ପକେଇ ଥିଲା କିନ୍ତୁ ଲାଇନ୍ ମାରିବା ପରୀକ୍ଷା ରେ ଫେଲ୍ । ଚିଙ୍କି ଏବଂ ବରୁଣ ମୋର କ୍ଲାସମେଟ ଏବଂ ପିଲା ଦିନ ର ସାଙ୍ଗ ।
ବେଳେବେଳେ ଚିଙ୍କି ଘରକୁ ନୋଟ୍ ଏବଂ ବୁକ୍ ପାଇଁ ଆସେ କିନ୍ତୁ ପଢା ସରିବା ପରେ ଆସିନଥିଲି।
ଏବେ ଚାଲନ୍ତୁ ମୁଖ୍ୟ ଘଟଣା ଉପରକୁ ।
ଶ୍ରୀକାନ୍ତ ର ଆଇଡିଆ ହେଲା ଯେ ତୁ ଯିବୁ ଚିଙ୍କି ଘରକୁ, ତୋ ପଛେ ପଛେ ଆମେ ଦୁଇ ଜଣ ଯିବୁ , ଶ୍ରୀକାନ୍ତ ଯାଇ ରଙ୍ଗ ଲଗାଇବ ସୁଜାତା ମୁହଁରେ ଏବଂ ଆମେ ଦୁଇ ଚିଙ୍କି ମୁହଁରେ ରଙ୍ଗ ଲଗେଇବୁ ।
ଆଇଡିଆ ଅନୁସାରେ ଘରେ ପ୍ରବେଶ କରିଲୁ। ଦୁହେଁ ଟିଭି ଦେଖୁଥିଲେ । ପଛ ପଟୁ ଧିରେ ଧୀରେ ଯାଇ ପହଞ୍ଚିଲୁ ତାଙ୍କ ପାଖରେ ।
ଯାହା ପ୍ଲାନ୍ ଥିଲା ତାହା ହିଁ ହେଲା କିନ୍ତୁ ଏ କଣ ସବୁ ଓଲଟା।
……………………………………
(ମୋତେ ହଠାତ୍ ଗୋଟିଏ ଶକ୍ତ ଚାପୁଡା ମିଳିଲା। ସମସ୍ତେ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ରେ ଚାହିଁ ରହିଲେ । ଯୋଉ ରେଞ୍ଜ ରେ ଚାପୁଡା ଲାଗିଛି ମୋର ଗାଲ ପକ୍କା ଲାଲ୍ ହୋଇଥିବ )
ଏହି କାହାଣୀ ଟି ଆପଣଙ୍କୁ କେମିତି ଲାଗିଲା କମେଣ୍ଟ କରି ନିଶ୍ଚୟ ଜଣେଇବେ ।

ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା…(End)

ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା....
ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା……
ସବୁ ଜାଗାରେ କେବଳ କାନ୍ଦ କଟା ସହିତ ଲୋକ ଙ୍କ ଭିଡ ।
ମୋ ମନରେ ପାପ ଛୁଇଁବାକୁ ଲାଗିଲା। ଭିଡ କୁ ସାଇଡ କରି ପହଞ୍ଚିଲି ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଘରେ।
ଦେଖିଲି ଜନ ସମୁଦ୍ର ମଧ୍ୟରେ ଦୁଃଖର ଲହରୀ ବାରମ୍ବାର କୂଳ ଛୁଇଁ ସମସ୍ତ ଙ୍କ ମନ ଉଦାସ କରୁଥାଏ ।
ପୁଣି ଥରେ ଆଗେଇ ଚାଲିଲି ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ଶୋଇବା ଘରକୁ ।
ସେଠୀ ଯାଇ ଦେଖିଲା ପରେ ମୋ ପାଦ ତଳୁ ମାଟି ଖସି ଗଲା।
କିଛି ସମୟ ପାଇଁ ମୋ ହୃଦୟ ସ୍ପନ୍ଦନ ବନ୍ଦ ହୋଇଗଲା ।
ମୋ ସାମ୍ନାରେ ନିସ୍ତେଜ ଅବସ୍ଥାରେ ପଡ଼ି ରହି ଥିଲା….
ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ଶବ……….
ଆଖିରେ ଆଖିଏ ଲୁହ ଧାର ର ଚିହ୍ନ ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଯେମିତି ନିଘୋଡ଼ ନିଦ୍ରା ରେ ଶୋଇ ଯାଇଛି।
ତାକୁ କେହି ଉଠେଇବାକୁ ଚେଷ୍ଟା କରୁ ନାହାନ୍ତି।
ଦଉଡ଼ି ଯାଇ ପହଞ୍ଚିଲି ଲୋପାମୁଦ୍ରା ପାଖରେ ।
ତା ହାତକୁ ଧରି ପାଟି କରି ଉଠେଇଲି କିନ୍ତୁ ସେ ନିସ୍ତେଜ ।
ସଙ୍ଗେ ସଙ୍ଗେ ଉଠେଇ ତାକୁ ଜାବୁଡି ଧରିଲି।
କାନ୍ଦିବାକୁ ଚେଷ୍ଟା କରୁଥିଲି କିନ୍ତୁ ମୋତେ ଅନୁଭବ ହେଉଥାଏ ମୁଁ ଯେମିତି ମୁକ ପାଲଟି ଯାଇଛି।
ମୋ ଆଖିରୁ ଲୁହ ଧାର ବହି ଚାଲିଥାଏ ।
ସେହି କ୍ଷଣ ଥିଲା ଆମ ଦୁଇ ଜଣଙ୍କ ଅନ୍ତିମ ଶରୀର ମିଳନ ।
ପାଖରେ ସମସ୍ତ ଙ୍କ କ୍ରନ୍ଦନ ର ଶବ୍ଦ କିନ୍ତୁ ମୁଁ ବଧିର ହୋଇ ସାରିଥିଲି।
ମୁଁ ଧିରେ ଧିରେ ଅଲଗା ଦୁନିଆକୁ ଗତି କରୁୁଥିଲି ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ କୁଣ୍ଢେଇ ତାକୁ ଉଠେଇବାକୁ ବହୁତ୍ ଚେଷ୍ଟା କରିଲି କିନ୍ତୁ ସେ କିଛି ଜବାବ ଦେଉ ନଥିଲା ।
ତାର ଶୀତଳ ଦେହ ମୋତେ ଅନୁଭବ ହେଉଥାଏ ।
ଆଙ୍ଗୁଠି ରେ ଥିଲା କେବଳ ମୋ ଗିଫ୍ଟ ରିଙ୍ଗ ।
ଅନ୍ୟ ହାତରେ ମୋର Teddy କୁ ଜାବୁଡି ଧରି ଶୋଇଥାଏ ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ମା କହିଲେ ପୁଅ, ସେ ଆଉ ନାହିଁ ସେ ଆମକୁ ଛାଡ଼ି ବହୁ ଦୂରକୁ ଚାଲି ଯାଇଛି ।
ଏହି କଥା ପଦକ ଶୁଣି ଏକ ଶକ୍ତ ବିଜୁଳି ଝଟକା ପୁଣି ଥରେ ମୋ ଦେହରେ ପ୍ରବାହିତ ହେଲା।
ଏକ ଲମ୍ବା ନିଃଶ୍ୱାସ ନେବା ପରେ ମୋର କ୍ରନ୍ଦନ ଶବ୍ଦ ଶୁଣାଗଲା।
ମୁଁ କାରଣ ଖୋଜିବାକୁ ଚେଷ୍ଟା କରିଲି କିନ୍ତୁ ସବୁ କିଛି ସାଧାରଣ ଥିଲା।
ଆତ୍ମହତ୍ୟା କରିବାର କିଛି ପ୍ରମାଣ ନାହିଁ।
ମୁକ ସାକ୍ଷୀ ଭାବରେ ସାନ ଭାଇ ସେହି ରୁମ୍ ରେ ତଳେ ବିଛଣା ପାରି ଶୋଇଥିଲା।
ସେ କହୁଥାଏ ଯୋଉ ସ୍ଥାନରେ ବାପା ପଡ଼ି ମୁଣ୍ଡ ମାଡ ହୋଇଥିଲା ସେହି ସ୍ଥାନରେ ରାତି ୧୨ ଟା ରୁ ୧ଟା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ବସିଥିଲା।
ପ୍ରାୟ ଘଣ୍ଟାଏ ବସିବା ପରେ ମୁଁ ଘରକୁ ଡ଼ାକି ଆଣି ଶୋଇବାକୁ କହିଲି ।
ରାତି ୨ଟା ରେ ମୋ ରୁମ୍ କୁ ଦିଦି ଆସି କହିଲା କି ମୋତେ ଡର ମାଡ଼ୁଛି ତୁ ଆସେ ମୋ ରୁମ୍ ରେ ଶୋଇପଡେ ।
ସେ କାନ୍ଦୁଥାଏ, ବାପା ଠିକ୍ ହୋଇଯିବେ ବୋଲି ବୁଝେଇବା ପରେ ସେ ମାନି ଗଲା ।
ସେ ଖଟ ଉପରେ ଶୋଇଲା ଏବଂ ମୁଁ ତଳେ…
କିନ୍ତୁ ସକାଳ ହେଲା ପରେ ସେ ଆଉ ଉଠୁନି।
ସବୁ ସ୍ପଷ୍ଟ ହୋଇ ଯାଇଥିଲା ଯେ ଏହା ଆତ୍ମହତ୍ୟା ନୁହେଁ ହେଲେ ଏମିତି ସମୟରେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ଅକାଳ ମୃତ୍ୟୁ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ଚକିତ କରି ଦେଇଥିଲା ।
ସମସ୍ତ ଙ୍କ ପାଇଁ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ମୃତ୍ୟୁ ଅଜଣା ରହସ୍ୟ ହୋଇ ରହିଗଲା ।
କୋକେଇ ସଜା ହେଲା ।
କିନ୍ତୁ ମୁଁ ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ ଛାଡ଼ିବାକୁ ନାରାଜ।
ସମସ୍ତେ ମୋତେ ବୁଝାଇଲେ।
ଏବଂ ମୋ ଠାରୁ ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ ଛଡେଇ ନେଇ କୋକେଇରେ ଶୁଆଇ ଦେଲେ ।
ମୁଁ ଦୌଡ଼ି ଯାଇ ତାକୁ ପୁଣି ଉଠେଇ ବାକୁ ଚେଷ୍ଟା କରିଲି।
ତାହା ଥିଲା ମୋର ଶେଷ ପ୍ରୟାସ।
(ଥରେ ମଜାରେ ମଜାରେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ମୋତେ କହିଥିଲା ଯେ ଯଦି ବାହାଘର ପୁର୍ବରୁ ମୋର ମୃତ୍ୟୁ ହୋଇଯାଏ ତମେ କଣ କରିବ??
ମୁଁ ରାଗରେ ତାର ମୁହଁ ବନ୍ଦ କରିଦେଇଥିଲି,
କିନ୍ତୁ ସେ କହିଥିଲା ଯଦି କିଛି କାରଣ ବଶତଃ ମୁଁ ମରିଯାଏ ତେବେ ମୋ ମଥାରେ ତମେ ନିଶ୍ଚୟ ସିନ୍ଦୂର ଦେବ ଏବଂ ତମେ ହିଁ ମୋ ଚିତାରେ ନିଆଁ ଲଗେଇବ,
ମୁଁ ସେହି କଥାରେ ରାଗି ଗୋଟିଏ ଦିନ ତା ସହିତ କଥା ହୋଇ ନଥିଲି।
ଆଜି ମନେ ହେଉଛି ଯେ,
ପ୍ରକୃତରେ ସେ ଜାଣିଥିଲା ଯେ ମୋତେ ଅଧ ବାଟରେ ସେ ଛାଡ଼ି ଚାଲିଯିବ )
ତାର କଥାକୁ ରଖି ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ମଥାରେ ସିନ୍ଦୂର ଦେଲି ।
ତାର ଇଚ୍ଛା କୁ ପୂରଣ କରିବାକୁ ଯାଇ ବାପାଙ୍କ ଠାରୁ ଅନୁମତି ମାଗି ତାର ଚିତାରେ ନିଆଁ ଲଗେଇଲି ।
କ୍ଷଣକ ମଧ୍ୟରେ ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ପାଉଁଶ ରେ ପରିଣତ ହୋଇଗଲା।
ଦୁହେଁ ବହୁତ୍ ଆଶା ରଖିଥିଲୁ ।
ଭବିଷ୍ୟତ ରେ କଣ କଣ କରିବୁ ସବୁ ଆଗୁଆ ସ୍ଥିର ଥିଲା।
ସବୁ କିଛି କ୍ଷଣକ ମଧ୍ୟ ରେ ଉଭେଇ ଗଲା।
ଶବ ସତ୍କାର କାମ ସରି ମୁଁ ଘରକୁ ଫେରିଲି।
ମୋବାଇଲ ଖୋଲିଲା ପରେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର କିଛି ମେସେଜ ଆସିଥିଲା ।
ସେହି ମେସେଜ ପଢ଼ି ମୋତେ ବହୁତ୍ କଷ୍ଟ ହେଲା,
ଆଖିରୁ ଲୁହ ରୋକିବାକୁ ଚେଷ୍ଟା କରିବାରେ ମୁଁ ଅସଫଳ ହେଉଥିଲି ।
ସେହି ମେସେଜ ମୋ ପାଇଁ ଅନ୍ତିମ ବାର୍ତ୍ତା ଥିଲା।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ସେହି ପୂର୍ବ ରାତିର ମେସେଜ ଆଜି ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ମୋ ମୋବାଇଲ ରେ ସାଇତି ରହିଛି । ତାହା ଥିଲା ;
ରାତି ୧.୧୫
ମୋତେ ଆଜି ବହୁତ୍ ଏକା ଏକା ମନେ ହେଉଛି।
ରାତି ୧.୧୭
ତମେ ଯେବେ ଘରକୁ ଆସିବ, ପ୍ରଥମେ ମୋତେ ଦେଖା କରିବାକୁ ଆସିବ।
ରାତି ୧.୨୦
ଜାଣିଛ ମୋତେ ବାରଣ୍ଡାରେ ମୋ ଜେଜେ ମା ଦେଖା ଦେଲେ ଏବଂ ସେ ବୁଝେଇ କହିଲେ ତୋ ବାପା ଶୀଘ୍ର ଠିକ୍ ହୋଇଯିବେ।
ରାତି ୧.୩୬
ଗୋଟିଏ ସତ କଥା ହେଲା , ବାପା ଙ୍କ ହସ୍ପିଟାଲ ଯିବା ଦିନ ଠାରୁ ମୁଁ ଭଲ ରେ ଖାଇ ପାରିନି ଏବଂ ଆଜି ମଧ୍ୟ ଭୋକରେ ଅଛି।
କାଲି ତମେ ଆସିଲେ, ତମେ ମୋତେ ତୁମ ନିଜ ହାତରେ ଖୁଆଇ ଦେବ ଏବଂ ମୁଁ ପେଟ ପୁରା ଖାଇବି।
ରାତି ୧.୪୫
ମୋତେ ଆଜି ଭାରି ଡର ଲାଗୁଛି….
ରାତି ୧.୪୮
ତମକୁ କହିଥିବା ମିଛ ଯୋଗୁ ମୋତେ ଏବଂ ମୋ ପରିବାର କୁ ଏତେ ସବୁ ଦଣ୍ଡ ଭୋଗିବାକୁ ପଡୁଛି।
ମୋ ଭୁଲ ପାଇଁ ମୋତେ କ୍ଷମା କରିଦେବ ।
ରାତି ୧.୫୫
ମୁଁ ଏବେ ଶୋଉଛି, ସକାଳେ ବାପା ଆସିବେ , ସକାଳୁ ଉଠି ରୋଷେଇ କରିବାକୁ ପଡ଼ିବ ।
ରାତି ୨.୨୫
ମୋତେ ନିଦ ଲାଗୁନି, କଣ କରିବି, ମୋତେ ଖାଲି ଡର ଡର ଲାଗୁଛି…………..
ରାତି ୨.୨୮
Love You, good night.
ତାପରେ ଆଉ କିଛି ମେସେଜ ନାହିଁ ।
ତୁମର ଏହି ମେସେଜ ମୋର ଶେଷ ଅନୁଭବ ଏବଂ ଶେଷ ସ୍ମୃତି ହୋଇ ରହିଗଲା ।
ମୋ ଭଲ ପାଇବା ଅଧୁରା ରହିଗଲ….
ସବୁ ସ୍ୱପ୍ନ ଅଧା କରି ଚାଲିଗଲ…
ଭଗବାନ କାହିଁକି ମୋ ଠାରୁ ତମକୁ ଅଲଗା କରିଦେଲେ ତାର ଉତ୍ତର ଆଜି ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଖୋଜି ପାଉନି।
ବେଳେବେଳେ ଭାବେ ମୋ ଯୋଗୁ ତୁମର ମୃତ୍ୟୁ ହୋଇନି ତ??
କିନ୍ତୁ ଏହି ପ୍ରଶ୍ନ ର ଉତ୍ତର ମୁଁ ମଧ୍ୟ ଖୋଜି ପାଉନି ।
ଲୋକେ କୁହନ୍ତି କିଛି ଆଶା ରଖି କାହାର ମୃତ୍ୟୁ ହୁଏ ତେବେ ସେ ପୁଣି ଏ ପୃଥିବୀ କୁ ଆସନ୍ତି ।
ଏବଂ ନିଜ ଆଶା ପୂରଣ କରି ପୁଣି ଫେରିଯାଆନ୍ତି
କିନ୍ତୁ ତାହା ମଧ୍ଯ ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ମିଥ୍ୟା ।
ଆଜକୁ ୩ ବର୍ଷ ବିତିବାରେ ଲାଗିଲାଣି, ଆଜି ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ତୁମର ଭଲ ପାଇବା କୁ ଭୂଲି ପାରୁନି ।
ତୁମ ବାଟକୁ ଚାହିଁ ରହିଛି ।
ଥରେ ଆସି ଦେଖା କରି ଯାଅ ।
ତୁମ ସାନୁ ତମ ଅପେକ୍ଷାରେ ଅଛି,
ସତରେ ନହେଲେ ନାହିଁ ସ୍ୱପ୍ନରେ ଆସି ଥରେ ଦେଖା କରି ଯାଅ ।
ଆଶା ଅଛି କେବଳ ଥରେ ମୋ ସାମ୍ନାରେ ଦଣ୍ଡାୟ ମାନ ହୋଇ ମୋ ଅଶାନ୍ତ ମନ କୁ ଶୀତଳ କରି ଚାଲିଯାଅ।
ଆମ ଭଲ ପାଇବା କୁ ଅମର କରିବା ପ୍ରୟାସ ରେ ତୁମ ଅପେକ୍ଷାରେ ଆଜି ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ବଞ୍ଚି ରହିଛି ।
ମୋର ଶେଷ ନିଃଶ୍ୱାସ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ତୁମକୁ ଭୂଲିବି ନା ଭୁଲି ପାରିବି ।
ଆଜି ମଧ୍ୟ ତୁମର ସେଇ ଶ୍ମଶାନ ମାଟି କୁ ସାଇତି ରଖିଥିବା ମାଟି କଳସ କୁ ବାରମ୍ବାର ସ୍ପର୍ଷ କରି ସେ ଭିତରେ ତୁମକୁ ବାରମ୍ଵାର ଖୋଜେ ।
ଚାଲିଯାଏ ତୁମର ସେ ସମାଧି ପାଖକୁ, ସେଠୀ ତୁମ ସ୍ମୃତିରେ ଲେଖା ଥିବା ଅକ୍ଷରକୁ ପଢ଼ିଦେଲେ ।
ମୋତେ ତୁମ ଉପସ୍ଥିତ ହେଲା ଭଳି ମନେ ହୁଏ ।
ସେ ଅକ୍ଷର ଏତେ ଲୋଭନିୟ ଯେ ସବୁଦିନ ପାଇଁ ମୋ ମନ ରେ ସ୍ମୃତି ହୋଇ ରହିଯାଇଛି ।
ସମାଧିରେ ଲେଖା ଥିବା ଅକ୍ଷର ଗୁଡିକ ହେଲା ” ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା…..”
ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା.......
ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା……..
ତୁମର ସାନୁ…………….
ନୀଳମାଧବ ଭୂୟାଁ (ଗାଳ୍ପିକ)
ବୁଗୁଡ଼ା, ଗଞ୍ଜାମ।
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ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା….(୭)

ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା....(୭)
ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା….(୭)
ଦିନେ ରଞ୍ଜିତ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଘରକୁ ଆସି ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ବାପା କୁ କହିଲା କି, ମାମୁଁ ମୁଁ ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ ବିବାହ କରିବାକୁ ଚାହେଁ ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ବାପା ମନା କରିଲେ ।
ବାପା କହିଲେ, ତାର ଆଉ ଅଳ୍ପ ଦିନ ପରେ ବାହାଘର ହେବ ।
ତୁ କଣ ପାଗଳ ହୋଇଗଲୁଣି ନା କଣ?
ରଞ୍ଜିତ କହିଲା , ମାମୁଁ, ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ କେବଳ ମୁଁ ହିଁ ବିବାହ କରିବି ।
ନହେଲେ ସବୁ ଅନର୍ଥ ହୋଇଯିବ ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ କହିଲା ତମେ ଚାଲ ମୋ ସାଙ୍ଗରେ କିନ୍ତୁ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ମନା କରିଲା ।
ରଞ୍ଜିତ ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ ମଧ୍ୟ ଧମକ ଦେଇ କହିଲା ତମେ ଯଦି ମୋତେ ବିବାହ କରିବନି ତେବେ ତମକୁ ଆଉ କାହାର ମଧ୍ୟ ହେବାକୁ ଦେବିନି ଏବଂ ତମ ଦୁଇ ଜଣଙ୍କୁ ସିଧା ଉପରକୁ ପଠେଇ ଦେବୀ ।
ଏତିକି କହି ରଞ୍ଜିତ ସେଠୁ ଚାଲିଗଲା ।
ସଙ୍ଗେ ସଙ୍ଗେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ମୋତେ ଫୋନ୍ କରି ଜଣାଇଲା ।
ମୁଁ ତାଙ୍କୁ ବୁଝେଇଲି କିଛି ହେବନି ଏବଂ ମୁଁ କିଛି କରୁଛି ।
ଏହି କଥା ମୁଁ ସୌରଭ କୁ କହିଲି , ସୌରଭ ର ସାଙ୍ଗ ଜଣେ ପୋଲିସ ରେ ଅଛନ୍ତି ।
ସୌରଭ ର ସାଙ୍ଗ ରଞ୍ଜିତ କୁ ଧମକ ଦେଇ ଆସିଲେ କି ସେ ଝିଅ ର ବାହାଘର ଠିକ୍ ହୋଇଯାଇଛି ।
ତୁ ତାକୁ ଧମକ ଦେଉଛୁ କହି ଦୁଇ ଚାପୁଡା ମାରି ଆସିଲେ ।
ସେଇ ଦୁଇଟି ଚାପୁଡା ପରେ ରଞ୍ଜିତ ବହୁତ୍ ରାଗ ସଞ୍ଚୟ କରି ରଖିଥାଏ ।
କିଛି ଦିନ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ପରିବେଶ ଶାନ୍ତ ରହିଲା ।
ତାର ଠିକ୍ ୮ ଦିନ ପରେ ହଠାତ୍ ରଞ୍ଜିତ ମଦ ରେ ଟୁନ୍ ହୋଇ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଘରକୁ ତାର ଦୁଇ ସାଙ୍ଗ ସହିତ ଆସିଲା ।
ଲୋପମୁଦ୍ରା କୁ ଜୋର୍ ଜବରଦସ୍ତି ଟାଣି ଆଣି କାର୍ ରେ ବସେଇ ବାକୁ ନେଲା। ଏତିକି ବେଳେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ବାପା ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ ଛଡେଇ ବାକୁ ଆସିଲେ ।
ରଞ୍ଜିତ ନିଶା ରେ ଧୃତ ସେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ବାପା କୁ ଠେଲିଦେଲା।
ରଞ୍ଜିତ ଠେଲିବା ଫଳରେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ବାପା ବାରଣ୍ଡା ରୁ ତଳକୁ ଗଡି ଗଡି ଚାଲିଗଲେ।
ମୁଣ୍ଡ ତଥା କାନ ରୁ ରକ୍ତ ବହି ଚାଲିଲା ।
ସଙ୍ଗେ ସଙ୍ଗେ ବେହୋସ୍ ।
ଏତିକି ଦେଖି ରଞ୍ଜିତ ଏବଂ ତାଙ୍କ ସାଙ୍ଗ ମାନେ ସେଠୁ କାର୍ ନେଇ ଚାଲିଗଲେ ।
ସଙ୍ଗେ ସଙ୍ଗେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ହସ୍ପିଟାଲ ତଥା ପୋଲିସ ଷ୍ଟେସନ ଫୋନ୍ କରି ଜଣାଇଲା ପରେ ଆମ୍ବୁଲାନ୍ସ ଆସି ବାପା ଙ୍କୁ ହସ୍ପିଟାଲ ନିଆ ଗଲା ।
ପାଖରେ ଯେଉଁ ହସ୍ପିଟାଲ ଥିଲା ସେଠୀ ଚିକିତ୍ସା ସମ୍ଭବ ନୁହେଁ କହିବା ପରେ ତାଙ୍କୁ ଅନ୍ୟ ଏକ ସହରର ହସ୍ପିଟାଲ କୁ ରେଫର୍ କରାଗଲା ।
ସହର ର ହସ୍ପିଟାଲ ରେ ଚିକିତ୍ସା ଯୋଗୁ ସେ ଅଳ୍ପ ସୁସ୍ଥ ହେଲେ କିନ୍ତୁ ମୁଣ୍ଡ ରେ ଆଘାତ ଯୋଗୁ ଶରୀର ର ବାମ ପଟର ପ୍ରତ୍ୟେକ ଅଙ୍ଗ କାମ କରିବା ବନ୍ଦ କରିଦେଲା( ପାରାଲିଶିସ୍) ।
ସେ ଏକ ଅର୍ଦ୍ଧ ଜିଅନ୍ତା ଶବ ହୋଇ ପଡ଼ି ରହିଲେ ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ବିବାହ ପାଇଁ ଯେତକ ଟଙ୍କା ଯୋଗାଡ କରି ରଖା ଯାଇଥିଲା ତାହା ଧିରେ ଧିରେ ଖର୍ଚ୍ଚ ହେବାକୁ ଲାଗିଥିଲା ।
ଏପଟେ ବାହାଘର ହେବାକୁ ୨୫ ଦିନ ବାକି ଥିଲା।
ସମସ୍ତେ ଚିନ୍ତାରେ ଦିନ କାଟୁଥାଆନ୍ତି
ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଏବଂ ତାଙ୍କ ମା ଙ୍କ ପୋଲିସ ରିପୋର୍ଟ ପରେ ରଞ୍ଜିତ ଏବଂ ତାଙ୍କ ଦୁଇ ସାଙ୍ଗ କୁ ଗିରଫ କରି ଜେଲ ପଠାଗଲା ।
ପ୍ରାୟ ତିନି ଦିନ ଚିକିତ୍ସା ପରେ ଡାକ୍ତର ବାବୁ କହିଲେ ଆପଣଙ୍କ ସ୍ବାମୀ କେବେ ଠିକ୍ ହେବେ କିଛି କହିପାରିବୁ ନାହିଁ କିନ୍ତୁ ତାଙ୍କୁ ପ୍ରତିଦିନ ସେବା କରନ୍ତୁ ।
ଯଦି ଭଗବାନ ଙ୍କ କୃପା ହୁଏ ତେବେ ସେ ବହୁତ୍ ଶୀଘ୍ର ଠିକ୍ ହୋଇଯିବେ ।
କିଛି ସମୟ ପରେ ଡ଼ାକ୍ତର ବାବୁ କହିଲେ ଯେ ଆସନ୍ତା କାଲି ଆପଣଙ୍କ ସ୍ବାମୀ କୁ ଏଠୁ ନେଇ ନିଜ ଘରକୁ ଯାଇ ପାରିବେ ।
ଘରକୁ ନେବା ପାଇଁ ଆମ୍ବୁଲାନ୍ସ ଦିଆଗଲା କିନ୍ତୁ ସେଥିରେ କେବଳ ୦୨ ଜଣ ଯାଇପାରିବେ ବୋଲି କହିବା ପରେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଏବଂ ସାନ ପୁଅ କୁ ବସ୍ ରେ ଘରକୁ ପଠେଇ ଦେଲେ ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ବାପା ଏବଂ ମା ସେ ଆମ୍ବୁଲାନ୍ସ ରେ ଆସିଲେ ।
ଏପଟେ ମୁଁ ଗାଁ କୁ ଯିବା ପାଇଁ ଟିକେଟ କାଟିଲି।
ଯେତେବେଳେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ବାପା ଘରକୁ ପହଞ୍ଚିବେ ସେଦିନ ମୁଁ ମଧ୍ୟ ଘରେ ପହଞ୍ଚିବି ।
ମୁଁ ଚାଲିଲି ଘର ଅଭିମୁଖେ ।
ସେଦିନ ରାତିରେ ଟ୍ରେନ ରେ ବସି ରାତି ୧୨ଟା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ସହ କଥା ହୋଇ ରଖିଲି ।
ସେ କେବଳ ନିଜକୁ ଦୋଷ ଦେଇ ଚାଲିଥିଲା । ଯାହା ସବୁ ହେଉଛି ସବୁ ମୋର ଯୋଗୁ ହେଉଛି।
ମୁଁ କଳଙ୍କିନି, ମୁଁ ଖରାପ କହି ନିଜକୁ ଦୋଷ ଦେଇ କାନ୍ଦି କାନ୍ଦି କହୁଥାଏ ।
ମୁଁ ବାରମ୍ବାର ବୁଝେଇ ତାକୁ ଫୋନ ରଖି ଶୋଇବାକୁ କହିଲି, ତାପରେ ସେ ଶୋଇବାକୁ ଗଲା ।
ମୋର ମୋବାଇଲ ର ଚାର୍ଜ ସରିବା ଯୋଗୁ ସ୍ୱିଚ ଅଫ ହୋଇଗଲା । ପାୱାର ବ୍ୟାଙ୍କ୍ ର ଚାର୍ଜ ମଧ୍ୟ ସରି ଯାଇଥିଲା ।
ସକାଳୁ ଟ୍ରେନ ରୁ ଓହ୍ଲାଇ ବସ ଷ୍ଟାଣ୍ଡ ରେ ଭାବିଲି ମୋବାଇଲ୍ ଚାର୍ଜ କରିବି କିନ୍ତୁ ଘଣ୍ଟାକ ପରେ ପହଞ୍ଚି ଯିବି ଭାବି ଚାର୍ଜ ନ କରି ସିଧା ଘରକୁ ଗଲି।
ନିଜ ଘରେ ପହଞ୍ଚି ଶୀଘ୍ର ଫ୍ରେସ୍ ହୋଇ ଚାଲିଲି ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଘରକୁ ।
ମୋବାଇଲ୍ ଘରେ ଚାର୍ଜ ରେ ଲାଗିଛି , ଫୋନ୍ ON କରିଲି ନାହିଁ ।
ଭାବିଲି ଯଦି ଘରେ ପହଞ୍ଚି ଗଲିଣି ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ ଫୋନ୍ କରି କାହିଁକି କହିବି।
ମୁଁ ଚାଲିଲି ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଘରକୁ ଏବଂ ସେଠୀ ଯାଇ ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ ସରପ୍ରାଇଜ ଦେବି ।
ମୋବାଇଲ କୁ ସେଠୀ ଛାଡ଼ି ଆସିଲି ।
ମନରେ କେତେ ଆଶା ବାନ୍ଧି ଆସିଛି।
୪ ଦିନ ପରେ ସୌରଭ ଆସିବ ଏବଂ ଆମେ ଦୁଇ ପରିବାର ମିଶି ବଣ ଭୋଜି କରିବୁ ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା କହିଥିଲା ବାହାଘର ପୂର୍ବରୁ ତାକୁ ବାଇକ୍ ଚଳେଇବା ଶିଖେଇ ଦେବା ପାଇଁ ।
ବାହାଘର ରେ କଣ ଲାଗିବ , କେମିତି କରା ଯିବ ସବୁ ଆଇଡିଆ ଦୁହେଁ ସ୍ଥିର କରିବୁ।
ଏମିତି ବହୁତ୍ କିଛି ଭାବି ଭାବି ମୁଁ ପହଞ୍ଚିଲି ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ଗାଁ ରେ ।
……………………………………..
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( ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଘରେ ମୋତେ ବିଚିତ୍ର ପରିବେଶ ଦେଖିବାକୁ ମିଳିଥିଲା )
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ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା…(6)

ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା...(6)
ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା…(6)
ରଞ୍ଜିତ ର ସାଙ୍ଗ: ଭାଇ ଗୋଟିଏ କାମ କର, ଗୋଟିଏ ଭିଡିଓ ମଧ୍ୟ ବନେଇବ । ବ୍ଲାକ ମେଲ୍ କରିବାକୁ ତମକୁ ଅସୁବିଧା ହେବନି ।
ରଞ୍ଜିତ: ମୋର ମୁଖ୍ୟ କାମ ହେଲା, ତା ବାପା ମା ଙ୍କ ଏବଂ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ଇଜ୍ଜତ୍ ଯୋଉ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ମାଟିରେ ମିଶେଇନି ସେ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ମୁଁ ଚୁପ୍ ବସିବିନି ।
ବହୁତ୍ ଥର ଚେଷ୍ଟା କରିଛି କିନ୍ତୁ ସବୁ ଜାଗାରେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ମନା କରିଛି କିନ୍ତୁ ଆଜି ନିଶ୍ଚିତ ହେବ ।
ରଞ୍ଜିତ ର ସାଙ୍ଗ: ସେ ତୋଟା କୁ ଆସିବ ତ??
ରଞ୍ଜିତ: ମୋ ପାଖରେ ତାକୁ ମନେଇବା ର ବହୁତ୍ ଉପାୟ ଅଛି । ସେ ମୋ ଉପରେ ବହୁତ୍ ବିଶ୍ୱାସ କରେ ।
ଏତିକି ଶୁଣି ଲୋପାମୁଦ୍ରା କାନ୍ଦ କାନ୍ଦ ହୋଇ ମନ୍ଦିର ରୁ ବାହାରି ଗଲା ଏବଂ ଦଉଡ଼ି ଚାଲିଲା ନିଜ ଘର ଆଡ଼କୁ ।
ସନ୍ତୁ ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ ଦେଖୁଥାଏ , ହଠାତ୍ କୁନା କୁ କହିଲା ଭାଉଜ ମନ୍ଦିର ରୁ ବାହାରି ରୋଡ କୁ ଗଲେଣି ମାତ୍ର କାନ୍ଦି କାନ୍ଦି ଯାଉଛନ୍ତି ।
କୁନା ସନ୍ତୁ କୁ କହିଲେ ତୁ ଏଠି ରହ ମୁଁ ଦେଖି ଆସୁଛି କହି ବାଇକ୍ ଧରି ଚାଲିଲା ।
ରାସ୍ତାରେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ ଦେଖି ପଚାରିଲା, ଭାଉଜ ତମେ ଏଠି????
ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଲୁହ କୁ ପୋଛି, କିଛି ନ କହି ଧିରେ ଧୀରେ ଚାଲିବାକୁ ଲାଗିଲା ।
କୁନା: ଭାଉଜ ଡର ନାହିଁ, ମୁଁ ସାନୁ ଭାଇ ଙ୍କ କ୍ଲାସ୍ ମେଟ୍ ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: (ମନରେ ଭୟ ଥାଇ) ତମକୁ ମୁଁ ଜାଣିନି, ତମେ ଯାଅ। କହି ଅଳ୍ପ କାନ୍ଦ କାନ୍ଦ ହୋଇ ଚାଲି ବାକୁ ଲାଗିଲେ ।
କୁନା: (ମୋବାଇଲ୍ ବାହାର କରି) ଦେଖ ଭାଉଜ, ସୌରଭ ଭାଇ ର ବାହାଘର ଫୋଟୋ ସେଠୀ ସାନୁ ଭାଇ ମଧ୍ୟ ଅଛନ୍ତି ଏବଂ ତମେ ମଧ୍ୟ ଆସିଥିଲ ସେଠୀ ।
(ଫଟୋ ଦେଖି ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ବିଶ୍ୱାସ ହେଲା)
କୁନା: କୁଆଡେ ଯାଇଥିଲ?
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: (ଆଖି ଲୁହ କୁ ପୋଛି) ଏହି ମନ୍ଦିର କୁ ଆସିଥିଲି , ମୋତେ ଭଲ ଲାଗୁନି ତ ଚାଲିଯିବି ।
କୁନା: କେମିତି ଯିବ, ଏଠୁ ତ ଘର ୫ କିମି ହେବ ।
ଚାଲ ମୁଁ ଛାଡ଼ି ଦେବୀ
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ନା ନା, ମୁଁ ଚାଲିଯିବି।
କୁନା: ତମେ ମନା କରନି, ମୋ ଉପରେ ବିଶ୍ବାସ କର, ମୁଁ ତୁମକୁ ଘରେ ଛାଡ଼ି ଦେବୀ।
ତାପରେ କୁନା ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ ଘରେ ଛାଡ଼ି ସନ୍ତୁ କୁ ଆଣିବାକୁ ଗଲା ।
ଘରେ ପହଞ୍ଚିଲା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର କାନ୍ଦ ବନ୍ଦ ହୋଇ ନଥିଲା ।
ଘରେ ପହଞ୍ଚି ସିଧା ବେଡ ରୁମ୍ କୁ ଯାଇ କାନ୍ଦିବାକୁ ଲାଗିଲା।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ମା ପଚାରିଲେ କଣ ହେଲା? ଝିଅ???
ଲୋପାମୁଦ୍ରା ମା କୁ କହିଲେ, ମା ମୁଁ କିଛି ସମୟ ଏକା ରହିବାକୁ ଚାହୁଁଛି କହି ବାଥରୁମ୍ କୁ ଚାଲିଗଲା ।
ବାଥରୁମ୍ ରେ ବହୁତ୍ ସମୟ କାନ୍ଦିବା ପରେ । ବାହାରକୁ ଆସିଲା।
ଏପଟେ କୁନା ସଙ୍ଗେ ସଙ୍ଗେ ମୋତେ ସବୁ କଥା କହିଲା ।
ମୁଁ ବାରମ୍ବାର କଲ୍ କରିଲି କିନ୍ତୁ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଫୋନ୍ କୁ Silent କରି ରଖିଥିଲା ।
ପ୍ରାୟ ୧୫-୨୦ ଥର କଲ୍ ପରେ , ମୋତେ ଗୋଟିଏ ମେସେଜ ଆସିଲା, ମୁଁ ଯାହା କରୁଥିଲି ସବୁ ଭୁଲ କରୁଥିଲି ।
Sorry!!!
ପ୍ରକୃତରେ ତମେ ଠିକ୍ ଥିଲ ମୁଁ ଭୁଲ ଥିଲି।
Sorry!!!
ମୋତେ କ୍ଷମା କରିଦେବ ।
ତମ କଥା ମାନି ନଥିଲି ଏବଂ ମୁଁ ଭାବୁଥିଲି ତମେ ମୋ ଉପରେ ଜାଣିଶୁଣି ବାରଣ କରୁଛ ।
ମୁଁ ତୁମକୁ ଖରାପ ଭାବୁଥିଲି, ସେଥିପାଇଁ ମୁଁ ଆଜି ନିଜକୁ ଖରାପ ମନେ କରୁଛି ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା ନିଜ ଭୁଲ ବୁଝି ପାରିଲା ଏବଂ ସବୁ କଥା କହିଲା ଏବଂ ସେତେବେଳେ ମୁଁ କହିଲି ଯେ , ତମେ ଯେଉଁ କଥା ଆଜି କହୁଛ ମୁଁ ସେହି ଦିନ ସେହି ସମୟର ସବୁ କଥା ଜାଣି ପାରୁଥିଲି ।
ସେ ସବୁ ଘଟଣା ର ପ୍ରମାଣ ହିସାବରେ ମୋ ପାଖରେ ଫୋଟୋ ଏବଂ ଭିଡିଓ ଅଛି ।
ଏତିକି ଶୁଣି ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ରେ କହିଲା ତମେ ସବୁ ଜାଣି ଥିଲ ତେବେ ମୋତେ ସତ ସତ କହି ଦେଇ ଥାନ୍ତ।
ମୁଁ କହିଲି କି ତମେ ମିଛ ଉପରେ ମିଛ କହି ଚାଲିଥିଲ କିନ୍ତୁ ମୁଁ ପ୍ରମାଣ ଯୋଗାଡ କରିବାରେ ଲାଗିଥିଲି।
ଆଜି ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ତମେ ମିଛ କହିଛ କିନ୍ତୁ ଭୁଲ ରାସ୍ତା କୁ ଗତି କରିନ ଏବଂ ତମ ଭୁଲ କୋଉଠି ଦେଖା ଯାଇନି।
ଯେବେ ତମେ ଭୁଲ କରିଥାନ୍ତ ସେଦିନ ତମକୁ କହିଥାନ୍ତି ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା କାନ୍ଦି କାନ୍ଦି ନିଜର ପ୍ରତିଟି ଭୁଲ କୁ ସ୍ବୀକାର କରି ମୋତେ କ୍ଷମା ମାଗିଲା ଏବଂ ରଞ୍ଜିତ ର ଫୋନ୍ କଲ୍ ବିଷୟରେ ସବୁ କଥା କହିଲା ।
ମୁଁ ବୁଝେଇଲି , ସତର୍କ ରୁହ ସେ ରଞ୍ଜିତ ଠାରୁ ମୁଁ ଆଗରୁ ଜାଣିଥିଲି ତାର ଚରିତ୍ର ଠିକ୍ ନୁହେଁ ।
ସେ ମୋ ରାଣ ଖାଇ କହିଲା, ଆଉ କେବେ ଭୁଲ ହେବନି। ଏଇ ଭୁଲ ପାଇଁ ମୋତେ କ୍ଷମା କରିଦିଅ ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ପ୍ରତିଟି ଭୁଲ କୁ ମୁଁ କ୍ଷମା କରିଦେଲି ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଘରେ କହିଲା ଯେ ରଞ୍ଜିତ ଆମ ଘରର ଅମଙ୍ଗଳ ଚାହୁଁଚି ଏବଂ ଆମକୁ ସମସ୍ତଙ୍କ ସାମ୍ନାରେ ଅପମାନ କରି ମୋ ଜୀବନ ନଷ୍ଟ କରିବାକୁ ଚାହୁଁଛି।
ସନ୍ଧ୍ୟାବେଳେ ରଞ୍ଜିତ ଘରକୁ ଆସିଲା ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ ପଚାରିଲା ତମେ ସେଠୁ ମୋତେ ନ କହି କେମିତି ଚାଲି ଆସିଲ ।
ରଞ୍ଜିତ ଫୋନ୍ ରେ କହିଥିବା କଥା ବିଷୟରେ ଘରେ ରଞ୍ଜିତ କୁ ପଚାରିଲେ କିନ୍ତୁ ରଞ୍ଜିତ ନିଜ ଭୁଲ ମାନିଲା ନାହିଁ ଏବଂ ମିଛ ଉପରେ ମିଛ କହି ଚାଲିଲା।
କିନ୍ତୁ ସେଠୀ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ରଞ୍ଜିତ ର ସବୁ କଥା ର ରେକର୍ଡିଂ କରି ରଖି ଥାଏ।
ସେ ସମସ୍ତଙ୍କ ସାମ୍ନାରେ ସେ ସବୁ ରେକଡିଂ ଶୁଣେଇଲା।
ତାପରେ ରଞ୍ଜିତ ପାଖରେ କିଛି ଉତ୍ତର ନଥିଲା ସେ ମାମୁଁ, ମାଇଁ କୁଁ ଭୁଲ ମାଗି କହିଲା ମଦ ନିଶାରେ ଏମିତି କହିଛି ବୋଲି, ମାମୁଁ, ମାଇଁ ଙ୍କ ଗୋଡ଼ ତଳେ ପଡି କ୍ଷମା ମାଗିଲା ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ବାପା ତାକୁ କହିଲେ , ତୁ ଯେତେ ଶୀଘ୍ର ପାରୁଛୁ ଏଠୁ ବାହାରି ଯାଆ ।
ରଞ୍ଜିତ ସେଠୁ ବାହାରିଗଲା ।
ତା ପର ଠାରୁ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଏବଂ ମୋର ପ୍ରେମ ଗାଡି ପୁଣି ଥରେ ଦ୍ରୁତ ଗତିରେ ଆଗେଇ ଚାଲିଲା ।
ତାପର ଠାରୁ ସବୁ ଯେମିତି ସାଧାରଣ ହୋଇ ଗଲା ।
ଦିନେ ରାତି 12 ଟା ରେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ଫୋନ୍ ଆସିଲା । ସେତେବେଳେ ମୋତେ ଅଳ୍ପ ନିଦ ଆସିଲାଣି ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ଫୋନ୍ ଦେଖି ମୁଁ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ହେଲି ।
ଫୋନ୍ ଉଠେଇବା ପରେ ଜାଣିଲି ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଖୁସିରେ ପାଗଳ।
ସେ ଏତେ ଖୁସି ଯେ କିଛି କହିବା ପୂର୍ବରୁ।
ମୋତେ ୫ ଥର I Love You କହି ସାରିଲାଣି ।
ସାନୁ : ଆରେ କଣ ହୋଇଛି କୁହ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ତମେ ଏତେ ବଡ଼ ଜିନିଷ ଟିଏ ଦେଇଛ ମୋତେ କାହିଁକି କହି ନଥିଲ ।
ସାନୁ : କଣ, ବଡ ଜିନିଷ???
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ତମ Teddy !!! ମନେ ପଡ଼ିଲା।
ସାନୁ : (ଅଳ୍ପ ହସି ପଚାରିଲି) , କଣ ହେଲା କି ?
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: କଣ ହେଲା, ତମେ ଯେବେଠୁ ଦେଇଛ ନା, ସେହି ଦିନ ଠୁ ଆଜି ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ତାକୁ ସାଇତି ରଖିଥିଲି ।
ତମେ ଥରେ ମୋତେ ପଚାରିଥିଲ ନା, ସେ Teddy କୁଆଡେ ଗଲା ।
ମୁଁ କହିଥିଲି ଆଲମାରୀ ରେ ରଖିଛି ।
କିଛି ସମୟ ପୂର୍ବରୁ ତମେ ଦେଇଥିବା ସବୁ ଜିନିଷ ଦେଖୁଥିଲି ।
ଏବଂ ତୁମର Teddy ମଧ୍ୟ ଦେଖିଲି।
ସତରେ ତମେ ବହୁତ୍ ଖରାପ।
ତମେ ସବୁ ଜାଣି କାହିଁକି ଚୁପ୍ ରହିଛ?
ସାନୁ : କଣ ହେଇଛି କହିବ??
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ତମ Teddy ପେଟରେ ଗୋଟିଏ ଛୁଆ ଥିଲା ।
ଆଜି ତାକୁ ପାଇଲି, ସେ ଥିଲା ଗୋଟିଏ Gold Ring 💍 !!!! ।
ସାନୁ : ଯାହା ହେଉ, ଆଜି ଜାଣିଲ, ତ ମୁଁ ଭାବୁଥିଲି, ବାହାଘର ପରେ ମୋତେ ହିଁ କହିବାକୁ ପଡ଼ିବ ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ଏତେ ଦାମୀ ଜିନିଷ ତମେ ଗୋଟିଏ ଛୋଟିଆ Teddy ଭିତରେ ଦେଇଛ, ପୁଣି ମୋତେ କହିନ?? ସେଥିପାଇଁ ମୁଁ ତୁମ ଉପରେ ବହୁତ୍ ରାଗିଛି ।
ସାନୁ : ଏବେ ଅଳ୍ପ ସମୟ ପୂର୍ବରୁ ଖୁସିରେ ପାଗଳ ଥିଲ, ଏବେ ପୁଣି କଣ ହେଲା?
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ଏତେ ଦାମୀ ଜିନିଷ ଦେବା ପରେ ମୋତେ କହି ଦେଉଥାଅ ।
ଯଦି ତାକୁ କିଏ ନେଇ ଚାଲି ଯାଆନ୍ତା ତେବେ କଣ ହୋଇଥାନ୍ତା।
ସାନୁ : ତମକୁ ବେଳେବେଳେ ମୋର ପ୍ରଥମ ଗିଫ୍ଟ ବିଷୟରେ ପଚାରେ ନା?
ମୁଁ ଜାଣିଛି ସେ ସୁରକ୍ଷିତ ସ୍ଥାନରେ ଅଛି ।
ସେଥିପାଇଁ ମୁଁ ଚୁପ୍ ଥିଲି ।
ସେଦିନ ରାତି ରେ ବହୁତ୍ କଥା ହେଲୁ , ଶୋଇଲା ବେଳକୁ ସକାଳ ୪.୩୦ ହେଲାଣି ।
ସବୁଠୁ ଅଧିକା ସମୟ ସେ ରାତିରେ କଥା ହୋଇଥିଲି ।
………………………………………….
ଭାଗ-୦୭ ରେ ପଢ଼ିବେ…
(ତମେ ଯଦି ମୋତେ ବିବାହ କରିବନି ତେବେ ତମକୁ ଆଉ କାହାର ମଧ୍ୟ ହେବାକୁ ଦେବିନି ଏବଂ ତମ ଦୁଇ ଜଣଙ୍କୁ ସିଧା ଉପରକୁ ପଠେଇ ଦେବୀ )
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ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା…(5)

ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା...(5)
ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା…(5)
ପାଞ୍ଚ ମାସ ପରେ ସୌରଭ ଏବଂ ମୁଁ ଛୁଟି ଆସିଲୁ । ଦିନ ଧାର୍ଯ୍ୟ ହେଲା ଏବଂ Engagement ମଧ୍ୟ ସରିଲା । ସବୁ କାମ ଠିକ୍ ଠାକ୍ ରେ ସରିଲା ।
ଘରୁ ଆଦେଶ ମିଳିବା ପରେ ବାଇକ୍ ରେ ବୁଲାବୁଲି ମଧ୍ୟ ଚାଲିଲା ।
ଦୁହେଁ ବହୁତ୍ ସ୍ଥାନ ବୁଲିଲୁ।
ଆମର ପ୍ରତି ଟି ମୁହୂର୍ତ୍ତ ଏକା ସାଙ୍ଗରେ ବିତେଇଲୁ ।
ସୌରଭ ମଧ୍ୟ ସାହାଯ୍ୟ କରୁ ଥାଏ । ପ୍ଲାନ୍ କେବଳ ସୌରଭ ର ।
କିଛି ଦିନ ବୁଲା ବୁଲି ପରେ ପୁଣି ଫେରି ଆସିଲି ବାଙ୍ଗାଲୋର କୁ ।
ଏବେ ସିଧା ଯିବାର ଅଛି ବାହାଘର କୁ..
ଇତି ମଧ୍ୟରେ ଆଉ ଜଣେ ଖଳ ନାୟକ ଆମ ଜୀବନ ରେ ପ୍ରବେଶ କରିଲା ।
ରଞ୍ଜିତ,
ରଞ୍ଜିତ ହେଉଛି ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ପିଉସୀ ପୁଅ।
ମାସ ପରେ ରଞ୍ଜିତ ଦିଲ୍ଲୀ ରୁ ଫେରିଛି ।
ସେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ ବିବାହ କରିବାକୁ ଚାହୁଁଥିଲା ମାତ୍ର ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ପରିବାର ଲୋକ ରଞ୍ଜିତ ସହିତ ବିବାହ ଦେବାକୁ ବିଲକୁଲ ଇଚ୍ଛା ନାହିଁ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ବାପା ଙ୍କ ମତ ଯେ ସମ୍ପର୍କ ଭିତରେ ମୁଁ ମୋ ଝିଅ କୁ ବାହା ଦେବିନି କିନ୍ତୁ ରଞ୍ଜିତ ସବୁବେଳେ ଆଶା କରି ରହିଥାଏ ।
ଅନ୍ୟ ଏକ କାରଣ ଅଛି ଯାହା ସମୟ ସହିତ ଗୁପ୍ତ ହୋଇ ଢାଙ୍କି ହୋଇଯାଇଛି। ତାହା ହେଲା, ରଞ୍ଜିତ ର ବାପା ମା ପ୍ରେମ ବିବାହ କରିଥିଲେ ।
ଏହି ଘଟଣା ଯୋଗୁ ରଞ୍ଜିତ ର ମାମୁଁ ମାନେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ବାପା ତାଙ୍କ ଭଉଣୀ ଉପରେ ରାଗି ତାଙ୍କୁ ସେ ଘର ସହିତ ସବୁ ସମ୍ପର୍କ କାଟି ଘରୁ ବାହାରି ଯିବାକୁ ଆଦେଶ ଦେଇ ଥିଲେ।
ଯେତେବେଳେ ରଞ୍ଜିତ ଜନ୍ମ ହେଲା, ସେତେବେଳେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ବାପା ଭଉଣୀ ର ଦାରିଦ୍ର୍ୟ ଦୁର୍ଦ୍ଦଶା ଦେଖି ପୁଣି ଥରେ ଭଉଣୀ କୁ ନିଜ ପରିବାର ର ସଦସ୍ୟ ଭାବେ ମାନ୍ୟତା ଦେଲେ।
ବର୍ତମାନ ଏହି ଘଟଣା ବିଷୟରେ ରଞ୍ଜିତ ଜାଣିପାରିଛି । ସେ ନିଜ ମାମୁଁ, ମାଇଁ ଙ୍କୁ ସମସ୍ତଙ୍କ ସାମ୍ନାରେ ଅପମାନ କରିବ ଏବଂ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ଜୀବନ ନଷ୍ଟ କରିବା ତାର ମୁଖ୍ୟ ଲକ୍ଷ୍ୟ ଥାଏ ।
ମାତ୍ର ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ ଏ ବିଷୟରେ କିଛି ଖବର ନଥିଲା।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଏବଂ ରଞ୍ଜିତ ଭଲ ସାଙ୍ଗ ହୋଇ ପିଲା ରୁ ବଡ ହୋଇ ଆସିଛନ୍ତି ।
ରଞ୍ଜିତ ଯେବେ ଦିଲ୍ଲୀ ରୁ ଆସେ ସେ ଦୁଇ ଜଣ ସାଥୀ ହୋଇ ବୁଲନ୍ତି ମଜା ମସ୍ତି କରନ୍ତି ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ ମଜା ମସ୍ତି କରିବା ପାଇଁ ତାର ପୁରୁଣା ବନ୍ଧୁ ମିଳିଯାଇଛି ।
ସେଥିରେ ଭଲପାଇବା ନାହିଁ, ଥିଲା କେବଳ ବନ୍ଧୁତା ।
ହଠାତ୍ ଦିନେ ମୋର ସାଙ୍ଗ କୁନା Whatsapp ରେ ଗୋଟିଏ ଫୋଟୋ ପଠାଇଲା ।
ସେଥିରେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଏବଂ ରଞ୍ଜିତ ପାଣି ପୁରୀ ଖାଉଥିବା ଫୋଟୋ ଥିଲା ।
ସେ ଫୋଟୋ ଦେଖି ମୋତେ ରାଗ ଲାଗିଲା କଣ କରିବି ଭାବି କୁନା କୁ କହିଲି ତୁ ନଜର ରଖ ତାଙ୍କ ଉପରେ ।
ଏପଟେ ଫୋନରେ କଥା ବାର୍ତ୍ତା ଚାଲିଥାଏ । ଲୋପାମୁଦ୍ରା ମୋତେ ରଞ୍ଜିତ ବିଷୟରେ କହିବା ପରେ ମୁଁ ତାକୁ ତାଗିଦ୍ କରି କହିଲି ତା ଠୁ ଦୂରେଇ ରୁହ ।
ମୋ କଥାକୁ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଖାତିର୍ ନ କରି ରଞ୍ଜିତ ସାଙ୍ଗରେ ବୁଲାବୁଲି ଚାଲୁ ରଖିଥାଏ ।
ଏମିତି ବେଳେବେଳେ ବହୁତ୍ ଫୋଟୋ ମୋତେ ମିଳୁଥାଏ ।
ମୁଁ ପ୍ରତ୍ୟେକ ଥର ମନା କରୁଥାଏ କିନ୍ତୁ ଲୋପାମୁଦ୍ରା କହେ ଏଥର ଭୁଲ ହେଇଗଲା ଆଉ ଯିବିନି ରଞ୍ଜିତ ସାଙ୍ଗରେ କହି ପୁଣି ବୁଲିବାକୁ ଯାଉଥାଏ ।
ମୁଁ ବାରମ୍ବାର କହିବା ପରେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ରଞ୍ଜିତ କୁ ମୋ କଥା କହିଲା ଯେ ମୋର ସାନୁ ସହିତ ବାହାଘର ହେବ ।
ତମ ସାଙ୍ଗରେ ଆଉ ବୁଲାବୁଲି କରିବି ନାହିଁ କିନ୍ତୁ ରଞ୍ଜିତ ବାଧ୍ୟ କରି ତାକୁ ନେଇଯାଏ।
ଦିନେ ସକାଳେ ହଠାତ୍ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର କଲ୍ ଆସିଲା କି ବହୁତ୍ ଦିନ ହେଲା ମୁଁ କୁଆଡେ ବାହାରକୁ ଯାଇନି, ଆଜି ମୁଁ ମନ୍ଦିର ଯିବି ।
ମୁଁ ପଚାରିଲି କାହିଁକି ଆଜି ତ କିଛି ପୂଜା ନାହିଁ ।
ସେ କହିଲା କି ରଞ୍ଜିତ ର କୋଉ ସାଙ୍ଗ ଭଉଣୀ ର ପୁଅ ର ଜନ୍ମ ଦିନ ଅଛି ।
ମୁଁ ମନା କରିଲି, ରଞ୍ଜିତ ର ସାଙ୍ଗ ତମକୁ ତ ନିମନ୍ତ୍ରଣ ଦେଇନି, ପୁଣି ତମେ କାହିଁକି ଯିବ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା କହିଲା ତମେ ସବୁବେଳେ ମୋତେ ବାରଣ କରୁଛ ଏବଂ କୁଆଡେ ଯିବା ପାଇଁ ମନା କରୁଛ ।
ଏମିତି ପ୍ରତିଥର ବାରଣ କରିବ ତେବେ ମୁଁ ଘରେ ଏକୁଟିଆ ରହି ପାଗଳ ହେଇଯିବି ।
ସେଦିନ ବହୁତ୍ ପାଟି ତୁଣ୍ଡ ହେଲା,
ମୁଁ କହିଲି ତମ ଭଲ ପାଇଁ ଏବଂ ଆମ ସମ୍ପର୍କ ରେ କିଛି ଆଞ୍ଚ ନ ଆସୁ ବୋଲି ମୁଁ ବାରଣ କରୁଛି ।
ଏମିତି ରେ ଘରେ ଯଦି ବୋର୍ ଲାଗୁଛି ଟିଭି ଦେଖ, ଘରେ ପାଠ ପଢ, ତମ ଭାଇ ସାଙ୍ଗରେ କଥା ହୁଅ, ଘରେ ବାପା ମା ଅଛନ୍ତି ସେମାନଙ୍କ ସହିତ କଥା ହୁଅ ।
ଏମିତି ରେ ମୁଁ ପ୍ରାୟ ଦିନ ସାରା ଡ଼ିଉଟି ରେ ରହି ଅଳ୍ପ ଅଳ୍ପ କଥା ହୋଇ ଯାଉଛି । ଏତିକି ପରେ ମଧ୍ୟ ତମକୁ ବୋର୍ ଲାଗୁଛି ???
ଲୋପାମୁଦ୍ରା କହିଲା ମୋତେ ଏତେ ଫୋର୍ସ କରନି ସତରେ ମୁଁ ପାଗଳ ହେଇଯିବି ।
ମୁଁ ବୁଝେଇଲି , ହଉ ତମେ ଯଦି ଯିବାକୁ ଚାହୁଁଛ ଯାଅ, କିନ୍ତୁ ମୋର ବିଲକୁଲ ଇଚ୍ଛା ନାହିଁ ।
ଏତିକି କହି ରାଗରେ ଫୋନ୍ କଟ୍ !!
ଦୁଇ ଜଣଙ୍କ ମୁଡ୍ ଅଫ୍
କିଛି ସମୟ ପରେ ରଞ୍ଜିତ ଘରକୁ ଆସି ମାମୁଁ ମାଇଁ କୁ ଅନୁରୋଧ କରି ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ ମନ୍ଦିର ନେଇ ଚାଲିଯାଇଛି ।
ଝଗଡା ଯୋଗୁ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ମନ ଖରାପ ଥିଲା ।
ସେ ରଞ୍ଜିତ କୁ ସବୁ କଥା କହିବା ପରେ ମଧ୍ୟ ରଞ୍ଜିତ ତା କଥା କୁ ଖାତିର ନ କରି କହିଲା ଶୀଘ୍ର ଆସିଯିବା କହି ମନ୍ଦିର ନେଇ ଚାଲିଗଲା ।
ଏପଟେ ମୋ ସାଙ୍ଗ କୁନା ଏବଂ ତା ସାଙ୍ଗରେ ସନ୍ତୁ ରେଡ୍ଡୀ ହୋଇ ରହି ଥାନ୍ତି ଯଦି କୁଆଡେ ଯାନ୍ତି ତେବେ ମୋତେ ପ୍ରତି ସମୟର ଖବର ଦେବେ ବୋଲି।
କିଛି ସମୟ ପରେ କୁନା ର ମେସେଜ ଆସିଲା କି, ଭାଇ ଦୁହେଁ ମନ୍ଦିର ଯାଉଛନ୍ତି ।
ଏତିକି ଶୁଣି ମୋ ମୁଣ୍ଡ ଖରାପ, କଣ କରିବି ଭାବି କୁନା କୁ କହିଲି, ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଏବଂ ରଞ୍ଜିତ ଉପରେ ନଜର ରଖି ଥା, ମୋତେ ଆଜି କିଛି ଭଲ ଲାଗୁନି ।
ବୋଧେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ସାଙ୍ଗରେ କିଛି ଅଘଟଣ ହେବନି ତ, ମୋତେ ସନ୍ଦେହ ହେଉଛି ।
କୁନା ମୋତେ ବିଶ୍ୱାସ ଦେଇ କହିଲା, ତୁ ଚିନ୍ତା କରନି , ମୁଁ ସବୁ ସମ୍ଭାଳୁଛି।
ସେହି ଜନ୍ମ ଦିନ ଭୋଜିରେ ବିନା ନିମନ୍ତ୍ରଣ ରେ କୁନା ଏବଂ ସନ୍ତୁ ମଧ୍ୟ ଗଲେ ।
ସେଠୀ ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ ସ୍ତ୍ରୀ ଲୋକ ମେଳରେ ଛାଡ଼ି ରଞ୍ଜିତ ସାଙ୍ଗ ମାନଙ୍କ ସହିତ ପାଖରେ ଥିବା ତୋଟା କୁ ମଦ ପିଇବାକୁ ଚାଲିଗଲା।
କୁନା ନଜର ରଖିଥାଏ ।
କିଛି ସମୟ ପରେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ମୋବାଇଲ୍ କୁ ଗୋଟିଏ କଲ୍ ଆସିଲା ।
(ସେହି କଲ୍ ଥିଲା ରଞ୍ଜିତ ର!! ତାହା ମଧ୍ୟ ଭୁଲ ରେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ ଲାଗିଯାଇଛି)
ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଫୋନ୍ ଉଠେଇ, ହେଲୋ ହେଲୋ କହିବା ପରେ କିଛି ଉତ୍ତର ଆସିଲାନି କିନ୍ତୁ ରଞ୍ଜିତ ଏବଂ ତାଙ୍କ ସାଙ୍ଗ ମାନଙ୍କ କିଛି କଥା ହେଉଥିବା ଶୁଣା ଯାଉଥିଲା ।
ତାହା ଥିଲା:
ରଞ୍ଜିତ: କଣ ରେ ଯାହା କହିଥିଲି ତାହା କରିଛୁ ନା?
ରଞ୍ଜିତ ର ସାଙ୍ଗ: ହଁ ଭାଇ ପୁରା ଓକେ ।
ରଞ୍ଜିତ: ଆଜି ମୋ କାମ ହେଇଯିବ ନା?
(ଲୋପାମୁଦ୍ରା କିଛି ବୁଝିପାରୁ ନଥିଲା, କିନ୍ତୁ ଫୋନ୍ ନ କାଟି ଶୁଣିବାକୁ ଲାଗିଲା)
ରଞ୍ଜିତ: ବହୁତ୍ ଦିନ ର ସ୍ଵପ୍ନ ଆଜି ପୁରା ହେବ।
ରଞ୍ଜିତ ର ସାଙ୍ଗ: ସବୁ ହେଲା ଯେ ତମେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ କୋଲ୍ଡ ଡ୍ରିଙ୍କ ପିଆଇ ପାରିଲେ ତମ କାମ ହେଇଯିବ ।
ରଞ୍ଜିତ: ଆବେ ପିଆଇ ଦେବୀ ଯେ ସଙ୍ଗେ ସଙ୍ଗେ ବେହୋସ୍ ହେବ ନା କିଛି ସମୟ ପରେ?
ରଞ୍ଜିତ ର ସାଙ୍ଗ: ଭାଇ, ଅଳ୍ପ ସମୟ ଲାଗିବ
ରଞ୍ଜିତ: ହଉ, ଅପେକ୍ଷା କରିବା !!
ରଞ୍ଜିତ ର ସାଙ୍ଗ: ଭାଇ ଖାଲି ଫୋଟୋ ଉଠେଇବ ନା ଆଉ କିଛି ହେବ ।
ରଞ୍ଜିତ: ସେଇଟା ମୁଁ ବୁଝିବି । ଫଟୋ ତ First ଉଠିବା ଦରକାର ତାପରେ ବାକି କାମ ପରେ ଦେଖିବା ।
(ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଅଳ୍ପ ବୁଝି ପାରିଲା, ଯେ ତା ପ୍ରତି ବିପଦ ଅଛି, ଏବଂ ପୁଣି ଶୁଣିବାକୁ ଲାଗିଲା)
ରଞ୍ଜିତ ର ସାଙ୍ଗ: ଭାଇ ଫୋଟୋ ଯାକ ଅଳ୍ପ ଦେଖେଇବ ନା??
ରଞ୍ଜିତ: ଫୋଟୋ ତମକୁ କାହିଁକି ଦେଖେଇବି । ସେହି ଫୋଟୋ ତ ସିଧା ସାନୁ ପାଖକୁ ଯିବ ।
ସେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ବେଶୀ ଡେଉଁଛି ନା ବାହା ହେବି, ବାହା ହେବି ବୋଲି ।
ଯେତେବେଳେ ସେ ସାନୁ ଦେଖିବ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ସହିତ ରଞ୍ଜିତ ର ଅନ୍ତରଙ୍ଗ ମୁହୂର୍ତ୍ତ ଫୋଟୋ ତାପରେ ସେ ନିଜେ କହିବ । ମୁଁ କଣ କରିବି ଏବଂ ବୁଲି ବୁଲି ସେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ମୋ ପାଖକୁ ଆସିବ ।
………………………………………….
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ଭାଗ-୦୬ :ରେ ପଢ଼ିବେ…..
(ତା ବାପା ମା ଙ୍କ ଏବଂ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ଇଜ୍ଜତ୍ ଯୋଉ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ମାଟିରେ ମିସେଇନି ସେ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ମୁଁ ଚୁପ୍ ବସିବିନି ।)
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ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା…(4)

ଭାଗ-୦୩

ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା...(4)

ମିନି ବାରମ୍ବାର ମୋ ଉପରେ ପଡ଼ି କଥା ହେବାକୁ ଚାହୁଁଥିଲା କିନ୍ତୁ ମୁଁ ଜାଣିଶୁଣି ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ ଚାହିଁ ରହିଥାଏ ।
ମୁଁ ଯାହା କହେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଉତ୍ତର ଦେବା ପୂର୍ବରୁ ‘ମିନି’ କଥା କୁ କାଟି କିଛି ନା କିଛି ପଚାରିବା ଆରମ୍ଭ କରିଦିଏ ।
ଏମିତି ଚାଲିଲା ଅଧ ଘଣ୍ଟାଏ ତା ପରେ ମୋର ମୂଡ୍ ଅଫ୍ ଏବଂ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ରାଗ ଆକାଶ ଛୁଆଁ ।
ସମସ୍ତେ ଫେରିଲୁ।
ଘରକୁ ଆସି ଲୋପାମୁଦ୍ରା ମୋତେ ଫୋନ୍ କରି ଜଣାଇଲା ଯେ ସେ ମିନି ଉପରେ ବହୁତ୍ ରାଗିଲା।
ସେ କହିଲା ମୁଁ ତାକୁ ସାଙ୍ଗରେ ନେଇଥିଲି ମୋତେ ତମ ସାଙ୍ଗରେ କଥା ହେବାରେ ସାହାଯ୍ୟ କରିବ କିନ୍ତୁ ସେ ତ ଓଲଟା ତମକୁ ଲାଇନ୍ ମାରିବା ଆରମ୍ଭ କରିଦେଲା ।
ମୋ ଉପରେ ମଧ୍ୟ ରାଗ ର ପ୍ରଭାବ ପଡ଼ିଲା। ତମେ ତାର ପ୍ରତି ପ୍ରଶ୍ନ ର ଉତ୍ତର କାହିଁକି ଦେଉଥିଲ କହି ରାଗିଲା।
ମୁଁ ତାକୁ ବୁଝେଇ କହିଲି। ଛାଡ ସେକଥା ମୁଣ୍ଡ ଥଣ୍ଡା କର । ତମେ ଖିଆ ପିଆ କର ସନ୍ଧ୍ୟା ରେ କଥା ହେବା ।
ସନ୍ଧ୍ୟାରେ ସୌରଭ ର ପ୍ଲାନ୍ ମୁତାବକ ତୃତୀୟ ଦେଖା ସୌରଭ ଘରେ ଆସନ୍ତା କାଲି ହେବ ଏବଂ ସେମିତି ହିଁ ହେଲା ।
ପର ଦିନ ମୁଁ ପହଞ୍ଚିଲି ସୌରଭ ଘରେ ତାର ଠିକ୍ 5 ମିନିଟ୍ ପରେ ଦିଦି ସହିତ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ପହଞ୍ଚିଲା ।
ସେଦିନ ସେ ଅଳ୍ପ ଫିକା ଗୋଲାପି ରଙ୍ଗର ଶାଢ଼ୀ ରେ ସଜବାଜ ହୋଇ ପହଞ୍ଚି ଥିଲା ।
ସତ କହେ ସେଦିନ ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ ଦେଖି ଏମିତି ମନେ ହେଉଥିଲା ଯେ ଆଜି ସିନ୍ଦୂର ପିନ୍ଧେଇ ସ୍ତ୍ରୀ କରି ସିଧା ଘରକୁ ନେଇଯିବି ।
ଦୁହେଁ ଆସି ପହଞ୍ଚିଲେ ସେତେବେଳେ ମୁଁ ମଉସା ଏବଂ ମାଉସୀ ସହିତ କଥା ହେଉଥିଲି ।
ସେ ଆସି ମାଉସୀ ଙ୍କୁ ମୁଣ୍ଡିଆ ମାରିଲା । ମଉସା ପାଖେ ମୁଁ ବସିଥିଲି, ମଉସା ଙ୍କ ପାଦ ଛୁଇଁବା ବାହାନାରେ ମୋ ପାଦକୁ ମଧ୍ୟ ଛୁଇଁ ପ୍ରଣାମ କରିଲା ।
ସେ ମୋର ପାଦ ଛୁଇଁବା ପରେ ସତେ ଯେମିତି ମୁଁ କିଛି ସମୟ ପାଇଁ ତାର ସ୍ବାମୀ ହୋଇଗଲି ଭଳି ମନେ ହେଲା।
ଦୁହେଁ ବସିଲୁ, ଦିଦି, କିଛି କାଗଜ ପତ୍ର କରିବା ପାଇଁ ତହସିଲ କାମରେ ବାହାରିଗଲେ ।
ମଉସା ଏବଂ ମାଉସୀ ମଧ୍ୟ ବାହାରିଗଲେ ସମ୍ପର୍କୀୟ ବାହାଘର ରେ ଯୋଗ ଦେବାକୁ ।
ଭାଉଜ ଆମକୁ ପାଛୋଟି ନେଲେ ନିଜ ବେଡ୍ ରୁମ୍ କୁ।
ସେଠୀ ଜଳଖିଆ ଆସି ପହଞ୍ଚିଲା ।
ଆମେ କିଛି ସମୟ କଥା ହେବା ପାଇଁ ଭାଉଜ ଆମକୁ ତାଙ୍କ ବେଡ ରୁମ ରେ ବସିବାକୁ କହି ଅନ୍ୟ ରୁମ୍ କୁ ଯିବାକୁ ବାହାରିଲେ କିନ୍ତୁ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଭାଉଜ କୁ କହିଲା ଯେ ଭାଉଜ ତମେ ମଧ୍ୟ ଏଠି ବସ, ସମସ୍ତେ କଥା ହେବା।
ଭାଉଜ ଆମ ମନ କଥା ଜାଣି କହିଲେ, ଚିନ୍ତା କରନି , ମୁଁ ମଧ୍ୟ ବସିବି, ତମେ ଅଳ୍ପ କଥା ହୋଇଯାଅ ମୁଁ ବାପା ଙ୍କ କିଛି କପଡା ପ୍ରେସ କରିବାର ଅଛି, ସେଗୁଡ଼ାକ ସାରି ଶୀଘ୍ର ଆସିବି ।
ଭାଉଜ ବାହାରି ଗଲେ ।
ସାନୁ : ଆଜି ତମେ ଶାଢ଼ୀ ରେ ଯାହା ଦେଖା ଯାଉଛ ନା, ମୁଁ ତମ ସୌନ୍ଦର୍ଯ୍ୟ କୁ ବର୍ଣ୍ଣନା କରିପାରୁନି । ସତରେ ଆଜି ହିଁ ତମକୁ ବିବାହ କରିବାକୁ ମନ ହେଲାଣି।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ଗାଡି କୁ ବ୍ରେକ ଦିଅ, ବହୁତ୍ ସମୟ ଅଛି।
କଣ କହୁଥିଲ ବର୍ଣ୍ଣନା କରି ପାରିବନି ,
ମୋ ହିରୋ ପାଇଁ ମୁଁ ଏତିକି କରିପାରିବି କି ନାହିଁ କୁହ?
ସାନୁ : ଆଚ୍ଛା, ଶାଢ଼ୀ ପିନ୍ଧିବା ପ୍ଲାନ୍ ଟା କିଏ ଦେଲା ଏବଂ ତମେ ଆଜି ଶାଢ଼ୀ ପିନ୍ଧି ଆସିଛ ବୋଲି ଘରେ କିଛି କହିଲେନି ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା : ନା,ନା, କଣ କହିବେ, ତାର ମଧ୍ୟ ପ୍ଲାନ କରା ହୋଇଛି ନା?
ସାନୁ : କଣ???
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ମୋ ସାଙ୍ଗର ବାହାଘର କହି ଆସିଛୁ, ଏବଂ ଏହି ଆଇଡିଆ ଦିଦି ଙ୍କ ର ।
ସାନୁ : ଦିଦି ଙ୍କ ଆଇଡିଆ ଜବରଦସ୍ତ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା : ତମେ ମଧ୍ୟ ଆଜି ଚଙ୍ଗା ଲାଗୁଛ।
ସାନୁ : ଚଙ୍ଗା ମାନେ??
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ମାନେ, କଣ!! ସମସ୍ତେ କୁହନ୍ତି, ମୁଁ ମଧ୍ଯ କହିଦେଲି, ଏମିତି ରେ ସୁନ୍ଦର କୁ ଚଙ୍ଗା କୁହନ୍ତି ।
ସାନୁ : ଓକେ, ତମେ ଆଖି ବନ୍ଦ କର?
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ନା, କିଛି ଭୁଲ କାମ କରିବ ନାହିଁ??
ସାନୁ : ଟିକିଏ ଆଗୁଆ ଭାବି ଦେଉଛ? ଚିନ୍ତା କରନି, ସେମିତି କିଛି ନାହିଁ।
(ଆଖି ବନ୍ଦ ପରେ ମୁଁ ମୋ ବ୍ୟାଗ୍ ରୁ ଗୋଟିଏ Teddy ଟିଏ ବାହାର କରି ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଆଗରେ ରଖି , ଆଖି ଖୋଲିବାକୁ କହିଲି ।
ଆଖି ଖୋଲି ଦେଖିଲା ପରେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଖୁସିରେ ପାଗଳ ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଏତେ ଖୁସି ହେଲା ଯେ ତାର ଆଖିରୁ ଖୁସି ରେ ଲୁହ ବାହାରି ଗଲା ।
ସାନୁ : ତମ ଆଖିରେ ଲୁହ??
ଲୋପାମୁଦ୍ରା : ଏ ତ ଖୁସି ର ଲୁହ । ପ୍ରଥମ ଥର ମୋ ଜୀବନରେ ମୋତେ କେହି ଜଣେ ଗିଫ୍ଟ କରିଲା ଏବଂ ତାହା ମଧ୍ୟ ମୋ ପସନ୍ଦ ର ଜିନିଷ ।
ସାନୁ : ତମ ଆଖିରେ ଲୁହ ମୁଁ ଦେଖିପାରିବିନି।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ହଉ, ଠିକ୍ ଅଛି, ତମେ ମଧ୍ୟ ଆଖି ବନ୍ଦ କର ।
ସାନୁ : ନା, ଭୁଲ କାମ ନାହିଁ, ସବୁ ବିବାହ ପରେ ।
(ଦୁହେଁ ହସିଲୁ)
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ଆଖି ବନ୍ଦ କର ପ୍ଲିଜ୍!!
(ମୁଁ ଆଖି ବନ୍ଦ କରି ରହିଲି, ଗୋଟିଏ ମିନିଟ୍ ପରେ ସେ ଆଖି ଖୋଲିବାକୁ କହିଲା )
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ଏଇଟା ତମ ପାଇଁ !!
ସାନୁ : ବାଃ, ବଢିଆ ହୋଇଛି ।
(ତାହା ଥିଲା ଗୋଟିଏ ଛୋଟ ଗଣେଶ ମୂର୍ତ୍ତି)
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: କଣ ଭଲ ଲାଗିଲାନି କି?
ସାନୁ : ବହୁତ୍ ଭଲ ଲାଗିଲା, କିନ୍ତୁ ଗୋଟିଏ କଥା ଭାବିବାକୁ ବାଧ୍ୟ ହେଉଛି, ପ୍ରାୟ ପୁଅ ଝିଅ ଗିଫ୍ଟ ରେ ଭଳି ଭଳି କି ଗିଫ୍ଟ ଦିଅନ୍ତି କିନ୍ତୁ ତମ ଗିଫ୍ଟ ଟା ସବୁଠୁ ଅଲଗା ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ଏଇ ଟା ଗିଫ୍ଟ ନୁହଁ , ଏ ହେଉଛନ୍ତି ମୋ ଦେବତା। ଗଣେଶ ଭଗବାନ ଭଳି ତମେ ମଧ୍ୟ ବହୁତ୍ ଶାନ୍ତ ଏବଂ ସରଳ।
ସାନୁ : ଥେଙ୍କ୍ ୟୁ, କିନ୍ତୁ ମୁଁ ଶାନ୍ତ ସରଳ ନୁହଁ, ମୁଁ ବହୁତ୍ ଦୁଷ୍ଟ ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ମୁଁ ଜାଣିନି, କି ଜାଣିବାକୁ ଚାହୁଁନି, ତମେ ଏବେ ଯେମିତି ଅଛ , ସେମିତି ମୁଁ ସାରା ଜୀବନ ତମ ଠାରୁ ଆଶା କରିବି।
ସାନୁ : ନିଶ୍ଚୟ, ତାହା ହିଁ ହେବ ।
ଏତିକିବେଳେ ଭାଉଜ ଧିରେ ଧିରେ ପାଦ ଚାପି ରୁମ୍ ଭିତରକୁ ଆସିଲେ।
ଭାଉଜ: ମୁଁ ଡିଷ୍ଟର୍ବ କରିନି ନା?
ସାନୁ : ନା ନା, ଆସ ଭାଉଜ,
ତାପରେ ତିନି ଜଣ ବହୁତ୍ କଥା ହେଲୁ ।
ସେଦିନ ସୌରଭ ଘରେ ଦିବା ଭୋଜନ ହେଲା । ପ୍ରଥମ କରି ମୋତେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ନିଜ ହାତରେ ଖୁଆଇ ଦେଲା । ବହୁତ୍ ଖୁସି ହେଲି। ବହୁତ୍ ସମୟ କଥା ହେଲୁ । ଘରକୁ ଫେରିଲୁ ।
ତାପରେ ମୋର ଏବଂ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ବିବାହ ପ୍ରସ୍ତାବ କଥା ସୌରଭ ବାପା ସାଙ୍ଗରେ କଥା ହେଲା ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା ବିଷୟରେ କହିଲା କି ସେ ଅପା ର ସାଙ୍ଗ ଏବଂ ତୁମ ଜାତିର।
ଏକଥା ଶୁଣି ବାପା ରାଜି, ପିଉସା ଏବଂ ବାପା ମିଶି ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଘରକୁ ଗଲେ । ସେଠୀ ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ ଦେଖି ସମସ୍ତଙ୍କୁ ପସନ୍ଦ ହେଲା ଏବଂ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ଘର ଲୋକେ ମୋ ଫଟୋ କୁ ଦେଖି ପସନ୍ଦ କରିଲେ।
ଦୁଇ ଦିନ ପରେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ଘର ଲୋକେ ଆମ ଘରକୁ ବୁଲି ଆସିଲେ । ସେମାନେ ମଧ୍ୟ ପସନ୍ଦ କରି କହିଲେ ଯେ, ଆମେ ଏହି ପ୍ରସ୍ତାବ ରେ ରାଜି ଅଛୁ ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରାର ବାପା ପଚାରିଲେ ବିବାହ ଉତ୍ସବ କେବେ କରିବା??
ମୋ ବାପା କହିଲେ କି ସାନୁ କହୁଛି ବର୍ଷେ ପରେ ବିବାହ କରିବା । ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଘରେ ମଧ୍ଯ ମାନିଗଲେ ।
ମୋ ବାପା କହିଲେ ୫ ମାସ ପରେ ଭଲ ଯୋଗ ଅଛି ସେ ସମୟରେ Engagement କରି ରଖି ଦେବା ତାପରେ ଅନ୍ୟ ଯୋଗ ଦେଖି ବିବାହ ଦିନ ଧର୍ଯ୍ୟ କରିବା । ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ଘରେ ରାଜି ହୋଇଗଲେ।
ମୁଁ ଫେରିବାର ଗୋଟିଏ ଦିନ ପୂର୍ବରୁ ମୋତେ ତାଙ୍କ ଘରେ ନିମନ୍ତ୍ରଣ ହେଲା ।
ମୁଁ ପହଞ୍ଚିଲି, ମୋତେ ଉଚ୍ଚ ଧରଣର ଚର୍ଚ୍ଚା ମିଳିଲା କିନ୍ତୁ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ସାଙ୍ଗରେ କଥା ହେବାକୁ ସମୟ ମିଳିଲା ନାହିଁ ।
ମନ ଦୁଃଖରେ ଫେରି ଆସିଲି । ତା ପର ଦିନ ସନ୍ଧ୍ୟାରେ ମୋତେ ଫେରିବାର ଥିଲା । ମୋତେ ମୋ ସାଙ୍ଗ ଫକୀର ବସ୍ ଷ୍ଟାଣ୍ଡ ରେ ଛାଡ଼ିବାକୁ ଆସିଲା କିନ୍ତୁ ସେହି ବସ୍ ଷ୍ଟାଣ୍ଡ ରେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ମୋତେ ଅପେକ୍ଷା କରିଥାଏ ।
ସାଙ୍ଗରେ ଥାଏ ସରିତା ଦିଦି । ତାଙ୍କୁ ଦେଖି ବହୁତ୍ ଖୁସି ହେଲି କିନ୍ତୁ ମନରେ ଦୁଃଖ ମଧ୍ୟ ଥାଏ ।
ଦିଦି କୁ କହିଲି, ଦିଦି ମୁଁ ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ ନେଇ ଚାଲିଯାଉଛି । ଦିଦି କହିଲେ ସମୟ ଅଛି ଆର ଥରକୁ ଆସିଲେ ନେଇ ଚାଲିଯିବ।
ଅଳ୍ପ କଥା ପରେ ମୁଁ ଫେରିଗଲି ମୋ କମ୍ପାନୀ କୁ ।
ବାଙ୍ଗାଲୋର ରେ ପହଞ୍ଚି ଡିଉଟି ରେ ମନ ଲାଗୁ ନଥାଏ । ଧିରେ ଧିରେ ସମୟ ଗଡି ଚାଲିଲା ।
ପ୍ରତିଦିନ ଭିଡିଓ କଲ୍, ଚାର୍ଟିଂ ଏବଂ କଲ୍ ଚାଲିଥାଏ
………………………………………….
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ଭାଗ-୦୫ : ରେ ପଢ଼ିବେ…..
(ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ବାପା ତାଙ୍କ ଭଉଣୀ ଉପରେ ରାଗି ତାଙ୍କୁ ସେ ଘର ସହିତ ସବୁ ସମ୍ପର୍କ କାଟି ଘରୁ ବାହାରି ଯିବାକୁ ଆଦେଶ ଦେଇ ଥିଲେ)
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ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା…(3)

ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା...(3)
ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା…(3)
ଦିଦି: ଆଜି Maggi କରେ, ସମସ୍ତେ ଖାଇବା।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: କିନ୍ତୁ ମୋତେ ଅଳ୍ପ ସାହାଯ୍ୟ କରିବ?
ଦିଦି: ତୁ ଚିନ୍ତା କରନି, ଆଜି ସାନୁ କରିବ !
ସାନୁ: ଦିଦି, ମୋତେ ଆସେନି,
ଦିଦି: ଚୁପ୍ କର, ମୋତେ ସୌରଭ ସବୁ କହିଛି, ତମ ରୁମ୍ ରେ ତୁ ହିଁ ରୋଷେଇ କରୁ।
ତାପରେ ମୋ ପାଖରେ ଉତ୍ତର ନଥିଲା ।
ସାନୁ: କିନ୍ତୁ ସାହାଯ୍ୟ କରିବ ତ?
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ହଁ ନିଶ୍ଚୟ,
ସମସ୍ତେ ଚାଲିଲୁ, ରୋଷେଇ ଘରକୁ।
ସେଠୀ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ପିଆଜ ଏବଂ ଟମାଟୋ କାଟି ମୋତେ ଦେଇ ଦେଲା
ଏପଟେ ଦିଦି କହିଲେ ତମେ ଦୁଇ ଜଣ କର ମୁଁ ଟିଭି ଦେଖୁଛି । ଦିଦି ଚାଲିଗଲେ ଟିଭି ଦେଖିବାକୁ ।
ସାନୁ: ତମର କଣ ପସନ୍ଦ ??
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ମୁଁ ପସନ୍ଦ କରେ ଯେ ଖାଲି ଘର ଲୋକେ ମାନିବାର ଅଛି?
ସାନୁ: ଆରେ ମୁଁ ପଚାରୁଛି? ଖାଇବା କଣ କଣ ପସନ୍ଦ?
ଏତିକି କଥା ଶୁଣି ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଲାଜେଇ ଗଲା ।
ସାନୁ: ମୋତେ ମଧ୍ୟ ତମେ ବହୁତ୍ ଭଲ ଲାଗ ।
ତମେ ତ ତମ ମନ କଥା କହି ସାରିଛ । ଆମ ଘରେ ମଧ୍ୟ ସେମିତି କିଛି ଅସୁବିଧା ନାହିଁ ।
ଏତିକି ବେଳେ ହଠାତ୍ ସୌରଭ ର ଫୋନ୍ ବାଜି ଉଠିଲା ଏବଂ ମୁଁ ଶାଇଲେଣ୍ଟ କରି ଦେଲି।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ତମ ସାଙ୍ଗ କଲ୍ କରିଛନ୍ତି, କଥା ହୋଇ ଯାଉନ?
ସାନୁ: ଏହି ସମୟରେ ସେ ଜାଣି ଶୁଣି କଲ୍ କରି ମୋତେ ଡିଷ୍ଟର୍ବ କରିବ।
ଫୋନ୍ ରିଙ୍ଗ ସରିଲା ପରେ ଲକ୍ ସ୍କ୍ରିନ ରେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ଫୋଟୋ ଦେଖା ଗଲା ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା : (ମୋ ଫୋନ୍ କୁ ହାତରେ ନେଇ) ଏହି ଫୋଟୋ ତମେ କେମିତି ପାଇଲ?
ସାନୁ: ତମ DP ରୁ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ଆଚ୍ଛା, ମୋ DP ରୁ ଫୋଟୋ Download କରି ତମ ୱାଲପେପର ରେ ।
ସାନୁ: କଣ ଭଲ ଲାଗୁନି କି?
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ଭଲ ଲାଗୁଛି, ଯେ କିନ୍ତୁ ଏଇଟା ୦୨ ମାସ ପୁରୁଣା ଫୋଟୋ।
ସାନୁ: ମୋତେ ମାତ୍ର ଏହି ଫୋଟୋ ଟା ବହୁତ୍ ଭଲ ଲାଗେ ।
ଏତିକି ବେଳେ Maggi ରେଡ୍ଡୀ।
Maggi ନେଇ ପହଞ୍ଚିଲୁ ଟିଭି ପାଖରେ ।
ଦିଦି: କଣ ଏତେ ସମୟ ଲାଗିଲା?
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ମାତ୍ର ୫ ମିନିଟ୍ ଲାଗିଲା, ଦିଦି..
ଦିଦି: ଟିଭି ରେ କହୁଛି ୨ ମିନିଟ୍ Maggi ହେଉଛି ଏବଂ ତମେ ୫ ମିନିଟ୍ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ କଣ କରୁଥିଲ?
ସାନୁ: ତମେ ପରେ ଆମର ଖିଚାଇ କରିବ, ପ୍ରଥମେ Maggi ଖାଇ କୁହ କେମିତି ହେଇଛି ।
ଦିଦି: ଆରେ ବାଃ, ଏ ତ ପୁରା ଜବରଦସ୍ତ ହେଇଛି !!
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ହଁ ବଢିଆ ହେଇଛି !!
ସାନୁ: ଥେଙ୍କ୍ ୟୁ!!!
ଦିଦି: ପୁରା, ଭଲ ପାଇବା ଦେଇ କରି Maggi କରା ଯାଇଛି ବୋଧେ ସେଥିପାଇଁ ଟେଷ୍ଟ ହେଇଛି ।
କିଛି ସମୟ କଥା ହେଲୁ ଶେଷରେ ଦିଦି କହିଲେ ସାନୁ ଘରକୁ ଯିବା ??
ସାନୁ: ଆଉ କିଛି ସମୟ ରହିଲେ ହେବନି?
ଦିଦି: ଆରେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ମନେ ମନେ ଭାବୁଛି ଏମାନେ କେତେବେଳେ ଯିବେ ମୁଁ ଆରାମ୍ ରେ ଶୋଇବି ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ନା ଦିଦି, ମୁଁ ତ ଭାବିନି, ମୁଁ ତ କହୁଛି, ତମେ ଆଜି ଏଠି ରହିଯାଅ । ମୋତେ ଏକା ଏକା ଲାଗୁଛି।
ଦିଦି: କେବଳ ମୁଁ ରହିବି ନା ସାନୁ ହେଲେ ରହିବ?
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ନା , କେବଳ ତମେ, ତାଙ୍କ ପାଇଁ ସମୟ ଅଛି।
(ସମସ୍ତେ ହସିଲୁ)
ଦିଦି: ଏବେ ଠିକ୍ କଥା କହିଲୁ। ଶୁଣ ଆମେ ଆସୁଛୁ ତୁ ରେଷ୍ଟ କର।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ଆଉ କିଛି ସମୟ ରୁହ, ପରେ ଯିବ।
ଦିଦି: ତେବେ ତମେ ଦୁହେଁ କଥା ହୁଅ, ମୁଁ ଚାଲିଲି ତୋ ବେଡ୍ ରୁମ୍ କୁ, କାଲି ରାତିରେ ନ ଶୋଇ ବହୁତ୍ ରାତି ପର୍ୟ୍ୟନ୍ତ ୟୁଟ୍ୟୁବ ଦେଖି ମୁଣ୍ଡ ବ୍ୟଥା ହେଉଛି, ମାତ୍ର ଠିକ୍ ଗୋଟିଏ ଘଣ୍ଟା ଶୋଇବି ତାପରେ ଚାଲିଯିବି।
ଦିଦି ଚାଲିଲେ ବେଡ୍ ରୁମ୍ କୁ!!
ମୁଁ ଏବଂ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଚାଲିଲୁ ବାଲକୋନୀ କୁ।
ସେଠୀ ଦୁହେଁ ବସିଲୁ । ବହୁତ୍ ସମୟ କଥା ହେଲୁ। ଧିରେ ଧିରେ ପ୍ରେମ ବଢ଼ିବାରେ ଲାଗିଲା, ଟିକେ ଲାଜ, ତ ଟିକେ କଥା, ପୁଣି ଟିକେ ହସ ତ, ଟିକେ ମଜା।
ଦେଖୁ ଦେଖୁ କେତେବେଳେ ଗୋଟିଏ ଘଣ୍ଟା ସରିଗଲା ଜଣା ପଡିଲାନି । ସେଇ ଘଣ୍ଟାକ ମଧ୍ୟରେ ଆମେ ଦୁହେଁ ଦୁହିଁଙ୍କୁ ଭଲ ଭାବରେ ଜାଣି ସାରିଥିଲୁ ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା : ତମେ ଯେମିତି ମୋ DP କୁ ରଖିଛ, ମୁଁ ମଧ୍ୟ ତମର ପ୍ରତ୍ୟେକ DP କୁ ସେଭ୍ କରି ରଖିଛି ।
ସାନୁ: ମୁଁ ଜାଣିଛି, ସେଥିପାଇଁ ତ ତମେ ଯେବେ DP Change କର ମୁଁ ମଧ୍ୟ DP change କରେ।
ଏମିତି କଥା କଥା ରେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ତା ବାଲକୋନୀ ରେ ଲାଗିଥିବା ଗୋଲାପ ଫୁଲ ଗୋଟାଏ ଛିଣ୍ଡେଇ ମୋତେ ଦେଲା ।
ସାନୁ: ଏଇ ଫୁଲ ଟି କୋଉ ଖୁସି ରେ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ଏମିତି ଦେଇ ଦେଲି , ଭଲ ଲାଗିଲା, ସେଥିପାଇଁ ଦେଉଛି ।
ଦିଦି ଆସି ପହଞ୍ଚିଲେ ,
ଦିଦି: ଆରେ ବାଃ ଆଜି ପ୍ରପୋଜ ମଧ୍ୟ ସରିଲାଣି ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ନା ,ଦିଦି ତା ପାଇଁ ବହୁତ୍ ସମୟ ଅଛି।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ବହୁତ୍ କିଛି କଥା ବାକି ରହିଗଲା । ମୋର ମଧ୍ୟ ଇଚ୍ଛା ଥାଏ । ଆଉ କିଛି ସମୟ ତା ସାଙ୍ଗରେ ବୀତେଇବା ପାଇଁ କିନ୍ତୁ ସଂଧ୍ୟା ହେବାକୁ ଆସିଲା ଏବଂ ଦୁହେଁ ଫେରିବାକୁ ବାଧ୍ୟ ହେଲୁ।
ମୁଁ ଘରକୁ ଆସି ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ Whatsapp ରେ ଥେଙ୍କ୍ ୟୁ ଜଣାଇଲି। ସେ ଉତ୍ତର ରେ ମୋତେ ୱେଲକମ କହି ମିସ୍ ୟୁ କହିଲା । ମୁଁ ରହି ପାରିଲିନି ।ସଙ୍ଗେ ସଙ୍ଗେ କଲ୍ ବେକ କରିଲି।
ସାନୁ: କଣ ହେଲା?
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: କିଛି ନାହିଁ, ତମେ ଭାରି ମନେ ପଡୁଛ!!
ସାନୁ: ମୋର ମଧ୍ୟ ସେଇ ଅବସ୍ଥା ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: କାଲି ତମେ କୁଆଡେ ଯିବ?
ସାନୁ: କୁଆଡେ ନାହିଁ
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: କାଲି ପୁଣି ଆସିବ?
ସାନୁ: ମୁଁ ଗଲେ ତମ ଘର ଲୋକ, ମୋତେ ପୁରା କୁକୁଡ଼ା ଝୋଳ ବନେଇ ଦେବେ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ନା ନା, ସେମିତି କିଛି ହେବନି, ମାତ୍ର ସତ କଥା ଯେ, ବାପା ମା ଜାଣି ନାହାନ୍ତି ତମକୁ । ଅସୁବିଧା ହେଇପାରେ । ତେବେ କେମିତି ଦେଖା କରିବି ।
ସାନୁ: ଭିଡିଓ କଲ୍ କର, ଦେଖି ଦେବ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ଭିଡିଓ କଲ୍ ରେ ନୁହଁ, ମୁଁ ନିଜ ଆଖିରେ ଦେଖିବାକୁ ଚାହୁଁଛି ।
ସାନୁ: ହଉ ତମେ କୁହ?
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ଶୁଣ, କାଲି ସକାଳେ ମୁଁ ଜଣେଇବି, କାଲି ଯଦି ବାପା, ମା ଆସିବେ ତେବେ ଆଉ କିଛି ଭାବିବି, ଆଉ ଯଦି ଲେଟ୍ ହେବ ତେବେ ତମେ ସକାଳୁ ସକାଳୁ ବୁଲି ଆସି ଚାଲିଯିବ।
ସାନୁ: ମୁଁ ତ ଆସିଯିବି, ତମ ପଡିଶା ଘର ଲୋକେ ଆଜି ମୋତେ ଯେମିତି ସନ୍ଦେହ ଆଖିରେ ଦେଖୁଥିଲେ। ମୋତେ ଡର ମାଡ଼ୁଛି।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ସେମାନଙ୍କ କାମ ସେଇୟା, ଗୋଟିଏ କାମ କର? ଦିଦି ଙ୍କୁ ନେଇ ଆସ?
ସାନୁ: ହା ହା ହା, ପାଗଳ ନା କଣ?? ନା ନା , ତାଙ୍କୁ କହିବା ଠିକ୍ ନୁହେଁ । ସେ ଯେତିକି କରିଛନ୍ତି , ଯଥେଷ୍ଟ ଏବେ ଆମର କାମ ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ହଉ ମୁଁ ସକାଳେ କଲ୍ କରି ଜଣେଇବି।
ସକାଳ ହେଉ ହେଉ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ଫୋନ୍ ଆସିଲା ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ଆଜି ବାପା ମା ସକାଳେ ଆସିଯିବେ, ତମେ ମନ୍ଦିର ଆସି ପାରିବ କି??
ସାନୁ: ହଉ ଠିକ୍ ଅଛି? କହି ଫୋନ୍ କଟ୍।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ଗାଁ ଆମ ଗାଁ ର ଦୂରତା ମାତ୍ର ୩ କିମି । ତାଙ୍କ ଗାଁ ମନ୍ଦିର ରେ ଠିକ୍ ୧୦ ଟା ରେ ପହଞ୍ଚିଲି , ଲୋପାମୁଦ୍ରା ତାର ଆଉ ଜଣେ ସାଙ୍ଗ ମିନି ସହିତ ଆସିଲା।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା : ହାଏ, କେତେବେଳେ ଆସିଲ?
ସାନୁ: ୧୦ ମିନିଟ୍ ପୂର୍ବରୁ।
ମିନି: ହାଏ, ମୁଁ ମିନି!
ମିନି ହାଣ୍ଡସେକ୍ କରିବାକୁ ମୋତେ ହାତ ବଢ଼େଇଲା କିନ୍ତୁ ମୁଁ ଜାଣି ଶୁଣି ହାତ ଯୋଡ଼ି କହିଲି, it’s Okay, ଲୋପାମୁଦ୍ରା ମିନି କୁ ରାଗରେ ଚାହୁଁଥାଏ।
ତାପରେ ତିନି ଜଣ ଯାକ ମନ୍ଦିର ଭିତରକୁ ଗଲୁ ଏବଂ ପୂଜା ଭୋଗ ସରିଲା ପରେ ମନ୍ଦିର ବେଢ଼ାରେ ବସିଲୁ।
ମିନି କେବଳ ମୋତେ ହିଁ ଦେଖୁଥାଏ ,
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(ପ୍ରଥମ କରି ମୋତେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ନିଜ ହାତରେ ଖୁଆଇ ଦେଲା । ବହୁତ୍ ଖୁସି ହେଲି।)
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ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା…(2)

ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା...(2)
ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା…(2)
ଭାଉଜ: ଲୋପାମୁଦ୍ରା ତମ ବିଷୟରେ ପଚାରୁଥିଲା, ସେ ପଚାରିଲା କଣ କରୁଛନ୍ତି ସାନୁ? ମୁଁ କହିଲି କିଛି ନାହିଁ ସୌରଭ ର ଅଫିସ ରେ ଝାଡୁ ମାରୁଛନ୍ତି ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା କହିଲା ଝାଡୁ ତ ମାରୁ ନଥିବେ ଏତିକି ମୁଁ ଜାଣିଛି ।
ଭାଉଜ: ତମେ କେମିତି ଜାଣିଲ ଝାଡୁ ମାରୁ ନାହାନ୍ତି ବୋଲି??
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ମୁଁ ଦିଦି ଙ୍କୁ ପଚାରି ସାରିଛି, ସେ ସଫ୍ଟୱେର ଇଞ୍ଜିନିୟର ଅଛନ୍ତି ।
ଭାଉଜ : ଆଉ କଣ ଜାଣିଛ?
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ଏତିକି ମୋ ପାଇଁ ଯଥେଷ୍ଟ ।
ଭାଉଜ: ଏମିତି ବହୁତ୍ କଥା ହେଲୁ, ତମ ଘର ବିଷୟରେ, ତମ ଦୁଷ୍ଟାମି, ମଜା ମଜା କଥା କୁହ ସେ ବିଷୟରେ, ଆଉ ଟିକେ ଟିକେ ମଦ ପିଅ ଏମିତି!!
ସାନୁ: ସବୁ କହିଲ ଯେ ମଦ ପିଇବା କଥା ଟା ଭୁଲ କହିଦେଲେ?
ଭାଉଜ: କି ତମେ ମଦ ପିଉନ କି? ସେଦିନ ତ ଆମ ଗାଁ ଲୋକମାନଙ୍କୁ ତମେ ହିଁ ମଦ ଦେଉଥିଲ??
“”””ଚିନ୍ତା କରନି , ତମ ବିଷୟରେ ମୁଁ କଣ ଜାଣିନି ଯେ, ତାକୁ ସେମିତି କହିନି, ଚିନ୍ତା କରନି??
ସାନୁ: ମୁଁ ଜାଣିଛି, ତମେ କହି ନଥିବ ?
ଭାଉଜ: ଶେଷରେ ତମ ନମ୍ୱର୍ ମାଗିଲା କିନ୍ତୁ ମୁଁ ଦେଲିନି।
ସାନୁ: କାହିଁକି ତମ ପାଖରେ ତ ମୋର ନମ୍ୱର୍ ଥିଲା ।
ଭାଉଜ: ଆରେ ଦେବର୍ ଜି , ତମ ନମ୍ୱର୍ ସେ ପାଇ ସାରିଛି ଦିଦି ଙ୍କ ଠାରୁ ।
ସାନୁ: ସେ କେବେ ମୋତେ କିଛି କଲ କି ମେସେଜ କରିନି।
ଭାଉଜ : ସେକଥା ମୁଁ ଜାଣିନି, ତମକୁ ଯଦି ତାର ନମ୍ୱର୍ ଦରକାର ତେବେ କୁହ ।
ସାନୁ: ହଁ Whatsapp କରିଦିଅ।
ଭାଉଜ: ନିଅ ତମ ସାଙ୍ଗ ସହିତ କଥା ହୁଅ ।

ଫୋନ୍ କୁ ସୌରଭ କୁ ଦେଇ ଚାଲିଗଲେ ରୋଷେଇ ଘରକୁ । କିଛି ସମୟ କଥା ହେଲୁ । ଫୋନ୍ କଟ୍।

ରାତି ୧୦ଟା ରେ ଭାଉଜ ର WhatsApp ରୁ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ନମ୍ୱର୍ ପାଇଲି , ସେଭ୍ କରି ଦେଖିଲି, DP ରେ ପୁରା ହିରୋଇନ୍ । ଭାବିଲି ମେସେଜ କରିବି ନା ନାହିଁ । କରିଲି ନାହିଁ।
କେବେ କଥା ନାହିଁ କି ଚାଟ୍ ନାହିଁ କିନ୍ତୁ ପ୍ରତିଦିନ ତାର DP ଦେଖେ। ଦୁଇ ଦିନ କୁ ଥରେ DP ବଦଳି ଯାଏ।
ପ୍ରତ୍ୟେକ DP ମୁଁ ସେଭ୍ କରି ରଖେ । କିଛି ଦିନ ପରେ ସୌରଭ ଆସିଲା । ଆମେ ଦୁଇ ଜଣ ଗୋଟିଏ ରୁମ୍ ରେ ରହୁ ।
ମାତ୍ର ୧୦ ଦିନ ପରେ ବାପାଙ୍କ ଦେହ ଖରାପ ଯୋଗୁ ମୋତେ ଛୁଟି ଯିବାକୁ ପଡିଲା ।

ଗାଁ ରେ ପହଞ୍ଚିଲି , ଔଷଧ ସେବା ପରେ ବାପା ସୁସ୍ଥ ହେଲେ। ପ୍ରାୟ ୫ ଦିନ ପରେ ମୁଁ ଚାଲିଲି ସୌରଭ ଘରକୁ । ଘରେ ସମସ୍ତଙ୍କ ସାଙ୍ଗରେ ଦେଖା ହେଲା । ଜଳଖିଆ କରି ସମସ୍ତେ ନିଜ କାମରେ ଲାଗିପଡିଲେ । ମୁଁ ଭାଉଜ ଏବଂ ଦିଦି ବସି କଥା ଆରମ୍ଭ ହେଲା ।

ଦିଦି: ଆରେ ତମ ପ୍ରେମ କେତେ ଦୂର ଗଲା?
ସାନୁ: କୋଉ ପ୍ରେମ, କିଛି ନାହିଁ।
ଭାଉଜ: ତମକୁ ନମ୍ୱର୍ ଦେଇଥିଲି ପରା?
ଦିଦି: ମୁଁ ମଧ୍ୟ ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ ତୋର ନମ୍ୱର୍ ଦେଇଥିଲି ।
ସାନୁ: ଡର ସହିତ ଲାଜ ଲାଗୁଛି, କେମିତି କରିବି।
ଦିଦି: ଡର କଣ ରେ, ସେ କଣ ଭୂତ?? ତୁ ଆସିବାର ଜାଣିଥିଲେ ମୁଁ ତାକୁ ଆମ ଘରକୁ ଡ଼ାକି ଥାନ୍ତି।
ଭାଉଜ: ଗୋଟେ କାମ କର, ଅପା ଆଜି ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ ଘରକୁ ଡାକ ?
ଦିଦି: ରୁହ ତାକୁ କଲ୍ କରୁଛି?

ଦିଦି ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ କଲ୍ କରି କହିଲେ , ତୁ ଏବେ ଆମ ଘରକୁ ଆସି ପାରିବୁ କି?
ଫୋନ୍ ରେ (ଲୋପାମୁଦ୍ରା) ଘରେ କେହି ନାହାନ୍ତି ଦିଦି , ସମସ୍ତେ ବାହାଘର ପାଇଁ ଯାଇଛନ୍ତି।

ଦିଦି: କଣ ହେଲା , ଘରେ ତାଲା ପକାଇ, ଶୀଘ୍ର ଆସେ!
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ଦିଦି , ମୋର ଦେହ ଭଲ ନାହିଁ, କାଲି ରାତି ଠୁ ଜ୍ଵର, ଏବେ ଅଳ୍ପ ଭଲ ଲାଗୁନି ମୁଣ୍ଡ ବ୍ୟଥା ହେଉଛି । ଗୋଟେ କାମ କରୁନ, ତମେ ଆସୁନ ।
ଦିଦି: ହଉ ଦେଖୁଛି । ( ଫୋନ୍ କଟ୍)
ଦିଦି: କଣ ସାନୁ ଯିବା??
ସାନୁ: କିଛି ଅସୁବିଧା ହେବନି ତ?
ଦିଦି: ଚାଲ୍ କିଛି ହେବନି, ଏକା ସାଙ୍ଗରେ ଯିବା ।
ମୋ ସ୍ବାମୀ ତ ଦୁବାଇ ରେଚିନ୍ତା କଣ? (ସମସ୍ତେ ହସିଲେ)

ବାଇକ୍ ଷ୍ଟାର୍ଟ ଏବଂ ସିଧା ପହଞ୍ଚିଲୁ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଘରେ ।
କବାଟ ଠକ୍ ଠକ୍ ପରେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ଦର୍ଶନ ହେଲା ।
ସେ ଗୋଟିଏ ନାଇଟି ଡ୍ରେସ ରେ ଏବଂ ଚୁଟି ଖୋଲା ।
ଦିଦି କୁ ଦେଖି ହସି ଘରକୁ ଡାକିଲା । ସେ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ମୋତେ ସେ ଦେଖିନି।

ଦିଦି: ଆରେ ମୋ ସାଙ୍ଗରେ ଜଣେ ଆସିଛନ୍ତି ?
ମୁଁ ଆସିଲି କବାଟ ସମ୍ମୁଖରେ! ମୋତେ ଦେଖି ଲୋପାମୁଦ୍ରା ମାରାଥନ ଭଳି ଦଉଡ଼ି ସିଧା ତା ରୁମ୍ କୁ ।
ଏମିତି ଲାଗିଲା ଯେ ଯେମିତି ସଙ୍ଗେ ସଙ୍ଗେ ତାର ଜ୍ଵର ଭଲ ହୋଇଗଲା।
(ଦିଦି ଆଉ ମୁ ହସିଲୁ )
ରୁମ୍ ଭିତରୁ ଲୋପାମୁଦ୍ରା କହିଲା ଦିଦି ୦୨ ମିନିଟ୍ ଅପେକ୍ଷା କର ମୁଁ ଆସୁଛି । ଏତିକି ବେଳେ ଦିଦି ଟେବୁଲ୍ ଉପରେ ଥିବା ପାଣି ବୋତଲ ମୋତେ ଦେଲେ ଏବଂ ସେ ମଧ୍ୟ ପିଇଲେ।

ଠିକ୍ ୭ ମିନିଟ୍ ପରେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ବାହାରିଲା ଗୋଟିଏ ସୁନ୍ଦର୍ ଡ୍ରେସ ରେ । ଚୁଟି ବନ୍ଧା ସରିଥିଲା ଧିରେ ଧୀରେ ପହଞ୍ଚିଲା ଆମ ପାଖରେ।

ଲୋପାମୁଦ୍ରା ମୋତେ ନମସ୍କାର କରିଲା ଏବଂ ଦିଦି କୁ କିଛି ନ କହି ମୋ ସାମ୍ନାରେ ବସିଲା

ଦିଦି: ମୋତେ ପ୍ରଣାମ କରିବୁନି?
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ଦିଦି ନମସ୍କାର … (ସମସ୍ତେ ହସିଲୁ)
ଦିଦି: କହ ସରପ୍ରାଇଜ୍ କେମିତି ଲାଗିଲା ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ସେତେବେଳେ କହିଲ ନାହିଁ , ମୁଁ ଏମିତି ଘରେ ଥିଲି।
ଦିଦି: ଚଳିବ, ବାହାଘର ପରେ , ସବୁ କମନ୍ ହେଇଯିବ ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ଦିଦି, ସେ କଥା ପୁଣି?? ଆଉ କଣ କୁହ??
ହଠାତ୍ ଦିଦି ଫୋନ୍ କୁ ବାହାର କରି କହିଲେ ମୁଁ ମୋ ପତିଦେବ ସାଙ୍ଗରେ ଅଳ୍ପ କଥା ହେଇଯାଉଛି, ତମେ କଥା ହୁଅ? କହି ଉଠି ଚାଲିଗଲେ ବାଲକୋନୀ କୁ ।

ସାନୁ: କେମିତି ଅଛ?
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ହଁ ଭଲ, ତମେ କେମିତି ଅଛ?
ସାନୁ: ମୁଁ ପୁରା ଫିଟ୍, ତମ ଦେହ ଭଲ ନଥିଲା ପରା??
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ହଁ ଅଳ୍ପ ଜ୍ଵର ଥିଲା । ଏବେ ଠିକ୍ ଅଛି, କେବେ ଆସିଛ?
ସାନୁ: ଦିନ ହେଲାଣି ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: କେତେଦିନ ରହିବ ?
ସାନୁ: ଆଉ ୧୦ ଦିନ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ଘରେ ସମସ୍ତେ କେମିତି ଅଛନ୍ତି?
ସାନୁ: ବାପାଙ୍କ ଦେହ ଖରାପ ଥିଲା ଏବେ ସେ ସୁସ୍ଥ ଅଛନ୍ତି ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: କଣ ହୋଇଥିଲା?
ସାନୁ: ବେଳେବେଳେ ରକ୍ତଚାପ ଉଠେଇ ଦେଲେ ଏମିତି ହୁଏ ଏବେ ଔଷଧ ଖାଇ ଠିକ୍ ଅଛନ୍ତି
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ଆଉ କଣ କୁହ?
ଏତିକି ବେଳେ ଦିଦି ଆସି ପହଞ୍ଚିଲେ ।

ଦିଦି: ଆରେ କଣ କଥା ହେଉଛ?
ସାନୁ: କିଛି ନାହିଁ ଏମିତି??
ଦିଦି: ଆରେ କଣ କଥା ହେଉଛ?
ସାନୁ: କିଛି ନାହିଁ ଏମିତି??
ଦିଦି: (ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ) ତୁ ସାନୁ କୁ କଣ ପାଇଁ କଲ୍ କରିନୁ? ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଚୁପ୍ ରହିଲା ।
ଦିଦି : (ମୋତେ କହିଲେ) ତୋତେ ମଧ୍ୟ ଭାଉଜ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ନମ୍ୱର୍ ଦେଇଥିଲେ ନା? ମୁଁ ମଧ୍ୟ ଚୁପ୍।
ଦିଦି: ଆରେ ତମ ଦୁଇ ଜଣ ଙ୍କ ଯୋଡ଼ି ମସ୍ତ ହେବ। କଥା ଆଗକୁ ବଢ଼ିଲେ ଭଲ ନା?

ସେତିକିବେଳେ ଦିଦି ଙ୍କ ଫୋନ୍ ବାଜି ଉଠିଲା ସେ ଚାଲିଲେ କଥା ହେବାକୁ।

ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ତମେ ମୋ ନମ୍ୱର୍ କାହିଁକି ମାଗିଥିଲ?
ସାନୁ: ଆଚ୍ଛା ତମେ ମଧ୍ଯ ମୋ ନମ୍ୱର୍ ଦିଦି କୁ ମାଗିଥିଲ ନା?
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ଏମିତି ରଖିଥିଲି।
ସାନୁ: ବାସ୍ ଏମିତି?

ଦିଦି ପୁଣି ଆସି ବସିଗଲେ ।

ଦିଦି : ଆରେ ମୁଁ ଜାଣିଛି, ତମେ ଦୁହେଁ ପରସ୍ପରକୁ ପସନ୍ଦ କର କିନ୍ତୁ କହିବାକୁ ଲାଜ କରୁଛ। ଶୁଣ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ତୋତେ ସାନୁ ପସନ୍ଦ କରେ ଏବଂ ତୁ ତାକୁମନ ଖୋଲି କଥା ହୁଅ, ମନ ମିଶିଲେ ଘରେ କହିବ, ନହେଲେ ନାହିଁ।

ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ଆମ ଘରେ କିଛି ଅସୁବିଧା ନାହିଁ

ଦିଦି: ଦେଖ୍ ସାନୁ , ଗ୍ରୀନ ସିଗ୍ନାଲ ମିଳିଲାଣି ହାତ ଛଡା କରେନି !!!

ଲୋପାମୁଦ୍ରା: ନା ଦିଦି ସେମିତି କଥା ନାହିଁ, ମୋର କହିବା କଥା ହେଲା, ଆମ ଘରେ ମୋ ପାଇଁ ପୁଅ ଖୋଜିବା ଆରମ୍ଭ କରିଦେଲେଣି।

ଦିଦି: ତୁ ସାନୁ କୁ ପସନ୍ଦ କରୁ କି ନାହିଁ କହ? ଲୋପାମୁଦ୍ରା ମୁଣ୍ଡ ତଳକୁ କରି ବସି ରହିଲା

ଦିଦି: ମୋତେ ପଚାରିଲେ ତୁ ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ ପସନ୍ଦ କରୁ କି ନାହିଁ କହ? ମୁଁ ମଧ୍ୟ ଚୁପ୍ ରହିଲି ।
ଲୋପାମୁଦ୍ରା: କଥା କୁ ବୁଲେଇ , ଦିଦି କଣ ଖାଇବ କୁହ?

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ଭାଗ-୦୩ ରେ ପଢ଼ିବେ…..
(ଲୋପାମୁଦ୍ରା ମନେ ମନେ ଭାବୁଛି ଏମାନେ କେତେବେଳେ ଯିବେ ମୁଁ ଆରାମ୍ ରେ ଶୋଇବି )
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ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା…(1)

ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା...(1)
ମୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା…(1)
ସେଦିନ ସୌରଭ ର ବାହାଘର ରେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ସହିତ ମୋର ପ୍ରଥମ ଦେଖା। ବାରାତ୍ ଗ୍ରୁପ୍ ରେ ଡାନ୍ସ କରୁ କରୁ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ର ହାତ ମୋ ହାତରେ ପଡ଼ିଗଲା। ସମସ୍ତେ ମିଶି ଗୋଲେଇ ହୋଇ ଡାନ୍ସ କରିଲୁ। ମୋତେ ଡାନ୍ସ ଆସେନି କେବଳ ବିକି ( ସୌରଭ ର ସାନ ଭାଇ ) ର ଅନୁରୋଧ ରେ ମୁଁ ରାଜି ହୋଇଥିଲି ଡାନ୍ସ କରିବାକୁ।

ସୌରଭ ମୋର ପିଲା ଦିନ ର ସାଙ୍ଗ । ସେ ମୋତେ “ସାନୁ” ବୋଲି ଡାକେ କିନ୍ତୁ ପ୍ରକୃତ ନାମ ହେଉଛି ସୁନ୍ଦର୍।
ଚାଲ ବାହାଘର କୁ ଯିବା ସେଠୀ ମୋର କାମ ଥିଲା ଦୂରରୁ ଆସିଥିବା ଗେଷ୍ଟ ମାନଙ୍କୁ ଚର୍ଚ୍ଚା କରିବା ଏବଂ ତାଙ୍କର ନାଲି ପାଣି ବ୍ୟବସ୍ଥା କରିବା । ସବୁ ଠିକ୍ ଠାକ୍ ରେ ସରିଲା । ମୋ ବ୍ୟବସ୍ଥା ରେ ଅବହେଳା ନାହିଁ। ସବୁ କାମ ସରୁ ସରୁ ରାତି ୧୧ଟା, ବିକି ମୋତେ କଲ୍ କରି ଡାକିଲା କି “ଭାଇ ଡାକୁଛନ୍ତି ଶୀଘ୍ର ଆସ” । ମୁଁ ପହଞ୍ଚିଲି ସୌରଭପାଖରେ ।
ମଣ୍ଡପ ସଜା ହୋଇଥିଲା ପୁରା ହାଇ ରେଟ୍ ରେ। ମଣ୍ଡପ ରେ ପହଞ୍ଚି ଦେଖିଲି ଫୋଟୋ ଉଠା ଚାଲିଛି। ସୌରଭ ଆଉ ତା ସ୍ତ୍ରୀ ସେଦିନ ସେଲିବ୍ରିଟୀ ହୋଇ ଯାଇଥିଲେ । ରାଜ ସିଂହାସନ ରେ ବସି ଭଳି ଭଳି କି ପୋଜ ଦେଇ ଫୋଟୋ ଉଠେଇବା ରେ ଲାଗିଛନ୍ତି । ମୁଁ ବିକି କୁ ପଚାରିଲି ଆରେ ଭାଇ କଣ ପାଇଁ ଡାକୁଥିଲା। ବିକି କହିଲା ଫୋଟୋ ଉଠେଇବା ପାଇଁ ଡାକୁଥିଲା । ମୁଁ ଦେଖିଲି ସରିତା ଦିଦି (ସୌରଭ ର ବଡ ଦିଦି) ତାଙ୍କ ସାଙ୍ଗ ମାନଙ୍କ ସହିତ ଫୋଟୋ ଉଠେଇବା ରେ ବ୍ୟସ୍ତ । ମୋର ନଜର ଯାଇ ପଡ଼ିଲା ଦିଦି ଙ୍କ ସାଙ୍ଗ ମାନଙ୍କ ଉପରେ। ସେ ଭିତରେ ବହୁତ୍ ସୁନ୍ଦରୀ ଥିଲେ । ସେଥିରୁ ଜଣଙ୍କ ଉପରେ ମୋ ନଜର ଲାଗି ରହିଲା ଏବଂ ତା ଉପରୁ ନଜର ହଟେଇବା ପାଇଁ ମୋ ଆଖି ମନା କରୁଥାଏ । ପଚାରିବା ବାହାନାରେ ସୌରଭପାଖକୁ ଗଲି, ପଚାରିଲି କହ , କଣ କାମ ଅଛି ? କହ ଶୀଘ୍ର ସେପଟେ ଯିବାର ଅଛି ଆଉ ଅଳ୍ପ କାମ ଅଛି। ଏତିକି ବେଳେ ସରିତା ଦିଦି ମୋତେ ଟାଣି ନେଇ ଗଲେ । ଦିଦି କହିଲେ, ସେପଟେ କାମ ହେବ ତୁ ଆସେ ଫୋଟୋ ଉଠା, ତୋ ସାଙ୍ଗର ବାହାଘର ମାତ୍ର ତୋର ଦେଖା ନାହିଁ, କହି ମୋତେ ଟାଣି ନେଇ ସେ ସୁନ୍ଦରୀ ପାଖରେ ଠିଆ କରିଦେଲେ।
ଫଟୋ ଉଠା ସରିଲା। ମୁଁ ଯିବାକୁ ବାହାରିଲି । ସୌରଭମୋତେ ଇଶାରା ରେ ଡାକିଲା। ଆବେ ଏଠି ରହ ଭୋଜି ରେ ମାମୁଁ ଏବଂ ବାପା ଅଛନ୍ତି, ତୁ ଏଠି ରହ। ମୁଁ ପଚାରିଲି ଆବେ କାମ କଣ କହ?? ସୌରଭକହିଲା ତୋ ପାଇଁ ଗୋଟେ ଝିଅ ଦେଖିଛି। ଦେଖ ସେଇ ଝିଅ କୁ । ପ୍ରକୃତ ରେ ଯାହା ଉପରେ ମୋ ନଜର ପଡ଼ିଥିଲା ତାକୁ ହିଁ ଦେଖେଇଲା । ସେ ଥିଲା ଲୋପାମୁଦ୍ରା । ଦିଦି ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ ଡାକିଲେ ଏବଂ ମୁଁ ଗୋଟିଏ ସାଇଡ ରେ ଏବଂ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଅନ୍ୟ ସାଇଡ ରେ ରହି ଫୋଟୋ ଉଠେଇଲୁ। ଦିଦି କହିଲେ ଏହି ସିଂହାସନ ରେ ଆର ଥରକୁ ତମେ ବସିବ । ମୁଁ କହିଲି ଦିଦି ମୁଁ ବୁଝିପାରୁନାହିଁ । ଦିଦି କହିଲେ ଶୁଣ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ତୋ ପାଇଁ ପୁରା ଫିଟ୍ । ତମେ ଦୁଇ ଜଣ ର ଯୋଡ଼ି ସୁପର୍ ହିଟ ହେବ । ଲୋପାମୁଦ୍ରା କହିଲା ଦିଦି କାହିଁକି ମଜା କରୁଛ ?? ଦିଦି କହିଲେ ତୁ ଚିନ୍ତା କରନି ମୁଁ ମଉସା ଙ୍କୁ କହିଦେବି ସାନୁ ବିଷୟରେ । ମୁଁ ମନେ ମନେ ଭାବିଲି ଦିଦି ର କଥା ସତ ହୋଇଗଲେ ଭଲ ହେବ । ସେଠୁ କିଛି ସମୟ ଆମକୁ ନେଇ ସମସ୍ତେ ବହୁତ୍ କଥା ହେଲେ । ଶେଷରେ ସୌରଭଏବଂ ମୁଁ ଭୋଜି ଖାଇଲୁ ।
ସୌରଭ : ଆବେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା କେମିତି ଲାଗୁଛି କହ ?
ସାନୁ : ଭଲ ଲାଗୁଛି ଯେ ।
ସୌରଭ: ଆବେ ଯେ କଣ ? ଯେମିତି ତୋର ଇଛା ନାହିଁ , କିଛି ଦିନ ପୂର୍ବେ ମୋର ମନ ଯାଇ ଅଟକିଥିଲା ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଉପରେ କିନ୍ତୁ ଯେତେବେଳେ ଜାଣିଲି ଆମ ଘରେ ଅନ୍ୟ ଯାଗାରେ ମୋର ବାହାଘର ଠିକ୍ କରି ଦେଇଛନ୍ତି । ମୁଁ ସାଇଡ ହୋଇଗଲି ଆଉ ତୋ ପାଇଁ ଛାଡ଼ିଦେଲି । ( ଦୁହେଁ ହସିଲୁ ) । ଏମିତିରେ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ତମ ଜାତିର ।
ସାନୁ : ତୁ ଲୋପାମୁଦ୍ରା କୁ କେମିତି ଜାଣିଲୁ ?
ସୌରଭ: ଦିଦି ଆଉ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଏକା ସାଙ୍ଗରେ ମିଶି କମ୍ପ୍ୟୁଟର କ୍ଲାସ୍ କରୁଥିଲେ, ସେ ବେଳେ ବେଳେ ଆମ ଘରକୁ ଆସୁଥିଲା । ଏମିତି ଦେଖା ସାକ୍ଷାତ।
ସାନୁ: ହଉ ଛାଡ଼ ସେ କଥା, ଭୋଜି ଖା , ଲେଟ୍ ହେଲାଣି।
ସେଦିନ ବାହାଘର ଠିକ୍ ଠାକ୍ ରେ ସରିଲା ।
ଠିକ୍ ପାଞ୍ଚ ଦିନ ପରେ ମୁଁ ବାଙ୍ଗାଲୋର ଫେରି ଆସିଲି ।
ପ୍ରାୟ ଦେଢ଼ ମାସ ହୋଇଗଲାଣି । ସୌରଭ ର ଛୁଟି ସରି ଆସିଲାଣି। ସୌରଭମଧ୍ୟ ମୋ କମ୍ପାନୀ ରେ ଜବ୍ କରେ ।
ଦିନେ ସନ୍ଧ୍ୟା ସମୟରେ ସେ କଲ୍ କରି କହିଲା ଆରେ ଶୁଣ ତୋ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଆଜି ଘରକୁ ଆସି ଥିଲା । ମୁଁ ଡିଉଟି ରୁ ଆସି ମୋବାଇଲ ଘାଣ୍ଟି ବାରେ ବ୍ୟସ୍ତ ଥିଲି ।
ସାନୁ: ଆରେ ଛାଡ଼ ସେକଥା, ତୋ କଥା କହ।
ସୌରଭ : ଆରେ ସେ ଆମର ଆଲବମ୍ ଫୋଟୋ ଦେଖି କହିଲା କି ସାନୁ ସାଙ୍ଗରେ ଯୋଉ ଫୋଟୋ ଟା ଥିଲା ତାର ମୋତେ ସଫ୍ଟ କପି ମିଳିବ କି?? ମୁଁ ପଚାରିଲି କାହିଁକି ?
ଲୋପାମୁଦ୍ରା : ନା କିଛି ନାହିଁ ଯେ, ଯଦି ଦେବ ଭଲ ହୁଅନ୍ତା ।
ସାନୁ: ତାପରେ କଣ ହେଲା??
ସୌରଭ: କଣ ହେବ ? ତାର Whatsapp ରେ ଫୋଟୋ ସେଣ୍ଡ୍ କରିଦେଲି ମାତ୍ର ଗୋଟିଏ କଥା ସତ, ତୋ ପ୍ରତି ତାର ଟିକେ ଭଲ ପାଇବା ସୃଷ୍ଟି ହୋଇଛି ମୋତେ ଲାଗୁଛି । ଆଉ ଗୋଟେ କଥା ଶୁଣ ତୋ ଭାଉଜ ସାଙ୍ଗରେ ମଧ୍ୟ ତୋ ବିଷୟରେ କିଛି କଥା ହେଉଥିଲା, ମୁଁ ଯେତେବେଳେ ବେଡ୍ ରୁମ୍ ରେ ପ୍ରବେଶ କରିଲି, ସେତେବେଳେ ଟପିକ୍ ବଦଳେଇ ଦେଲେ।
ସାନୁ: କଣ କଥା ହେଲେ??
ସୌରଭ: ଏବେ ତୋ ଭାଉଜ ବାପା ଙ୍କ ପାଇଁ ଚାହା କରୁଛନ୍ତି, ସେ ଫ୍ରୀ ହେଲେ ପଚାରିଦେବି ।
ମୁଁ ଅଳ୍ପ ଖୁସି ହୋଇଗଲି । ମୁଁ କହିଲି , ତୁ କାମ କର, ପ୍ରଥମେ କଣ କଥା ହେଇଛନ୍ତି ସେ କଥା ପଚାର ତା ପରେ ମୋତେ କଲ୍ କର । ଫୋନ୍ କଟ୍, ମୁଁ ଚାଲିଲି ବାଥ୍ ରୁମ୍ କୁ । ବାଥ୍ ରୁମ୍ ରୁ ଆସିଲା ବେଳକୁ ୩ଟି ମିସ୍ କଲ୍ ତାହା ପୁଣି ସୌରଭ ର । ମୁଁ ଖୁସିରେ ପାଗଳ, କିଛି ଗୋଟେ ଭଲ ଫିଡବାକ ଦେବ ବୋଧେ । କଲ୍ ବେକ୍ କରିଲି ।
ସୌରଭ: (ରାଗରେ) କୁଆଡେ ଯାଉଛୁ ବେ??? ଫୋନ୍ ଟାକୁ ଫୋପାଡି ଦେଉନୁ ।
ସାନୁ: ହଉ ଶାନ୍ତ ହୁଅ, ମୋ ଭାଇ, କହ କଣ ହେଲା ।
ସୌରଭ : ଚୋପା କହିବି। ଠିକ୍ ଟାଇମ ରେ ଫୋନ୍ ଉଠେଇ ବୁନି ପୁଣି ପଚାରିବୁ କଣ ହେଲା।
ସାନୁ: ହଉ ଭାଇ ସରି, ମୋର ଭୁଲ ହୋଇଗଲା, ଏବେ ତ କହ ।
ସୌରଭ: ତୋ ଭାଉଜ ତୋତେ ଡାଇରେକ୍ଟ କହିବେ, ଲୋପାମୁଦ୍ରା କଣ ପଚାରୁଥିଲା ।
ସାନୁ: ହଉ ଦେ ଭାଉଜ କୁ ??
ସୌରଭ: ଏତେ ସମୟ ଅପେକ୍ଷା କରିଲା ସେ ଏବେ ରୋଷେଇ ଘରକୁ ପୁଣି ଚାଲିଗଲା ।
ସାନୁ: ତୁ ଏବେ ଯା ଏବଂ ମୋତେ ଏବେ ଭାଉଜ ସାଙ୍ଗରେ କଥା ହେବାର ଅଛି ।
ସୌରଭ: ୫ ମିନିଟ୍ ଅପେକ୍ଷା କର, ମା ଡାକିଛନ୍ତି ସେ ଶୁଣି କି ପୁଣି ଆସିଯିବ ।
ମୋର ଅଥୟ ଅବସ୍ଥା କେତେବେଳେ ଭାଉଜ ଆସିବେ। ଠିକ୍ ଗୋଟିଏ ମିନିଟ୍ ପରେ ଭାଉଜ ଆସି ଫୋନ୍ ଧରିଲେ ।
ଭାଉଜ: କଣ ଦେବର ଜି, କେମିତି ଅଛ? ଖାଲି ଭାଇ… ଭାଇ… ବେଳେବେଳେ ଭାଉଜ ଙ୍କୁ ମଧ୍ୟ ମନେ ପକାଅ ।
ସାନୁ: ନାହିଁ ଯେ। ତମେ ବ୍ୟସ୍ତ ରହୁଛ ସେଥିପାଇଁ କଥା ହୋଇପାରୁନି । କଣ କହିବ ବୋଲି ସୌରଭକହୁଥିଲା।
ଭାଉଜ: ରୁହ ଟିକେ ଅପେକ୍ଷା କର, ଏତେ ତରବର ହୁଅନି। ସବୁ କହିବି !!!
ସାନୁ: ଭାଉଜ ଶୀଘ୍ର କୁହ, ମୋ ଉତ୍ସାହ ର ସୀମା ଅସମ୍ଭାଳ ହେଲାଣି।
…………………………………………
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ଭାଗ-୦୨ : ରେ ପଢ଼ିବେ…..
(DP ରେ ପୁରା ହିରୋଇନ୍, ଭାବିଲି ମେସେଜ କରିବି କି ନାହିଁ??, ଚାଲିଲୁ ଲୋପାମୁଦ୍ରା ଘରକୁ)
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ଯନ୍ତ୍ରଣା (Pain)

ଯନ୍ତ୍ରଣା (Pain)
ଯନ୍ତ୍ରଣା (Pain)



ମୂର୍ତ୍ତିବନ୍ତ ପଥରରେ ବିଗ୍ରହ ପ୍ରତିମା
ଠାକୁର ଭାବି …..ଫୁଲମାଳ
ଧୂପ ଦୀପ ମହାର୍ଘ୍ୟ ଦେଇ
ପୂଜୁଥିବା ଲୋକେ
ପାଇବାର ଆଶା ରଖି
ହୃଦୟ ରେ ଘିଅ ଦୀପ ଜାଳି
ଯନ୍ତ୍ରଣାରେ ଜର୍ଜରିତ ହୋଇ
ଲୁହର ବର୍ଷାରେ
ପ୍ରତ୍ୟହ ଲିଭାଉ ଥାଏ
ଦେହ ଭିତରର ଆମାନସିକତାର
କ୍ଷତ…….ଗୁଡିକୁ ।

ଅରୁଣ କୁମାର ବିଷୋୟୀ ଙ୍କ
କଲମ ମୁନରୁ…..        

ସଭ୍ୟତାର ଅତଳ ଗର୍ଭରେ…..

ସଭ୍ୟତାର ଅତଳ ଗର୍ଭରେ.....
ସଭ୍ୟତାର ଅତଳ ଗର୍ଭରେ…..
ଜନ୍ମ ନିଏ ଯା’ର କୋଳରେ
ଏକ ନୂଆ କଳେବର
ନୁଆଁ ରୂପ ନେଇ
ହେବା ପାଇଁ ପୁଣି ଅଭିଶପ୍ତ
ଆରମ୍ଭ କଲି ତା’ପରେ ଶିକ୍ଷା
କରିବାକୁ ଜ୍ଞାନର ଜିଜ୍ଞାସା, 
ଶିକ୍ଷା ର ସାଗରରୁ ମୁକ୍ତା ଖୋଜୁ ଖୋଜୁ….
ପାଇ ଗଲି ମୋ ଅନ୍ତରର ଦୀକ୍ଷା
କିନ୍ତୁ….ହୋଇଯାଏ ଭ୍ରାନ୍ତିର ଶିକାର
ପିଲାଟି ବେଳରୁ।
ମା ର କୋଳରୁ ଶୁଣିଥିଲି ତୋତେ 
କେତେ ଭର୍ତ୍ସନା, ଅଟହାସ କରୁଥିବାର
ନିରୁପାୟ ଥିଲି ନିରୁପିତ କରିବା ପାଇଁ
ଲେଖାନି ଚାଲାଣ କରି ।
କର୍ଣ୍ଣ ମୋର ବଧିର ହୋଇଗଲା
ତୋ ଅପଭ୍ରଂଶ, ଅଶୁଦ୍ଧତା ଶୁଣି ଶୁଣି;
କାନ୍ଥ ବାଡ଼ରେ ଲେଖାଥିବା
ଅନେକ ଶବ୍ଦକୁ ଦେଖି ଅନ୍ଧ ପାଲଟି ଗଲି ।
ବୁଝିବାକୁ ଚେଷ୍ଟା କଲି….
ଭୂଲ ବା କାହାର…..?
ତୋର ନାଁ ଏ ସଭ୍ୟ ସମାଜର ..?
ଭାଷା ପ୍ରୀତିର କୁହୁତାନ
ମର୍ମରିତ ହୋଇ ନାହିଁ
ଏକ ବିଂଶ ଶତାବ୍ଦୀର ମାନବ ସମାଜର
ଜୀବନର ଦୃଢ଼ ବାସ୍ତବତା ଭିତରେ;
କଳ୍ପନା ମାନସରେ ଆଉ
ଅନୁକରଣରୁ ଜନ୍ମିତ
ଜୀବାଗ୍ର ଆଉ ଲେଖନୀ ମୁନରେ
ଏହି ସଭ୍ୟ ସମାଜରେ….
ଅଶ୍ଳୀଳତା ଆଉ ଅପଭ୍ରଂଶର
ଶବ୍ଦ ଗୋଟି ଗୋଟି କରି
ଶତାଧିକ ସେମାନଙ୍କୁ
“ଭାଷା….” ତୋର ଅପଵିତ୍ରକାରୀଙ୍କୁ
ଚିନ୍ତିତ ତୋ ବିଭର୍ଷତା ରେ
ଅଶ୍ରୁସିକ୍ତ ଏବେ ମୁଁ
ଗତାୟୁ ଭାଷା ସାହିତ୍ୟର
ସୁବର୍ଣ୍ଣ ଇଲକାରୁ
କୋଣାର୍କ ଚୂଡ଼ାରୁ ନେଇ
କାଳେ ଲୁଚାଇ ଦେବେ ତତେ
ସଭ୍ୟତାର ଅତଳ ଗର୍ଭରେ ।
ମନୋଜ କୁମାର ବେହେରାଙ୍କ ଲିଖିତ…..

ଆତ୍ମଲିପି

ଆତ୍ମଲିପି atmalipi
ଆତ୍ମଲିପି
ତୁମେ ବହୁତ୍ ଚାଲାକ୍
ତେଣୁ ବୁଝିପାରନି ମୋ ଶବ୍ଦର ସରଞ୍ଚନା
ମୋ ଭାଷାର ଭାବନା କୁ
ପୂର୍ଣ୍ଣତାର ପଂକ୍ତି ସବୁ;
ବିସର୍ଜନ କରିଦେଲ
ପାଗଳାମି ର ଆଖ୍ୟା ଦେଇ
ତୁମେ ନ ବୁଝିବାଟା ହିଁ ଭଲ ।
ହୃଦୟର ଅପ୍ରକାଶିତ ପାଣ୍ଡୁଲିପି
ଭିନ୍ନ ଏକ ଜହ୍ନ ରାତିର ଗଳ୍ପ
ବର୍ଷା – ବସନ୍ତ – ବୈଶାଖୀ ର କାହାଣୀ ।
ମୋ ଗଳ୍ପର ପ୍ରଥମ ପାଠିକା ଭାବେ
ପୁରୁଣା ଜହ୍ନ କୁ ଦେଖି
ତୁମେ ପରାସ୍ତ ହେବାକୁ ଚାହୁଁନ
ଭାବନାରେ…..
ସ୍ବପ୍ନ ପ୍ରଲେପ ରାତିରେ
ମୋ ଆତ୍ମ ପ୍ରତ୍ୟେୟ
ଆତ୍ମଲିପି ପାଖରେ……
ତୋ ସ୍ମୃତିରେ…..!!!!!
ମନୋଜ କୁମାର ବେହେରା ଙ୍କ
କବିତା ସଂକଳନ ରୁ……..  

ପୂର୍ଣ୍ଣ କଳସ ( A Full of Vase)

ପୂର୍ଣ୍ଣ କଳସ ( A Full of Vase)
ପୂର୍ଣ୍ଣ କଳସ ( A Full of Vase)
 
‌ନରସିଂହ ପୁର ଗ୍ରାମରେ ଗୋଟିଏ ବ୍ରାହ୍ମଣ ପରିବାର ବାସ କରୁଥିଲେ । ମୁରବି ହିସାବରେ ପୁରସ୍ତମ ବାବୁ ଘର ଚଳାଉ ଥିଲେ। ସାଙ୍ଗରେ ଥିଲେ ସ୍ତ୍ରୀ ସଙ୍ଗୀତା ସହ ସାତ ଜଣ ଝିଅ । ସେ ବହୁତ୍ ଗରିବ ଥିଲେ । ଭିକ୍ଷା ମାଗି ଯାହା ଆଣୁଥିଲେ ସେଥିରେ ଦିନକର ଖାଦ୍ୟ ହୋଇ ଯାଉଥିଲା । ଝିଅ ମାନଙ୍କ ବିବାହ କେମିତି କରିବେ ତାଙ୍କର ପ୍ରଥମ ଚିନ୍ତା । ରୂପ ରେ ଯେମିତି ଗୁଣରେ ମଧ୍ୟ ସେମିତି ବାପା ମା ତାର ନାମ ରଖିଥିଲେ ‘ପରି’ । ଘର କାମ ରେ ସେ ସବୁବେଳେ ଧ୍ୟାନ ଦିଏ।   ବାକି ଭଉଣୀମାନେ ଖେଳ ଗପ କରନ୍ତି କିନ୍ତୁ ” ପରି ” ସବୁବେଳେ ଘରେ ରୋଷେଇ କରିବା ସହିତ ବାପା ମା ଙ୍କ ସେବାରେ ଲାଗିଥାଏ । ବାପା ଭିକ୍ଷା ମାଗି ଆସିବା ମାତ୍ରେ ପ୍ରଥମେ ବାପାଙ୍କୁ ପାଣି ଦିଏ । ପରି ଉପରେ ମା ଅପେକ୍ଷା ବାପା ଅଧିକ ଭଲ ପାଆନ୍ତି । ଏହିପରି ବ୍ରାହ୍ମଣ ପରିବାର ସୁଖରେ ଦୁଃଖରେ ଦିନ ଗଡୁଥାଏ।
 
ସେହି ଦେଶରେ ସଂଗ୍ରାମ କେଶରୀ ବୋଲି ଜଣେ ରାଜା ଶାସନ କରୁଥିଲେ । ସେ ନିଜ ପୁତ୍ର ପାଇଁ ବହୁତ୍ ଚିନ୍ତିତ ଥିଲେ କାରଣ ତାଙ୍କ ପୁଅ ଅନିତି ଦୁଷ୍କର୍ମ ରେ ଲିପ୍ତ ରହୁଥାଏ । ସେ ଭାବନ୍ତି ରାଜପରିବାର କୁ ଏମିତି ଗୋଟିଏ ବୋହୂ ର ଆବଶ୍ୟକତା ଅଛି ଯିଏ ମୋ ପୁଅ କୁ ଉଚିତ୍ ମାର୍ଗ କୁ ନେଇ ଆସିବ । ଏହା ଭାବି ଦିନେ ସେ ସମୁଦ୍ର କୂଳକୁ  ବୁଲିବା ପାଇଁ ଗଲେ ସେଠାରେ ବସି ସବୁ କଥା ଭାବୁଥାନ୍ତି । ହଠାତ ତାଙ୍କୁ ଜଣେ ” ମହାରାଜ ସଂଗ୍ରାମ ” ବୋଲି ଡାକିବାର ଶୁଣାଗଲା । ସେ ବସିଥିବା ସ୍ଥାନରୁ ଉଠିଯାଇ କିଏ କୋଉଠି ଡାକୁଛି ବୋଲି ରାଜା ପଚାରିଲେ । ମୁଁ ହେଉଛି ସମୁଦ୍ର ରାଜା, ତୁମେ ଏତେ ଚିନ୍ତାରେ ଯାହା ଭାବୁଛ ତାହାର ସମାଧାନ ମୋ ପାଖରେ ଅଛି । ରାଜା ପ୍ରଣାମ କରି ଅନୁରୋଧ କରିଲେ।  ସମୁଦ୍ର ରାଜା କହିଲେ ।  ତୁମକୁ ଗୋଟିଏ ଖାଲି କଳସ ଦେବୀ ସେ କଳସ ରେ ମୂଲ୍ୟବାନ ଜିନିଷ ଯେମିତି ସୁନା, ରୂପା, ଧାନ ଇତ୍ୟାଦି ଯେଉଁ କନ୍ୟା ହାତରୁ ପୂର୍ଣ୍ଣ ହୁଏ ସେ ହେବ ତୁମର ପୁତ୍ର ବଧୂ । ରାଜା ପୁଣି ପଚାରିଲେ ଏହି କଳସ କୁ ଯେ କୌଣସି ସାଧାରଣ କନ୍ୟା ମଧ୍ୟ ପୂର୍ଣ୍ଣ କରିଦେବ । ରାଜାଙ୍କ ର କଥା ଶୁଣି ସମୁଦ୍ର ରାଜା ହସି କୁହନ୍ତି କି ‘ ରାଜା ଏ  ସାଧାରଣ କଳସ ନୁହେଁ ଯେ ଯେକୌଣସି କନ୍ୟା ହାତରୁ ପୂର୍ଣ୍ଣ ହୋଇ ଯିବ।  ଯେଉଁ ଝିଅ ସର୍ବ ଗୁଣି ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ଥିବ ଏବଂ ଜ୍ଞାନୀ ଥିବ ତଥା ମାତା ପିତା କୁ ସମ୍ମାନ କରୁଥିବ ତାର ମନରେ କିଛି ବି ପାପ ଆଶା ନଥିବ ମନଟି ବହୁତ ପବିତ୍ର ହେଇଥିବ । ସେହି ଝିଅ ହାତରେ ହିଁ ଏହି କଳସ ପୂର୍ଣ୍ଣ ହେବ ।
 
ରାଜା କଳସ କୁ ନେଇ ନିଜ ରାଜମହଲ କୁ ଫେରିଗଲେ ମନରେ କେବଳ ଗୋଟିଏ ଚିନ୍ତା ଏହି ରାଜ୍ୟରେ ଏମିତି ଗୁଣି କନ୍ୟା ମୋ ପୁତ୍ର କୁ ମିଳିବ ଯାହା ଫଳରେ ଏହି ରାଜ୍ୟର ଭବିଷ୍ୟତ ବଦଳିବ ଏବଂ ପ୍ରଜାମାନ ଙ୍କ ର ଉତ୍ତମ ଦେଖା ଶୁଣା ହେବ । ସେ ଦୂତ ମାଧ୍ୟମରେ ଏହି ବାର୍ତା ସବୁ ରାଜ୍ୟ କୁ ଜଣାଇଲେ । ରାଜ ମହଲରେ ଗୋଟିଏ କଳସ ଅଛି, ଏହି କଳସ କୁ ଯିଏ ପୂର୍ଣ୍ଣ କରିପାରିବ ସିଏ ହେବ ଏହି ରାଜ ମହଲର ରାଣୀ । ଏହା ଶୁଣି ପ୍ରତ୍ୟକ ରାଜା ନିଜ ନିଜ କନ୍ୟାକୁ ସୁନ୍ଦର ପୋଷାକ ପରିଧାନ କରେଇ ରାଜମହଲ କୁ ଆସିଲେ । କିନ୍ତୁ ସବୁ ରାଜ୍ୟର ରାଜକୁମାରୀ କଳସ କୁ ପୂର୍ଣ୍ଣ କରିବାରେ ସକ୍ଷମ ନ ହେବା ଯୋଗୁ ରାଜା ରାଜ୍ୟର ପ୍ରତ୍ୟେକ ଗ୍ରାମରେ ଏହି ବାର୍ତ୍ତା କୁ ପ୍ରସାର କଲେ ।  ରାଜ୍ୟରେ ଥିବା ସବୁ ସୁନ୍ଦରୀ ଏଥିରେ ଭାଗ ନେଲେ । ଏହି କଥା ବ୍ରାହ୍ମଣ ଝିଅ ମାନେ ମଧ୍ୟ ଜାଣିଲେ ଏବଂ ସେମାନେ ମଧ୍ୟ ଏଠି ଯୋଗ ଦେବାକୁ ବାହାରିଲେ।   କିନ୍ତୁ ବଡ଼ ଝିଅ  ପରିକୁ ମା ଛାଡିଲେ ନାହିଁ। ପରି ଘର କାମରେ ବ୍ୟସ୍ତ ରହିଲା । 
ପୂର୍ଣ୍ଣ କଳସ କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ ପୁନଃ ଆରମ୍ଭ ହେଲା। ଜଣକ ପରେ ଜଣେ କନ୍ୟା ସେଠି ଯାଇ, ଯିଏ ଯାହା ମୂଲ୍ୟବାନ ଜିନିଷ ଆଣିଥିଲେ ସେ କଳସ ରେ ପୁର୍ଣ୍ଣ କରିବାକୁ ଲାଗିଲେ। ସେଥିରେ ରାଜ୍ୟର ବହୁତ ଜଣ କନ୍ୟା ବିଫଳ ହୋଇ ଫେରିଲେ । ବ୍ରାହ୍ମଣ ଙ୍କର ଛଅ ଝିଅ ମଧ୍ଯ ରୁ ଜଣେ ସେ କଳସ କୁ ଧାନ ରେ ପୁର୍ଣ୍ଣ କରିବାକୁ ଚାହିଁଲା କିନ୍ତୁ ନିଜ ପାଇଁ ଆଣିଥିବା ସବୁ ଧାନ ଦେବା ପରେ ମଧ୍ୟ ସେ କଳସ ପୁର୍ଣ୍ଣ ହେଲା ନାହିଁ । ବାକି ପାଞ୍ଚ ଜଣ ସେ ଦୃଶ୍ୟ ଦେଖି ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ହୋଇଗଲେ । ସେମାନେ ଭାବିଲେ ଏ କୌଣସି ଯାଦୁ କଳସ ହୋଇଥିବ। ଯେତେ ପୁର୍ଣ୍ଣ କରିବାକୁ ପ୍ରୟାସ ରେ ମଧ୍ୟ ଏହି କଳସ ପୁର୍ଣ୍ଣ ହେଉନାହିଁ । ଚାଲ ଆମେ ଘରକୁ ଫେରିଯିବା । ଦୁଇ ନମ୍ବର ଭଉଣୀ କହିଲା । ଯଦି ଆମ ଭାଗ୍ୟରେ ଥିବ କଳସ ପୁର୍ଣ୍ଣ ହେଇଯିବ ତେବେ ଆମ ଜୀବନ ରେ କୌଣସି ଦୁଃଖ ରହିବ ନାହିଁ । ଏତେ ବଡ଼ ରାଜ ମହଲର ରାଣୀ ହେବାର ସୁଯୋଗ ଆଉ କେବେ ମିଳିବ ନାହିଁ । ମୁଁ ଯାଇ ସେ କଳସ କୁ ପୂର୍ଣ୍ଣ କରିବି । ଗୋଟିଏ ପରେ ଗୋଟିଏ ଭଉଣୀ ଗଲେ ହେଲେ ମଧ୍ୟ କେହି ପୂର୍ଣ୍ଣ କରିପାରିଲେ ନାହିଁ । ରାଜା ବହୁତ ଚିନ୍ତା ରେ ପଡିଗଲେ ଭାବିଲେ କଣ କେହି ବି ଝିଅ ଜନ୍ମ ହେଇନାହାନ୍ତି।  ମୋ ପୁଅ ପାଈଁ  ? ତେବେ ମୋ ପୁଅ ର ଜୀବନ କେମିତି ବଦଳିବ ଆଉ ଭଲ ରାସ୍ତାକୁ କେମିତି ଆସିବ ଭାବି ଚିନ୍ତାରେ ପଡିଲେ। 
 ବ୍ରାହ୍ମଣ ଜଣକ ଭିକ୍ଷା ମାଗି ଘରେ ପହଞ୍ଚିଲେ। ପରି କୁ ପଚାରିଲେ ତୋର ଅନ୍ୟ ଭଉଣୀ ମାନେ ଆଜି କୁଆଡେ ଯାଇଛନ୍ତି । ପରି କୁହେ ସେମାନେ ରାଜାଙ୍କ ଦରବାରକୁ ଯାଇଛନ୍ତି । ରାଜା ନିଜ ପୁତ୍ର ପାଇଁ ସର୍ବ ଗୁଣ ସଂପୂଣ୍ଣ ବୋହୂ ଖୋଜୁଛନ୍ତି  ଏବଂ ସେ ଗୋଟିଏ କଳସ ଦେବେ ସେ କଳସ କୁ ଯିଏ ପୂର୍ଣ୍ଣ କରିବ ସିଏ ହେବ ରାଜ ମହଲର ରାଣୀ । ଏହା ଶୁଣି ବାପା ଖୁସି ହେଲେ ଏବଂ ପରି ବିଷୟରେ ସବୁ ଜାଣି ପରି କୁ କହିଲେ ତୁମେ କଣ ପାଇଁ ସେଠୀ ଯୋଗ ଦେଲ ନାହିଁ । ପରି କହିଲା ମା ଙ୍କ ସେବା ସହିତ ଘର କାମ ଥିଲା। ସଂଧ୍ୟା ହେବାକୁ ଆସୁଥାଏ ବାପା ପରିକୁ ନେଇ ସେଠାକୁ ଗଲେ କିନ୍ତୁ ପୁର୍ଣ୍ଣ କଳସ କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ ରେ ରାଜା ନିରାଶ ହୋଇ ବନ୍ଦ କରିବାକୁ ଯାଉଥିଲେ ହଠାତ୍ ଶବ୍ଦ ଶୁଣିବାକୁ ମିଳିଲା ।  କ୍ଷମା ଚାହୁଁଛି ମହାରାଜ, ମୋର ଆସିବାର ବିଳମ୍ବ ଯୋଗୁ ମୁଁ ଦଣ୍ଡ ର ପାତ୍ର କିନ୍ତୁ ମୋର ଗୁଣିବାନ୍ ଝିଅ ହାତରୁ ଥରେ କଳସ କୁ ପୁର୍ଣ୍ଣ କରିବାର ସୁଯୋଗ ଦିଅନ୍ତୁ।  ରାଜା ନିରାଶ ହୋଇ ମନା କରିଦେଲେ । ଏବଂ କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ କୁ ବନ୍ଦ କରିବାର ଆଦେଶ ଦେଲେ।  ସମସ୍ତେ ଦୁଃଖରେ ଫେରିବାକୁ ଲାଗିଲେ। ଏତିକିବେଳେ ରାଜଗୁରୁ ଉପଦେଶ ଦେଲେ ଯେ ମହାରାଜ ବେଳେବେଳେ ଶେଷ ସମୟରେ ଚମତ୍କାର ହୋଇଯାଏ।  ଯଦି ସମ୍ଭବ ତେବେ ଏହି ରାଜ୍ୟର ଶେଷ କନ୍ୟା କୁ ମଧ୍ୟ ସୁଯୋଗ ଦିଅନ୍ତୁ । 
ରାଜ ଗୁରୁ ଙ୍କ ଉପଦେଶ ରେ ରାଜା ପରି କୁ କଳସ ପୁର୍ଣ୍ଣ କରିବାକୁ ସୁଯୋଗ ଦେଲେ ଏବଂ ଆଦେଶ ଦେଲେ ଆପଣ ଆଣିଥିବା ମୂଲ୍ୟବାନ ଜିନିଷ ରେ ଏହି କଳସ ପୁର୍ଣ୍ଣ କରନ୍ତୁ କିନ୍ତୁ ପରି ପାଖରେ ସେମିତି ମୂଲ୍ୟବାନ ଜିନିଷ କିଛି ନଥିଲା। ପରି ରାଜାଙ୍କୁ ଅନୁରୋଧ କରିଲା କି ମହାରାଜ ମୁଁ ରାସ୍ତାରୁ କିଛି ମୂଲ୍ୟବାନ ଜିନିଷ ପାଇଛି ସେ ଗୁଡିକ ଏହି କଳସ ରେ ପୁର୍ଣ୍ଣ କରି ପାରିବି?? ରାଜା କହିଲେ ନିଶ୍ଚୟ !! ପରି ନିଜ ବ୍ୟାଗ୍ ରୁ ଗୋଟିଏ କପଡା ରେ ବନ୍ଧା ଥିବା ପୁଟୁଳି ବାହାର କରିଲା । ପୁଟୁଳି ଖୋଲିଲା ପରେ ସମସ୍ତେ ଦେଖିଲେ ତାହା ଥିଲା କେବଳ ଧୂଳି । ସମସ୍ତେ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ହେଲେ । ସେ ସେଥିରୁ ମୁଠାଏ ଧୂଳି ବାହାର କରି ସେହି ପାତ୍ର ରେ ପୁର୍ଣ୍ଣ କରିବାକୁ ଗଲାବେଳେ ମନ୍ତ୍ରୀ ଗଣ ଏହାକୁ ବିରୋଧ କରିଲେ । ସେମାନେ ବିରୋଧ କରିଲେ ଏହି ପବିତ୍ର କଳସ ରେ ଧୂଳି ମାଟି ରେ ପୁର୍ଣ୍ଣ କରା ଯିବ ନାହିଁ କିନ୍ତୁ ରାଜା ପରି କୁ ଅନୁମତି ଦେଇଥିଲେ ସେଥିପାଇଁ ସେ ପରି କୁ ପୁର୍ଣ୍ଣ କରିବାକୁ ଆଦେଶ ଦେଲେ । ମୁଠାଏ ଧୂଳି ପକେଇବା ପରେ ହଠାତ୍ କଳସ ପୁର୍ଣ୍ଣ ହୋଇ ସମସ୍ତ ଧୂଳି ସ୍ଵର୍ଣ୍ଣ ରେ ପରିଣତ ହୋଇ କଳସ ଚମକି ଉଠିଲା। ସମସ୍ତ ଙ୍କ ମନରେ ଖୁସିର ଲହରୀ ଖେଳିଗଲା। ରାଜା ବହୁତ ଖୁସି ହେଲେ । ପରିକୁ ନିଜର ପୁତ୍ର ସହ ବିବାହ କରିବାକୁ ଆଦେଶ ଦେଲେ । ରାଜାଙ୍କ ପୁଅ ପରି କୁ ବିବାହ କରି ଧିରେ ଧିରେ ସରଳ ହେବାକୁ ଲାଗିଲା ଏବଂ ରାଜାଙ୍କ ସବୁ କାର୍ଯ୍ୟ ରେ ସେ ଇଛା ରଖି ରାଜକୁମାର ଭାବେ ନିୟୋଜିତ କରିଲେ। ପରିର କାର୍ଯ୍ଯ ଏବଂ ସ୍ଵାମୀ ପ୍ରତି ଥିବା ଧର୍ମ ଏହା ଛଡା ମହାରାଜ ଏବଂ ମହାରାଣୀ ପ୍ରତି ଭକ୍ତି ରେ ରାଜମହଲ ନୂଆ ରୂପରେ ସୁସଜ୍ଜିତ ହେବାକୁ ଲାଗିଲା । ରାଜା ବ୍ରାହ୍ମଣ ପରିବାର କୁ ରହିବା ଖାଇବା ରେ ଅଭାବ କରିଲେ ନାହିଁ । ସେମାନେ ମଧ୍ଯ ଖୁସିରେ ରହିଲେ । ମହାରାଜ ସେହି ପୂର୍ଣ୍ଣ କଳସ କୁ ନେଇ ନିଜ ଠାକୁର ଘରେ ରଖିଲା ସମୟରେ ତାଙ୍କ ମନରେ ଗୋଟିଏ ପ୍ରଶ୍ନ ଆସିଲା ଯେ ସେ ଚମତ୍କାର ଧୂଳି ପରି କୋଉଠୁ ପାଇଲା ଯାହା ସଙ୍ଗେ ସଙ୍ଗେ ସ୍ଵର୍ଣ୍ଣ ରେ ପରିଣତ ହୋଇଗଲା
ମହାରାଜ ପରି କୁ ପଚାରିଲେ ସେ ଚମତ୍କାର ଧୂଳି ବିଷୟରେ । ପରି କହିଲା ସେଦିନ ବାପା ଆଉ ମୁଁ ରାଜମହଲ ଆସୁଥିବା ସମୟରେ ବାପା ଆଗରେ ଚାଲିଥାନ୍ତି । ବାପା ଚାଲୁଥିବା ସମୟରେ ତାଙ୍କ ପାଦ ଧୂଳି କୁ ମୁଁ ଉଠେଇ ସେ ପୁଟୁଳି ରେ ରଖି ଆସୁଥିଲି । ଏବଂ ମୋ ପାଇଁ ତାଙ୍କ ପାଦ ଧୂଳି ସବୁଠୁ ମୂଲ୍ୟବାନ ଜିନିଷ ଏବଂ ସେହି ମୂଲ୍ୟବାନ ଜିନିଷ ଯୋଗୁ ଆଜି ମୋର ଭାଗ୍ୟ ବଦଳିଛି । ତାଙ୍କ ପାଦ ଧୂଳି ମୋ ପାଇଁ ସବୁଠୁ ବଡ ମୂଲ୍ୟବାନ ଜିନିଷ ଅଟେ । 
 
ମୁଖ୍ୟ ବିନ୍ଦୁ :-
୧. ବାପା ମା ଙ୍କ ସେବା କରିବା ଦରକାର ।
୨. ଆପଣ କର୍ମ କରି ଚାଲ, ସମୟ ଆସିଲେ ଆପଣଙ୍କୁ ନିଶ୍ଚୟ ସୁଫଳ ମିଳିବ ।
୩. ଶେଷ ସମୟରେ ସବୁବେଳେ ଉତ୍ତମ ଫଳ ମିଳେ। 
 
ଲେଖିକା. ପୂଜା ସ୍ୱାଇଁ 
ବୁଗୁଡ଼ା , ଗଞ୍ଜାମ.

ହଳଦୀ ବସନ୍ତ Last ( A sucessful Love Story)


ହଳଦୀ ବସନ୍ତ ( A sucessful Love Story) Last
ହଳଦୀ ବସନ୍ତ ( A sucessful Love Story) Last
ଘରକୁ ଯିବା ପରେ ଦୁହେଁ ପ୍ରତିଦିନ କଥା ହୁଅନ୍ତି । କିଛି ଦିନ ପରେ ସୁମନ୍ତ ଫେରିଗଲା ମହାରାଷ୍ଟ୍ର। ଏମିତି କଥା ବାର୍ତ୍ତା, Whatsapp ଚାଟ ବହୁତ୍ ଦିନ ଚାଲିଲା । ଠିକ୍ ବର୍ଷେ ପରେ ସୁମନ୍ତ ପାଇଁ ଘରେ ଝିଅ ଖୋଜା ଚାଲିଲା । ସୁମନ୍ତ ଶୁଣି ମା କୁ କହିଲା,
ସୁମନ୍ତ: ମା ମୁଁ ଲିନା କୁ ଭଲ ପାଉଛି ତାକୁ ବିବାହ କରିବାକୁ ଚାହୁଁଛି ।
ମା: ଲିନା ଯିଏ ବ୍ରହ୍ମପୁର ରେ ଦେଖା ହୋଇଥିଲା ତ??
ସୁମନ୍ତ: ହଁ ମା!!
(ମା ଲିନା କଥା ଶୁଣି ହଁ କରି କହିଲେ ସେ ତ ବହୁତ୍ ଭଲ ଝିଅ)
ମା: ସେ ଆମ Caste ର ତ??
ସୁମନ୍ତ: ନାହିଁ ମା ତାଙ୍କର ଅଲଗା Caste!!
ମା କିଛି ସମୟ ଚିନ୍ତା ରେ ପଡ଼ି କହିଲେ ମୋର ଇଚ୍ଛା ତୁ ସେଠୀ ବିବାହ କରେ କିନ୍ତୁ ତୋ ବାପା କୁ କିଏ ମନେଇବ ?? ତୋ ବାପା ଯେମିତି ରାଗି ସେ ତ ଏମିତି କଥା ଶୁଣିଲେ ଘରେ ତାଣ୍ଡବ ହେବ !
ସୁମନ୍ତ: ମା , ତମେ ହିଁ କିଛି କର !!
ମା : ହଉ ମୁଁ ତୋ ବାପା କୁ କହୁଛି । ରାତିରେ ମା ବାପା ଙ୍କୁ ଏହି କଥା କହିଲା ପରେ , ବାପା ରାଗି କି ପଞ୍ଚମ । ସେ କହିଲେ , ମୋ ଇଚ୍ଛା ଅନୁସାରେ ସେ ବିବାହ କରିବ ଏବଂ ଆମ ଜାତି ର ଝିଅ କୁ ବିବାହ କରିବ । ମା ସକାଳୁ ସେହି କଥା ସୁମନ୍ତ କୁ କହି ବୁଝାଇଲେ । ବାବୁରେ ତୋ ବାପା ମୋ ଉପରେ ବହୁତ୍ ରାଗିଲେ । ସେ କହିଛନ୍ତି ତୁ ତାକୁ ଭୁଲିବା ପାଇଁ ।
ସୁମନ୍ତ: ମା ଆମେ ଦୁଇ ଜଣ ପରସ୍ପରକୁ ବହୁତ୍ ଭଲ ପାଉ । ତାଙ୍କ ଘରେ ମଧ୍ୟ ରାଜି ଅଛନ୍ତି ।
ମା : ବାପା ତୋ ପାଇଁ କୋଉ ସାର୍ ଙ୍କ ଝିଅ କୁ ତୋ ସାଙ୍ଗରେ ବିବାହ କରିବାକୁ ସେ ସାର୍ କୁ କଥା ଦେଇଛନ୍ତି। ବାପା କହିଲେ ସେ ଯଦି ମୋ କଥା ମାନିବ ନାହିଁ ତେବେ ମୋର ଇଜ୍ଜତ ମାଟିରେ ମିଶିଯିବ ବୋଲି କହୁଛନ୍ତି ଏବଂ ମୋତେ ଆତ୍ମ ହତ୍ୟା କରିବାକୁ ଧମକ ଦେଉଛନ୍ତି।
ସୁମନ୍ତ: ମା , ମୁଁ ମଧ୍ୟ ଲିନା କୁ କଥା ଦେଇଛି । ବିବାହ ପାଇଁ , ସେଥିପାଇଁ ତାଙ୍କ ଘରେ ବହୁତ୍ ପ୍ରସ୍ତାବ କୁ ଫେରେଇ ଦେଉଛନ୍ତି। ସୁମନ୍ତ କଣ କହିବ କିଛି ଭାବି ପାରୁନଥିଲା।
ସୁମନ୍ତ: ମୁଁ ଛୁଟି ରେ ଆସିବି ବାପା ସାଙ୍ଗରେ କଥା ହେବି । କହି ଫୋନ୍ ରଖିଦେଲା।
( ପ୍ରକୃତ କଥା ହେଲା ଘର ର ଜ୍ବାଇଁ ବାବୁ ଙ୍କ ପରିଚିତ ରେ ଏହି ବିବାହ ପ୍ରସ୍ତାବ ଟିଏ ହୋଇଛି । ଜ୍ବାଇଁ ବାବୁ ଜଣେ ଶିକ୍ଷକ। ସେ ବାପା ଙ୍କୁ ବହୁତ୍ ଭଲ ପାଆନ୍ତି। ଜ୍ବାଇଁ ବାବୁ ଙ୍କ ପ୍ରସ୍ତାବ କୁ ଅବମାନନା କରିଲେ ଘରେ ନିଶ୍ଚିତ ଝଡ଼ ଆସିବ । )
ଦ୍ଵିତୀୟ ଛୁଟିରେ ସୁମନ୍ତ ଘରେ ଆସି ବାପା ଙ୍କୁ ବୁଝେଇଲା କିନ୍ତୁ ବାପା ନାରାଜ । ଘରେ ବହୁତ୍ ଝଗଡା। ସେ ଛୁଟି ରେ ପ୍ରତ୍ୟେକ ଦିନ ଝଗଡା ଝଗଡା ରେ ଦିନ କଟିଗଲା। ସୁମନ୍ତ ରାଗରେ କହିଲା ମୁଁ ଆଉ ଛୁଟି ଆସିବିନି କହି ଘରୁ ବାହାରିଗଲା ମହାରାଷ୍ଟ୍ର। ବ୍ରହ୍ମପୁର ରେ ଲିନା ଦେଖା କରି ବାକୁ ଆସିଥିଲା । ଲିନା କୁ ସୁମନ୍ତ ସବୁ କଥା କହି ବୁଝେଇଲା ,କିଛି ଦିନ ଅପେକ୍ଷା କର ସବୁ ଠିକ୍ ହୋଇଯିବ ବୋଲି ସୁମନ୍ତ ଲିନା କୁ ପ୍ରତିଶ୍ରୁତି ଦେଇ ମହାରାଷ୍ଟ୍ର ଚାଲିଗଲା।
ସୁମନ୍ତ ଯେତେବେଳ ଫୋନ୍ କରେ ବାପା ରାଗରେ କଥା ହୁଅନ୍ତି ନାହିଁ ତ କେତେବେଳେ ମନ ରଖିବା ପାଇଁ କଥା ହୋଇଯାଆନ୍ତି । ଏମିତି ଚାଲିଲା ଦେଢ଼ ବର୍ଷ । ଏପଟେ ଲିନା ଏବଂ ସୁମନ୍ତ ପ୍ରତ୍ୟେକ ଦିନ କଥା ହେଉଥାନ୍ତି ।
ପ୍ରାୟ ବର୍ଷେ ହେଲାଣି ସୁମନ୍ତ ଘରକୁ ଆସି ନାହିଁ । ଠିକ୍ ଏହି ସମୟରେ ମହାମାରୀ ଆସିଗଲା ଦେଶରେ ଲାଗିଗଲା ଲକ୍ ଡାଉନ୍। ଲକ୍ ଡାଉନ୍ ରେ ମଧ୍ୟ ମହାରାଷ୍ଟ୍ର ରେ ଫସି ରହିଲା କିନ୍ତୁ ଲକ୍ ଡାଉନ୍ ପରେ ସୁମନ୍ତ ଯେତେବେଳେ ଗାଁ କୁ ଆସିଲା। ସେତେବେଳେ ସୁମନ୍ତ ର ବାପା ଙ୍କ ମନ ବଦଳି ଯାଇଛି। ବାପା ନିଜେ କହିଲେ ତୁ କାହାକୁ ଭଲ ପାଉଛୁ କହ ସେଠୀ ବିବାହ ପାଇଁ ମୁଁ ରାଜି ଅଛି। ମୁଁ ରାଗରେ ରେ ରହି ବହୁତ୍ ଦିନ ଅପେକ୍ଷା କରିଲିଣି ଆଉ ନାହିଁ । ତୁ ମଧ୍ୟ ମୋ ଉପରେ ରାଗ ରେ ରହି ତୋର ଅମୂଲ୍ୟ ସମୟ କୁ ଖରାପ୍ କରି ସାରିଲୁଣି।
( ମା ବାପା ଙ୍କୁ ପ୍ରତିଦିନ ବୁଝେଇ ବୁଝେଇ ଏହା ସମ୍ଭବ ହେଲା , ଗ୍ରାମର ଆଭିଜାତ୍ୟ ଏବଂ ସମ୍ମାନ ରକ୍ଷା କର କିନ୍ତୁ ଗ୍ରାମ ସଭାରେ ଏହି କଥା ରଖ ଯଦି ମାନିଗଲେ ତେବେ ଭଲ କଥା, କିନ୍ତୁ ବାପା ଗ୍ରାମ ଲୋକ ଙ୍କ ସହିତ କଥା ହେଲା ପରେ ଗ୍ରାମରେ ତାଙ୍କୁ କିଛି ସର୍ତ୍ତ ମୂଳକ ରୂପେ ସେଠୀ ବିବାହ ପାଇଁ ଅନୁମତି ଦେଲେ )
ସୁମନ୍ତ ବହୁତ୍ ବହୁତ୍ ଖୁସି ହେଲା। ବହୁତ୍ ଦିନ ର ଆଶା ଆଜି ସତ ହେବାକୁ ଯାଉଛି ତାହା ପୁଣି ବାପା ଙ୍କ ଅନୁମତିରେ ଏବଂ ବାପା ଙ୍କ ମନ ପରିବର୍ତ୍ତନ ଶୁଣି ଲିନା କୁ ଖୁସି ଖବର ଜଣେଇ ଦେଲା ।
କିଛି ଦିନ ପୂର୍ବେ ଦୁଇ ପରିବାର ଙ୍କ ସହମତି ରେ Ring Ceremony ହେଲା । ବର୍ତମାନ ସୁମନ୍ତ ଏବଂ ଲିନା ର ଜୀବନ ରେ ନୂଆ ମୋଡ଼ ଆସିଲା । ଦୁହେଁ ବହୁତ୍ ଖୁସି ଅଛନ୍ତି। ଏବେ ସୁମନ୍ତ ୦୨ ମାସ ପରେ ଛୁଟି ନେଇ ଆସିଛି। ଦୁହେଁ ବାଇକ୍ ରେ ବୁଲା ବୁଲି ଚାଲିଛି, ଖୁବ୍ ମଜା ମସ୍ତି ଚାଲିଛି ଏବଂ ଏହି ବର୍ଷ ଶେଷ ସୁଦ୍ଧା ସେମାନଙ୍କ ବିବାହ ମଧ୍ୟ ହୋଇଯିବ ।
ପ୍ରେମ କୋଉଠି ଆରମ୍ଭ ହୋଇଯାଏ କିଏ ଜାଣିନି । ଏବଂ ସମସ୍ତ ଙ୍କ ପ୍ରେମ ସଫଳ ହୁଏ ତାହା ଜଣା ନାହିଁ କିନ୍ତୁ ସୁମନ୍ତ ଏବଂ ଲିନା ର ପ୍ରେମ ସମ୍ପର୍କ ବହୁତ୍ ଝଡ ବତାସ ପରେ ତାଙ୍କ ପ୍ରେମ ମୟ ଜୀବନରେ ମଳୟ ପବନ ବହିଛି। ଏବେ ବାକି ରହିଲା କେବଳ ବାହାଘର । ତାହା ମଧ୍ୟ ବହୁତ୍ ଶୀଘ୍ର ହେବ । ସେତେବେଳେ ଆଉ ଗୋଟିଏ ସଫଳ ଭଲ ପାଇବା ର ବିବାହ ହେବ ।
ଏହି ଗପ ପଢୁଥିବା ସମସ୍ତ ବନ୍ଧୁ ମାନଙ୍କୁ ସୁମନ୍ତ ଏବଂ ଲିନା ର ବାହାଘର ରେ ଯୋଗ ଦେବା ପାଇଁ ଅନୁରୋଧ ରହିଲା । ବାହାଘର ରେ ନିଶ୍ଚୟ ଆସିବେ ।
ଧନ୍ୟବାଦ ।

ହଳଦୀ ବସନ୍ତ Part-4 ( A sucessful Love Story)


ହଳଦୀ ବସନ୍ତ ( A sucessful Love Story) Part-4
ହଳଦୀ ବସନ୍ତ ( A sucessful Love Story) Part-4




ପର ଦିନ ସକାଳେ , ସୁମନ୍ତ ରାଜୀବ ର ବାହାଘର ପ୍ରସ୍ତୁତି ରେ ଲାଗିପଡିଲା । ଲିନା ବାହାଘର ମଣ୍ଡପ କୁ ଆସି ସୁମନ୍ତ କୁ କଲ୍ କରିଲା । ଫୋନ୍ ଥିଲା ମା ପାଖରେ । ଫୋନ୍ ବାଜି ଉଠିଲା । କଲ୍ ରେ ନାମ ଥିଲା ” ହଳଦୀ ବସନ୍ତ ” ପୁରା ଓଡ଼ିଆ ରେ ଲେଖା ହୋଇଥିଲା। ମା ଫୋନ୍ ନେଇ ଆସିଲେ ଏବଂ ସୁମନ୍ତ କୁ ଦେଇ କହିଲେ ନେ ତୋର କିଏ ହଳଦୀ ବସନ୍ତ ଫୋନ୍ କରିଛି । ସୁମନ୍ତ ଟିକେ ଲାଜ କରି ଫୋନ୍ ମୁଁ ଧରିଲା ଏବଂ କଥା ହେଲା । ପ୍ରକୃତରେ ଲିନା ସୁମନ୍ତ କୁ ଦେଖି ଲୁଚି ଫୋନ୍ କରୁଥାଏ । କିଛି ସମୟ ପରେ ଲିନା ସୁମନ୍ତ ପାଖରେ ଆସି ପହଁଚିଲା । ସୁମନ୍ତ ଲିନା କୁ ଦେଖି ତାରିଫ କରିଲା । ଲିନା ଗୋଟିଏ ଗୋଲାପି ଏବଂ ହଳଦୀ ରଙ୍ଗ ର ଡ୍ରେସ ରେ ଆସି ପହଞ୍ଚିଲା। ସେହି ଡ୍ରେସ୍ ରେ ସେ ସମସ୍ତଙ୍କ ଠାରୁ ଅଲଗା ଜଣା ପଡୁଥିଲା।   
ସବୁ କୁଣିଆ ମାନଙ୍କ ନଜର କେବଳ ଲିନା ଉପରେ ଥାଏ କିନ୍ତୁ ପ୍ରକୃତ ରେ ସେ କେବଳ ସୁମନ୍ତ ପାଇଁ ସଜ ହୋଇ ଆସିଛି । ସୁମନ୍ତ ଯୋଉଠି ଯାଏ, ଲିନା ପଛେ ପଛେ ପହଞ୍ଚି ଯାଉଥାଏ । ମାଉସୀ ଦେଖି ଖୁସି ହେଲେ ମନେ ମନେ ଭାବିଲେ ଲିନା ଯଦି ଆମ ଘର ର ବୋହୂ ହୁଅନ୍ତା, ତେବେ ବହୁତ୍ ବଢିଆ ହୁଅନ୍ତା । ବାହାଘର ରେ ସମସ୍ତେ ସନ୍ଦେହ କରିଲେ ଯେ ଲିନା ଏବଂ ସୁମନ୍ତ ଦୁହେଁ ପରସ୍ପର କୁ ଭଲ ପାଉଛନ୍ତି ବୋଲି । ଲିନା ର ମମି ଆସିଲା । 
ଲିନା ମମି କୁ ସୁମନ୍ତ ବିଷୟରେ ସବୁ କହି ସାରିଥିଲା । ଲିନା ର ମମି ଏବଂ ସୁମନ୍ତ ର ମା ପରିଚୟ ହୋଇ କଥା ରେ ଲାଗି ପଡ଼ିଲେ । ବାରାତ୍ ଏବଂ ଭୋଜି ସରିଲା । ଲିନା ଏବଂ ମମି ର ଅନୁରୋଧ ପରେ ସୁମନ୍ତ ଏବଂ ମାଉସୀ ବାହାରିଲେ ଲିନା ଘରକୁ। ଲିନା ମାଉସୀ ଙ୍କୁ ନିଜ ମା ଭଳି ବ୍ୟବହାର କରିଲେ ଏବଂ ସୁମନ୍ତ କୁ ସ୍ବାମୀ  ର ଚର୍ଚ୍ଚା ମିଳୁଥିଲା । 
ମାଉସୀ ଏବଂ ଲିନା ର ମମି ଘର ବୁଲି ବୁଲି ଦେଖୁଥାନ୍ତି କିନ୍ତୁ ଲିନା ଏବଂ ସୁମନ୍ତ ସୋଫା ରେ ବସି ଟିଭି କୁ ଚାହିଁ ରହିଛନ୍ତି । 
ଲିନା: ଆଜି ରହି ଯାଉନ?  
ସୁମନ୍ତ: ନା ରହି ହେବନି, ବାପା ରାଗିବେ । 
ଲିନା: କାଲି ସେଠୁ ଆସିଲା ପରେ ତମକୁ ବହୁତ୍ ମିସ୍ କରିଲି । 
ସୁମନ୍ତ: ମୁଁ ମଧ୍ୟ ବହୁତ୍ ମିସ୍ କରିଲି । 
ଲିନା: ତମ ଫୋନ୍ ଟା ଦେଲ?? 
ସୁମନ୍ତ: କଣ କରିବ?? 
ଲିନା: ଦେଖିବି? 
ସୁମନ୍ତ: କଣ ଦେଖିବ, କି ମୋର କିଏ ଗାର୍ଲଫ୍ରେଣ୍ଡ ଅଛନ୍ତି କି ନାହିଁ ?? 
ଲିନା: ମୁଁ ତ ସେମିତି ଭାବିନି। 
ଏମିତି କହି ଲିନା ମୋବାଇଲ କୁ ଛଡେଇ ନେଇଗଲା ଏବଂ ଲିନା ନିଜ ଫୋନ୍ ରୁ ସୁମନ୍ତ କୁ ଫୋନ୍ କରିଲା।   ଫୋନ ବାଜି ଉଠିଲା ସେଠୀ ଲେଖା ହୋଇଥିଲା “ହଳଦି ବସନ୍ତ” । 
ଲିନା: ମୋ ନମ୍ବର୍ ହଳଦୀ ବସନ୍ତ ବୋଲି କାହିଁକି ଲେଖିଛ?? 
ସୁମନ୍ତ: ମୋତେ ତମେ ପ୍ରଥମ ଦେଖାରେ ହଳଦୀ ବସନ୍ତ ଭଳି ଲାଗିଲ ସେଥିପାଇଁ ଲେଖିଦେଲି । ଯଦି ପସନ୍ଦ ହେଉନି ତେବେ ନାମ ଟା change କରିଦିଅ । 
ଲିନା: ନା ନା, ଥାଉ, ତମେ ଖୁସି ରେ ରଖିଛ , ତେବେ ମୁଁ change କରିବିନି । ଫୋନ୍ ଟି ଫେରେଇ ଦେଲା । 
ସୁମନ୍ତ: ନମ୍ବର୍ ଚେକ୍ କରିବା ପାଇଁ ନେଇଥିଲ ?? 
ଲିନା: ହଁ, କାରଣ ମୋ ସାଙ୍ଗ ମାନେ , କିଏ ଚଣ୍ଡୀ, କିଏ Villian ତ ଆଉ କିଏ Danger ଲେଖି save କରନ୍ତି ମୁଁ ଭାବିଲି ତମେ କୁ Name ରେ save କରିଛ? ଚେକ୍ କରୁଥିଲି କିନ୍ତୁ ତମେ ଦେଇଥିବା Name ବହୁତ୍ ପସନ୍ଦ ଲାଗିଲା । 
ଲିନା: ଆଉ ଗୋଟିଏ କଥା ପଚାରିବି ? ରାଗିବନି ନା?? 
ସୁମନ୍ତ: ହଁ ପଚାର??  
ଲିନା: ଜାଣିନି ମୁଁ ତମକୁ ବହୁତ୍ ଭଲ ପାଇବାରେ ଲାଗିଛି!! ମୋତେ କଣ ହେଉଛି କେଜାଣି, ମୁଁ କେବଳ ତମ କଥା ହିଁ ଭାବୁଛି??
ସୁମନ୍ତ: କଣ କରିବା ଦରକାର??
ଲିନା: ଯାହା କହିବି ତାହା  କରିବ ? 
ଲିନା: ପକ୍କା ନା??
ସୁମନ୍ତ: ହଉ କୁହ??
ଲିନା: Will You marry Me??? 
ସୁମନ୍ତ: ଚୁପ୍ ହୋଇ କିଛି ଉତ୍ତର ଦେଲା ନାହିଁ।  
ଲିନା: କୁହ?? 
ସୁମନ୍ତ:  କଣ ଉତ୍ତର ଦେବୀ ମୁଁ ମଧ୍ୟ ଜାଣି ପାରୁନି । ହଁ ବା ନାହିଁ କିଛି କହି ପାରିବି ନାହିଁ । ଏମିତିରେ ତୁମ Caste ଅଲଗା । 
ଲିନା: ଜାତି ଅଲଗା ତେବେ କଣ ମେରେଜ୍ କରିବ ନାହିଁ ?? 
ସୁମନ୍ତ: ମୋର କିଛି ଆପତ୍ତି ନାହିଁ ଏବଂ ମା ମଧ୍ୟ ମାନିଯିବେ କିନ୍ତୁ ବାପା ମାନିବେ ନାହିଁ । ଲିନା ମନ ଦୁଃଖରେ ମୁଣ୍ଡ ତଳକୁ କରି ବସିଲା । ସୁମନ୍ତ ଲିନା ର ମୁହଁ କୁ ଉପରକୁ ଟେକି ଦେଖିଲା ବେଳକୁ , ଲିନା ଆଖିରେ ପୁଣି ଲୁହ!! 
ସୁମନ୍ତ: କଣ ଛୋଟ ପିଲା ଭଳି କାନ୍ଦୁଛ?? ଯେତେବେଳେ ଟିକେ କଣ କହିଦେଲେ କାନ୍ଦିବା ଆରମ୍ଭ ହେଇଯାଉଛି।   
ଲିନା: ନା କିଛି ନାହିଁ ?? 
ସୁମନ୍ତ: ଶୁଣ, ମୁଁ ମଧ୍ୟ ତମକୁ ପସନ୍ଦ କରିବାରେ ଲାଗିଛି । ଏବେ ନୁହଁ ତୁମକୁ ମଲ୍ ର ପ୍ରଥମ ଦେଖାରେ ମୋ ମନ ଭିତରେ ତମେ ସ୍ଥାନ ନେଇ ସାରିଛ । ମୁଁ ଚେଷ୍ଟା କରିବି ବାପା ଙ୍କୁ ବୁଝେଇବା ପାଇଁ । କିନ୍ତୁ ତୁମ ମା ଏଥିରେ ରାଜି ହେବେ ତ? 
ଲିନା: ମମି ଏବଂ ବାପା ଙ୍କର ମଧ୍ୟ ଲଭ୍ ମେରେଜ , ଏମିତି ରେ ସେ ତମକୁ ପ୍ରଥମ ଦିନ ରୁ ପସନ୍ଦ କରୁଛନ୍ତି । ତୁମର କଥା ବାର୍ତ୍ତା ଏବଂ ତୁମକୁ।  ଏତିକି ବେଳେ ଲିନା ର ମମି ଆସି ପହଁଚିଲେ। 
ଲିନା ର ମମି: ପୁଅ !! ସବୁ କଥା ସରିଲା ନା କିଛି ବାକି ଅଛି? ଲିନା ତମକୁ ପସନ୍ଦ ନା??  ସୁମନ୍ତ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ରେ ଚାହିଁ ରହିଲା । 
ଲିନା ର ମମି: ଡର ନାହିଁ , ତମ ମା ଏବେ ବାଥରୁମ୍ ଯାଇଛନ୍ତି। ଗତ କାଲି ରାତିରେ ଲିନା ବାଉଳି ହୋଇ ” ସୁମନ୍ତ… ସୁମନ୍ତ…. କହି କେତେ କଣ କହିଦେଉଥିଲା” ଲିନା ତ ପସନ୍ଦ କରେ ତମେ ପସନ୍ଦ କର କି ନାହିଁ?? 
ସୁମନ୍ତ: ହଁ ଯେ, କିନ୍ତୁ, ଜାଣିନି ସମ୍ଭବ ହେବ କି ନାହିଁ?? ଏତିକି ବେଳେ ସୁମନ୍ତ ର ମା ଆସି ପହଞ୍ଚିଲେ । 
ସୁମନ୍ତ ର ମା: ଘରକୁ ଯିବା?? 
ସୁମନ୍ତ: ହଁ ମା ଯିବା!! ଦୁହେଁ ବାହାରିଲେ ନିଜ ଗ୍ରାମ କୁ……





ହଳଦୀ ବସନ୍ତ Part-3( A sucessful Love Story)


ହଳଦୀ ବସନ୍ତ ( A sucessful Love Story) Part-3
ହଳଦୀ ବସନ୍ତ ( A sucessful Love Story) Part-3
ଠିକ୍ ୫ ଦିନ ପରେ ରାତିରେ ସୁମନ୍ତ Whatsapp ଚେକ୍ କରି ଲିନା ପଠେଇଥିବା Screenshots ର ମେସେଜ ପରେ , ଥେଙ୍କ୍ ୟୁ ଲେଖି ମେସେଜ କରିଲା। ସଙ୍ଗେ ସଙ୍ଗେ ଗୋଟିଏ ମେସେଜ ଆସିଲା ଏବେ ମନେ ପଡ଼ିଲା ??
ସୁମନ୍ତ: ( ମେସେଜ ରେ) ଯେ ଧନ୍ୟବାଦ୍ ଦେବାକୁ ଭୁଲି ଯାଇଥିଲି । ସେଥିପାଇଁ ମେସେଜ କରିଲି । ଲିନା ସଙ୍ଗେ ସଙ୍ଗେ ସୁମନ୍ତ କୁ କଲ୍ କରିଲା ।
ଲିନା: କଣ ଭୂଲିଯାଇଥିଲ। ସେଦିନ ମୁଁ କହୁଛି ତମେ ରଖିକି କୁଆଡେ ଚାଲିଗଲ । କଣ ଭାବୁଛ, ଝିଅ ମାନଙ୍କୁ ?? ମୁଁ ମୋ ସମୟ ବାହାର କରି ତମକୁ ଫୋନ୍ କରୁଛି ମେସେଜ କରୁଛି । ମୋର ମେସେଜ କି କଥା ର କିଛି Important ନାହିଁ??
ସୁମନ୍ତ: ତମର ଯଦି ସରିଲା ତେବେ ମୁଁ କହିବି??
ଲିନା: ହଁ କୁହ?
ସୁମନ୍ତ: ତମକୁ ମୁ ସାହାଯ୍ୟ କରିଲି , ତମେ ମୋତେ ସାହାଯ୍ୟ କରିଲ ବାସ୍ କାମ ସରିଲା। ଆଉ ତମେ ମୋତେ ଏମିତି ବ୍ୟବହାର କରୁଛ ଯେମିତି ମୁଁ ତୁମର ବଏଫ୍ରେଣ୍ଡ । ଆଉ ଶୁଣ ମୁଁ ତୁମର ବଏଫ୍ରେଣ୍ଡ ନୁହଁ ଯେ ତୁମର ବକ୍ ବକ୍ ଶୁଣିବି । ଗୋଟିଏ କଥା ମନେ ରଖ, ଏ ଅହଙ୍କାର ତମକୁ ଶୋଭା ପାଉନି । ତମେ ଯଦି ଟିକେ ଭଲ ରେ କଥା ହୋଇଥାନ୍ତ ତେବେ ମୁଁ ତୁମ ସହିତ ଭଲ ଭାବରେ କଥା ହୋଇଥାନ୍ତି କିନ୍ତୁ ତମେ ତ ଆରମ୍ଭରୁ ଗର ଗର ହେଉଛ। କଣ କହିବି,, ଆଉ କଣ ଶୁଣିବି ।
ଏତିକି କହିବା ପରେ ଲିନା କିଛି ସମୟ ପାଇଁ ଚୁପ୍ ହୋଇଗଲା ।
ସୁମନ୍ତ: କଣ ହେଲା?
ଲିନା : କିଛି ନାହିଁ କହି ଫୋନ୍ କଟ୍ କରିଦେଲା ।
ପର ଦିନ ସକାଳେ ଗୋଟିଏ ଗୋଟିଏ ଲାଇନ୍ ରେ Good Morning ଆଉ ଗୋଟିଏ ଲାଇନ୍ ରେ Sorry ଲେଖା ମେସେଜ ଆସିଲା।
ସୁମନ୍ତ ଦେଖି କିଛି ଉତ୍ତର ନା ଦେଇ ଚୁପ୍ ରହିଲା। ସେହି ଦିନ ଠାରୁ କିଛି ମେସେଜ ନଥିଲା ।
ପ୍ରାୟ ୧୫ ଦିନ ପରେ ସୁମନ୍ତ ର ସାଙ୍ଗ ରାଜିବ ର ବାହାଘର ବ୍ରହ୍ମପୁର ରେ ହେଉଥିଲା । ସେଠୀ ସୁମନ୍ତ ତାର ମା ଙ୍କୁ ନେଇ ବାହାଘର ରେ ପହଞ୍ଚିଲା । ରାଜୀବ କୁ ସୁମନ୍ତ ଘରେ ସମସ୍ତେ ଜାଣିଛନ୍ତି । ସେଥିପାଇଁ ସୁମନ୍ତ କୁ ଦୁଇ ଦିନ ଆଗରୁ ଆସି ପହଞ୍ଚିବା ପାଇଁ କହିଥିଲା ଏବଂ ମା ପୁଅ ଦୁହେଁ ଦୁଇ ଦିନ ଆଗରୁ ବ୍ରହ୍ମପୁର ରେ ଆସି ପହଁଚିଲେ। ରାଜୀବ ଘରେ କିଛି ସମୟ ରହିଲା ପରେ ସନ୍ଧ୍ୟା ରେ ସୁମନ୍ତ ମା କୁ ନେଇ ଗୋପାଳପୁର ବେଳାଭୂମି ରେ ପହଞ୍ଚିଲା ।
ସେଠୀ ବୁଲାବୁଲି କରିବା ସମୟରେ ଲିନା ସୁମନ୍ତ କୁ ଦେଖିଲା । ସୁମନ୍ତ ମା ଆଗରେ କିଛି ଉତ୍ତର ଦେଇ ପାରିଲା ନାହିଁ ।
ଲିନା: ମାଉସୀ ନମସ୍କାର କହି ପାଦ ଛୁଇଁ ପ୍ରଣାମ କରିଲା, ମୁଁ ହେଉଛି ଲିନା, ଯୋଉ ଦିନ ଆପଣଙ୍କ ପୁଅ ବାଇକ୍ କିଣିବାକୁ ଆସିଥିଲେ ସେଦିନ ଆପଣଙ୍କ ପୁଅ ମୋତେ ସାହାଯ୍ୟ କରିଥିଲେ ।
ମାଉସୀ ଲିନା ର କଥାବାର୍ତ୍ତା ରେ ବହୁତ୍ ପସନ୍ଦ ଥିଲା ।
ମାଉସୀ: କଣ ରେ ଟୋକା , ତୁ ତ ମୋତେ ଲିନା ବିଷୟରେ କିଛି କହିନୁ କେମିତି ।
ସୁମନ୍ତ: ମା, ଅଳ୍ପ ସାହାଯ୍ୟ କରିଥିଲି , କଣ କହିବି ବୋଲି କହିନଥିଲି ।
ମାଉସୀ : ହଉ, ଗୋଟିଏ କାମ କର ତୁ ବୁଲିବୁ ଯଦି ବୁଲେ ମୁଁ ବସୁଛି ।
ଲିନା ର ସାଙ୍ଗ ପୂଜା ଏବଂ ରୁନି ମଧ୍ୟ କହିଲେ ମାଉସୀ ଆମେ ମଧ୍ୟ ଥକି ଯାଇଛୁ । ଆମେ ବସି କଥା ହେବା । ଯିଏ ଯିବା କଥା ଯାଉ।
ସୁମନ୍ତ : ମୁଁ ମଧ୍ୟ ଯିବିନି, ମା ତମେ ଯଦି ଯିବ ତେବେ ମୁଁ ଯିବି ।
ଲିନା : ମାଉସୀ ତମ ପୁଅ ର ବୁଲିବାକୁ ଇଚ୍ଛା କିନ୍ତୁ ମୋତେ ବୋଧେ ଆପଣ ଙ୍କ ପୁଅ ଡରୁଛନ୍ତି ।
ମାଉସୀ: କଣ ରେ, ଡର ଲାଗୁଛି । ଯା ବୁଲି ଆସେ ।
ତାପରେ ଦୁହେଁ ବୁଲିବାକୁ ବାହାରିଲେ । ଲିନା ଶାଢ଼ୀ ପିନ୍ଧି ବେଳା ଭୂମି କୁ ବୁଲିବାକୁ ଯାଇଥାଏ ।
ଲିନା: ତମକୁ ଦେଖି ବହୁତ୍ ଖୁସି ହେଲି। ଆଜି ତମେ ପୁରା ହିରୋ ଲାଗୁଚ ।
ସୁମନ୍ତ: ତମେ ମଧ୍ୟ ବହୁତ୍ ସୁନ୍ଦର୍ ଲାଗୁଚ । ମୁଁ ଦେଖିଛି ଝିଅ ମାନେ ସମୁଦ୍ର କୁଳ କୁ ଡ୍ରେସ ପିନ୍ଧି ଆସନ୍ତି କିନ୍ତୁ ତମେ ଶାଢ଼ୀ ପିନ୍ଧି ଆସିଛ ।
ଲିନା: ନା, ନା, ମୋ ସାଙ୍ଗ ର ବାହାଘର କୁ ଆସିଛି । ସଂଧ୍ୟା ସମୟ ତ ବାକି ସାଙ୍ଗ ମାନେ କହିଲେ ତ ଆସିଗଲି ।
ସୁମନ୍ତ: ହଉ ଭଲ ହେଲା ।
ଲିନା: ତମେ ଏବେ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ରାଗିଛ??
ସୁମନ୍ତ କିଛି ନ କହି ଧିରେ ଧୀରେ ଚାଲୁଥାଏ।
ଲିନା: ଜାଣିଛ ତମେ ସେଦିନ କହିବା ପରେ ମୁଁ ରାଗିବା ପୁରା ପୁରି ଛାଡ଼ି ଦେଇଛି । ସମସ୍ତ ଙ୍କ ସଙ୍ଗେ ଭଲରେ କଥା ହେଉଛି। ସବୁ ସାଙ୍ଗ ମାନେ ମୋତେ କୁହନ୍ତି ତୁ ଚଣ୍ଡୀ ରୁ ଏତେ ଭଲ କେମିତି ହେଇଗଲୁ କଣ କିଏ ଯାଦୁ ମନ୍ତ୍ର କରିଲା ନା କଣ? କିନ୍ତୁ ପ୍ରକୃତ ରେ ମୋର ବଦଳିବା ପଛରେ କେବଳ ତମର ଉପଦେଶ ।
ସୁମନ୍ତ: ମୁଁ କଣ କରିଛି, କେବଳ ତୁମ ଭଲ ପାଇଁ କହିଥିଲି ।
ଲିନା: ଆରେ ମୁଁ ପଚାରିବା ପାଇଁ ଭୁଲି ଯାଇଛି ତମେ ଏତେ ସନ୍ଧ୍ୟାରେ ଏଠି ମା ସାଙ୍ଗରେ ବୁଲୁଚ? ଘରକୁ ଯିବନି କି??
ସୁମନ୍ତ: କାହିଁକି ତମକୁ ଈର୍ଷା ହେଉଛି କି??
ଲିନା: ନା ଈର୍ଷା ହେଉନି, ଓଲଟା ମୋତେ ଖୁସି ଲାଗୁଛି ତମେ ଏତେ ସମୟ ମୋ ସାଙ୍ଗରେ ବୁଲି ବୁଲି କଥା ହେଉଛ ।
ସୁମନ୍ତ: ଚାଲ୍, ଯିବା।
ଲିନା: କାହିଁକି କଣ ହେଲା?
ସୁମନ୍ତ: ଆମେ ଚାଲି ଚାଲି ବହୁ ଦୂରକୁ ଆସିଲେଣି । ଏଠି କେହି ଲୋକ ନାହାନ୍ତି ।
ଲିନା: କଣ ଡର ଲାଗୁଛି??
ସୁମନ୍ତ: ମୋ ପାଇଁ ଡର ନାହିଁ, ତମ ପାଇଁ ଡର କାଳେ କିଏ ଜବରଦସ୍ତି କରିବ ??
ଲିନା: ଆଚ୍ଛା ମୋତେ ଯଦି କିଏ ଜବରଦସ୍ତି କରିବ ତମେ କିଛି କରିବନି ??
ସୁମନ୍ତ: ଆରେ ଆମେ ତାଙ୍କୁ ସୁଯୋଗ ଦେବା କାହିଁକି ।
ଲିନା: ମୁଁ ତ, Tension free ତମେ ଅଛ ମୋର କିଛି ହେବନି ।
ସୁମନ୍ତ: ପାଗଳ ହୋଇଗଲଣି କି? ଏଠୁ ଆଗକୁ ଯିବା ନାହିଁ । ତାପରେ ସେଠୁ ଦୁହେଁ ଫେରିଗଲେ ।
ଲିନା: କୁହ ନା, ଆଜି କଣ ଏଠି ରହିବ।
ସୁମନ୍ତ: ମୋ ସାଙ୍ଗ ର ବାହାଘର ପାଇଁ ଆସିଛି।
ଲିନା: ତମ ସାଙ୍ଗ କିଏ??
ସୁମନ୍ତ: ତମେ ଜାଣିବ ନାହିଁ ।
ଲିନା: କାହାର କୁହ??
ସୁମନ୍ତ: ରାଜୀବ ମୋ ସାଙ୍ଗ, ଆମେ ଦୁଇ ଜଣ ମିଶି ହଷ୍ଟେଲ ରେ ରହି ପାଠ ପଢ଼ୁଥିଲି ତାର ବାହାଘର ପାଇଁ ଆସିଛି ।
ଲିନା: ରାଜୀବ ଭାଇ, ଯିଏ Army ରେ Job କରନ୍ତି ତ??
ସୁମନ୍ତ: ହଁ, ତମେ ତାକୁ ଜାଣିଛ??
ଲିନା: ହଁ, ରାଜୀବ ଭାଇ ଙ୍କ Uncle ଆଉ ମୋ ବାପା ଦୁହେଁ ଭଲ ସାଙ୍ଗ । ରାଜୀବ ଭାଇ ପିଲା ଦିନେ ଆମ ଘରକୁ ଆସୁଥିଲେ । ବାପା ଙ୍କ ମେଡାଲ ଏବଂ ୟୁନିଫର୍ମ ଦେଖି ବହୁତ୍ ଖୁସି ହେଉଥିଲେ ଏବଂ କହୁଥିଲେ Uncle ମୁଁ ମଧ୍ୟ Army ରେ ଜଏନ କରିବି ଏବଂ ଦେଶ ସେବା କରିବି ।
ସୁମନ୍ତ: ତୁମ ବାପା ମଧ୍ୟ Army ରେ ଅଛନ୍ତି କି??
ଲିନା: ନା, ସେ BSF ରେ ଚାକିରି କରୁଥିଲେ କିନ୍ତୁ ୮ ବର୍ଷ ତଳେ ବୋର୍ଡର ରେ ସହିଦ ହୋଇଗଲେ।
ସୁମନ୍ତ: Sorry, ଲିନା: It’s Okay । ଆଜି ମଧ୍ୟ ବାପା ଙ୍କ କଥା ବହୁତ୍ ମନେ ପଡେ । ( ଦୁଇ ଧାର ଲୁହ ଖସି ଆସିଲା, ଲିନା ର ଓଠ ପାଖକୁ )
ସୁମନ୍ତ: ଆରେ ମନ ଦୁଃଖ କରନି।
ଲିନା: ମୁଁ ମଧ୍ୟ ବାପାଙ୍କ ଭଳି ସେନା ରେ ଯିବାକୁ ଚାହୁଁଥିଲି କିନ୍ତୁ ‘ମା’ ମୋତେ ମନା କରିଲେ । ସେ କହିଲେ , ତୁ ଯଦି ଚାଲିଯିବୁ ତେବେ ମୁଁ ମରିଯିବି । ହଠାତ୍ ଲିନା ର ଫୋନ୍ ବାଜି ଉଠିଲା ।
ପୂଜା: (ଫୋନ୍ ରେ) ଆରେ ଆସେ କେତେ ବୁଲୁଛୁ।
ସୁମନ୍ତ: କାହାର ଫୋନ୍?
ଲିନା: ମୋ ସାଙ୍ଗ ପୂଜା ର !!
ସୁମନ୍ତ: ଚାଲ ଯିବା ?? ଲିନା: ଗୋଟିଏ କଥା କହିବି?
ସୁମନ୍ତ: କୁହ??
ଲିନା: ମୁଁ ଜାଣିନି, ତମେ ସେଦିନ ସେତିକି କଥା କହିବା ପରେ ମୁଁ ବହୁତ୍ କାନ୍ଦିଲି ନିଜକୁ ବହୁତ୍ ଖରାପ ମନେ କରିଲି ଏବଂ ନିଷ୍ପତି ନେଲି ନିଜକୁ Change କରିବା ପାଇଁ ଏବଂ ମୁଁ ନିଜକୁ ବଦଳେଇ ପାରିଛି। ଆଉ ଗୋଟିଏ କଥା ହେଲା, ସେ ଦିନ ଠୁ ତମ କଥା ବେଶୀ ମନେ ପଡୁଛି । କାହିଁକି କେଜାଣି ମୁଁ ଜାଣିନି।
ସୁମନ୍ତ: ସତରେ??
ଲିନା: ମୁଁ ମଜା କରୁନି, ସତ କହୁଛି ।
ସୁମନ୍ତ: ତେବେ ଫୋନ୍ କାହିଁକି କରିଲ ନାହିଁ?
ଲିନା: ସାହାସ ହେଉ ନଥିଲା ।
ସୁମନ୍ତ: ତେବେ ମୋତେ ମନେ ମନେ ଭଲ ପାଉଛ?
ଲିନା: ଜାଣିନି!! ଏତିକି ସମୟରେ ସୁମନ୍ତ ର ଫୋନ୍ ବାଜି ଉଠିଲା ।
ମା:(ଫୋନ୍ ରେ) ଆସେ ବାବୁ ଯିବା?
ସୁମନ୍ତ: ଆସି ଗଲିଣି, ୦୨ ମିନିଟ୍ ରେ ତମ ପାଖରେ ପହଁଞ୍ଚିବୁ । ଦୁହେଁ ପହଞ୍ଚି ଗଲେ ମା ପାଖରେ ।
ମାଉସୀ: କଣ କଥାବାର୍ତ୍ତା ସରିଲା ନା ଆଉ ଅଛି?
ଲିନା: ନା ମାଉସୀ ଆଉ ଟିକେ ବାକି ରହିଗଲା, ବାକି କାଲି କଥା ହେବା ଏବଂ ଆପଣ ବ୍ରହ୍ମପୁର ଆସିଛନ୍ତି , ଆମ ଘରକୁ ଯିବା?
ମାଉସୀ: ନା ମା, ସମୟ ହେବ ନାହିଁ, ତା ସାଙ୍ଗ ର ବାହାଘର ଅଛି ସେଠୀ ସମୟ ହେବ କି ନାହିଁ ମୁଁ ଜାଣିନି।
ଲିନା: ମାଉସୀ, ରାଜୀବ ଭାଇ ର ବାହାଘର ରେ ଆମେ ମଧ୍ୟ ଆସିବୁ । କାଲି ବାରାତ୍ ସାରି ଭୋଜି ଖିଆ ସରିଲା ପରେ ସମସ୍ତେ ଆମ ଘରକୁ ଆସିବ ।
ମାଉସୀ: ହଉ ଦେଖିବା।
ଲିନା: ସେ ଚିନ୍ତା ମୋ ଉପରେ ଛାଡ଼ି ଦିଅନ୍ତୁ । ତାପରେ ସମସ୍ତେ ବାହାରିଲେ । ଲିନା ସାଙ୍ଗ ମାନଙ୍କ ସହ ସ୍କୁଟି ରେ ପଛେ ପଛେ ଆସୁଥାଏ। ସମସ୍ତେ ବ୍ରହ୍ମପୁର ରେ ପହଞ୍ଚିଲେ………

ହଳଦୀ ବସନ୍ତ Part-2 ( A sucessful Love Story)

ହଳଦୀ ବସନ୍ତ ( A sucessful Love Story) Part-2
ହଳଦୀ ବସନ୍ତ ( A sucessful Love Story) Part-2
ଶୀଘ୍ର ଆସିବାକୁ। ନୂଆ ବାଇକ୍ ଦେଖିବାକୁ ସମସ୍ତେ ଇଚ୍ଛା କରି ଅଛନ୍ତି ।
ଲିନା : ତେବେ ନୂଆ ବାଇକ୍ ଆଣିଲ, କିଛି ମିଠା ହେବା ଦରକାର ନା?? ଚାଲ ଆମ ଘରକୁ ଚାଲ ସେଠୀ ଜଳଖିଆ ଏବଂ ମିଠା ଖାଇ ଚାଲିଯିବ
( ଲିନା ଭାବୁଥାଏ ଘରେ କିଛି ବାହାନାରେ ଟଙ୍କା ମାଗି ପାରିବି ) ।
ସୀତୁ : ଚାଲ ରେ ବାବୁ ଆଉ ମନା କରେନି । ସମସ୍ତେ ନିଜ ନିଜ ବାଇକ୍ ଏବଂ ସ୍କୁଟି ରେ ବସି ଲିନା ଘରକୁ ଚାଲିଲେ।
ଲିନା ଘରେ ପହଞ୍ଚି। ମାଉସୀ ଚାଲିଗଲେ ରୋଷେଇ ଘରକୁ ଏତିକି ବେଳେ ଫ୍ରିଜ୍ ରୁ ପାଣି ବୋତଲ ଟିଏ ବାହାର କରି ଲିନା ସୁମନ୍ତ କୁ ଦେଲା ଏବଂ ଚୁପ୍ କରି କହିଲା ମୋ 1500 ଟଙ୍କା ଦିଅ । ସୁମନ୍ତ କହିଲା କି ଟଙ୍କା ମୁଁ ଜାଣିନି ।
ଲିନା : ହେଇ ବେଶୀ ନଖରାମି କରନି । ଶୀଘ୍ର ଦିଅ ମା ଆସିଯିବେ। ସୁମନ୍ତ ପଚାରିଲା ତମେ ମୋ ନାମ ଟା କେମିତି ଜାଣିଲ??
ଲିନା: ତମ ନାମ ଟି ଏହି ଏଟିଏମ୍ ର ବିଲ୍ ରେ ଲେଖାଯାଇଛି। ସୁମନ୍ତ କୁମାର ପ୍ରଧାନ।
ସୁମନ୍ତ : ତମ ନା କଣ??
ଲିନା: ମୁଁ କାହିଁକି କହିବି ?? ତମେ ମୋ ଟଙ୍କା ଦେଲ?? ସୁମନ୍ତ 2000 ଟଙ୍କା ବାହାର କରି ଦେଲା।
ଲିନା: 2000 ନାହିଁ 1500 ଟଙ୍କା ଦିଅ ,
ସୁମନ୍ତ : ମୋ ପାଖରେ ଖୁଚୁରା ନାହିଁ, ତମ ମମି 2000 ଟଙ୍କିଆ ନୋଟ୍ ଯାକ ଦେଲେ ମୁଁ ଖୁଚୁରା କୋଉଠୁ ଆଣିବି । ସଙ୍ଗେ ସଙ୍ଗେ ରୋଷେଇ ଘରୁ ମାଉସୀ ଡାକିଲେ , ଲିନା ଏ ଲିନା ଏଠି ଆସିଲୁ?? ତାପରେ 2000 ଟଙ୍କା ଧରି ଲିନା ଦଉଡ଼ି ଗଲା । ରୋଷେଇ ଘରୁ ପକୋଡ଼ି ସାଙ୍ଗରେ ବରା ଏବଂ ଚା ନେଇ ଆସିଲେ ମା ଏବଂ ଝିଅ ।
ମାଉସୀ : ପୁଅ ତମେ କଣ କର ଏବଂ ଘରେ କିଏ କିଏ ରୁହନ୍ତି ?
ସୁମନ୍ତ: ମୁଁ ମହାରାଷ୍ଟ୍ର ରେ ଇଞ୍ଜିନିୟର ଅଛି । ଘରେ ବାବା ମା ଏବଂ ବଡ ଭଉଣୀ, ଭଉଣୀ ର ଗତ ବର୍ଷ ବାହାଘର ହେଲା ।
ସୁମନ୍ତ ଏବଂ ମାଉସୀ କଥା ବାର୍ତ୍ତା ବେଳେ ଏପଟେ ସିତୁ ଲିନା ଉପରେ ନଜର ପକେଇ ରଖିଥାଏ । ଲିନା ର ନଜର ସିତୁ ଉପରେ ପଡ଼ିଲା । ଲିନା ରାଗରେ ଆଖି ବଡ ବଡ କରି ଦେଖିଲା ପରେ ସିତୁ ମୁଣ୍ଡ ତଳକୁ କରି ବରା ଖାଇବାରେ ଲାଗିଲା । ପ୍ରାୟ ୧୦ ମିନିଟ୍ ପରେ ସୁମନ୍ତ : ମାଉସୀ ଆମେ ଆସୁଛୁ। ଆପଣଙ୍କୁ ବହୁତ୍ ବହୁତ୍ ଧନ୍ୟବାଦ।
ସୁମନ୍ତ ଏବଂ ସିତୁ ବାହାରିଗଲେ ଘରକୁ,, ଘରେ ପହଁଚିଲା ବେଳକୁ ରାତି ୮ଟା । ଘରେ ବାଇକ୍ କୁ ଦେଖି ଖୁସି ହେଲେ । ଡିନର ସରିବା ପରେ ଠିକ୍ ରାତି ୧୦ଟା ବେଳେ ସୁମନ୍ତ କୁ ଗୋଟିଏ ନୂଆ ନମ୍ବର୍ ରୁ କଲ୍ ଆସିଲା । ସୁମନ୍ତ ନୁଆ ନମ୍ବର୍ ଦେଖି ଫୋନ୍ ଉଠେଇଲା ନାହିଁ ଏବଂ ଟିଭି ଦେଖାରେ ଲାଗିପଡିଲା । ପୁଣି ୧୦ ମିନିଟ୍ ପରେ ପୁଣି ସେହି ନମ୍ବର୍ । ବାପା ଫୋନ୍ କୁ ଧରି ସୁମନ୍ତ କୁ ଆଣି ଦେଲେ। ତୋର ଫୋନ୍ ଆସୁଛି ନେ । ସୁମନ୍ତ କଲ୍ କୁ ରିସିଭ୍ କରିଲା ପରେ ସେ ହେଲୋ ହେଲୋ କହିବା ପରେ କିଛି ଉତ୍ତର ଆସିଲା ନାହିଁ । ଫୋନ୍ କାଟି ସାଇଲେଣ୍ଟ କରି ରଖିଦେଇ । ସୋଇ ପଡ଼ିଲା ।
ପର ଦିନ ଦିନ ୯ଟା ହେବ ସେହି ନମ୍ବର୍ ରୁ ପୁଣି କଲ ଆସିଲା । ସୁମନ୍ତ: ହେଲୋ କହିଲା ପରେ ଧିର ସ୍ଵରରେ ଅନ୍ୟ ପକ୍ଷରୁ ପଚାରିବାକୁ ଲାଗିଲେ, ଆପଣ ସୁମନ୍ତ କହୁଛନ୍ତି??
ସୁମନ୍ତ : ହଁ କହୁଛି । ସେପଟୁ ଉତ୍ତର ଆସିଲା , ମୁଁ ଲିନା କହୁଛି । ଜାଣି ପାରିଲ??
ସୁମନ୍ତ: ହଁ ହଁ, ଗୁଡ ମର୍ଣୀଙ୍ଗ, କେମିତି ଅଛ ଆଉ ତମେ ମୋ ନମ୍ବର୍ ପାଇଲ କୋଉଠୁ ??
ଲିନା: ନମ୍ବର୍ ତମେ କହିଥିଲ ମୁଁ ମନେ ରଖିଥିଲି।
ସୁମନ୍ତ: ମୁଁ କୋଉଠି କହିଲି?? ଲିନା: ମଲ୍ ର ଵିଲିଂ କାଉଣ୍ଟର ରେ କାଉଣ୍ଟର ବାଲା କୁ କହୁଥିଲ, ମନେ ପଡ଼ିଲା ?
ସୁମନ୍ତ: ଓଃ, ମୁଁ କାଉଣ୍ଟର ବାଲା କୁ କହିବା ସମୟରେ ଶୁଣିଛ?? ହଉ ଭଲ ହେଲା। କୁହ କଣ କାମ ଥିଲା,
ଲିନା: କାମ କିଛି ନାହିଁ, ତମ 500 ଟଙ୍କା ଫେରାଇବାକୁ କଲ୍ କରିଛି । ତମର କିଛି ଫୋନ୍ ପେ ଏବଂ ଗୁଗଲ ପେ ଅଛି କି??
ସୁମନ୍ତ: ହଁ ଯୋଉଥିରେ କଲ୍ କରିଛ ସେହି ନମ୍ବର୍ ରେ ଅଛି ।
ଲିନା: ମୁଁ ପଠେଇ ଦେଉଛି ଚେକ୍ କରି କହିବ ।
ସୁମନ୍ତ: ଗୋଟିଏ କଥା ପଚାରିବି ।
ଲିନା: ହଁ ପଚାର??
ସୁମନ୍ତ: ତମେ ଦେଖିବାକୁ ଏତେ ସୁନ୍ଦର, କିନ୍ତୁ ତମେ ରାଗରେ ଯୋଉ କଥା ହେଉଛ ନା, ମୋତେ ଲାଗୁଛି ତମେ ପ୍ଲାଷ୍ଟିକ ସର୍ଜରୀ କରିଛ । କାହିଁକି ନା ସୁନ୍ଦର ଝିଅ ମାନେ ଧିରେ ଧୀରେ କଥା ହୁଅନ୍ତି କିନ୍ତୁ ତମେ ତ ଛାଡ଼ ସେ କଥା ।
ଲିନା: ତମର ଭାଷଣ ସରିଲା??
ସୁମନ୍ତ: ହଁ ସରିଲା, ଫୋନ୍ କଟ୍।
କିଛି ସମୟ ପରେ ଗୁଗଲ ପେ ରେ 500 ଟଙ୍କା ଆସିବାର ମେସେଜ ଆସିଲା । ସୁମନ୍ତ ଦେଖି ଚୁପ୍ ଚାପ୍ ଗୋଧୋଇବାକୁ ଚାଲିଗଲା । ଗୋଧୋଇ ଆସିଲା ପରେ ଦେଖିଲା ,ପାଞ୍ଚଟି ମିସ୍ କଲ୍ ତାହା ପୁଣି ଲିନା ର। Whatsapp ରେ ମଧ୍ୟ 500 ଟଙ୍କାର ର Screenshots ମେସେଜ । ସୁମନ୍ତ କଲ୍ କରି କହିଲା । 500 ଟଙ୍କା ଆସିଯାଇଛି ।
ଲିନା: ମୁଁ କେତେ ଥର କଲ୍ କରିଲି ଫୋନ୍ କାହିଁକି ଉଠେଇଲ ନାହିଁ??
ସୁମନ୍ତ: ଗାଧୋଇବାକୁ ଯାଇଥିଲି।
ଲିନା: ମୁଁ ଏଠି ଟେନ୍ସନ ନେଇ ତମକୁ ଟଙ୍କା ପଠେଇଲି ଆଉ ତମେ ଯେ ଗାଧୋଇବାକୁ ଚାଲିଗଲ । ମୁଁ କହିଥିଲି ପରା ଅପେକ୍ଷା କରିବାକୁ……।
ଲିନା କହି ଚାଲିଛି। ସୁମନ୍ତ ଫୋନ୍ କୁ ଟିଭି ପାଖରେ ରଖି ଡ୍ରେସ ପିନ୍ଧିବାକୁ ଚାଲିଗଲା । ଲିନା କେତେ କଣ କହିଲା ପରେ ଜାଣିଲା ଯେ ସେ ବକ୍ ବକ୍ ହେଉଛି କିନ୍ତୁ ତାର କଥା ସୁମନ୍ତ ଶୁଣୁ ନାହିଁ । ଶେଷରେ ହେଲୋ ହେଲୋ କହି ଫୋନ୍ କଟ୍ କରିଦେଲା । ତାପରେ ଆଉ ଫୋନ୍ ନାହିଁ…….

ହଳଦୀ ବସନ୍ତ Part-1( A sucessful Love Story)


ହଳଦୀ ବସନ୍ତ ( A sucessful Love Story) Part-1
ହଳଦୀ ବସନ୍ତ ( A sucessful Love Story) Part-1
ବହୁତ୍ ଦିନ ପରେ ସୁମନ୍ତ ମହାରାଷ୍ଟ୍ର ରୁ ଫେରିଛି । ବହୁତ୍ ଆଶା ସାକାର କରିବା ପରେ ଆଜି ଆଉ ଗୋଟିଏ ଆଶା ରଖିଛି ତାହା ହେଲା ନିଜ ପାଇଁ ଗୋଟିଏ ବାଇକ୍ କିଣିବ । ଘର ତ ହେଇଗଲା ଏବେ ଗୋଟିଏ ବାଇକ୍ କିଣିବାକୁ ମଉସା ମାଉସୀ ସୁମନ୍ତ କୁ ଅନୁମତି ଦେଲେ । ଦୁଇ ଦିନ ପରେ ଦୁହେଁ ବ୍ରହ୍ମପୁର ନିଜ ସାଙ୍ଗ ସିତୁ ସାଙ୍ଗରେ ନେଇ ଗଲା । ବାଇକ୍ ପସନ୍ଦ ହେଲା ଏବଂ କିଣିବା ସରିଲା । ଦୁହେଁ ହୋଟେଲ ରେ ଖାଇବା ସାରି V2 Mall କୁ କିଛି କପଡା କିଣିବାକୁ ଗଲେ । ସଂଧ୍ୟା 4ଟା ହେବାକୁ ଲାଗିଲାଣି ଯେତେ ଶୀଘ୍ର ସରିବ ସେତେ ଶୀଘ୍ର କିଣା ସାରି ଘରକୁ ଫେରିବାର ଅଛି। ସାମାନ ବାସ୍କେଟ ଧରି ବିଲିଂ କାଉଣ୍ଟର ରେ ଧାଡ଼ିରେ ଠିଆ ହୋଇଛି। ସୁମନ୍ତ ର ଠିକ୍ ଆଗରେ ଗୋଟିଏ ସୁନ୍ଦର ଝିଅ , ବ୍ଲୁ ଜିନ୍ସ କୁ ହଳଦିଆ ରଙ୍ଗର ଟପ୍ ରେ ପୁରା ଚମକୁ ଥିଲା। ଲାଗୁଥିଲା ମଲ୍ ରେ ଗୋଟିଏ ହଳଦୀ ବସନ୍ତ କୁଆଡୁ ଉଡ଼ି ଆସିଛି ।
ସୀତୁ : ଧିର ଶବ୍ଦ ରେ ” ଆବେ ଦେଖ୍ ଦେଖ୍ ତୋ ଆଗରେ ଗୋଟିଏ ଚୋଖା ମାଲ୍ ଟେ ବେ, ପୁରା ହଳଦୀ ବସନ୍ତ”
ସୁମନ୍ତ : ” ଆବେ ଚୁପ୍… ଆବେ ଏଠି ସେ ଝିଅ ଶୁଣିବ ନା ସବୁ ଗଡବଡ ହେଇଯିବ “।
ଠିକ୍ ୦୨ ସେକେଣ୍ଡ ପରେ ଆଗରେ ଥିବା ଝିଅ ପଛକୁ ବୁଲି ସିଧା ସୁମନ୍ତ କୁ ବଡ ବଡ ଆଖିରେ ଚାହିଁ ରହିଲା। ସେ ସୁନ୍ଦର ଝିଅଟି ହେଉଛି ” ଲିନା” ।
ଲିନା : ( ରାଗରେ ) କଣ ଝିଅ ଦେଖିନ କି?? ବେକାରିଆ କୋଉଠି କାର। ତାପରେ ପୁଣି ଯେମିତି ସେମିତି । ସୁମନ୍ତ ଶିତୁ କୁ ରାଗି କହିଲା ‘ ଆବେ କିଳା କରୁଛୁ ତୁ ଶୁଣିବାକୁ ପଡୁଛି ମୋତେ ‘ । ଦୁଇ ଜଣ ଚୁପ୍ । ୩-୪ ମିନିଟ୍ ଭିତରେ ଲିନା ର ବିଲିଂ ପାଇଁ ନମ୍ବର୍ ଆସିଲା ସବୁ ଚେକ୍ ଆଉଟ୍ ହେଲା ପରେ ଲିନା ର ଏଟିଏମ୍ କାର୍ଡ କାମ କରୁ ନଥାଏ । ବାରମ୍ବାର ସ୍ୱାଇପ କରିବା ପରେ ବ୍ଲକ ର ମେସେଜ ଆସିଗଲା ।
କାଉଣ୍ଟର ବାଲା : Cash ଦିଅନ୍ତୁ ।
ଲିନା : Cash ତ ନାହିଁ।
କାଉଣ୍ଟର ବାଲା: କାହାକୁ କହି ପେମେଣ୍ଟ କରିଦିଅନ୍ତୁ । ଆପଣ ପାଇଁ ଅପେକ୍ଷା କରି ହେବନି। ବହୁତ୍ କଷ୍ଟମର ଲାଇନ୍ ରେ ଅଛନ୍ତି।
ଲିନା କିଛି ସମୟ ଭାବି ପଛକୁ ବୁଲି ଦେଖିଲା , ତାର ଜଣାଶୁଣା ଲୋକ ଦେଖା ଦେଲେନି।
କାଉଣ୍ଟର ବାଲା ପୁଣି ଥରେ କହିବା ପରେ ଲିନା ମନ ଦୁଃଖରେ କହିଲା ଭାଇ କ୍ୟାନ୍ସଲ କରିଦିଅନ୍ତୁ । ମୁଁ ପରେ ଆସିବି । କହି ଲାଇନ୍ ରୁ ବାହାରକୁ ଆସିଗଲା ।
ଏବେ ଆସିଲା ସୁମନ୍ତ ର ନମ୍ବର୍।
କାଉଣ୍ଟର ବାଲା: ଭଉଣୀ ଏ ଭାଇ ଆପଣଙ୍କ ସାଙ୍ଗରେ ଆସିଛନ୍ତି ନା ? ଏ ପେମେଣ୍ଟ୍ ଟା ସେ କରି ଦେଲେ ହେବନି।
ଲିନା ସୁମନ୍ତ କୁ ଅନୁରୋଧ ଭରା ଆଖିରେ ଚାହିଁ ରହିଲା ।
ସୁମନ୍ତ : କେତେ ପେମେଣ୍ଟ୍ କରିବାର ଅଛି।
କାଉଣ୍ଟର : “Total 7500.00 ଟଙ୍କା ।
ସୁମନ୍ତ : ଠିକ୍ ଅଛି ମୋ କାର୍ଡ ରୁ ପେମେଣ୍ଟ୍ କରିଦିଅନ୍ତୁ। ଲିନା ନା.. ନା… କହୁଥିଲା କିନ୍ତୁ ସୁମନ୍ତ ନ ଶୁଣି ପେମେଣ୍ଟ୍ କରିଦେଲା । ସୁମନ୍ତ ର ମଧ୍ୟ ପେମେଣ୍ଟ୍ ସରିଲା। ମଲ୍ ବାହାରକୁ ଆସିଲେ ।
ଲିନା : ସରି… ମୁଁ ତମକୁ କେତେ କଣ କହିଥିଲି କିନ୍ତୁ ମୋତେ ତମେ ସାହାଯ୍ୟ କରିଲ।
ସୁମନ୍ତ: ସେମିତି କିଛି ନାହିଁ ।
ଲିନା : ( ମଜାରେ )” ମାତ୍ର ମୋତେ ନ ପଚାରି ମୋ ପେମେଣ୍ଟ୍ କାହିଁକି କରିଲ, ମୁଁ ତମକୁ ଏହି ଟଙ୍କା ବିଲକୁଲ ଦେବିନି ”
ସୁମନ୍ତ: ଏଇଟା ମୋ ତରଫରୁ ଗୋଟିଏ ଗିଫ୍ଟ ଭାବି ରଖିନିଅ,
ସୁମନ୍ତ ମଲ୍ ର ପାହାଚରେ ଓହ୍ଲାଇବାକୁ ଲାଗିଲା ।
ଲିନା: ( ପଛପଟୁ) ହେଲ୍ଲୋ, ମିଷ୍ଟର ମୁଁ ମଜା କରୁଥିଲି । ୫ ମିନିଟ୍ ଅପେକ୍ଷା କରିବ ପ୍ଲିଜ, ମୁଁ ମମି ଙ୍କୁ କଲ୍ କରିଥିଲି ସେ ଟଙ୍କା ନେଇ ଆସୁଛନ୍ତି । ସେ ଆସିଲେ ଚାଲିଯିବ।
ସୁମନ୍ତ: ହଉ ଠିକ୍ ଅଛି !!!
ସୀତୁ: ଆବେ ସୁମନ୍ତ ତୋର ଏହି ଦାନି ଚରିତ୍ର ଟା ପ୍ରଥମ ଥର ଦେଖିଲି।
ସୁମନ୍ତ: ଚୁପ୍ କର!!!
ସୁମନ୍ତ: ଶୁଣ ଆମେ ‘ ଚା ‘ ପିଉଛୁ । ଯେତେବେଳେ ତମ ମା ଆସିବେ ଆମକୁ ଡାକି ଦେବ। ଏତିକି କହି ଯାଉ ଯାଉ, ହଠାତ୍ ଲିନା ର ମମି ଆସି ପହଞ୍ଚିଲେ ।
ପଛପଟୁ ଲିନା ସୁମନ୍ତ କୁ ‘ ଶୁଣ ସୁମନ୍ତ ‘ କହି ଡାକିଲା । ଲିନା : ମମି ଆସିଗଲେ । ଟଙ୍କା ଟା ନେଇଯାଅ।
ମା ଙ୍କୁ ଦେଖି ସିତୁ ଆଉ ସୁମନ୍ତ ନମସ୍କାର କରିଲେ । ମା : ସୁମନ୍ତ କୁ ପଚାରିଲେ । କେତେ ଟଙ୍କା ହେଲା ପୁଅ?? ସୁମନ୍ତ, ବିଲ ଟା ଆପଣଙ୍କ ଝିଅ ପାଖରେ ଅଛି, ଲିନା : ମା… 9000.00 ଟଙ୍କା ।
ସୁମନ୍ତ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ରେ ଏବଂ ବଡ ବଡ ଆଖିରେ ,ଲିନା କୁ ଚାହିଁ ରହିଲା, ଲିନା ଇଶାରା ରେ ସୁମନ୍ତ କୁ ଅଳ୍ପ ଆଖି ଠାର ଦେଇ ଚୁପ୍ ରହିବାକୁ କହିଲା । ସଙ୍ଗେ ସଙ୍ଗେ ମା, 9000.00 ଟଙ୍କା ବାହାର କରି ସୁମନ୍ତ ହାତରେ ଦେଇ ଦେଲେ । ଏବେ ସମସ୍ୟା ହେଲା ଯେ ବାକି 1500.00 ଟଙ୍କା ଲିନା ର ପକେଟ୍ ମନି ଥିଲା ସେ କେମିତି ପାଇବ ?? କିନ୍ତୁ ଭାଗ୍ୟ ବଶତଃ ମା ସୁମନ୍ତ କୁ ପଚାରିଲେ , ପୁଅ ତମ ଘର କୋଉଠି ?
ସୁମନ୍ତ: ଆମର ଆସିକା ”
ସୁମନ୍ତ: ମାଉସୀ,, ଏବେ ଆମେ ଆସୁଛୁ।
ମାଉସୀ: ଆଉ କଣ କିଣିବାକୁ ଅଛି କି?
ସୁମନ୍ତ: ନା ନା, କିଣା କିଣି ସରିଲାଣି। ମୋତେ ବହୁତ୍ ଭୋକ ଲାଗିଲାଣି । କିଛି ଜଳଖିଆ କରି ଗାଁ କୁ ଫେରିଯିବୁ ।
ମାଉସୀ : ପୁଅ ଗୋଟିଏ କାମ କର , ଚାଲ ଆମ ଘରକୁ ଯିବା , ମୁଁ ଜଳଖିଆ ରେ ପକୋଡି କରିଛି , ସେଠୀ ଜଳଖିଆ ହେଇଯିବ । ତାପରେ ଚାଲିଯିବ। ସୁମନ୍ତ : ନା ନା , ମାଉସୀ , ଧନ୍ୟବାଦ୍ । ଘରୁ ବାରମ୍ବାର କଲ୍ ଆସୁଛି………

ରୂପାନ୍ତରିତ ମଣିଷ ( Man of Change)

ରୂପାନ୍ତରିତ ମଣିଷ ( Man of Change)
ରୂପାନ୍ତରିତ ମଣିଷ ( Man of Change)


*ରୂପାନ୍ତରିତ ମଣିଷ*

ସମସ୍ତଙ୍କୁ ଜଣାଅଛି
ମାଂସର ଉପଭୋଗରେ ଜୀବନର
ଜଳପରି ସ୍ୱଚ୍ଛ ଆଉ ପବିତ୍ରତା
ନଷ୍ଟ କରିବାରେ ……।
ସମସ୍ତେ ଓସ୍ତାଦ
କେତେ ପ୍ରକାର ……
କେତେ ଭାଗରେ……
‘ ଚକ୍ରବ୍ୟୁହ ‘ ଚଳାଇବାକୁ ,
‘ ସମାଜ’ ଠୁ ସଭ୍ୟତା ଯାଏ
ମାଟି ଠୁ ମଙ୍ଗଳ ଯାଏ.. କିନ୍ତୁ
ଜନତା ଆଖିରୁ ନିଦ ହଜାଇ
ଚୁପଚାପ୍ ଶୋଇ ରହନ୍ତି
“ରୂପାନ୍ତିତ ମଣିଷ”
ମିଥ୍ୟା – ଛଳନା – ପ୍ରତିସ୍ମୃତିର
ଯୁଦ୍ଧ କ୍ଷେତ୍ରରେ ହାରୁ କିମ୍ଵା ଜିତୁ…
ସବୁଠି ଚର୍ଚ୍ଚାର ପାତ୍ର ସାଜି ଯାଏ ।
ସତରେ ! ମାନବିକତା କେତେ ପଛରେ…..
ଜନ୍ମ ହେବା ଶିଶୁଟିଏ…….
ବଂଚି ପାରେନି ‘ହତ୍ୟା’ ଶବ୍ଦ ଆଗରୁ
ନିଜକୁ ନିଜେ ଜାଣିପାରେନି…. ମୁଁ କିଏ?
ଗୋଟିଏ ବିରାଟ ପ୍ରଶ୍ନବାଚି ହୋଇଯାଏ ।

ମୁଁ କେବଳ…
ମୁଁ ହିଁ ରକ୍ଷକ…
ମୁଁ ହିଁ ଭକ୍ଷକ….
ସମସ୍ତଙ୍କ ଈର୍ଷା ଜର୍ଜରିତ ଦୃଷ୍ଟି
ଏହି ସମାଜ ଉପରେ ।
ଭାଙ୍ଗୁ କି ଭୁଶୁଡ଼ି ପଡୁ
‘ଏ ସମାଜ – ଏ ସଭ୍ୟତା
କାହାରି ଖିଆଲ ନାହିଁ
କାହାର ଶୁଣିବାର ନାହିଁ
ଅନ୍ତଫଟା ବିକଳ କ୍ରନ୍ଦନ
ଧର୍ଷଣ ହୁଏ ଖୁସି-ଆନ୍ଦନ
ଆଗକୁ ଯିବାର ଚେଷ୍ଟା ପାଖରେ
କିନ୍ତୁ…..
ସେପଟେ ଅସଭ୍ୟଙ୍କ ବିକଟାଳ ହସ
ଗୋଟେ ପଟେ ସୁଖର ସୌଧତ
ଅନ୍ୟପଟେ ଲୁହର ସମୁଦ୍ର
ଏହି ମାନବ ସମାଜରେ
ତାପରେ …….
ଏକ ହୋଇଯାଏ
ରାଜନୀତି….
ଅର୍ଥନୀତି….
କୂଟନୀତି…..’
By. Manoj…(Writer)

Lifestyle Changing Thoughts In Hindi Part-83

Lifestyle Changing Thoughts In Hindi Part-83
Lifestyle Changing Thoughts In Hindi Part-83




LCT-430
दूसरे को किसी अन्य व्यक्ति के बारें में खराब बोलने से पहले यह जांच जरूरी कर लें कि बह असल में गलत है या नहीं।

https://youtu.be/yT7K2F-1TLk

LCT-431
मैं कैसा सोचता हूं दूसरे को बयान मत करो बह आपकी अच्छे सोच का फायदा लेकर आपको मुसीबत में डाल सकता है ।

https://youtu.be/W8oVRuLtZ0s

LCT-432
कुछ लोग बोलते रहते हैं कि हम अपने जमाने में बहुत किए है । असल में बोलने वाले करते नहीं मगर जो कोशिश करता है बह हरवक्त सफल होते रहते हैं ।

https://youtu.be/Ka_Tw_EYkRI

LCT-433
रिश्ते की कदर कुछ लोग ही करते हैं
बाकी सब तो टांग खींचने में लगे रहते हैं ।

https://youtu.be/zhlnegBgUek

LCT-435
भरोसा मिलता था तो सही था जब
भरोसा ना मिला तो जीवन हारने का मन बना लेते हैं ।
ऐसे लोगों को महान या कायर का नाम देंगे ।

https://youtu.be/zhlnegBgUek






Lifestyle_Changing_Thoughts_In_Hindi_Part_83



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ଋତୁ ରାଣୀ (Rutu Rani)

ଋତୁ ରାଣୀ (Rutu Rani)
ଋତୁ ରାଣୀ (Rutu Rani)
 
 
 
ରାମପୁର ନାମକ ଗୋଟିଏ ଗ୍ରାମ ଥିଲା । ସେହି ଗ୍ରାମରେ ବହୁତ୍ ଲୋକ ବାସ କରୁଥିଲେ । ସେହି ଗ୍ରାମରେ ଶ୍ୟାମ ମଉସାଙ୍କ ଘର, ତାଙ୍କର ବହୁତ୍ ବଡ଼ ପରିବାର ଏବଂ ସାଙ୍ଗରେ ଟୁଙ୍ଗୁରୁ ଟାଙ୍ଗୁରୁ ନାତି ନାତୁଣୀ ନେଇ ବଡ ପରିବାର ଟିଏ । ଶ୍ୟାମ ମଉସାଙ୍କ ତିନି ପୁଅ ଓ ଗୋଟିଏ ଝିଅ । ପୁଅ ତିନିଜଣ ବିବାହ କରି ତିନି ବୋହୂ ତା ସହ ସବୁ ପୁଅଙ୍କ ଗୋଟିଏ ଲେଖାଏଁ ପୁଅ । ଝିଅ ମଧ୍ୟ ବିବାହ କରି ଶାଶୂ ଘରେ ରହୁଥାଏ । ସେ ଝିଅର ଗୋଟିଏ ସୁନ୍ଦର ଝିଅ ଟିଏ । ଝିଅର ନାମ ରାଣୀ । ସେ ଅଜାଙ୍କ ଆଉ ମାମୁଁ ମାଇଁ ଙ୍କ ବହୁତ୍ ଗେଲି ଥିଲା । ସମସ୍ତେ ରାଣୀକୁ ବହୁତ ଭଲ ପାଉଥିଲେ । ଶ୍ୟାମ ମଉସା ଦିନେ ଝିଅକୁ କିଛିଦିନ ପାଇଁ ଘରକୁ ରହିବା କୁ ଡାକିଲେ । ଝିଅ ନିଜ ଝିଅ ରାଣୀକୁ ନେଇ ନିଜ ବାପା ଘରକୁ କିଛିଦିନ ରହିବାକୁ ଆସିଲା । ରାଣୀକୁ ଦେଖି ଶ୍ୟାମ ମଉସା ନିଜ କୋଳକୁ ନେଇ ରାଣୀକୁ ଗେଲ କରିଲେ, ତିନି ମାମୁଁ ତିନି ମାଇଁ ମଧ୍ୟ ବହୁତ ଖୁସିହେଲେ । ରାଣୀ ତା ବାପା ସାଙ୍ଗରେ ଆମେରିକା ରେ ରହୁଥିଲା । ପ୍ରାୟ 03 ବର୍ଷ ତଳେ ଆସିଥିଲା କିନ୍ତୁ ସେତେବେଳେ ସେ 02 ବର୍ଷ ର ଥିଲା । ସମସ୍ତଙ୍କ ଠୁ ରାଣୀ ଛୋଟ । ଗାଁ ର ପରିବେଶ କେବେ ଦେଖିନଥାଏ । ଗାଁରେ କାଉ ଓ କୋଇଲି ର ସ୍ୱର ଶୁଣେ । ସେ ଗାଁ ର ପ୍ରାକୃତିକ ପରିବେଶ କୁ ଦେଖି ବହୁତ୍ ଖୁସି ହେଉଥାଏ । ଦିନେ ଅଜା ସହ କ୍ଷେତ କୁ ବୁଲିବାକୁ ବାହାରିଲା । ଅଜା, ରାଣୀକୁ କ୍ଷେତ ଦେଖେଇବା ପାଇଁ ସାଙ୍ଗରେ ନେଲେ। ସେ ସବୁ ଦେଖି ଅଜାଙ୍କୁ ପଚାରେ । ଏଇଟା କଣ ,ସେଇଟା କଣ ଏହି କ୍ଷେତରେ କଣ ଲଗା ହୋଇଛି । ଅଜା ତାକୁ କୁହନ୍ତି ଏହା ଆମର ଖାଦ୍ୟ ଯେଉଁ ଖାଇବାକୁ ଆମେ ଖାଦ୍ୟ ରୂପରେ ପାଇଥାଉ ସବୁ ଏଇ କ୍ଷେତ ରୁ ହିଁ ହୁଏ । ଏବେ ଏଠି ଧାନ ଚାଷ କରାଯାଇଛି । କିଛିଦିନ ପରେ ଏହା ଅମଳ କରି ଚାଉଳ କରାଯିବ । ପୁଣି ଏହି ଜମିରେ କିଛି ଚାଷ କରାଯିବ । ଅଜା ବଗିଚା ଭିତରକୁ ନେଇଗଲେ, ସେଠି ରାଣୀ ଗଛ ଗୁଡ଼ିକ କୁ ଦେଖି ଗଛ ରୁ ଫଳ ତୋଳି ବାକୁ ଇଛା କରିଲା ଏବଂ ଅଜା ରାଣୀ କୁ ତୋଳିବାରେ ସାହାଯ୍ୟ କଲେ। ବଗିଚା ରେ କୋଳି, ଆମ୍ବ, ପିଜୁଳି, ଲେମ୍ବୁ ନାନା ପ୍ରକାର ଗଛ ଥାଏ । ସବୁ ଗଛକୁ ଦେଖି ରାଣୀ ଅଜାକୁ ପଚାରୁ ଥାଏ । ଅଜା କୁହନ୍ତି ବଉଳ ଫୁଲ ଧରିଛି ପୁଣି ଫଳ ଆସିବ ଆମ୍ବ ପାଚିବ ଆଉ ଆମ୍ଭେ ମାନେ ସବୁ ମିଶି ଖାଇବା। ରାଣୀ ପଚାରେ, ଅଜା ?? ସବୁଗଛ ରେ ଫୁଲ ଅଛି ଏହି ଗଛରେ କଣ ପାଇଁ ନାହିଁ ?? ଅଜା କୁହନ୍ତି ଋତୁ ଅନୁସାରେ ଫଳ ଆସେ । କେଉଁ ଋତୁ ରେ କେଉଁ ଫଳ ଆସେ । ଏହି ଋତୁ ରେ ସବୁ ଫଳ ହେବନାହିଁ । ତେଣୁ ସେହି ଗଛରେ ଫୁଲ ଆସି ନାହିଁ । ରାଣୀ ଅଜା ଙ୍କୁ ପୁଣି ପଚାରେ, ଅଜା ତୁମେ କିପରି ଏସବୁ ବିଷୟରେ ଜାଣିପାରୁଛ । ଆମର ଛଅ ଋତୁ ଅଛି ସେଥିରୁ ଆମେ ତିନୋଟି ଋତୁ ଅନୁଭବ କରିପାରୁଛୁ । ଯେମିତି ଗ୍ରୀଷ୍ମ, ବର୍ଷା, ଶୀତ ଋତୁ କୁ ଅନୁଭବ କରିପାରୁଛନ୍ତି । ଯଦି ଖରା ଅଧିକ ହେବ ଆମେ ଜାଣୁ କି ଏବେ ଗ୍ରୀଷ୍ମ ଋତୁ ଚାଲିଛି । ସେହିପରି ବର୍ଷା ହେଲେ ବର୍ଷା ଋତୁ ଚାଲିଛି । ଶୀତ ହେଲେ ଶୀତ ଋତୁ ଚାଲିଛି ବୋଲି ଜାଣିପାରୁ । ଆଚ୍ଛା ଅଜା କେଉଁ ଋତୁ ରେ ଫୁଲ ଆସେ କେଉଁ ଋତୁରେ ଫଳ ଆସେ । ଗ୍ରୀଷ୍ମ ଋତୁରେ ମାଟି ବହୁତ୍ ଉତପ୍ତ ହେଇ ଗରମ ହୋଇ ରହିଥାଏ । ସବୁ ଗଛର ପତ୍ର ମଧ୍ୟ ଝଡିଯାଇଥାଏ । ପୁଣି ବର୍ଷା ଋତୁ ଆସେ । ବର୍ଷାହୋଇ ମାଟି ମାକୁ ଆମର ଓଦାକରି ସବୁ ଜମି ଗଛଲତା ଜଳପୂର୍ଣ୍ଣ ହୋଇ ଚାରିଆଡ଼େ ଘନ ଘନିଆ ପରିବେଶ ହୋଇଯାଏ । ସେତେବେଳେ ପ୍ରାକୃତିକ ପରିବେଶ ବହୁତ୍ ସୁନ୍ଦର ଦେଖାଯାଏ ।ଶୀତ ଋତୁରେ ବହୁତ୍ ଗଛରେ ଫୁଲ, ଫଳ ଆସେ ପୁଣି ଗ୍ରୀଷ୍ମ ଋତୁରେ ଫଳ ପାଚିଥାଏ । ଅଜା ପଚାରିଲେ ଏହି ଋତୁ ମାନଙ୍କ ଭିତରୁ ତମକୁ କୋଉ ଋତୁ ଭଲ ଲାଗିଲା କୁହ । ରାଣୀ କହେ ମୋତେ ସବୁ ଋତୁ ଭଲଲାଗେ । ଯଦି ଗୋଟିଏ ଋତୁ ହେଇଥାନ୍ତା ତେବେ ଆମକୁ ଠିକ୍ ସମୟରେ ଖାଦ୍ୟ ମିଳି ନଥାନ୍ତା । ତେଣୁ ମୋତେ ସବୁ ଋତୁ ଭଲ ଲାଗେ । ପରଦିନ ରାଣୀ ଅଜା କୁ କୁହେ ଅଜା ମୁଁ ଆଜି ପୁରା ଗାଁ ବୁଲିବି । ଗାଁ ର ଲୋକ କେମିତି କଣ କାମ କରନ୍ତି ଦେଖିବି । ଅଜା ରାଣୀକୁ ନିଜ ସାଙ୍ଗରେ ନେଇ ଗାଁ ଭିତରକୁ ଯିବା ମଧ୍ୟରେ ଗୋଟିଏ ସୁନ୍ଦର ପଦ୍ମ ପୋଖରୀ ଦେଖେ । ସେଠି କିଛି କେଉଟ ମାଛ ଧରୁଥିଲେ । ଅଜାଙ୍କୁ ରାଣୀ କୁହେ ସେହି ପାଣି ଭିତରେ ଲୋକଟି କଣ କରୁଛି ଅଜା ? ଅଜା କୁହନ୍ତି କି ସେ ହେଉଛି ଆମ ଗାଁ ର କେଉଟ ମାନେ । ସେ ଏହି ପୋଖରୀ ର ମାଛ କୁ ନେଇ ଗାଁ ରେ ଲୋକଙ୍କୁ ବିକ୍ରି କରେ । ପୁଣି କିଛି ବାଟ ଯିବା ପରେ ଦେଖିଲା ଗୋଟିଏ ଲୋକ ମାଟି ଚକଡି ଏବଂ ଅନ୍ୟ ଜଣେ ପାତ୍ର ବନେଇବାର ଦେଖେ । ଅଜା ଏହି ଲୋକ ଏଠାରେ କଣ ପାଇଁ କାଦୁଅରେ ଲାଗିଛନ୍ତି । ଆରେ ସେ କାଦୁଅରେ ଲାଗି ନାହିଁ ସେ ମାଟିକୁ ଦଳି ଚକଡ଼ି ସେ ସେଥିରେ ମାଟିପାତ୍ର ପାଇଁ ଯୋଗାଡ କରୁଛି। ତାକୁ କୁମ୍ଭାର ବୋଲି କୁହାଯାଏ । ସେ ବହୁତ୍ ଜିନିଷ ମାଟିରେ ତିଆରି କରେ । ତାକୁ ବିକ୍ରି କରି ନିଜ ପରିବାର ପୋଷଣ କରେ । ଦୁହେଁ ପୁଣି କିଛି ବାଟ ଗଲାପରେ ଗୋଟିଏ ଲୋକ ସୁନ୍ଦର ଚୌକି ଖଟ କାଠ ର ବିଭିନ୍ନ ଜିନିଷ ବନେଇବାର ଦେଖେ । । ଅଜା ଏସବୁ କଣ କରୁଛନ୍ତି ? ଏହା ସବୁ ହେଉଛି କାଠରେ ତିଆରି ଜିନିଷ ଯାହାକୁ ଆମ ଘରେ ବ୍ୟବହାର କରୁଛନ୍ତି । ଘର ସାଜସଜ୍ଜା ରେ ବି ବ୍ୟବହାର ହୁଏ । ଅଜା ଏବେ ଚାଲ ଘରକୁ ଯିବା ବହୁତ ଜାଗା ବୁଲିଲେ । ତାପରେ ଦୁହେଁ ଘରକୁ ଆସିଲେ । ରାଣୀ ଘରକୁ ଆସି ନିଜ ମା କୁ ସବୁ କଥା କୁହେ । ରାଣୀ ଯାହା ସବୁ ଦେଖିଥିଲା ସବୁ ଗୋଟି ଗୋଟି କରି କହିଲା । ମା ବୁଝେଇ କୁହନ୍ତି । ସହର ର ଯାକ ଜକମ ରେ ସ୍ୱଳ୍ପ ଖୁସି ଥାଏ କିନ୍ତୁ ପରମ ସୁଖ ତ ଏଇ ଗାଁ ରେ ମିଳେ । ଏଠି ଆମକୁ ସ୍ବର୍ଗ ପୁର ଭଳି ସବୁକିଛି ମିଳିଯାଏ । ରାଣୀ କହେ ମା ମୁଁ ଆଉ ସହରକୁ ଯିବି ନାହିଁ। ରାଣୀ ପଢ଼ିବାରେ ବହୁତ୍ ଭଲ ଥିଲା ପ୍ରଥମ ରୁ ପଞ୍ଚମ ବାହାରେ ପଢ଼ିବା ପରେ ସେ ଅଜା ପାଖରେ ରହି ପାଠ ପଢିଲା। ରାଣୀ ର ବାପା ବାହାରେ ରୁହନ୍ତି କିନ୍ତୁ ରାଣୀ ଗାଁ ର ପରିବେଶ କୁ ଏତେ ଭଲ ପାଏ ଯେ ତାକୁ ସହର କେବେ ଭଲ ଲାଗୁନଥିଲା । ବର୍ତମାନ ରାଣୀ ଗାଁ ସ୍କୁଲ୍ ରେ ଶିକ୍ଷୟତ୍ରୀ ଭାବରେ ଗାଁ ସ୍କୁଲ୍ ରେ ଛୋଟ ପିଲା ମାନଙ୍କୁ ପାଠ ପଢ଼ାଏ ଏବଂ ଗାଁ ରେ ଗଛ ଲଗେଇବା , ପରିବେଶ କୁ ସଫା କରିବା , ଗାଁ ପରିମଳ କରିବା କାର୍ଯ୍ୟ କରେ। ଗାଁ ରେ ଋତୁ ଅନୁସାରେ ଫଳ ପନିପରିବା ଲଗେଇବା ଏବଂ ଗାଁ ଲୋକଙ୍କୁ ଉତ୍ତମ ଚାଷ ପଦ୍ଧତି ବିଷୟରେ ଶିକ୍ଷା ଦେବା ର କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ ଆୟୋଜନ କରେ । ଲୋକେ ମଧ୍ୟ ରାଣୀ ସହିତ ସହଯୋଗ କରିଥାନ୍ତି । ଏବେ କିଛି ଦିନ ପୂର୍ବେ ଗାଁ କୁ ଜିଲ୍ଲାପାଳ ଭ୍ରମଣ ପାଇଁ ଆସିଥିଲେ ଏବଂ ସେ ରାଣୀ ର ଗ୍ରାମ କୁ ସ୍ୱଚ୍ଛ ଗ୍ରାମ ବୋଲି ଘୋଷଣା କରି ରାଣୀ କୁ ଋତୁ ରାଣୀ ର ଉପାଧି ମଧ୍ୟ ଦେଲେ ।
 
ମୁଖ୍ୟ ବିନ୍ଦୁ:- 
୧. ନିଜ ଗୁରୁଜନ ଙ୍କ ଠାରୁ ସବୁ ଜିନିଷ ବିଷୟରେ ପଚାରି ବୁଝିବା ଦରକାର । 
 
୨. ଗାଁ ପରିମଳ ରେ ସହଯୋଗ କରିବା ଦରକାର। 
 
୩. ଆମ ପରିବେଶ କୁ ସ୍ବଚ୍ଛ ରଖିଲେ ଆମକୁ ସର୍ବଦା ଉତ୍ତମ ଜଳବାୟୁ ମିଳିଥାଏ । 
 
 
By. Puja Swain 
Buguda, Ganjam.
 

Chakravyuha (ଚକ୍ରବ୍ୟୁହ)

Chakravyuha (ଚକ୍ରବ୍ୟୁହ)
Chakravyuha (ଚକ୍ରବ୍ୟୁହ)
ଜୀବନର ପ୍ରତ୍ୟେକଟି ପୃଷ୍ଠାରେ
ମାଟି ଧୂଳି ପରି ମନାନ୍ତର
ଅବିଶ୍ୱାସ-ଅପହିଂସା ପଶିଗଲେ
ଦୁଃଖର ବାରୁଦ ଫୁଟିଯାଇ
ବି-ଧ୍ବଂସ ହୋଇଯାଏ…. ସବୁକିଛି…
ସେହ୍ନ ….ମମତା
ସମାଜ….ସଭ୍ୟତା
ମାନବ….ମାନବିକତା
ତଥାପି….
ଏ ଆଲୋକିତ ଜୀବନରେ
ଜହ୍ନକୁ ଦେଖି ତା ପାଖକୁ ଉଡିଯିବାକୁ
ମନ କରିନି
ଆକାଶର ଢଙ୍କା ବାଦଲକୁ ଦେଖି
ଭୟରେ ପଳାୟନ କରିନି;
ଅଜଣା ଭବିଷ୍ୟତ ର
ଚକ୍ରବ୍ୟୁହ କୁ ଆଲିଙ୍ଗନ କରିବାକୁ ।


By. Manoj Kumar Behera
Buguda, Ganjam.


ସ୍ଵର୍ଗର ଅପସରି (Angel)

ସ୍ଵର୍ଗର ଅପସରି (Angel)
ସ୍ଵର୍ଗର ଅପସରି (Angel)
ଗୋଟିଏ ଗ୍ରାମରେ ଭଦ୍ର ବ୍ୟକ୍ତି ଏବଂ ତାର ସ୍ତ୍ରୀ ସହିତ ରହୁଥିଲା । ତା ପାଖରେ ଧନ ର ଭଣ୍ଡାର ଥିଲା କିନ୍ତୁ ବେଳେବେଳେ ସେ ଦାନ ଧର୍ମ ମଧ୍ୟ କରେ। ସେ ତାର କନ୍ୟା ଓ ଗୋଟିଏ ପୁତ୍ର ଏବଂ ପୁତ୍ରବଧୂ ସହିତ ରହୁଥିଲେ । ସ୍ବାମୀ ସହ ସ୍ତ୍ରୀ ଜଣକ ବହୁତ୍ ଦାନ ଧର୍ମ କରୁଥିଲେ । ବହୁ ଯୋଗୀ ଋଷିି ତାଙ୍କ ଘର ଦୁଆର କୁ ଭିକ୍ଷା ନିମନ୍ତେ ଆସିଥାନ୍ତି । ଯେଉଁ ବ୍ୟକ୍ତି ବି ତାଙ୍କ ଘରକୁ ଆସେ କେହି ମଧ୍ୟ ଖାଲି ହାତରେ ଫେରେ ନାହିଁ । ଏମିତି ଦାନ କରି ସେ ଦୁହେଁ ବହୁତ ଖୁସି ରହୁଥିଲେ ।ଲୋକଙ୍କ ସେବା ମଧ୍ୟ କରୁଥିଲେ । ଯାହାର କୌଣସି ଅସୁବିଧା ହୁଏ ତେବେ ପ୍ରଥମେ ଏହି ସ୍ବାମୀ ଓ ସ୍ତ୍ରୀ ପାଖକୁ ଆସିଥାନ୍ତି । ଜଣେ ସାଧୁବାବା ପ୍ରତିଦିନ ଭିକ୍ଷା ନିମନ୍ତେ ଆସୁଥାଏ । ସ୍ତ୍ରୀ ଜଣକ ନିଜ ଝିଅ ହାତରୁ ସବୁଦିନ ସାଧୁବାବା କୁ ଭିକ୍ଷା ଦେଉଥିଲେ । ସାଧୁବାବା ଭିକ୍ଷା ନେବା ସମୟରେ କନ୍ୟା ଜଣକ ର ମୁହଁ କୁ ଦେଖି କିଛି ମଧ୍ୟ କୁହନ୍ତି ନାହିଁ ଏବଂ ଖୁସି ରେ ଭିକ୍ଷା ଗ୍ରହଣ କରି ଚାଲି ଯାଆନ୍ତି।


ଦିନେ ଭିକ୍ଷା କନ୍ୟା ବଦଳରେ ବୋହୂ ଆସିଲା । ଭିକ୍ଷା ଦେବା ପରେ ସାଧୁବାବା ଜଣକ ତାକୁ ବହୁତ ଆଶ୍ରିବାଦ କଲେ । ତା ପର ଦିନ ପୁଣି କନ୍ୟା ଭିକ୍ଷା ଦେବା ପାଇଁ ଆସିଲା।   କିନ୍ତୁ ତାହାର ଭିକ୍ଷା ନେବା ସମୟରେ ସାଧୁବାବା କିଛି ଆଶୀର୍ବାଦ ନ ଦେଇ ଧିରେ ଚାଲିଗଲେ । ସାଧୁବାବାଙ୍କୁ ସ୍ତ୍ରୀ ଜଣଙ୍କ ପଚାରିଲେ । ହେ ସାଧୁ ବାବା ଆପଣ ମୋ ବୋହୂ କୁ ଆଶୀର୍ବାଦ ଦିଅନ୍ତି କିନ୍ତୁ ମୋ କନ୍ୟାକୁ ଆଶୀର୍ବାଦ ଦିଅନ୍ତି ନାହିଁ ।  କାରଣ କଣ !! ଏହା ଶୁଣି ସାଧୁ ଜଣକ କୁହନ୍ତି । ତମ ଝିଅ ର ଭାଗ୍ୟ ବିଷୟରେ ମୁଁ ଜାଣି ପାରୁନି ଏବଂ ତାର ଭବିଷ୍ୟତ କଣ ହେବ ସେ ବିଷୟରେ ଚିନ୍ତିତ ।  ତେଣୁ ମୁଁ କିଛି ଆଶୀର୍ବାଦ କରିପାରୁନାହିଁ ।  ତୁମ ଝିଅ ବିଷୟରେ ଜଣେ ହିଁ କହି ପାରିବ ତୁମେ ଯାଇ ତାକୁ ପଚାର ।  ଏହା ଶୁଣି ସ୍ତ୍ରୀ ଜଣକ ପଚାରିଲେ ଯେ କିଏ ସିଏ କୁହନ୍ତୁ ମୁଁ ଯାଇ ତାଙ୍କୁ ପଚାରିବି । ସାଧୁ ଜଣକ କହିଲେ ନଦୀ ତଟରେ ଜଣେ ଧୋବା ଲୋକ ରହୁଛି । ତାର ସ୍ତ୍ରୀ କୁ ପଚାରିବ, ସେ ସବୁ କଥା କହିବ । ଏହା ଶୁଣି ସ୍ତ୍ରୀ ଜଣକ ତାର ପରଦିନ କିଛି ଟଙ୍କା ଗହଣା ଶାଢ଼ୀ ନେଇ ସେ ଧୋବା ର ସ୍ତ୍ରୀ ପାଖକୁ ଗଲେ । ଧୋବା ର ସ୍ତ୍ରୀ ଧନୀ ସ୍ତ୍ରୀ ଜଣକୁ ଦେଖି ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ହେଇ ପଚାରେ କି କେଉଁ କାମ ଲାଗି ତୁମେ ମୋ କୁଡିଆ କୁ ଆସିଛ ?  ଏବଂ କଣ ଦରକାର ତୁମକୁ ?  ସ୍ତ୍ରୀ ଲୋକ ଜଣକ କୁହନ୍ତି ମୁଁ ତମ ସହ ମୈତ୍ର ବାନ୍ଧିବାକୁ ଆସିଛି ଏହା ଶୁଣି ଧୋବା ର ସ୍ତ୍ରୀ ଖୁସି ହେଇ ତା କଥା ରେ ରାଜି ହୋଇଗଲା। ତାପରେ ଦୁଇଜଣ ମୈତ୍ର ହୋଇଗଲେ । ସ୍ତ୍ରୀ ଜଣକ ଧୋବା ର ସ୍ତ୍ରୀ କୁ କଥା ଆଳରେ ସାଧୁ କହିବା କଥାକୁ କୁହନ୍ତି । ତାହା ଶୁଣି ଧୋବା ର ସ୍ତ୍ରୀ କୁହେ ତମ ଝିଅର ଅତୀତ ବହୁତ୍ ଖରାପ।  ସେ ଗତ ଜନ୍ମରେ ବହୁତ୍ ବଡ଼ ପାପ କରିଛି ସେ ଏହି ଜନ୍ମରେ ତାକୁ ଭୋଗିବାକୁ ପଡ଼ିବ । ସ୍ତ୍ରୀ ଜଣକ ଏହି କଥା ଶୁଣି ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ହୋଇଗଲେ ଏବଂ କହିଲେ କି ଏବେ କଣ କରାଯାଇପାରିବ ।ଧୋବା ର ସ୍ତ୍ରୀ ଆଶ୍ୱାସନା ଦେଇ କହିଲା,  ମୁଁ ତମକୁ କହିବି କଣ କରାଯାଇ ପାରିବ ତୁମେ ତୁମେ ଏବେ ଘରକୁ ଯାଅ । ସ୍ତ୍ରୀ ଲୋକଟି ଘରକୁ ଚାଲିଯାଏ । ଧୋବା ର ସ୍ତ୍ରୀ ଭାବେ କି ମୁଁ ୟାକୁ କିଛି ମିଛ କହିଦେବୀ । ୟାକୁ ତ ମୁଁ ଯାହା କହିବି ସେ ସବୁକୁ ବିଶ୍ୱାସ କରିବ । ଏହା ଭାବି ସେ ତା ମନରେ ଭାବେ କି ତା ଝିଅକୁ ମୋ ପୁଅ ସହ ବିବାହ କରିବାକୁ କହିଲେ ମଧ୍ୟ ରାଜି ହେଇଯିବ । ମିଛ କହିକି ବାହା କରେଇଦେବି ଆଉ ସବୁ ସଂପତ୍ତି ମୋର ହେଇଯିବ । ଏହା ଭାବି ଭାବି ସେ ସ୍ତ୍ରୀ ଜଣକ ପାଖକୁ ଯାଏ । ଅତୀତ ର ପ୍ରତିକାର ବିଷୟରେ କହିଲା ଏବଂ କୁହେ ମୈତ୍ର ମୁଁ ଝିଅ ର ଭାଗ୍ୟ ଦେଖି ଜାଣିଲି ଯେ ଏହି ଝିଅ ଜଣକ ସହ ବିବାହ କରିବ ସେ ପୁଅ ବହୁତ୍ ଗରିବ ହେଇଥିବ ଏବଂ ତୁମ ଜାତି ଠାରୁ ଅଲଗା ହୋଇଥିବ। ଏହି ବିବାହ ଆଗାମୀ ପୂର୍ଣ୍ଣମୀ ପୂର୍ବରୁ ହେବା ଦରକାର।  ଏବଂ ପୂର୍ଣ୍ଣମୀ ଆଉ ୨ ଦିନ ପରେ ଅଛି ମାନେ ଏହି ଦୁଇଦିନ ମଧ୍ୟ ରେ ବିବାହ କରିବ ତେବେ ଯାଇ ତୁମ ପରିବାର ସହ ତୁମ ଝିଅର ଜୀବନ ମଧ୍ୟ ବଞ୍ଚି ରହିବ ।

ଯଦି ବିବାହ ନହୁଏ ତେବେ ତୁମ ପରିବାରର ସମସ୍ତଙ୍କ ର ମୃତ୍ୟୁ ଘଟି ପାରେ । ଏହା ଶୁଣି ସ୍ତ୍ରୀ ଲୋକଟି ବହୁତ୍ ଡରିଗଲା ଏବଂ ନିଜ ସ୍ବାମୀଙ୍କୁ ଯାଇ ସବୁ କଥା କୁହେ।  ଏହା ଶୁଣି ସ୍ବାମୀ କୁହେ ଦୁଇଦିନ ଭିତରେ ଆମକୁ ଯୋଇଁ ପୁଅ କୋଉଠୁ ମିଳିବ ସେ ବି ନିଜ କୁଳର ହେଇନଥିବ । ତାହା ଶୁଣି ଧୋବା ର ସ୍ତ୍ରୀ କୁହେ ତମେ ଯଦି ଖରାପ ନ ଭାବ ତେବେ ମୁଁ ମୋର ଗୋଟିଏ ମତ ଦେବୀ । ସ୍ତ୍ରୀ ଲୋକ ଜଣକ କୁହେ ଖରାପ କଣ ପାଇଁ ଭାବିବୁ ତୁମେ ତ ମୋ ପରିବାରକୁ ବଞ୍ଚେଇବାକୁ ଚାହୁଁଛ କୁହ କଣ କରାଯାଇ ପାରିବ । ଧୋବା ର ସ୍ତ୍ରୀ ଜଣକ କୁହେ ତୁମ ଝିଅକୁ ଯଦି ମୋ ପୁଅ ସହ ବିବାହ କରିବ ତେବେ କେମିତି ହେବ ଏବଂ ଆମ ଜାତି ମଧ୍ୟ ଅଲଗା। ସ୍ତ୍ରୀ ଲୋକଟି ଆଉ କିଛି ନ ଭାବି ସଙ୍ଗେ ସଙ୍ଗେ ହଁ କରିଦେଲେ । ଧୋବା ର ସ୍ତ୍ରୀ ଘରକୁ ଆସି ବହୁତ ଖୁସି ହେଇ ନିଜ ପୁଅର ଫେରିବା ବାଟ କୁ ଚାହିଁ ରହିଥାଏ ଖୁସି ଖବର ଜଣେଇବା ପାଇଁ । ସ୍ତ୍ରୀ ଜଣକ ସାଧୁ ଜଣକୁ ଦେଖା କରିବା ପାଈଁ ଯାଆନ୍ତି । ସାଧୁ ଙ୍କୁ ଦେଖି ପ୍ରଣାମ କରି କୁହନ୍ତି ବାବା ଆପଣଙ୍କ ପାଇଁ ସବୁ ଠିକ୍ ହେଇଗଲା । ଆପଣ ଆସି ମୋ କନ୍ୟାକୁ ଆଶୀର୍ବାଦ କରି ପାରିବେ କିନ୍ତୁ ସାଧୁ ବାବା ସ୍ତ୍ରୀ ଲୋକ କଥା ଶୁଣି ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ହୋଇ କହିଲେ ଏଇ ଝିଅ ତ ସ୍ବର୍ଗ ର ଅପସରୀ ଅଟେ ୟାକୁ କିଏ ବିବାହ କରିବ। ସ୍ତ୍ରୀ ଜଣକୁ ପଚାରିବାରୁ ସେ ଧୋବା ର ସ୍ତ୍ରୀ କହିଥିବା ସବୁ କଥା କୁହେ । ସାଧୁ ସବୁ କଥା ଶୁଣି କହିଲେ ସେ ଯାହା ସବୁ କହିଛି ସବୁ ମିଛ କହିଛି । ଚାଲ ଆମ୍ଭେ ଦୁଇ ଯାଇ ପଚାରିବା । ସଙ୍ଗେ ସଙ୍ଗେ ସାଧୁ ଏବଂ ସେ ସ୍ତ୍ରୀ ଜଣଙ୍କ ଧୋବା ଘରକୁ ଗଲେ।  ଯେତେବେଳେ ପହଞ୍ଚିଲେ ଦ୍ଵାର ପାଖରେ ପହଞ୍ଚି ଶୁଣିବାକୁ ପାଇଲେ।  ଧୋବା ର ସ୍ତ୍ରୀ ନିଜ ପୁଅ କୁ କହୁଥାଏ। ତୁ ସେଇ କନ୍ୟାକୁ ବିବାହ କରିବୁ ବହୁତ ଧନ ସମ୍ପତ୍ତି ଆମ୍ଭ ଘରକୁ ଆସିବ ଆଉ ଆମେ ଗରିବ ରହିବା ନାହିଁ । ସେହି କନ୍ୟାଟି ଗୋଟାଏ ସ୍ବର୍ଗ ର ଅପସରି ତୋତେ ବିବାହ କରିବା ମାତ୍ରେ ସେ ସବୁ କିଛି ଛାଡ଼ି ସ୍ବର୍ଗ କୁ ଚାଲିଯିବ । ତୁ ପୁଣିଥରେ ଆଉ ଜଣକୁ ବିବାହ କରିବୁ । ଏହି କଥା ଶୁଣି ସାଧୁ ବାବା ବହୁତ୍ ରାଗିଲେ ଏବଂ ଦୁହେଁ ସେଠୁ ଫେରି ଆସିଲେ ।

ସାଧୁ ଜଣକ ଆସୁଥିବା ରାସ୍ତାରେ ମୁରୁକି ହସୁଥିଲେ। ସ୍ତ୍ରୀ ଜଣଙ୍କ ପଚାରିଲେ  ସାଧୁ ବାବା ଆପଣ ତା କଥା ଶୁଣି ହସୁଛନ୍ତି । ସାଧୁ ବାବା କହିଲେ ସେ ତୋ ଝିଅ ର ଭାଗ୍ୟ କଥା ଠିକ୍ କହିଛି କିନ୍ତୁ ଲୋଭ ରେ ତୋ ଝିଅ ର ପୁରା ଭାଗ୍ୟ ଦେଖି ନାହିଁ । ସ୍ତ୍ରୀ ଜଣକ ପଚାରିଲେ ଆପଣ କଣ କହୁଛନ୍ତି ମୁଁ କିଛି ଜାଣି ପାରୁନି।  ସାଧୁ ଜଣଙ୍କ କହିଲେ ଧୋବା ର ସ୍ତ୍ରୀ ଯାହା କହୁଛି ତାହା ସତ କଥା । ପ୍ରକୃତରେ ତୋ ଝିଅ ର ବିବାହ ପରେ ଯୋଉ ପୂର୍ଣ୍ଣମୀ ଆସିବ ସେହି ପୂର୍ଣ୍ଣମୀ ର ଚନ୍ଦ୍ରାଲୋକ ପଡ଼ିଲେ ସେ ତାର ଅସଲ ରୂପ ମାନେ ଅପସରୀ ରୂପ କୁ ଆସି ଯିବ ଏବଂ ସେ ସବୁ ଦିନ ପାଇଁ ତୁମ ମାନଙ୍କୁ ଛାଡି ସ୍ୱର୍ଗକୁ ଚାଲିଯିବ। ତୋ ଝିଅ ସାଙ୍ଗରେ ଯାହା ଧନ ସମ୍ପତି ନେଇ ଯାଇଥିବ ସେ ସବୁ ତୋ ଝିଅ ଅପସରୀ ହେବା ପରେ ଅଦୃଶ୍ୟ ହୋଇଯିବ । ଏହି କଥା ଶୁଣି ଦୁହେଁ ସ୍ବାମୀ ସ୍ତ୍ରୀ ଦୁଃଖୀ ହେଲେ । କିନ୍ତୁ ବିଧିର ବିଧାନ କେ କରିବ ଆନ ।

ସାଧୁ ମତ ଦେଲେ, ସେ ଯାହା ଯୋଜନା କରୁଛି କରୁ ତୁମ କାମ ହେଲା ତୁମ ଝିଅ କୁ ମୁକ୍ତି ମିଳିବା ଦରକାର । ତୁମେ ତୁମ ଝିଅ ର ବିବାହ କାର୍ଯ୍ୟ ଆରମ୍ଭ କର । ବିବାହ ସରିଲା , ଧୋବା ର ସ୍ତ୍ରୀ ମନେମନେ ଖୁସି ହେଉଥିଲା । ଏପଟେ ଝିଅ ର ବାହାଘର ତଥା ମୁକ୍ତି ପାଇଁ ସ୍ବର୍ଗକୁ ଯିବା ଭାବି ଦୁଃଖୀ ହେଉଥିଲେ । ଝିଅ ବାହାଘର ପରେ ଧୋବା ଘରକୁ ଆସିଲା ସାଙ୍ଗରେ ବହୁତ୍ ଧନ ନେଇ ଆସିଲା । ବାହାଘର ପର ଦିନ ପୂର୍ଣ୍ଣମୀ ସନ୍ଧ୍ୟାରେ ।ପୂର୍ଣ୍ଣମୀ ର ଚନ୍ଦ୍ରଲୋକ ପଡ଼ିଲା ପରେ ସେ ଝିଅ ନିଜ ଅପସରୀ ରୂପ କୁ ଆସିଗଲା। ଧୋବା ସ୍ତ୍ରୀ ମନେ ମନେ ବହୁତ୍ ଖୁସି ହେଉଥିଲା । ଅପସରୀ ର ମା ଏବଂ ବାପା ସମସ୍ତେ ଝିଅ କୁ ଅନ୍ତିମ ସମୟରେ ଦେଖା କରିବାକୁ ଆସିଲେ । ଅପସରୀ କହିଲା ଆପଣ ମାନଙ୍କ ଯୋଗୁ ମୁଁ ଏବେ ଅଭିଶାପ ରୁ ମୁକ୍ତି ହେଲି । ବାପା ମା ଙ୍କ ଆଖିରେ ଲୁହ ଥିଲା । ଅପସରୀ ଏତିକି କହି ସମସ୍ତଙ୍କୁ ଧନ୍ୟବାଦ ଦେଇ ସ୍ୱର୍ଗକୁ ଚାଲିଗଲା । କିଛି ସମୟ ପରେ ଧୋବା ସ୍ତ୍ରୀ ପୁଅ ନିଜ ଧନ ସଂପତ୍ତି କୁ ଦେଖି ବହୁତ୍ ଖୁସି ହେଉଥିଲା କିନ୍ତୁ କିଛି ଘଣ୍ଟା ପରେ ସବୁ ଦାମୀ ଜିନିଷ ଏବଂ ସୁନା ଗହଣା ଅଦୃଶ୍ୟ ହେବାକୁ ଲାଗିଲା ।  ଧୋବା ର ସ୍ତ୍ରୀ ଚିନ୍ତା ରେ ପଡ଼ିଗଲା । ସେ ଭାବିଲା ମୁଁ ତ ସେ ଅପସରୀ ର ପୁରା ଭବିଷ୍ୟ ଦେଖିନି ଏବଂ ପ୍ରକୃତ ଘଟଣା କଣ ଭାବି ପୁରା ଭବିଷ୍ୟ ଦେଖିଲା ପରେ ଜାଣିଲା ଯେ ସେ ଯାହା ଯାହା ଭାବିଥିଲା ତାହା ସତ କିନ୍ତୁ ସେ ଅପସରୀ ନିଜ ସାଙ୍ଗରେ ଆଣିଥିବା ଜିନିଷ ସବୁ ସମୟ କ୍ରମେ ଅଦୃଶ୍ୟ ହେଇଯିବ। ଏତିକି ବେଳେ ସାଧୁ ବାବା ଆସି ପହଞ୍ଚିଲେ ଏବଂ ଧୋବା ର ସ୍ତ୍ରୀ କୁ କହିଲେ ତୋର ଲୋଭ ଯୋଗୁ ଏହି ସମ୍ପତି ଅଦୃଶ୍ୟ ହୋଇଗଲା ଏବଂ ଧୀରେ ଧୀରେ ତୋର ସମ୍ପତି ମଧ୍ୟ ଅଦୃଶ୍ୟ ହୋଇଯିବ।  ଏତିକି ଶୁଣିଲା ପରେ ଧୋବା ର ସ୍ତ୍ରୀ ସାଧୁ ବାବା ର ଗୋଡ଼ ତଳେ ପଡି ଗୁହାରି କଲା । ମୋତେ କ୍ଷମା କରିଦିଅ ବାବା, ମୁଁ ମୋ ଭୁଲ ବୁଝିପାରିଛି। ମୋ ସ୍ବାମୀ ଏକ ଦିନ ମଜୁରିଆ ଯଦି ସେତକ ମଧ୍ୟ ସରିଯିବ ତେବେ ଆମେ ଦାଣ୍ଡର ଭିକାରୀ ହୋଇଯିବୁ । ସାଧୁ ବାବା ଙ୍କ ରାଗ ଶାନ୍ତ ହେଲା ଏବଂ କହିଲା ମୁଁ ମଧ୍ୟ ମୋ ଅଭିଶାପ ରୁ ମୁକ୍ତି ହେଲି ମୁଁ ସେ ଅପସରୀ କୁ ଅଭିଶାପ ଦେଇଥିବା ଋଷି । ମୁଁ ମୋ ରାଗ ପ୍ରକୃତି ପାଇଁ ଅଭିଶାପ ପାଇଥିଲି ଏବଂ ପୃଥିବୀ ପୃଷ୍ଠରେ  ଭିକ୍ଷା ମାଗି ଜୀବନ ଯାପନ କରିବାକୁ ଅଭିଶପ୍ତ ଥିଲି । ମୋର ରାଗ ରେ ଅଭିଶପ୍ତ ଯୋଗୁ ଦେବତା ମାନେ ମୋତେ ଅଭିଶାପ ଦେଇଥିଲେ ।  ଏବେ ମୋର ରାଗ ଶାନ୍ତ ହୋଇଛି ଏବଂ ତୁମକୁ କ୍ଷମା ଦେଉଛି । ତୁମର ମଙ୍ଗଳ ହେଉ କହି ସେ ମଧ୍ୟ ସ୍ୱର୍ଗକୁ ଚାଲିଗଲେ । ଧୋବା ର ସ୍ତ୍ରୀ , ଅପସରୀ ର ବାପା ମା ପାଖକୁ ଯାଇ କ୍ଷମା ମାଗିଲା । ଧୋବା ର ପରିବାର ମୂଲ ଲାଗି ଟଙ୍କା ଅର୍ଜନ କରି ଖୁସିରେ ରହିଲେ ଏବଂ ଅପସରୀ ର ପରିବାର ପୂର୍ବ ଭଳି ଦାନ ଧର୍ମ କରି ଖୁସିରେ ରହୁଥିଲେ।    

ଏଥିରୁ କଣ ଶିଖିଲ?
୧. ଲୋଭ କରିବା ଅନୁଚିତ୍ ।
୨. ରାଗରେ କାହାକୁ ଭୁଲ କହିବ ଅନୁଚିତ୍ ।
୩. ବେଳେବେଳେ ଦାନ କରିବା ଉଚିତ୍ ।

ଲେଖିକା. ପୂଜା ସ୍ୱାଇଁ
ବୁଗୁଡ଼ା, ଗଞ୍ଜାମ।  

କିଛି ବିଚିତ୍ର ପ୍ରଥା ଓ ଲୋକକଥା (Some customs)

କିଛି ବିଚିତ୍ର ପ୍ରଥା ଓ ଲୋକକଥା (Some customs)
କିଛି ବିଚିତ୍ର ପ୍ରଥା ଓ ଲୋକକଥା (Some customs)

କିଛି ପ୍ରଥା ମନୁଷ୍ୟ ଜୀବନରେ ନୀରବ ଭାବେ ପ୍ରଭାବ ପକେଇ ଥାଏ। ତତ୍ ସହିତ ସାଧାରଣ ଜୀବନ ଶୈଳୀ କୁ ବଦଳେଇବା ପାଇଁ ବାଧ୍ୟ କରିଥାଏ। ସବୁ କ୍ଷେତ୍ରରେ ସତ ବୋଲି ମୁଁ ପ୍ରଶ୍ନ କରୁନି ଅବା ଅନ୍ଧ ବିଶ୍ବାସର ନାମ ମଧ୍ୟ ଦେଉନି । ଏହି ପ୍ରଥା ଆମ ଜୀବନରେ ବେଳେ ବେଳେ ଆମକୁ କିଛି କରିବା କୁ ଏବଂ ବାରଣ ପାଇଁ ଏକ ସନ୍ଦେଶ ଦିଏ । ଏହି ପ୍ରଥା ଯୋଗୁ କିଛି ମଣିଷ ନିଜକୁ ଖୁସି ବୋଲି ମାନି ନିଅନ୍ତି ତ ଆଉ କାହା ସେହି କାର୍ଯ୍ୟ କରିବାକୁ ବାଧ୍ୟ କରନ୍ତି। ଏହି ବାର୍ତ୍ତା କାହାକୁ ଆକ୍ଷେପ କିମ୍ବା ସପକ୍ଷରେ ମତ ଦେବାର ମୋର କିଛି ପ୍ରୟାସ ନୁହେଁ। ଏହା ଏକ ସମ୍ବାଦ/ବାର୍ତ୍ତା ଯାହା ଭୁଲ କଣ ଏବଂ ଠିକ୍ କଣ ତାହା ଜଣେଇବା ର ଏକ ଛୋଟ ପ୍ରୟାସ।
 କଣ କଣ ପ୍ରଥା ଯାହାକୁ ଆମେ ବିଶ୍ବାସ କରିବାକୁ ବାଧ୍ୟ ହେଉଛୁ ଆଉ କଣ କଣ ହୋଇଥିଲା ଯାହା ଆମକୁ ଏକ ଉଚିତ୍ ବାର୍ତ୍ତା ଦେଇ ଲୋପ ପାଇ ଗଲାଣି, ଚାଲନ୍ତୁ ଜାଣିବା ।
୧. ଗୃହପାଳିତ ପଶୁ ଯେମିତିକି ଗାଈ, ଗୋରୁ ଏବଂ ବାଛୁରୀ ମାନଙ୍କୁ କିଛି ରୋଗ ହୁଏ ଏବଂ ତାହା ବହୁତ୍ ଦିନ ଧରି ଚାଲେ। ସେଥିରୁ ଗୋଟିଏ ରୋଗର ଉଦାହରଣ ହେଉଛି ବସନ୍ତ ରୋଗ । ଏହି ରୋଗ ର ପ୍ରତିକାର ପାଇଁ ଔଷଧ ମଧ୍ୟ ଆସିଗଲାଣି । ଏବଂ ବର୍ତ୍ତମାନ ସ୍ଥିତିରେ ଏହା ଠିକ୍ ହେଉଛନ୍ତି । ପ୍ରଥା ଅନୁସାରେ କହିବାକୁ ଗଲେ । ପ୍ରାୟ 20 ବର୍ଷ ପଛକୁ ଚାଲିଯିବା ଆମେ ସେଠୀ ଦେଖୁଥିଲେ । ଯେ “ଗାଈ ଚେଙ୍କ” ଏହି ଚେଙ୍କ ବିଷୟରେ କିଛି ଲୋକ ଜାଣିଥିବେ ଯାହା କି ବହୁତ୍ କଷ୍ଟ ଦାୟକ ଥିଲା। ଯାହା ଗୋଟିଏ ଲୁହା ଛଡ଼ କୁ ନିଆଁରେ ଗରମ କରି ଗାଈ ଦେହରେ ଲଗା ଯାଉଥିଲା। ଏହା ଖାଲି ଗାଈ ନୁହଁ ଗୋରୁ, ଛେଳି ଏବଂ ମେଣ୍ଢା ଙ୍କୁ ମଧ୍ୟ ଦିଆ ଯାଉଥିଲା । ଭାବନ୍ତୁ ଗୋଟିଏ ତତଲା ଲୁହା ଛଡ଼ କୁ ଦେହରେ ଲଗା ଯିବ ତେବେ କେତେ କଷ୍ଟ ହେବ ତାହା ଆପଣ ଅନୁମାନ କରନ୍ତୁ ।
ଏହି ଲୁହା ଚେଙ୍କ ର ଅନୁଭବ କିଛି ଛୋଟ ଛୁଆ ମାନେ ମଧ୍ୟ କରିଥିବେ। ବିଶ୍ୱାସ ଥିଲା ଯେ ଲୁହା ଚେଙ୍କ ଦ୍ଵାରା ଖରାପ ସ୍ଵପ୍ନ କିମ୍ବା ଭୂତ ପ୍ରେତ ର ସାୟା ପଡେନାହିଁ । ଏହା ପୁରାପୁରି ସତ୍ୟ ନୁହେଁ କିନ୍ତୁ ଏହି ପ୍ରଥା ମଧ୍ୟ ଦେଖିବାକୁ ମିଳୁଥିଲା ଏବଂ ଆପଣ ସୁଣିଥିବେ ମଧ୍ୟ । ଏବେ ଭାବନ୍ତୁ ସେହି ସମୟର ଲୋକମାନେ ବୁଦ୍ଧିମାନ ଥିଲେ ଅବା ଆଉ କିଛି?? ।
୨. ଆମ ଜେଜେ, ଜେଜେମା, ଅଜା ଓ ଆଈ ମାଁ ଙ୍କ ପାଖରୁ ଶୁଣିଥିବ ଯେ ଦେହରେ ଚିହ୍ନ କରିବା ମାନେ “ଯମଦଣ୍ଡ” କରିବା ଯାହା ବର୍ତ୍ତମାନ ଆମେ ତାକୁ ଟାଟୁ(Tatoo) କହୁ । ସେମାନଙ୍କ କହିବା ଅନୁସାରେ ଆମର ଯେବେ ମୃତ୍ୟୁ ହେବ ସେହି ସମୟରେ ଆମେ ଯମ ପୁରକୁ ଯିବା ସେଠୀ ଆମକୁ ଯମ ପଚାରେ ତୁ ଯେମିତି ଲଙ୍ଗଳା ହୋଇ ଯାଇଥିଲୁ ସେମିତି ଆସିଲୁ । ତୋତେ ଗୋଟିଏ ମଣିଷ ଜନ୍ମ ମିଳିଥିଲା ତୁ ଏହି ଯମ ପୁରକୁ କଣ ନେଇ ଆସିଛୁ । ସେତେବେଳେ ମୃତ୍ୟୁ ବରଣ କରିଥିବା ବ୍ୟକ୍ତି ନିଜ ଦେହରେ ଥିବା ଚିହ୍ନ କୁ ମାନେ “ଯମଦଣ୍ଡ” ଦେଖାଇ କହେ ଏହା ପୃଥିବୀ ରୁ ନେଇ ଆସିଛି ଏବଂ ଏହି ଚିହ୍ନ କୁ ଦେଖି ଯମରାଜ ପାପ ରୁ ପାଇବା ଦଣ୍ଡ କିଛି ପରିମାଣରେ କମ୍ ହୋଇଯିବ ଏବଂ ଯଦି ହେବ ଯମରାଜ ତୋତେ ପାପରୁ ମୁକ୍ତ କରି ସ୍ବର୍ଗ କୁ ପଠେଇ ପାରନ୍ତି । ଏହା ଆପଣ ଦେଖିଥିବେ ବହୁତ୍ ବୁଢ଼ା ବୁଢ଼ୀ ଅଛନ୍ତି ତାଙ୍କ ଦେହରେ ଆପଣ ଏମିତି କିଛି ଚିହ୍ନ ଦେଖିବାକୁ ମିଳିବ । ଯେମିତି ତାଙ୍କ ନାମ, ତାଙ୍କ ସ୍ଵାମୀ ଏବଂ ସ୍ତ୍ରୀ ଙ୍କ ନାମ କିନ୍ତୁ ବର୍ତମାନ ଯୁଗରେ ତାହା ଗୋଟିଏ ଫେଶନ ହୋଇଗଲାଣି ।
୩. ଯେଉଁ ମାନେ ବେଶୀ ଭାବିଥାନ୍ତି ମାନେ ଭୂତ ପ୍ରେତ ର ସ୍ଵପ୍ନ ବହୁତ୍ ଆସେ । ସେମାନଙ୍କୁ ଉପଦେଶ ଦିଆ ଯାଇ ଯେ ତକିଆ ତଳେ କିଛି ଧାରୁଆ ପଦାର୍ଥ ଯେମିତି ଛୁରୀ କିମ୍ବା କଇଞ୍ଚୀ ଇତ୍ୟାଦି ରଖି ଶୋଇବାକୁ । ଯାହା ଫଳରେ ରାତିରେ ସ୍ଵପ୍ନ ରେ ଆସୁଥିବା ଭୂତ ପ୍ରେତ ସୋଇଥିବା ଲୋକ ପାଖକୁ ଆସନ୍ତି ନାହିଁ । ଏହି ପ୍ରକ୍ରିୟା କୁ ମୁଁ ନିଜେ ଅନୁଭବ କରିଛି ଏହା କିଛି ପରିମାଣରେ ମୋତେ ସତ୍ୟତା ଲାଗିଲା କିନ୍ତୁ ପ୍ରକୃତ ରହସ୍ୟ କିଛି ଅଲଗା । ଆମ ହୃଦୟ ଟା ବହୁତ୍ ଡରକୁଳା ମାନେ ଆମେ ବହୁତ୍ ଡରିଥାଉ । ଯାହା ଫଳରେ ଆମେ କିଛି ଭୟୟୁକ୍ତ ବିଷୟ ଦେଖିବା ଏବଂ ସେ ବିଷୟରେ ଶୁଣିବା ଅବା ଭାବିବା ଫଳରେ ଆମେ ବେଶୀ ଡରିଯାଉ । ସେଥିପାଇଁ ମନୋବିଜ୍ଞାନ ହିସାବରେ ଆମ ମନରୁ ଡର ହଟିଗଲେ ହିଁ ଆମକୁ ଭଲ ନିଦ ଆସେ ଏବଂ ଆମେ ଶାନ୍ତିରେ ଶୋଇ ପାରୁ । ଏହି ବିଷୟରେ ମୁଁ ଇଣ୍ଟରନେଟ ରେ ଖୋଜିବା ପରେ ଗୋଟିଏ ପୁରାତନ କାହାଣୀ ରେ ପଢିଲି ଯେ ପୂର୍ବେ ବ୍ୟବସ୍ଥା ଏତେ ଉନ୍ନତ ନଥିଲା ଏମିତି କୁ ବିଜୁଳି ବ୍ୟବସ୍ଥା ମଧ୍ୟ ନଥିଲା। ଯାହା ଫଳରେ ରାତ୍ରି କାଳୀନ ସମୟରେ ଚୋର ମାନେ ଚୋରି କରିଥାନ୍ତି । ଚୋରି ସମସ୍ୟା ଅଧିକା ହେବା ଯୋଗୁ ଲୋକମାନଙ୍କ ଅର୍ଥ ସହିତ ମୂଲ୍ୟବାନ ଜିନିଷ ଚୋରି ହେଉଥିଲା। ଜମିଦାର କିମ୍ବା ବଡ ଘର ର ଲୋକେ ନିଜ ଘରେ ଜଗୁଆଳ ରଖୁଥିଲେ କିନ୍ତୁ ମଧ୍ୟମ ବର୍ଗ ର ଲୋକମାନେ ନିଜ ପାଖରେ ଧାରୁଆ ଅସ୍ତ୍ର ଶସ୍ତ୍ର ନିଜ ତକିଆ କିମ୍ବା ବିଛଣା ତଳେ ରଖି ଶୋଉଥିଲେ। ଯେତେବେଳେ ଚୋର ମାନେ ଆସିବେ ସେମାନଙ୍କୁ ତୁରନ୍ତ ମୁକାବିଲା ପାଇଁ ସୁବିଧା ହେଉଥିଲା । ଏହି କାରଣ ଟି କିଛି ମାତ୍ରାରେ ସମାନ ହେଉଛି। ଏହି ପ୍ରଥା ବର୍ତମାନ ସୁଦ୍ଧା ଚଳନୀୟ ଅବସ୍ଥାରେ ଅଛି । ଏହାର ସତ୍ୟତା ଆପଣ ଜାଣିପାରି ଥିବେ। କେତେ ମାତ୍ରାରେ ସତ ଏବଂ କେତେ ମାତ୍ରାରେ ଏହା ମିଛ ।
୪. ଏହି ଲୋକକଥା ଟି ମୋ ବନ୍ଧୁ ହିମାଂଶୁ ଠାରୁ ଶୁଣିଥିଲି। ଆପଣଙ୍କ ସହିତ ସେହି ବିଷୟ କୁ କହିବାକୁ ଯାଉଛି । ଗୋଟିଏ ଲୋକ ନିଜ ବାପାଙ୍କ ଶ୍ରାଦ୍ଧ ବାର୍ଷିକ ନିମନ୍ତେ ସବୁ ସାମଗ୍ରୀ ଯୋଗାଡ ହେବା ପରେ ଗୋଟିଏ କାରଣ ପାଇଁ ଶ୍ରାଦ୍ଧ ବାର୍ଷିକ ଆରମ୍ଭ ହୋଇ ପାରୁନଥିଲା । ତାହା ଥିଲା ଗୋଟିଏ ବିଲେଇ । କାହିଁକି ନା ଶ୍ରାଦ୍ଧ କରୁଥିବା ବ୍ରାହ୍ମଣ ଙ୍କ କହିବା ଅନୁସାରେ ଶ୍ରାଦ୍ଧ ଦେବା ସ୍ଥାନ ପାଖରେ ଗୋଟିଏ ଖୁଣ୍ଟରେ ବିଲେଇ ବାନ୍ଧି ହୋଇ ରହିବା ଦରକାର । ଲୋକଟି ବହୁତ୍ କଷ୍ଟରେ କେମିତି କଣ ବ୍ୟବସ୍ଥା କରି ଅନ୍ୟ ଏକ ଲୋକକୁ କିଛି ଟଙ୍କା ଦେଇ ଗୋଟିଏ ବିଲେଇ ର ବ୍ୟବସ୍ଥା କରି ସେଠୀ ବନ୍ଧାଗଲା ଏବଂ ଶ୍ରାଦ୍ଧ କ୍ରିୟା ସଂପନ୍ନ ହେଲା । ଏମିତି କି ସବୁ ଶ୍ରାଦ୍ଧ ରେ ସେମିତି ବିଲେଇ ବାନ୍ଧିବା କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ କରାଯାଉଥିଲା । କାରଣ ବାପାଙ୍କ ଶ୍ରାଦ୍ଧ ହେଉଛି ତାଙ୍କ ଆତ୍ମା ର ଶାନ୍ତି ନିମନ୍ତେ କରିବାକୁ ପଡ଼ିବ। ଏହି ପ୍ରକିୟା ତାଙ୍କ ଜେଜେଙ୍କ ଅମଳରୁ ଚାଲି ଆସୁଛି ଆଉ ଏବେ ପୁଅ କୁ ତ କରିବାକୁ ପଡ଼ିବ। ଏଠି ପ୍ରଶ୍ନ ଉଠେ ଯେ ବାପାଙ୍କ ଶ୍ରାଦ୍ଧ ଦିବସ ରେ ବିଲେଇ ର କାମ କଣ?? ପ୍ରକୃତ କଥା ହେଲା ଯେ ବାପାଙ୍କ ୦୪ ବଂଶଜ ଉପରକୁ ଚାଲିଯାଆନ୍ତୁ । ସେ ଜେଜେ ନିଜ ବାପା ଙ୍କ ପାଇଁ ଶ୍ରାଦ୍ଧ କରୁଥିଲେ। ସେ ଗୋଟିଏ ବିଲେଇ ପାଳିଥିଲେ । ସେ ବିଲେଇ ଏତେ ଦୁଷ୍ଟ ଥିଲା ଯେ ପ୍ରତ୍ୟେକ ଖାଇବା ଜିନିଷ ରେ ମୁହଁ ମାରିବା ତାର ଅଭ୍ୟାସ ଥିଲା କିନ୍ତୁ ବାପା ବିଲେଇ କୁ ବହୁତ୍ ଭଲ ପାଉଥିଲେ । ସେଦିନ ମଧ୍ୟ ସେମିତି ହେଲା । ବାପା ରାଗରେ ବିଲେଇ କୁ ପାଖରେ ଥିବା ଖୁଣ୍ଟ ରେ ବାନ୍ଧିଦେଲେ । ତାହା ର ପରିଣାମ ଗୋଟିଏ ସ୍ପଷ୍ଟ ଉଦାହରଣ ଯେ ଶ୍ରାଦ୍ଧ ସମୟରେ ବିଲେଇ ଖୁଣ୍ଟରେ ବନ୍ଧା ହୋଇ ରହିଥିବା ଦରକାର । ଏଥିରୁ ଆପଣ ଜାଣି ପାରିଥିବେ ଯେ ପ୍ରଥା କୁ କେମିତି ଅବଲମ୍ବନ କରାଯାଉଛି ।
୫. ଏହି ବିଷୟ ଟି ମୋଟିଭେଶନ ବକ୍ତା ସନ୍ଦୀପ ମାହେଶ୍ୱରୀ ଙ୍କ ତଥ୍ୟ ରୁ ଉପନୀତ। ଥରେ ବୈଜ୍ଞାନିକ ମାନେ ଗୋଟିଏ ପରୀକ୍ଷା ପାଇଁ ୫ଟି ମାଙ୍କଡ କୁ ଗୋଟିଏ ବନ୍ଦ କୋଠରୀ ଭିତରେ ରଖିଲେ । କୋଠରୀ ର ଗୋଟିଏ ପାଶ୍ୱର୍ରେ ନିଶୁଣି ଥାଏ । ନିଶୁଣି ର ଅଗ୍ର ଭାଗରେ ଗୋଟିଏ କଦଳୀ ପେନ୍ଥା ରଖା ଗଲା । ସେଥିରୁ ଗୋଟିଏ ମାଙ୍କଡ ର ନଜର କଦଳୀ ପେନ୍ଥା ଉପରେ ପଡ଼ିଲା ସେ କଦଳୀ ଆଣିବାକୁ ନିଶୁଣି ଉପରେ ଚଢ଼ିଛି ହଠାତ୍ ତା ଉପରେ ପାଣି ପକା ଗଲା । ଏହା ଗୋଟିଏ ବର୍ଷା ଭଳି କରାଯାଇଥିଲା। ସେହି ମାଙ୍କଡ ଟି ତଳକୁ ଖସିଲା ପରେ ବର୍ଷା ବନ୍ଦ ହୋଇଗଲା। ପୁଣି ଆଉ ଏକ ମାଙ୍କଡ ସେଇ କଦଳୀ ଆଣିବାକୁ ନିଶୁଣି ଚଢ଼ିବାକୁ ଗଲା। ତା ଉପରେ ମଧ୍ୟ ବର୍ଷା ହେଲା । ଏମିତି ତୃତୀୟ ମାଙ୍କଡ ର ପ୍ରୟାସ ରେ ପୁଣି ବର୍ଷା ହେଲା । ଏବେ ଚତୁର୍ଥ ମାଙ୍କଡ ନିଶୁଣି ଉପରେ ପାଦ ରଖିଲା। ହଠାତ୍ ବାକି ମାଙ୍କଡ ତାକୁ ଟାଣି ଆଣି ମାରିଲେ। ପଞ୍ଚମ ମାଙ୍କଡ ପ୍ରୟାସ ରେ ମଧ୍ୟ ସେ ବାକି ମାଙ୍କଡ ହାତରୁ ମାଡ ଖାଇଲା । କିଛି ସମୟ ପରେ ପାଞ୍ଚୋଟି ମାଙ୍କଡ ମଧ୍ୟରୁ ଗୋଟିଏ ମାଙ୍କଡ କୁ ବଦଳେଇ ନୂଆ ମାଙ୍କଡ ରଖାଗଲା । ସେ ନୂଆ ମାଙ୍କଡ ସେଠୀ ଆସିଲା ପରେ ସେ ମଧ୍ୟ କଦଳୀ ଖାଇବାକୁ ପ୍ରୟାସ ପୂର୍ବରୁ ତାକୁ ଟାଣି ଆଣି ବାକି ମଙ୍କଡ ମାଡ ମାରିଲେ। ଏମିତି ଗୋଟିଏ ପରେ ଗୋଟିଏ ମାଙ୍କଡ ବଦଳା ଗଲା। ବର୍ତମାନ ପାଞ୍ଚୋଟି ମାଙ୍କଡ ପୁରାପୁରି ନୂଆ। ସେମାନଙ୍କ ମନରେ ଗୋଟିଏ ଡର ଥିଲା ଯେ ସେ ନିଶୁଣି ପାଖକୁ ଯିବା ପାଇଁ ମନା ଏବଂ ସେ ନିଶୁଣି କୁ ଛୁଇଁବା ମଧ୍ୟ ମନା । ପ୍ରକୃତ କାରଣ କଣ କେହି ଜାଣିନି କିନ୍ତୁ ସ୍ଥିତି ଆମର ଜୀବନ ଜୀବିକା ବଦଳେଇ ଦିଏ । ପୁର୍ବ ମାଙ୍କଡ ଙ୍କ ସହିତ କଣ ହୋଇଛି ତାହା କେହି ଜାଣିବାକୁ ଚେଷ୍ଟା କରିଲେ ନାହିଁ । ଏବଂ ନୂଆ ମାଙ୍କଡ ମାନେ ନୂଆ କାରଣ ନେଇ ବଞ୍ଚିବା ଆରମ୍ଭ କରିଦେଲେ ।
ଆମର ଲୋକ କଥା ଏବଂ ପ୍ରଥା କିଛି ଅଲଗା ଉଦ୍ଧେଶ୍ୟରେ ଆରମ୍ଭ ହୁଏ କିନ୍ତୁ ଧିରେ ଧିରେ ତାର ନୂଆ ମୋଡ ନେଇ ଅଲଗା ରୂପ ନେଇଯାଏ। ସେମିତି କିଛି ପ୍ରଥା ଅନ୍ଧ ବିଶ୍ବାସ କୁ ଭିତ୍ତି କରି ପ୍ରଥା କୁ ଆରମ୍ଭ କରାଯାଇଥିଲା। ତାହା କିଛି ଉଦାହରଣ ଉପରେ ଦିଆଗଲା । ସେଥିପାଇଁ ପୁରୁଣା ପନ୍ଥା କୁ ଅବଲମ୍ବନ କରନ୍ତୁ କିନ୍ତୁ କିଛି କିଛି ଜାଗାରେ ଅନ୍ଧ ବିଶ୍ବାସ ରୂପେ କାହାକୁ କଷ୍ଟ ଦେବା ଠିକ୍ ନୁହଁ । ପ୍ରକୃତ ସଠିକ୍ ଉପଚାର ଖୋଜିବା ଦରକାର । ବର୍ତମାନ ସ୍ଥିତିରେ କିଛି କିଛି ସ୍ଥାନରେ ଏହା ଦେଖିବାକୁ ମିଳୁଛି। ଏବଂ ଅନ୍ୟ କିଛି ସ୍ଥାନରେ ଏହି ପ୍ରଥା ଧିରେ ଧିରେ ଲୋପ ପାଇଲାଣି ।
ଉପରେ ଦିଆ ଯାଇଥିବା ପ୍ରଥା ଓ ଲୋକ କଥା ସମ୍ବନ୍ଧିତ କିଛି ପ୍ରଥା ଆପଣ ଆଖପାଖ ରେ ହେଉଛି ଯଦି ନିଶ୍ଚୟ କମେଣ୍ଟ କରନ୍ତୁ। କମେଣ୍ଟ କରିବା ପାଇଁ ଏହି ପେଜ୍ ତଳେ ଗୋଟିଏ “Post a comment” ଲିଙ୍କ ଅଛି ସେଠୀ କ୍ଲିକ୍ କରି କମେଣ୍ଟ ଦେଇପାରିବେ।
By. Nilamadhab 
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ଜମିଦାର ବାବୁଙ୍କ ପରିବାର (Zamidars Family)

ଜମିଦାର ବାବୁଙ୍କ ପରିବାର (Zamidars Family)
ଜମିଦାର ବାବୁଙ୍କ ପରିବାର (Zamidars Family)
ସୂର୍ଯ୍ୟ ନଗର ନାମକ ଗୋଟିଏ ସୁନ୍ଦର ଗ୍ରାମ ଥିଲା। ସେହି ଗ୍ରାମ ରେ ରବୀନ୍ଦ୍ର ନାମକ ଜଣେ ଜମିଦାର ଥିଲେ ଏବଂ ତାଙ୍କର ଦୁଇଟି ପୁତ୍ର ଥିଲେ ସେ ଅତ୍ୟନ୍ତ ସୁନ୍ଦର ଓ ପାଠୁଆ ଥିଲେ । ସହର କୁ ପଠେଇ ସେ ସେମାନଙ୍କୁ ପାଠ ପଢ଼ାଉ ଥିଲେ । ତାଙ୍କର ସ୍ତ୍ରୀ ବହୁତ ଗର୍ବି ଓ ଅହଂକାରି ଏବଂ ଧନ ପ୍ରିୟ ଥିଲେ । ତାଙ୍କର ନାମ ରମାବତୀ ଥିଲା । ଦୁଇ ପୁଅ ପାଠ ପଢ଼ା ସାରି ଗ୍ରାମକୁ ଆସିଲେ । ମା ବାପାଙ୍କୁ କହିଲେ କି ଏବେ ଆମ ପାଠ ପଢ଼ା ସରିଗଲା ଏବେ ଆମେ କିଛି ଚାକିରି କରିବୁ । ବାପା, ମା ବହୁତ ଖୁସି ହେଲେ ଏବଂ ଚାକିରୀ ପାଇଁ ପୁଅ ଦୁଇ ଜଣ ବିଦେଶ ଯିବା ପାଇଁ ବାହାରିଲେ । ସେହି ସମୟରେ ରମାଦେବୀ କୁହନ୍ତି ଯଦି କିଛି ଅସୁବିଧା ହୁଏ ଟଙ୍କା ରଖିବ ନହେଲେ ସବୁ ଟଙ୍କା ଘରକୁ ପଠେଇ ଦେଉଥିବ । ତାପରେ ଦୁହେଁ ଭଲ ରୋଜଗାର କରି ଦିନକୁ ଭଲ ଭାବରେ କାଟୁ ଥାନ୍ତି।
ଏଣେ ବୟସ ହେବା ଯୋଗୁ ପୁଅ ଦୁଇଙ୍କୁ ବିବାହ କରାଇବା ପାଇଁ ଜମିଦାର ନିଜ ସ୍ତ୍ରୀ କୁ କୁହନ୍ତି। ଏହା ଶୁଣି ରମାବତୀ କୁହନ୍ତି ” ହଁ ଠିକ୍ ଅଛି କିନ୍ତୁ ଦୁଇ ବୋହୂ କୁ ଏକା ସଙ୍ଗେ ଆଣିବା ଏବଂ ଧନୀ ଘର ରୁ ମଧ୍ୟ ବୋହୂ ଆଣିବା ଆମର ଅଧିକ ଧନ ହେବ । ଯାହା ଫଳରେ ଲୋକମାନେ ଆମ ବିଷୟରେ ଭଲ ଚର୍ଚ୍ଚା କରିବେ ଏବଂ ଆମକୁ ମାନିବେ ଏବଂ ମୋତେ ମାଲିକିଆଣି ବୋଲି କହିବେ । ପୁଅ ମାନଙ୍କ ପାଇଁ ବୋହୂ ଖୋଜା ଆରମ୍ଭ ହେଲା ଦୁଇଟି ବୋହୂ ଧନୀ ଘରେ ଠିକ୍ କରିଲେ । ରମାଦେବୀ ପୁଅ ମାନକୁ ବିବାହ ବିଷୟରେ ଖବର ଦେଲେ। ବଡ଼ପୁଅ ବିବାହ ପାଇଁ ରାଜି ହେଇଗଲା କିନ୍ତୁ ସାନପୁଅ ନାହିଁ କରିଲା । କହିଲା କି ମୁଁ ଏବେ ବିବାହ କରିବି ନାହିଁ, ମା ତାକୁ ପଚାରିଲେ କଣ ପାଇଁ ବିବାହ କରିବୁ ନାହିଁ । ତୁ ନିଜେ ନିଜ ପାଇଁ କମାଇ ସାରିଲୁଣି ଆଉ ତୋର ପଢା ମଧ୍ୟ ସରିଲାଣି କିନ୍ତୁ ସେ ମା ଙ୍କ କଥାରେ ରାଜି ହୁଏ ନାହିଁ । ରମାବତୀ ନିଜ ସ୍ୱାମୀକୁ ସାନପୁଅ କୁ ବୁଝାଇବା ପାଇଁ କୁହନ୍ତି । ଏହା ମଧ୍ୟ କୁହନ୍ତି କି ଏମିତି ଧନୀ ଘର ଝିଅ କୁ ଯଦି ହାତଛଡା କରିଦେବ ଯଦି ଆଉ ମିଳିବ ନାହିଁ । ଆଉ ଆମ୍ଭ ଘରକୁ ଏତେ ସମ୍ପତି ଆସିବ ନାହିଁ । ତେଣୁ ତମେ ତାକୁ ବୁଝାଅ ଏବଂ ଆସିବାକୁ କୁହ ତଥା ବାହାଘର ପାଇଁ କେମିତି ହେଲେ ରାଜି କରାଅ । ସ୍ତ୍ରୀ କଥା ଶୁଣି ରବୀନ୍ଦ୍ର ବାବୁ ସାନପୁଅ କୁ କହିଲେ ଏବଂ ସେ ଘରକୁ ଆସିଲା । ତାକୁ ବୁଝାଇବା କୁ ଚେଷ୍ଟା କଲେ କିନ୍ତୁ ପୁଅର ଏକା ଜିଦ କି ମୁଁ ଏବେ ବାହା ହେବି ନାହିଁ । ରବିନ୍ଦ୍ର ବାବୁ ପଚାରିଲେ କଣ ପାଇଁ ତୁ ବିବାହ ପାଇଁ ମନା କରୁଛୁ । ତୋର କଣ ଅସୁବିଧା ହେଲା । ସେହି ସମୟରେ ପୁଅ କୁହେ ମୁଁ ଆଉ ଜଣକୁ ପସନ୍ଦ କରୁଛି । ସେ ବହୁତ ଭଲ ଝିଅ ମୁଁ ତାକୁ ବିବାହ କରିବି । ଏହା ଶୁଣି ରମାବତୀ ବହୁତ ରାଗିଯାଇ କୁହେକି ତୁ ଯଦି ଆମ ଇଛା ରେ ବିବାହ ନ କରିବୁ ତେବେ ଏହି ଘରୁ ସବୁଦିନ ପାଇଁ ଚାଲିଯିବୁ । ତୋର ଏହି ଘରେ କୌଣସି ଜିନିଷ ରେ ଅଧିକାର ରହିବ ନାହିଁ । ପୁଅ ନିଜ ମା ର କଥା କୁ ଗ୍ରହଣ କରି କୁହେ ଯେ ମା ତୁମେ ଆଜି ମୋତେ ଘରୁ ବାହାରି ଯିବାକୁ କହୁଛ କିନ୍ତୁ ଦିନେ ତମେ ମୋତେ ହିଁ ସୁନା ପୁଅ କହିବ । ଏତିକି କହି ସାନ ପୁଅ ଘରୁ ବାହାରି ଗଲା ଏବଂ ବାହାରି ଯାଇ ଯୋଉଠି ଚାକିରି କରେ ସେଠୀ ତାର ସ୍ତ୍ରୀ ସାଙ୍ଗରେ ରହିଲା । କିଛି ଦିନ ପରେ ବଡ଼ ପୁଅର ବିବାହ କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ ଆରମ୍ଭ ହୋଇଗଲା ଏବଂ ବାହାଘର ମଧ୍ୟ ସରିଲା । ବଡ଼ ବୋହୂ ଘରକୁ ଆସେ ସେ ବହୁତ ଧନ ସମ୍ପତ୍ତି ନେଇ ଆସେ । ଜମିଦାର ବାବୁ ଏବଂ ସ୍ତ୍ରୀ ରମାବତୀ ବହୁତ ଖୁସି ହୁଅନ୍ତି । ବୋହୂ କୁ ମଧ୍ୟ ଭଲ ପାଆନ୍ତି। ସାନ ପୁଅ ମଧ୍ୟ ନିଜ ପସନ୍ଦର ଝିଅକୁ ବିବାହ କରି ଖୁସିରେ ରହିଲା । ସେ ଝିଅ ଧନୀ ଘରର ନୁହଁ କିନ୍ତୁ ସମ୍ପର୍କ, ଶିକ୍ଷା ଓ ସଂମାନ ର ମୂଲ୍ୟ ତାକୁ ବହୁତ ଭଲ ଭାବରେ ଜଣାଥିଲା । ତେଣୁ ଧନ ନଥାଇ ମଧ୍ୟ ଦୁହେଁ ସ୍ୱାମୀ ସ୍ତ୍ରୀ ଖୁସିରେ ରହୁଥିଲେ । ବିବାହର ପରଦିନ ଶାଶୁ ମା ” ବୋହୂ କୁ କୁହନ୍ତି ଯେ ମା ଜଲଦି ଉଠ ଆଉ ଶଶୁର ଙ୍କୁ ଚାହା କରିକି ଦିଅ କିନ୍ତୁ ବଡ଼ ବୋହୂ କୁହେ ମୋର ସକାଳୁ ଉଠିବାର ଅଭ୍ୟାସ ନାହିଁ ତେଣୁ ତୁମେ ନିଜେ ବନେଇ ଦେଇଦିଅ । ଶାଶୁ କିଛି ନ କହି ସେଠୁ ଚାଲିଆସେ । ପୁଣି ଶାଶୁ କୁହେ ମା ରେ ରୋଷେଇ କରିବା ପାଇଁ ଯା, ବୋହୂ କୁହେ ମୋତେ ରୋଷେଇ କରି ଆସେନି ଆପଣ କରିଦିଅନ୍ତୁ । ଏହା ଶୁଣି ଶାଶୁ ଜମିଦାର ବାବୁକୁ କୁହନ୍ତି ଏମିତି କଣ ବୋହୂ ଆଣିଲ ଯେ କିଛି କାମ କରୁନି କେବଳ ସୋଇକି ରହୁଛି । ଯାହା କହିଲେ ମଧ୍ୟ ନିଜେ କର ବୋଲି କହୁଛି । ଜମିଦାର ବାବୁ କୁହନ୍ତି ତୁମେ ତ କହିଲ ଧନୀ ଘରୁ ବୋହୂ ଆଣିବାକୁ ମୁଁ ତ ଧନୀ ଘରୁ ବୋହୂ ଆଣିଲି ଏବେ କିଛି କାମ ନ କରିଲେ ମୁଁ କଣ କରିବି ଯେ ରମାଦେବୀ କୁହନ୍ତି ତୁମେ ତାକୁ କୁହ କାମ ଧାମ କିଛି କରିବା ପାଇଁ । ଜମିଦାର ବାବୁ କୁହନ୍ତି ଠିକ୍ ଅଛି ମୁଁ କହିବି । ବୋହୂ କୁ ଡାକି ଜମିଦାର ବାବୁ କୁହନ୍ତି କି ବୋହୂ ମା, ତମ ମା ଙ୍କୁ ଘର କାମରେ ସାହାଯ୍ୟ କର । ଏହା ଶୁଣି ବୋହୂ କୁହେ କି ମୋ ବାପା ଆପଣଙ୍କୁ ଟଙ୍କା, ସୁନା,ଗହଣା ଜମି ସବୁ ଦେଇଛନ୍ତି ତା ବଦଳରେ କଣ ମୁଁ ତମ ଘରେ ଚାକରାଣୀ ଭାବେ କାମ କରିବି ବୋଲି?? ମୁଁ କିଛି କାମ କରିବି ନାହିଁ । ଯଦି ଖାଇବାକୁ ଇଚ୍ଛା ଅଛି ତେବେ ନିଜେ ରାନ୍ଧି ଖାଇ ନିଅ ମୋତେ ଯଦି କହିବ ମୁଁ ମୋ ବାପା ଘରକୁ ଚାଲିଯିବି। ଏତିକି କଥା ଶୁଣି ଜମିଦାର ବାବୁ ଚୁପ୍ ହୋଇ ଆସିଗଲେ କିନ୍ତୁ ଶାଶୂ ଆଉ ବୋହୂ ର କଳି ଝଗଡା ଆରମ୍ଭ ହୋଇଗଲା। ଏତିକି ଦେଖି ବଡ ପୁଅ ତା ସ୍ତ୍ରୀ କୁ ନେଇ ତା ବାପା ଘରକୁ ଚାଲିଗଲା। ଜମିଦାର ବାବୁ ନିଜ ସ୍ତ୍ରୀ ର ଲୋଭ ଯୋଗୁଁ ଏ ସବୁ ହୋଇଛି ବୋଲି ମନ ଦୁଃଖ କରୁଥାନ୍ତି । ରମାବତି ମଧ୍ୟ ନିଜେ ଭୁଲ କରିଥିବା କଥା କୁ ମନେ ପକେଇ ମନ ଦୁଃଖ କରିଲେ । ବଡ ପୁଅ ଶଶୁର ଘରେ ପ୍ରାୟ ରହୁଥାଏ। ରମାବତୀ ପୁଅ କୁ କୁହନ୍ତି ବୋହୂ କୁ ନେଇ ଆସେ କିନ୍ତୁ ପୁଅ କୁହେ ସେ ଏଠି ଆସି ରହିବାକୁ ଚାହୁଁନି । ରମାବତୀ ସାନ ପୁଅ କଥା ମନେ ପକେଇଲେ ଏବଂ ତାକୁ ଖବର ଦେଲେ ଯେ ଘରକୁ ଆସିବାକୁ , ପ୍ରଥମେ ସାନ ପୁଅ ମନା କରିଲା କିନ୍ତୁ ବାପା, ମା ଙ୍କ ଖୁସି ପାଇଁ ସେ ଘରକୁ ଆସିଲା । ଘରକୁ ଆସିବା ପର ଠାରୁ ସାନ ବୋହୁ ଘର କାମରେ ଲାଗିପଡିଲା। ଶାଶୁ ମା ଙ୍କୁ କିଛି କାମ କରିବାକୁ ଦେଉ ନଥିଲା। ସକାଳୁ ଉଠି ନିତ୍ୟ କର୍ମ ସାରି ବାପା ଙ୍କୁ ଚା ପିଇବାକୁ ଦେଇ ରୋଷେଇ କାମରେ ଲାଗିଯାଏ। ସାନ ବୋହୁ ର ସେବା ରେ ଜମିଦାର ବାବୁ ବହୁତ୍ ଖୁସି ଥିଲେ । ଦିନେ ସାନ ପୁଅ କୁ କହିଲେ ଆମେ ଧନ ସମ୍ପତି ଲାଳସା ରେ ବୋହୂ ଆଣିଲୁ କିନ୍ତୁ ସେ ହେଉଛି ଉଦଣ୍ଡି, ଶିଷ୍ଟାଚାର ଏବଂ ବ୍ୟବହାର ନାହିଁ । କିନ୍ତୁ ତୁ ଆମ ଇଚ୍ଛା ବିରୁଦ୍ଧରେ ବିବାହ କରି ଆମ ଘର ପାଇଁ ଲକ୍ଷ୍ମୀ ଟିଏ ଆଣିଛୁ । ଏହା କହି ବାପା ସାନ ପୁଅ କୁ ଗ୍ରହଣ କରି କହିଲେ ଆମେ ରାଗରେ ତୋତେ ଯାହା କହିଚୁ ସେଗୁଡ଼ାକ ଭୁଲି ଯା, ଏତିକି କହି ଜମିଦାର ବାବୁ ସାନ ପୁଅ କୁ କୋଳେଇ ନେଲେ। ସାନ ବୋହୁ କୁ ମଧ୍ୟ ଶାଶୂ କୋଳେଇ ନେଇ ଆଶୀର୍ବାଦ ଦେଲେ । ଏତିକିବେଳେ ବଡ ବୋହୂ ଏବଂ ବୋହୂ ସାଙ୍ଗରେ ତାଙ୍କ ବାପା ମା ଆସିଲେ। ସେମାନେ ଜମିଦାର ବାବୁ ଙ୍କୁ କ୍ଷମା ମାଗି କହିଲେ , ଜମିଦାର ବାବୁ ଆମ ଝିଅ ବହୁତ୍ ଗେହ୍ଲାରେ ବଢ଼ିଛି ତାକୁ କେବେ ରୋଷେଇ କରିବା ଏବଂ ଅନ୍ୟ କାମ ପାଇଁ କେବେ କହିନୁ ତାହା ମଧ୍ୟ ଆମର ଭୁଲ କିନ୍ତୁ ବର୍ତ୍ତମାନ ସେ ଅଳ୍ପ ଅଳ୍ପ ଶିଖି ଆସିଛି ବାକି ତାକୁ ଆପଣ କ୍ଷମା କରି ଗ୍ରହଣ କରିଲେ ଆମେ ବହୁତ୍ ଖୁସି ହେବୁ। ଗାଁ ରେ ଲୋକମାନେ ମୋତେ ବହୁତ୍ କଥା କହିଲେ ଏବଂ ମୋର ନାମ ଖରାପ ହେଉଛି । ଆମେ ତାକୁ ବୁଝେଇ ଦେଇଛୁ ବର୍ତ୍ତମାନ ସେ ସବୁ କାମ କରିବ ଏବଂ ସବୁ କଥା ଶୁଣିବ । ପୁଅ ଏବଂ ବୋହୂ ଦୁହେଁ ବାପା ମାଁ ଙ୍କୁ କ୍ଷମା ମାଗିଲେ । ପରେ ଦୁଇ ପୁଅ ବୋହୂ ଏବଂ ଜମିଦାର ବାବୁ ଙ୍କ ତତ୍ତ୍ଵାବଧାନରେ ପରିବାର ଖୁସିରେ ଚାଲିଲା।  

ଏଥିରୁ କଣ ଶିଖିଲ ?
୧. ଅତି ଲୋଭ ହାନିକାରକ ।
୨. ନିଜ ଠୁ ବଡ ଅବା ଗୁରୁଜନ ଙ୍କୁ ଖରାପ କଥା କହିବା ଅନୁଚିତ୍ ।
୩. ନିଜ ଠାରୁ ଛୋଟ ମାନଙ୍କ ଭୁଲ କୁ କ୍ଷମା କରିବା ଉଚିତ୍ ।
 

Puja Swain (Writer)
Buguda, Ganjam.  

Lifestyle Changing Thoughts In Hindi Part-82

Lifestyle Changing Thoughts In Hindi Part-82
Lifestyle Changing Thoughts In Hindi Part-82


LCT-424
चोर भी चोरी करके अपनी गलती नहीं मान रहा है
और बली चढ़ रहें हैं कुछ अच्छे और इमानदार लोग
इसलिए आवाज़ उठाइए और आपकी परिचय देने की कोशिश करें।

https://www.bhuyansblog.com/2020/10/Lifestyle%20Changing%20Thoughts%20In%20Hindi%20Part-73.html

LCT-425
समय बदल जाता है मगर लोगों की अकड़ नहीं, बाजीगर बनने केलिए अहंकार नहीं बुद्धि की जरूरत होती है ।

https://www.bhuyansblog.com/2020/10/Lifestyle%20Changing%20Thoughts%20In%20Hindi%20Part-72.html

LCT-426
दुनिया में अच्छे लोग की कमी नहीं है
मगर मदद करने वाले कम मिलते हैं ।
आशा है आप मदद करने केलिए हरपल तत्पर रहते होंगे ।

https://www.bhuyansblog.com/2020/10/lifestyle-changing-thoughts-in-hindi.html

LCT-427
जिंदगी कैसे जीयोगे बह आपकी लक्ष्य तय करेगा ।
कीसिकी सलाह से नहीं , खुद फैसला लो और उसको अमल में लाओ ।

https://youtu.be/_NXNDqGuh2s

LCT-428
स्वच्छता आपके दिमाग में होना चाहिए
कार्य अपने आप स्वच्छ में बदल जाएगा ।

*https://youtu.be/_NXNDqGuh2s

LCT-429
गलत आदमी से सत्य की उम्मीद लेकर कभी आगे मत बढ़ना, क्यूंकि उस राह में उसकी गलत इरादा भरा हुआ होगा ।।

https://youtu.be/W8oVRuLtZ0s


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Lifestyle Changing Thoughts In Hindi Part-81


LCT-419
जब दूसरे को इज्जत दोगे तब
आपको इज्जत मिलने की
100 प्रतिशत संभावना है ।

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LCT-420
हजारों अच्छे कर्म का फल
एक गलती की वजह से
सब मिट्टी में मिल जाता है ।
आपकी अच्छी सोच आपको
गलती करने से रोक सकता है ।

*https://www.bhuyansblog.com/2019/10/lifestyle-changing-thoughts-in-hindi.html?m=1

LCT-421
अपने अतीत के दुख को भुलाने की कोशिश करो,
नहीं तो ये आपको भविष्य में दुःख देते रहेगा ।

http://www.bhuyansblog.com/2020/10/lifestyle-changing-thoughts-in-hindi76.html

LCT-422
सबके प्रति अच्छा मनोभाव रखना ही
धर्म है नहीं तो आजकल जान बुझ कर
लोग अधर्म करते रहते हैं ।

https://www.bhuyansblog.com/2020/10/Lifestyle%20Changing%20Thoughts%20In%20Hindi%20Part-74.html

LCT-423
मां की कृपा अपार है
संकट में राह दिखाना
और असंभव को संभव करना
सब उनकी आशीर्वाद है ।
*जय माता दी*
https://www.bhuyansblog.com/2020/10/Lifestyle%20Changing%20Thoughts%20In%20Hindi%20Part-75.html

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Lifestyle Changing Thoughts In Hindi Part-80


LCT-414
आज बहुत काम किया हूं,
यह दूसरे को इसलिए मत बोलो कि वह तारीफ करें,
बल्कि आप अपनी सहनशीलता की
कमियां प्रदर्शन कर रहे हो ।

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LCT-415
दूसरे से तारीफ तब सुनोगे जब आप कुछ
करके दिखाओगे।

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LCT-416
आपकी शरीर को कोई हाथ नहीं लगाएगा,
जब आप इस दुनिया से चल बसोगे ।
इसलिए अपनी शरीर को पहले ध्यान दो ।

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LCT-417
जितना शरीर को रगडोगे उतना ऊर्जा जन्म लेगा,
बही ऊर्जा आपको जीने की Validity बढ़ाएगा ।

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LCT-418
दूसरे के बेहकाब में आओगे तो
अपनी इज्जत खो बैठोगे ।
खुद कैसे इज्जत कमाओगे ये
आप की कार्य कहलाएगा ।

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Lifestyle Changing Thoughts In Hindi Part-79

LCT-409
उचित रास्ता चुनाव करना गलत नहीं है,
मगर उचित रास्ते में गलत की और ध्यान देना
आपके लिए संकट युक्त होगा ।
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LCT-410
संपर्क में संदेह और कार्य में आलस बहुत दुख देता है ।
ऐसे अभ्यास से दूर रहना आपके लिए लाभ दायक है ।

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LCT-411
बह अंत तक प्रयास करते रहते हैं, की आप की हर समस्या दूर हो और अच्छा ज्ञान प्राप्ति करो, बह गुरु कहलाते हैं ।

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LCT-412
दूसरे के प्रति आप कैसे हो बह सिर्फ बह जानता है,
इसलिए अपनी तारीफ हो सकें तो कम करें,
अपने लिए अच्छा है ।

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LCT-413
कार्य का भार संपर्क के ऊपर मत दिया करो,
इसमें आपकी कमियां पता चलता है ।

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