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Lifestyle Changing Thoughts..100

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Lct100


LCT-516
जब समय था तब बहुत समय बरबाद किए,
अभी पश्चाताप के सिवाय कुछ समय ही नहीं बचा,
इसलिए समय की कदर कीजिए।




LCT-517
बतन की बात आ जाएं तो
दिल में अजीब सी उमंग आ जाता है,
क्यूं की में उस मिट्टी का पुत्र हूं
जिन्हे सब हिन्दुस्थान कहते है ।




LCT-518
आपकी तकदीर बाली रेखा आपकी मेहनत से बनेगी, सोचने बाली बात यह है की आपको लक्ष्य की और जाना है या और कहीं ?

http://www.bhuyansblog.in/2021/01/some-customs.html



LCT-519
कुछ लोग मजबूरी में गलत काम कर लेते हैं,
असल उस दौरान किया गया कार्य भविष्य में बड़ी समस्या बन कर आपके सामने खड़ी हो जाती है ।





LCT-520
किसी चीज़ केलिए पागल होना और किसी केलिए पागल होना दोनों में अंतर है। एक आपको ऊंचाई की और ले चलेगा तो दूसरा आपको पूरी तरह नीचे झुका देगा । चयन कीजिए ।




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Lifestyle Changing Thoughts..99

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LCT-511
अपनी काबिलियत उसके सामने दिखाइए
जहां आप उससे बेहतर कर सको ।

https://www.bhuyansblog.in/2019/05/the-bravery-girls.html



LCT-512
कोई कार्य केलिए झूट बोले हो और मन में पकड़े जाने की डर है।
सच तो ये है कि आप जरूर पकड़े जाओगे क्यों कि आप ईमानदार हो ।




LCT-513
झूट बोलना पसंद नहीं,
नहीं झूट बोलने वालों को पसंद है,
मगर यही सोच रखने बाले मुझे बहुत पसंद है ।

http://www.bhuyansblog.in/2021/01/kaincha-budhi.html



LCT-514
चिंता मुक्त होने का सवाल ही नहीं उठता
क्यूं की जीवन है तो चिंता तो रहेगा ।
अच्छा होगा खुश रहना सीख लो !!!




LCT-515
ऐसे सोच रखे कि जितना है मेरे पास बह पर्याप्त है । क्यूं की दूसरे को देखोगे तो अपने में कमी नजर आयेगा।



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Lifestyle Changing Thoughts..98

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LCT-506
दुसरे को कामयाबी दिलाना ही
आपकी सबसे बड़ी कामयाबी है ।



LCT-507
हर सख्स को देखकर उसकी कुंडली मत बताइए क्यूं की आप एक इंसान हो।
क्यूं की कुंडली देखने बाला नहीं जानता कि भविष्य में उसके साथ क्या होने वाला है ।



LCT-508
अगर आपकी दुश्मन दुखी है तो
सोच लो कि आपकी अच्छी समय चल रही है।

http://www.bhuyansblog.in/2021/01/magic-tree.html


LCT-509
आंख में पट्टी बांध कर गलती करने वाले से सतर्क रहें क्यूं की बही गलती आपके पीठ के पीछे फिर से करेगा ।


LCT-510
चुगली करना भी एक कला है,
जहां अपनी गलती को कायदे से छुपाया जाता है ।


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Lifestyle Changing Thoughts..97

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LCT-501
मुकाबला से बेहतर अच्छा ब्यबहार
आपको आसानी से जीता सकता है ।

http://www.bhuyansblog.in/2021/01/chandamama.html



LCT-502
स्वार्थ से सेवा करोगे तो परिणाम
मै थोड़ा बहुत कमी रह जाएगा ।
निस्वार्थ सेवा ही सच्चा सेवा है।





LCT-503
बनने की इच्छा और करने बाली जोश एक ही धारा मे चले तो सफलता वाली सीढ़ी अपने आप दिख जाएगा ।





LCT-504
दूसरे को कम समझना गलत फेहमी तब साबित हो जाता है जब बह आपसे एक कदम आगे रहता है ।




LCT-505
अपनी कार्य से कीसिके आंख में आशु आजाए यह सफलता नहीं आपकी हार कहलाता है ।


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Lifestyle Changing Thoughts..96



LCT-496
हर कदम के बाद नया मोड़ आयेगा,
ध्यान रहे हर मोड़ के बाद नई रास्ता सुरु होगा ।






LCT-497
आजकल अच्छा दिखने बाला इंसान
हदसे ज्यादा खतरनाक साबित होते है ।





LCT-498
बुराई की दौर से जीत हासिल करके
आगे बढ़ने बाला ही सफ़ल होता है।





LCT-499
अच्छा इंसान तब कहलाओग जब
पीठ के पीछे आपकी बुराई करने बाला हो।




LCT-500
है कोई इस दुनिया मे जिसने बिना चोट खाए
सफलता पे कदम रखा हो ???



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Lifestyle Changing Thoughts..95

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LCT-491
असलियत को जाने बिना किसीको दोषी करार देना आपका धर्म से विरूद्ध है ।

https://hi.quora.com/q/dainika-jivani-cintadhara?invite_code=zdfuHZgkypCrbBinF4vM



LCT-492
कुछ नया करते चलो यारों दुनिया भी बोलेगा
कुछ सुधार हुआ है इस नए अवसर पर ।

http://www.bhuyansblog.in/2021/01/new-year-resolutions-2021.html



LCT-493
अगर कोई आपको दूसरो की कमी बता रहा है तो सावधान हो जाइए बह व्यक्ति आपकी कमी को और किसीको भी बताता होगा ।

http://www.bhuyansblog.in/2021/01/blog-post_1.html



LCT-494
साधारण सोच लेकर आगे बढ़ने पर दुनिया आपकी सोच से ज्यादा कठिन परिस्थिति उत्पन्न करता रहता है । खुद को मजबूत बनाएं।

http://www.bhuyansblog.in/2021/01/blog-post.html



LCT-495
मुफ्त में मिलने वाला फल को
मेहनत से किए गए कार्य के साथ तुलना मत करे ।

http://www.bhuyansblog.in/2021/01/102nd%20day.html

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Lifestyle Changing Thoughts..94

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LCT-486
सबसे बड़ा हस्ती बही बनता है,
जो कार्य ज्यादा और कम सोता हो !!

http://www.bhuyansblog.in/2020/11/lakshman-rekha.html



LCT-487
दूसरे को बोलना तब आसान हो जाता है,
जब सामने बाला ब्यक्ती की कमी दिखता हो।

http://www.bhuyansblog.in/2020/11/cheating.html



LCT-488
अगर आप सुंदर दिखते है तो
जलने बाले आपको बुराई करते रहेंगे ।





LCT-489
भूक की असली हिसाब उन्हें पता होता है
जो हर रात भुका रहता हो।





LCT-490
लोग अपने ऊपर कभी विचार नहीं करते,
मगर दूसरे की बात को जल्द विचार करने लगते हैं ।



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Lifestyle Changing Thoughts..93

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LCT-481
संपर्क कितना भी मजबूत क्यूं ना हो,
दरार लाने केलिए एक गलती काफी है ।
गलती करने से पहले 10 बार सोचे…

http://www.bhuyansblog.in/2020/12/lifestyle-changing-thoughts-in-hindi_3.html



LCT-482
ऐसा पल के बारे में सोचो ही मत
जिसकी वजह से आपको बार बार रोना पड़े ।

http://www.bhuyansblog.in/2020/12/lifestyle-changing-thoughts-in-hindi_3.html


LCT-483
स्वयं के अंदर एक बार झाक कर देखिए,
कहीं अपने में कुछ कमी तो नहीं है ।

https://youtu.be/KfZq5p0S21k



LCT-484
आप सुंदर कैसे दिखेंगे ये आपकी कपड़ा के ऊपर निर्भर है ,
और कपड़ा की सुन्दरता उसकी रंग में नहीं आपकी पहनावे में है ।

http://www.bhuyansblog.in/p/prema-eka-bhabanara.html




LCT-485
एक परिक्षा है जिसमे आपको अकेले दुनिया में संयम के साथ आगे बढ़ना है। उसिको अकेलापन कहा जाता है ।

http://www.bhuyansblog.in/2020/12/blog-post.html

Lifestyle_Changing_Thoughts_In_Hindi_Part_93

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Lifestyle Changing Thoughts..92

 
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LCT-476
कहावत को बक्त के साथ जाने दो,
अपनी सोच इस्तेमाल करो देखोगे आगे बढ़ने में आपको कोई नहीं रोक सकता ।

http://www.bhuyansblog.in/p/surabhi-odia.html



LCT-477
दुश्मन कभी भी बोल कर बार नहीं करते इसलिए अपनी ताकत को बचा कर रखें ।

http://www.bhuyansblog.in/2020/12/lifestyle-changing-thoughts-in-hindi.html



LCT-478
असलियत कोई नहीं जानता सिवाय आपके मन,
जबतक चर्चा नहीं करोगे तब तक आपके संदेह कभी दूर नहीं होगा ।

http://www.bhuyansblog.in/2020/12/whats-your-options-new-tax-or-old-tax.html



LCT-479
कांटे बाली रास्ते हर जगह मिलेगा,
फूल बाला रास्ता जब मिलता है तब
हम महसूस नहीं कर पाते हैं ।

http://www.bhuyansblog.in/2020/12/lifestyle-changing-thoughts-in-hindi_17.html



LCT-480
तरीका अच्छा या बुरा नहीं होता,
तरीका अपनाने वाले के कार्य के ऊपर निर्भर करता है।

http://www.bhuyansblog.in/2020/12/lifestyle-changing-thoughts-in-hindi_21.html



Lifestyle_Changing_Thoughts_In_Hindi_Part_92

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Lifestyle Changing Thoughts 91

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LCT-471
पैसे की कीमत तब पता चलता है,
जब अपना कोई अस्पताल में भर्ती हुआ हो।
बचत भी जरूरी है।

http://www.bhuyansblog.in/p/thoughts.html


LCT-472
आपकी चेहरा मायने नहीं रखता जहां पर आपकी काम को देखा जाना चाहिए, मगर देखने बाला दयालु होना जरूरी है ।

http://www.bhuyansblog.in/p/prema-eka-bhabanara.html


LCT-473
भगवान की कृपा है जो आप चार दीबार के अंदर है, ठंड की असली अनुभव तो बह करते हैं जिन्हे केबल देशप्रेम उनके मन में बसा है ।

http://www.bhuyansblog.in/2020/11/some-useful-tips.html



LCT-474
कपड़े में सुंदर नहीं,
असली सुंदर तो आपके मन में है,
मन को स्वच्छ रखें ।

http://www.bhuyansblog.in/2020/09/hospital.html




LCT-475
कुछ इच्छा सीमित होना जरूरी है
नहीं तो बह इच्छा आपको दुःख दे सकता है ।

http://www.bhuyansblog.in/p/other_15.html


Lifestyle_Changing_Thoughts_In_Hindi_Part_91

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ରାଜକୁମାର ( Rajkumar )

ଓଡିଆ କବିତା, ଓଡ଼ିଆ ସେକ୍ସ , ଓଡ଼ିଆ ଗଳ୍ପ, odia story, Odia sex, Odia
Rajkumar
ସୁନିଳ ଆକାଶ ତଳେ ତରୁ ଲତା ବନ ପାହାଡ ମଧ୍ୟରେ ଗୋଟେ ବିରାଟ ବଡ ଘର ଥିଲା । ସେ ଘର ଥିଲା ଶ୍ୟାମ ବାବୁଙ୍କ ଘର । ସେହି ଘରେ ଶ୍ୟାମ ବାବୁ ଓ ତାଙ୍କ ସ୍ତ୍ରୀ ଏବଂ ତାଙ୍କ ମା ଓ କୁନି ଝିଅ ସହ ସେଠୀ ବାସ କରନ୍ତି । ସେହି ଘର କେଉଁ ସ୍ବର୍ଗ ମହଲ ଠାରୁ କମ୍ ନୁହେଁ । ଯେ କୌଣସି ଲୋକ ସେ ଘରକୁ ଦେଖି ଅଟକି ଯାଏ । ଦିନେ ଝିଅ ରାଣୀ ବାପାଙ୍କୁ କହିଲା କି ବାପା ଏହି ଘର କାହାର ଥିଲା । ବାପା କହିଲେ ଏହି ଘର ମୋ ବାପା ଙ୍କ ବାପାର ଥିଲା। ସେ ବହୁ ରାଜାଙ୍କ ଘର ବନେଇଥିଲେ । ସେ ମଧ୍ୟ ଏହି ଘରକୁ ରାଜମହଲ ଭଳି ଘର ବନେଇଲେ । ଏହା ଶୁଣି ରାଣୀ ବହୁତ୍ ଖୁସି ହେଲା ଏବଂ ବାପା ରାଣୀ କୁ କହିଲେ ତୋର ଆଉ ଯାହା ଜାଣିବାର ଅଛି ତେବେ ଜେଜେ ମା ଙ୍କ ଠାରୁ ପଚାରି ବୁଝିନେ । ମୋର ବହୁତ କାମ ଅଛି ମୁଁ ଯାଉଛି । ରାଣୀ ସେଠାରୁ ଧାଇଁ ଆସି  ଜେଜେମା ଙ୍କୁ ନିଜ ଘର ର ସମସ୍ତ କାର୍ଯ୍ୟ ବିଷୟରେ ପଚାରିଲା ଏବଂ ଜେଜେ ମା ସବୁ କଥା କହିଲେ  । ଜେଜେ ମା କହିଲେ ଆଜି ଜଣ ଙ୍କ ଘର କୁ ଯିବାର ଅଛି  ତୁ ଯିବୁକି ମୋ ସହିତ। ରାଣୀ ପଚାରିଲା କଣ ପାଇଁ ଯିବ ସେଠାକୁ  ଏବଂ କଣ କାମ ଅଛି ସେଠୀ  ? ଜେଜେ ମା କହିଲେ କି  ସେଠୀ ଜଣ ଙ୍କର ବାହାଘର ଅଛି ତେଣୁ ସେଠା କୁ ଯିବାକୁ ହେବ। ତୁ ମୋ ସହିତ ଯିବୁକି କହ ? ରାଣୀ ହଁ ମାରିଲା କହିଲା, ମୁଁ ଯିବି ବାହଘର କେମିତି ହେଉଛି ଦେଖିବି । ଜେଜେ ମା ତାକୁ ସାଙ୍ଗରେ ନେଇଗଲେ । ବାହାଘର ସାଜସଜ୍ଜା କୁ ଦେଖି ରାଣୀ ବହୁତ୍ ଆନନ୍ଦ ନେଲା । ଆଉ ସେ ଜେଜେ ମାଙ୍କ ସହ ସେ ଘର ଭିତରକୁ ଗଲା । ସେଠୀ ସେ ବର ଓ କନ୍ୟା କୁ ଦେଖି ପଚାରିଲା । ଏଠି ଏମାନେ କିଏ ଜେଜେ ମା ? ଜେଜେ ମା କହିଲେ, ଏମାନେ ହେଉଛନ୍ତି ନବ ଦମ୍ପତି । ଏମାନେ ଦୁହେଁ ଦୁହିଁଙ୍କୁ ବିବାହ କରିବେ । ସେଠୀ ଦେଖ ସେମାନଙ୍କ ବିବାହ ପାଇଁ ବେଦୀ ପଡ଼ିଛି । ସେ ସବୁ ଦେଖି ରାଣୀ ପଚାରିଲା ଜେଜେ ମା ଏମିତି ସମସ୍ତେ ବିବାହ କରନ୍ତି କି ? ଜେଜେ ମା ହସି କହିଲେ ହଁ ସମସ୍ତେ ଏମିତି ହିଁ ବିବାହ କରନ୍ତି । ସେଠୁ ବିବାହ ଉତ୍ସବ ସରିବା ପରେ ରାଣୀ ଓ ଜେଜେ ମା ଘରକୁ ଆସିଲେ ।
 ତାପର ଦିନ ସକାଳେ ରାଣୀ ଛାତ ଉପରେ ବସି ଭାବୁଥାଏ । ଜେଜେ ମା ଆସି କହିଲେ, ମୋ ଗେଲି ରାଣୀ ଏକା ବସି କଣ ଭାବୁଚି? ରାଣୀ କହିଲା ଜେଜେ ମା ତମକୁ ଗୋଟେ କଥା ପଚାରିବି ନା ? ଜେଜେ ମା କହିଲେ ହଁ ପଚାର, କଣ ପଚାରିବୁ ? ରାଣୀ କହିଲା ଜେଜେ ମା କାଲି ଆମେ ଯେଉଁ ବାହାଘର ଦେଖିଲେ ସେମିତି କଣ ମୋର ବି ବାହଘର ହେବ ? ଜେଜେ ମା ହସି ହସି କହିଲେ ହଁ ହଁ ମୋ ଗେଲି, ତୁ ବି ଏମିତି ବାହା ହେବୁ । ମୋ ଗେଲି କୁ ନେଇଯିବା ପାଇଁ ଆକାଶ ରୁ ରାଜକୁମାର ରଥରେ ବସି ଆସିବ । ରାଣୀ ଜେଜେ ମା ଙ୍କ ଏହି କଥା କୁ ଗଣ୍ଠି କରି ରଖିନେଲା ଏବଂ ତା ମନରେ  ସବୁବେଳେ ରାଜକୁମାର ହିଁ ରହିଲା । ସେ ରାଜକୁମାର ର ସ୍ବପ୍ନ ଦେଖିବା ଆରମ୍ଭ କରିଦେଲା। 
ଦିନ ପରେ ଦିନ ବିତି କିଛି ବର୍ଷ ବିତି ଗଲା । ରାଣୀ ବଡ ହୋଇ ଯାଇଥାଏ। ସେ ସମୟରେ ତା ଜେଜେ ମା ବହୁତ୍ ଅସୁସ୍ଥ ହୋଇଯାଇଥିଲେ । କିଛି ଦିନ ଅସୁସ୍ଥ ଅବସ୍ଥାରେ ରହିଲେ । ଦିନେ ରାଣୀ ବିଦ୍ୟାଳୟ ଯାଇଥାଏ । ସେହି ସମୟ ମଧ୍ୟରେ ଜେଜେ ମା ଙ୍କ ମୃତ୍ୟ ହୋଇଗଲା । ରାଣୀ ବିଦ୍ୟାଳୟ ରୁ ଆସି ବହୁତ୍ କାନ୍ଦିଲା କାରଣ ଜେଜେ ମା ତାର ବହୁତ୍ ଭଲ ସାଙ୍ଗ ଥିଲେ । ସବୁବେଳେ ରାଣୀ ଜେଜେ ମା ଙ୍କୁ ମନେ ପକାଇ ଦୁଃଖୀ ହୋଇ ରହେ । କିଛିଦିନ ଗଲାପରେ ରାଣୀ ର ବାପା ରାଣୀ ପାଇଁ ପୁଅ ଦେଖା ଆରମ୍ଭ କଲେ ଏବଂ ଦିନେ ରାଣୀ କୁ ଦେଖିବା କୁ ପୁଅ ଘର ଲୋକ ଆସିଲେ । ରାଣୀ କୁ ବହୁତ୍ ସଜେଇ ନେଇକି ଆସିଲେ ଠିକ୍ ରାଜକୁମାରୀ ପରି । ପୁଅ ଘର ରାଣୀ କୁ ଦେଖି ବୋହୂ କରିବାକୁ ଈଛା  କରିଲେ କିନ୍ତୁ ରାଣୀ ସେଇ ପୁଅ କୁ ବିବାହ କରିବାକୁ ରାଜି ନଥିଲା । କାରଣ ତା ଜେଜେ ମା କହିଥିବା ରାଜକୁମାର ଅପେକ୍ଷା ରେ ସେ ବସିଥିଲା । 
ରାଣୀ ଭାବୁଥାଏ ମୋ ରାଜକୁମାର ଘୋଡ଼ା ରେ ବସି କେବେ ଆସିବ ? ଏବଂ ମୋତେ ରାଜକୁମାରୀ କରି ନେଇଯିବ । ସେ ତା ବାପା ଙ୍କୁ ମନା କରିଦିଏ ମୁଁ ଏହି ପିଲାକୁ ବିବାହ କରିପାରିବି ନାହିଁ କିନ୍ତୁ ରାଣୀ ସେଇ ପୁଅ କୁ ଆଖି ଉଠେଇ ବି ଦେଖିନଥିଲା । ସେ ତାର ମନର ରାଜକୁମାର କୁ ବିବାହ କରିବ  ବୋଲି କହି ସେଠୁ ଚାଲିଗଲା। ଜେଜେ ମା ଙ୍କ ଫୋଟ ପାଖରେ  ବସି କାନ୍ଦି କାନ୍ଦି କହିଲା ତୁମେ ମୋତେ କହିଥିଲ ଯେ ମୋ ପାଇଁ କୁଆଡେ ରାଜକୁମାର ଆସିବ । ମୋତେ ବିବାହ କରି ତା ସାଙ୍ଗରେ ନେଇଯିବ କିନ୍ତୁ ମୋତେ ବିବାହ କରିବାକୁ ସେମିତି କିଏ ଆସୁନାହାନ୍ତି । ତୁମେ ମୋତେ କଣ ପାଇଁ  ରାଜକୁମାର ସହିତ ବିବାହ ପାଇଁ ଆଶା ଦେଖାଇ ଚାଲିଗଲ, ଜେଜେ ମା  । ଏମିତି କହି ରାଣୀ ବହୁତ୍ କାନ୍ଦିଲା । ସେହି ସମୟରେ ରାଣୀର ମା, ରାଣୀକୁ ପଚାରେ ତୁ କାହଁକି କାନ୍ଦୁଛୁ ? ତୁ ତ ବାହା ହେବୁନି ମନା କରିବା ପରେ ତୋ ବାପା ତାଙ୍କୁ ମନା କରିଦେଇଛନ୍ତି ପୁଣି କାହିଁକି କାନ୍ଦୁଛୁ । ଏହା ଶୁଣି ରାଣୀ ଚୁପ୍ ହୋଇଗଲା । ତା ପର ଦିନ ନିଜ ଘର ପାଖ ପାହାଡ ପାଖକୁ ବୁଲିବାକୁ ଯାଏ । ସେ ପ୍ରକୃତି ର ମଜା ନେଉଥିଲା ସେହି ସମୟରେ ଗୋଟିଏ ବଣୁଆ ହାତୀ ଭୟଙ୍କର ରଡ଼ି କରି ରାଣୀ ଆଡ଼କୁ ମାଡି ଆସିଲା। ରାଣୀ  ହାତୀକୁ ଦେଖି ଡରରେ ଦୌଡ଼ିବାକୁ ଲାଗିଲା। ନିଜ ପ୍ରାଣ ବଞ୍ଚାଇବା ପାଇଁ ସେ ଉପାୟ ଶୂନ୍ୟ ହୋଇ ଜଙ୍ଗଲ ଭିତରକୁ ଦଉଡ଼ି ଗଲା ।
ସେହି ସମୟରେ ଗୋଟିଏ ପୁଅ ମୁନିବର ଙ୍କ ଘୋଡ଼ା କୁ ବୁଲେଇବା ପାଇଁ ଆଣିଥାଏ । ଯେତେବେଳେ ସେ ରାଣୀ ର ଚିତ୍କାର ଶୁଣିଲା ସେ ଦୌଡ଼ିଗଲା ଜଙ୍ଗଲ ଭିତରକୁ ।  ସେଠୀ ସେ ହାତୀ ଠାରୁ ରାଣୀ କୁ ଉଦ୍ଧାର କରିନିଏ । ସେଠୁ ରାଣୀକୁ ଘୋଡାରେ ବସାଇ ତାକୁ ଆଣେ । ସେ ପୁଅକୁ ଦେଖି ରାଣୀ ବହୁତ୍ ଖୁସି ହୁଏ ।ସେ ସେହି ପୁଅକୁ ସ୍ୱପ୍ନର ରାଜକୁମାର ବୋଲି ଭାବିନେଲା । ଗେରୁଆ ବସ୍ତ୍ର ସହିତ ବଳବାନ ଦେହ, ଲାଗୁଥିଲା ଯେମିତି କେଉଁ ରାଜାଙ୍କ ପୁତ୍ର । ରାଣୀ ସେହି ପୁଅକୁ ନିଜ ପରିଚୟ ଦିଏ ଏବଂ ସେଇ ପୁଅ କୁ ତା ନିଜର ପରିଚୟ ପଚାରେ । ସେ ପୁଅ କହେ ମୁଁ ସୁରେନ୍ଦ୍ର । ମୁଁ ଏହି ପାଖ ମୁନିବର ଆଶ୍ରମ ରେ ମୁନିବରଙ୍କ ସେବା କରୁଛି । ସୁରେନ୍ଦ୍ର ରାଣୀ କୁ ନେଇ ମୁନିବର ଙ୍କ ଆଶ୍ରମ ଅଭିମୁଖେ ଚାଲେ । ମୁନିବର ରାଣୀକୁ ଦେଖି ପଚାରନ୍ତି ଏହି କନ୍ୟା ଜଣକ କିଏ ? ୟାଙ୍କ ନାମ ରାଣୀ ସେ ହାତୀ ର ଆକ୍ରମଣର ଭୟରେ ଜଙ୍ଗଲ ଭିତରକୁ ଚାଲି ଯାଇଥିଲେ । ଜଙ୍ଗଲ ଭିତରେ ଚିତ୍କାର ଶବ୍ଦ ଶୁଣି ମୁଁ ତାଙ୍କୁ ସେ ହାତୀ କବଳରୁ ଉଦ୍ଧାର କରି ଆଣିଛି । ଏହା ଶୁଣି ମୁନିବର ଖୁସି ହୋଇ ସୁରେନ୍ଦ୍ର କୁ ଦୀର୍ଘାୟୁ ଭଵଃ ର ଆଶୀର୍ବାଦ ଦେଲେ ।
ମୁନିବର ରାଣୀ ର ମନ କଥା ପଢ଼ି ପାରିଲେ ଏବଂ ସେ ସୁରେନ୍ଦ୍ର କୁ ରାଜକୁମାର ଭାବେ ବାଛି ସାରିଛି ବୋଲି ଜାଣି ପାରିଲେ । କିଛି ବର୍ଷ ତଳର କଥା ମନେ ପକେଇବାକୁ ବାଧ୍ୟ ହେଲେ । ସୁରେନ୍ଦ୍ର ହେଉଛି ଜଣେ ରାଜକୁମାର। ସର୍ତ୍ତ ମୂଳକ ଭାବେ ମୁନିବର ରାଜା ଙ୍କୁ ପୁତ୍ର ପ୍ରାପ୍ତି ର ଆଶୀର୍ବାଦ ଦେଲେ ଏବଂ ପ୍ରଥମ ସନ୍ତାନ ମୁନିବର ଙ୍କୁ ଦେବେ ଏବଂ ଦ୍ଵିତୀୟ ପୁତ୍ର ସେ ଦେଶର ରାଜ କୁମାର ହେବ ବୋଲି କହିଥିଲେ।  ସର୍ତ୍ତ ଅନୁଯାୟୀ ରାଜା ଜନ୍ମ ପରେ ପରେ ନିଜ ପ୍ରଥମ ପୁତ୍ର କୁ ମୁନିବର ପାଖରେ ଛାଡି ଚାଲିଗଲେ ଏବଂ ସେ ଦିନ ଠାରୁ ସେ ସୁରେନ୍ଦ୍ର ନାମରେ ପରିଚିତ ଏବଂ ସେବାୟତ ଭାବରେ ରହି ଆସିଛି । 
ମୁନିବର ବର୍ତ୍ତମାନ କୁ ଫେରି ଆସି ବହୁତ୍ ଖୁସି ହେଲେ ଏବଂ ସୁରେନ୍ଦ୍ର କୁ ଆଦେଶ ଦେଲେ ଯେ ରାଣୀକୁ ତାର ନିଜ ଘରେ ଛାଡ଼ି ଆସିବାକୁ କହିଲେ। ରାଣୀଙ୍କ ଘର ଲୋକ ମଧ୍ୟ ରାଣୀ ଆସିବାର ବହୁତ୍ ବିଳମ୍ୱ ହେବାରୁ ଡରିଯାଇଥିଲେ କିନ୍ତୁ ରାଣୀ ଠିକ୍ ସମୟରେ ଏବଂ ସୁରକ୍ଷିତ ଭାବେ ଫେରିବାର ଦେଖି ସମସ୍ତେ ଖୁସି ହୋଇଗଲେ । ସୁରେନ୍ଦ୍ର କୁ ଶ୍ୟାମ ବାବୁ ଧନ୍ୟବାଦ ଜଣାଇଲେ । ରାଣୀକୁ ଛାଡ଼ି ସୁରେନ୍ଦ୍ର ମୁନି ଆଶ୍ରମ କୁ ଚାଲିଗଲା କିନ୍ତୁ ରାଣୀ ସୁରେନ୍ଦ୍ର ର କଥା ରାତିସାରା ଭାବୁଥାଏ । ସକାଳ ହେବା ପରେ ସୁରେନ୍ଦ୍ର କୁ ଦେଖା କରିବାକୁ ପାଇଁ ତା ବାପାଙ୍କୁ କୁହେ । ରାଣୀ ର କଥାକୁ ମନା ନ କରି ଶ୍ୟାମ ବାବୁ କିଛି ଖାଦ୍ୟ ଶସ୍ୟ ଆଉ ଟଙ୍କା ନେଇ ମୁନିବର ଆଶ୍ରମ କୁ ବାହାରିଲେ । ସୁରେନ୍ଦ୍ର, ରାଣୀ ଆଉ ତା ବାପାଙ୍କୁ ଦେଖି ଆଦରର ସହ କୁଟିର ମଧ୍ୟ କୁ ନେଇ ଚାଲିଲା ସେଠୀ ମୁନିବର ଙ୍କୁ ରାଣୀର ବାପା ସହ ସାକ୍ଷାତ କରେଇଲା । ରାଣୀକୁ ଏବଂ ବାପାଙ୍କୁ ଦେଖି ମୁନିବର ବହୁତ୍ ଖୁସିହେଲେ । ରାଣୀ ଆଉ ତା ବାପା ମୁନିବର ଙ୍କୁ ଟଙ୍କା ଓ ଫଳ ଆଗ୍ରହ ସହ ଗ୍ରହଣ କରିବା କୁ କହିଲେ କିନ୍ତୁ ମୁନିବର ସେ ସବୁ ଗ୍ରହଣ କରିବାକୁ ମନା କଲେ । ରାଣୀ ତା ନିଜ ହାତରେ ଦେଲେ ତଥାପି ମୁନିବର ଗ୍ରହଣ କଲେ ନାହିଁ । ରାଣୀ ଜାଣି ପାରିଲା ଯେ ମୁନିବର କେବଳ ସୁରେନ୍ଦ୍ର ହାତରୁ ଗ୍ରହଣ କରନ୍ତି ବୋଲି । ତାପରେ ରାଣୀ ସୁରେନ୍ଦ୍ରଙ୍କ ଦ୍ଵାରା ମୁନିବର ଙ୍କୁ ସେ ଶସ୍ୟ ଏବଂ ଫଳମୂଳ ଦେବା ପରେ ସେ ଗ୍ରହଣ କରିଲେ। ସେଠାରୁ ରାଣୀ ଆଉ ତା ବାପା ଫେରି ଆସିଲେ । 
ରାଣୀ ବାପା ଙ୍କୁ ସୁରେନ୍ଦ୍ର କୁ ବିବାହ କରିବା କଥା କହିଲା କିନ୍ତୁ  ରାଣୀ ର ବାପା ଏହି ବିବାହ ପାଇଁ ଆଗ୍ରହୀ ନଥିଲେ । ରାଣୀ ଓ ମାଙ୍କ ଅନୁରୋଧ ରେ ବାପା ପୁଣି ରାଜି ହେଲେ ଏବଂ ରାଣୀର ପ୍ରସ୍ତାବ କଥା ନେଇ ରାଣୀର ବାପା, ମା ମୁନିବର ପାଖକୁ ଗଲେ ।  ମୁନିବର କହିଲେ ସୁରେନ୍ଦ୍ର ହିଁ ମୋ ପାଇଁ ସବୁକିଛି । ସେ ମୋ ନିଜ ପୁଅ ଭଳି ଏବଂ ସେ ମୋ ବିଶ୍ଵସ୍ତ ଶିଷ୍ୟ । ତାର ଯଦି ଇଚ୍ଛା ଥାଏ ତେବେ ମୁଁ ନିରାଶ କରିବି ନାହିଁ । ପ୍ରଥମେ ଯାଇ ଆପଣ ପଚାରନ୍ତୁ । ସୁରେନ୍ଦ୍ର ଙ୍କୁ ଏହି ବିଷୟରେ ପଚାରିବାରୁ ସୁରେନ୍ଦ୍ର ମନା କଲା । ସେ କହିଲା କି ମୁଁ ମୋ ଗୁରୁଙ୍କ ପାଖରେ ଏବଂ ତାଙ୍କ ସେବାରେ ଜୀବନ କଟେଇଦେବି କିନ୍ତୁ ତାଙ୍କ ଇଚ୍ଛା ବିରୁଦ୍ଧରେ ମୁଁ କେବେ କୋଉ କାର୍ଯ୍ୟ କରିନି ନା କରିବି । ତାଙ୍କ ଆଦେଶ ହିଁ ମୋ ଆଶୀର୍ବାଦ।  ରାଣୀ ତଥା ବାପା ମା ମୁନିବର ଙ୍କୁ ପୁଣି ଅନୁରୋଧ କରିଲେ କିନ୍ତୁ ମୁନିବର ଗୋଟିଏ ସର୍ତ୍ତ ରଖିଲେ ଯେ ବିବାହ ପରେ ତୁମ ଝିଅ ରାଣୀ ଆମର ଏହି କୁଟୀରରେ ରହିବ ଏବଂ ମୋ ସେବା କରିବ । ତାର ସେବାରେ ଯଦି ମୁଁ ସନ୍ତୁଷ୍ଟ ହେବି ତେବେ ମୁଁ ଏମାନଙ୍କୁ ବିବାହ ପାଇଁ ଅନୁମତି ଦେବି । ତତ୍ ସହିତ ସୁରେନ୍ଦ୍ର ମଧ୍ୟ ତୁମ ଝିଅ ର ସେବା ରେ ସନ୍ତୁଷ୍ଟ ହୁଏ ଏବେ ପସନ୍ଦ କରେ ତେବେ ଏହି ବିବାହ ସଂପନ୍ନ ହେବ । ଅନ୍ୟଥା ଏହା ଅସମ୍ଭବ । ରାଣୀ ଏହି ସର୍ତ୍ତ ଶୁଣି ରାଜି ହୋଇଗଲା ଏବଂ ସେ ସ୍ଥିର କଲା ଯେ ମୁଁ ମୁନିବର ଙ୍କୁ ସେବାରେ ନିଶ୍ଚୟ ସନ୍ତୁଷ୍ଟ କରିବି ଏବଂ ସୁରେନ୍ଦ୍ର କୁ ରାଜକୁମାର ଭାବେ ପାଇବି ।  ବାପା ମା ଝିଅ କୁ କୁଟୀରରେ ଛାଡ଼ି ଯିବାକୁ ଇଚ୍ଛା କରୁ ନଥିଲେ କିନ୍ତୁ ଝିଅ ର ଖୁସି କୁ ଆଖି ଆଗରେ ରଖି ସେ ଝିଅ କୁ କୁଟୀରରେ ଛାଡ଼ି ଚାଲିଗଲେ । 
ଦେଖୁ ଦେଖୁ ଗୋଟିଏ ବର୍ଷ ବିତିଗଲା।  ରାଣୀ ର ସେବା ରେ ମୁନିବର ସନ୍ତୁଷ୍ଟ ହେବା ସହିତ ସୁରେନ୍ଦ୍ର ରାଣୀ କୁ ପସନ୍ଦ କରିବାରେ ଲାଗିଲା।  ମୁନିବର ଏହା ଦେଖି ବହୁତ୍ ଖୁସି ହେଲେ ଏବଂ ଶ୍ୟାମ ବାବୁ ଙ୍କୁ ଖବର ଦେଇ ଡାକିଲେ ଏବଂ ବିବାହ ପାଇଁ ଆୟୋଜନ କରିବା ପାଇଁ ଅନୁମତି ଦେଲେ । ବିବାହ ହେଲା ପରେ ମୁନିବର ସୁରେନ୍ଦ୍ର କୁ ରାଣୀ ସହିତ ରହିବାକୁ ଶ୍ୟାମ ବାବୁ ଘରକୁ ଯିବାକୁ ଅନୁମତି ଦେଲେ। ଦୁହେଁ ସେଠୀ ଖୁସିରେ ନିଜ ଜୀବନ ଯାପନ କରିଲେ । ବେଳେବେଳେ ଆଶ୍ରମ ଆସି ମୁନିବର ଙ୍କ ସେବା ମଧ୍ୟ କରିଥାନ୍ତି।  ଦୁଇ ବର୍ଷ ପରେ ସେମାନଙ୍କ ଏକ ରାଜକୁମାରୀ ଜନ୍ମ ନିଏ ତାହା ଦେଖିବାକୁ ଠିକ୍ ରାଣୀ ପରି । ଶ୍ୟାମ ବାବୁଙ୍କ ପରିବାର ସହିତ ତାଙ୍କ ଝିଅ ରାଣୀ ଏବଂ କୁନି ଝିଅ ସହିତ ଖୁସିରେ  ରହିଲେ । 
ମୁଖ୍ୟ ବିନ୍ଦୁ :-
୧. କୌଣସି କାର୍ଯ୍ୟ ଅସମ୍ଭବ ନୁହେଁ ।
୨. ସବୁବେଳେ ପ୍ରତିଜ୍ଞାବଦ୍ଧ ହେବା ଦରକାର ।
୩. ଯଦି ମନ ଧ୍ୟାନ ଦେଇ କାର୍ଯ୍ୟ କରିବେ ତେବେ ଭଗବାନ ମଧ୍ୟ ଖୁସି ହୁଅନ୍ତି।  
ପୂଜା ସ୍ୱାଇଁ ( ଲେଖିକା) 
ସୋଲଣ୍ଡି, ଗଞ୍ଜାମ ।
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ବୁଲା କୁକୁର (କବିତା)

ବୁଲା କୁକୁର
ବୁଲା କୁକୁର

ପଶୁ କୂଳରେ ଜନ୍ମ ନେଇଥିବା
ଏକ ପାପୀ ସନ୍ତକ
ନା କାହାର ପ୍ରିୟ
ନା କାହାର ନିଜର
ନାଆଁ ଟି ମୋର ବୁଲା କୁକୁର ।

କେବେ ଭୋକରେ ଦିନ କଟେ ତ
ଆଉ କେବେ ଅଚିହ୍ନା ଘର ଆଗରେ
ଗୁହାରି ପଡେ,
କିଏ ଦିଏ ଅଳ୍ପ ତ କିଏ ବେଶୀ
ଖାଇବା ନୂଆ ଆଜ୍ଞା, ମାଡ ସହିତ ଗାଳି 
କାରଣ ମୁଁ ଗୋଟିଏ ବୁଲା କୁକୁର।

ମୋର ମଧ୍ୟ ଇଚ୍ଛା ହୁଏ 
ମନୁଷ୍ୟ ର ଦାସ ହୋଇ ରହିବାକୁ
କିନ୍ତୁ ଏମିତି କୂଳରେ ଜନ୍ମ ମୋର
ଆମ ସ୍ଥାନ କୁ ପୂରଣ କରନ୍ତି
ବିଦେଶୀ ଜାତି ଭାଇ
କାରଣ ଆମେ ହେଉଛୁ ବୁଲା କୁକୁର ।

ମୁକ ହୋଇ ବୁଲୁଥାଏ ସବୁବେଳେ
କେ ଅବା ଶୁଣିବ, ନା ବୁଝିବ
ଆମ ଦୁଃଖ ଦରଦ
କାରଣ ମୁଁ ଜଣେ ବୁଲା କୁକୁର ।

ରାସ୍ତାରେ ପଡ଼ି ରହେ
ଜଣା ପଡ଼େ ନାହିଁ ଦିନ ଅବା ରାତି
ଖରା, ବର୍ଷା, ଶିତ ସବୁ ସହି ଯାଏ
କାହିଁକି ନା ସମସ୍ତେ ଭାବନ୍ତି ପର
ନାଆଁ ଟି ମୋର ବୁଲା କୁକୁର ।

କେତେବେଳେ ଗରମ ପାଣି
ତ ଆଉ କେବେ ଗରମ ଚା ରେ
ଜଳି ଯାଏ ଆମ ଦେହ
କାହିଁକି ନା
ପାଖେ ଚାଲିଯାଉ କିଛି ପାଇବା ଆଶାରେ
କାରଣ ଆମେ ହେଉଛୁ ବୁଲା କୁକୁର ।

ପଡ଼ି ରହେ କାହା ଘର ଆଗରେ
କେବେ କିଛି ମିଳେ ତ କେବେ 
ଧେତ୍ ମାର୍ ର ଶବ୍ଦ ଶୁଣେ
କାରଣ ମୁଁ ଜଣେ ଅଭିଶପ୍ତ ବୁଲା କୁକୁର ।

ଭଗବାନ ନ ଦିଅନ୍ତୁ ଏମିତି
ଜୀବନ କାହାକୁ
ଯାହା ନର୍କ ଜୀବନ ଠୁ ମଧ୍ୟ ଅଧିକା କଷ୍ଟ
କାରଣ ମୁଁ ଜଣେ ବୁଲା କୁକୁର ।

ଆତ୍ମା ରୂପେ ମନୁଷ୍ୟ କେବେ
ସଦ୍ ବୁଦ୍ଧି ପ୍ରାପ୍ତି ହେବେ କେଜାଣି
କାରଣ ମୋ ମଧ୍ୟ ଅଛି ଏକ ଆତ୍ମା
ଯାହା ନାମ ପାଇଛି ଏକ ବୁଲା କୁକୁର ।

ଧନ୍ୟବାଦ ଦେବାକୁ ଚାହିଁବି ସେ
ମହାନ୍ ବ୍ୟକ୍ତି ଙ୍କୁ 
ଯିଏ ବିନା ସ୍ୱାର୍ଥରେ ଆମକୁ
ଖାଦ୍ୟ ଦେବାକୁ ଇଛା ରଖୁଛନ୍ତି
କାରଣ ଆମେ ହେଉଛୁ ବୁଲା କୁକୁର ।

ହେ ମନୁଷ୍ୟ
ଆମେ ମଧ୍ୟ ଚାହୁଁ ଆପଣଙ୍କ
ସେବା କରିବା ପାଇଁ
ନିଜର ବୋଲି ଭାବି ଟିକେ 
ଭଲ ପାଇବା ଦେଇଦିଅ
କାରଣ ଆମେ ହେଉଛୁ ବୁଲା କୁକୁର ।

ନାଆଁଟି ମୋର ବୁଲା କୁକୁର ।




ରୁବି ନାହାକ(ଲେଖିକା)
ବୁଗୁଡ଼ା, ଗଞ୍ଜାମ ।

KTM-400 (ଏକ ବ୍ୟଙ୍ଗ ଗଳ୍ପ-କବିତା)

KTM-400 (ଏକ ବ୍ୟଙ୍ଗ ଗଳ୍ପ-କବିତା)
KTM-400 (ଏକ ବ୍ୟଙ୍ଗ ଗଳ୍ପ-କବିତା)

ପ୍ରଥମ ଦିନ କଲେଜ ରେ ଦେଖା ବହୁତ୍ ରୋମାଞ୍ଚକର ଥିଲା । ସାଙ୍ଗ ମାନଙ୍କୁ ତାଗିଦ୍ କରି କହିଲି, ଆବେ ସେ ତୋର ଭାଉଜ ହେବ…


ସେମାନେ ଫେରେଇ ନେଲେ ସିନା ତାଙ୍କ ଦୃଷ୍ଟି ଭଙ୍ଗୀ କିନ୍ତୁ ମୋର ଆଖି ଲାଗି ରହିଲା ତମ ପାଖରେ…

କେତେବେଳେ ତମ ପ୍ରତି ଏତେ ଭଲ ପାଇବା ବଢ଼ିଗଲା ଯେ ମୁଁ ନିଜେ ଜାଣିପାରିନି…

ନିଜର ହୋଇ ରହିଛି ସିନା ମନ ଟା କେବଳ ତମ ପାଖରେ…

ସେଦିନ ପ୍ରଥମ ଥର କଥା ହେବା ପାଇଁ ବହୁତ୍ ଡର ଡର ଲାଗୁଥିଲା । ପହଞ୍ଚି ଗଲି ତୁମ ଡେଞ୍ଜର୍ ଜୋନ୍ ରେ…

ଭାବିଲି ଆଜି ନିଶ୍ଚୟ କିଛି ଘଟିବ । ତୁମେ ବ୍ୟସ୍ତ ତୁମ ସାଙ୍ଗ ସହିତ । ମୋର ଦୁଇ ଥର ଡାକିବା ଶବ୍ଦ ଯେମିତି ପବନରେ ଉଡ଼ି ଚାଲିଗଲା…

ତୃତୀୟ ଡାକ ରେ ମୋ ଶବ୍ଦ ଜବାବ ତମେ ଦେଇଗଲ ସିନା ରାଗରେ ତୁମ ଚାହାଣି ସତରେ ମୋତେ ଭୟଭୀତ କରି ଦେଲା…

ସାହାସ କରି ନାମ ଟି ପଚାରିଲି ସିନା ତମର ଫୁଲେଇ ହେବା ଢଙ୍ଗ ମୋତେ ହଜେଇ ଦେଲା ତୁମ ସୌନ୍ଦର୍ଯ୍ୟ ମୟ ଚେହେରା ର ବଗିଚାରେ… 

କେବଳ ନାମ ପାଇଁ ଆସି ନଥିଲି । ଦୁଇ ପଦ କଥା ହେବା ବାହାନାରେ ଆସିଥିଲି କିନ୍ତୁ ହଠାତ୍ ତୁମ ଫୋନ୍ ର ରିଙ୍ଗଟୋନ ମୋ ଫିଲିଙ୍ଗ କୁ ଗୋଳମାଳ କରିଦେଲା…

ଫୋନ୍ ସାଇଲେଣ୍ଟ କରି ମୋ ସହିତ କଥା ହେଲ ସିନା, ମନ ମୋର ବୁଝିଲାନି…

ପର ଦିନ ଅପେକ୍ଷା କରିଲି ଗେଟ୍ ପାଖରେ!!!

ଏ କଣ??? ତମେ ପୁଣି କାହାର KTM ବାଇକ୍ ର ପଛ ପଟେ…

ତମକୁ ଦେଖି ବହୁତ୍ ରାଗ ହେଲା, କିନ୍ତୁ ଖୋଜି ଚାଲିଲି ସେ KTM ଚାଳକ କିଏ???

ଯେତେବେଳେ ଜାଣିଲି ମନ ମୋର ଯେମିତି ଅମୂଲ ଗୁଣ୍ଡ ଭଳି ଅନୁଭବ ହେଲା…

ଯାହା ମୋର ଥିଲା ତାକୁ ଆଉ କିଏ ଘୋଳି ଚା ପିଇ ସାରିବା ଭଳି ଅନୁଭବ ହେଲା…

କଣ କହିବି ତାକୁ ସେ ଥିଲା ମୋର ଦାଦା ପୁଅ ଭାଇ ସୁକୁଟା…

ଯେତେବେଳେ କିଛି ଭଲ କାମ କରିବାକୁ ଯାଏ ସେ ଆସି ଲାଗିଯାଏ ମୋ ପଛେ ଯୋକ ଭଳି…

ହଉ ଯାଅ ପ୍ରିୟା ଆଜି ଉତ୍ସର୍ଗ କରି ଦେଲି ମୋ ସୁକୁଟା ଭାଇ ପାଇଁ…

ମୋ ଆଖି ଲୁହ ର ଦୁବ ଚାଉଳ ବାଇକ୍ ଚକାରେ ପକେଇ ମୁଁ ଭୀଷ୍ମ ପ୍ରତିଜ୍ଞା ନେଉଛି..

ଆଜି ସିନା ମୋ ପାଖେ Pulsar ଅଛି କିନ୍ତୁ ଦିନେ ଥିବ ମୋ ପାଖେ KTM-400..

ସେତେବେଳେ ତମଠୁ ସୁନ୍ଦରୀ ବସିଥିବ ଏହି ଟେକା ସିଟ୍ ରେ…

ଭୁଲିଗଲ ନା ପ୍ରିୟା କେବଳ ଗୋଟିଏ KTM ବାଇକ୍ ପାଇଁ…

 ହଉ ହଉ…

ଅପେକ୍ଷା କର ପ୍ରିୟା, ଦିନେ ମୋ ପାଖେ ମଧ୍ୟ ଥିବ KTM-400 …..

KTM-400 ର ଅପେକ୍ଷାରେ……

😩😩😩😩😩😩


ନୀଳମାଧବ ଭୂୟାଁ 
ଙ୍କ କଲମରୁ….

ଶ୍ରୁତି ର ଭାଗ୍ୟରେଖା…10

ଶ୍ରୁତି ର ଭାଗ୍ୟରେଖା...10
ଶ୍ରୁତି ର ଭାଗ୍ୟରେଖା…10

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ରାଣ, କଣ ?? ଏପଟେ ମୁଁ ଚିନ୍ତାରେ ଅଛି ତମକୁ ରାଣ ବହୁତ୍ ବଡ ହୋଇଗଲା । ସତ କୁହ ଶ୍ରବଣ । ବାରମ୍ବାର ମନା କରିବା ପରେ ମୁଁ ତାକୁ ହାତ ଯୋଡ଼ି ନେହୁରା ହେଲି , ପାଦ ତଳେ ପଡି ବାକୁ ଯାଉଥିଲି , ଶ୍ରବଣ କହିଲା ନାହିଁ ଭାଉଜ ସେମିତି କରି ମୋତେ ପାପି କରାଅ ନାହିଁ । ହଉ ଶୁଣ କହୁଛି..
ଆଶିଷ ଭାଇ ର ବାହାଘର ପାଇଁ କେତେ କଣ ହୋଇଛି ତମେ ଜାଣିଛ ନା? ମୁଁ କହିଲି ନା ସେକଥା ମୁଁ ଜାଣିନି । ଶ୍ରବଣ କହିଲା, ଟିକି ବୋଧେ କହିବା ଭୁଲି ଯାଇଥିବ। ଆଶିଷ ର ମଧ୍ୟ ସେହି ଅବସ୍ଥା ହେଲା , ବହୁତ୍ ଝଗଡା, ଟିକି ର ଅଖିଆ ଅପିଆ ରେ ରହି ଦେହ ଖରାପ୍ ହେବା ଏମିତି ବହୁତ୍ କିଛି ହୋଇଗଲା । ଶେଷରେ ବିଭୁ ଭାଇ ମାନିଗଲେ ଏବଂ ବାହାଘର ଠିକ୍ ହେଲା ।
ଆଶିଷ ଯେବେ ଭୁବନେଶ୍ଵର ଯାଇଥିଲା ତାର ଗୋଟିଏ ଦିନ ପରେ ଜଗା ଗାଁ କୁ ଆସିଲା । ସମସ୍ତେ ଦେଖି ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ । ଜଗା ର ମା, ଅଧା ପାଗଳ ରେ ପରିଣତ ହୋଇ ଯାଇଥିଲେ କିନ୍ତୁ ଜଗା ଆସିବା ପରେ ସବୁ ଯେମିତି ଠିକ୍ ହୋଇଗଲା ।
ଜଗା କୁ ଦେଖି କିଏ ଅବା ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ହୋଇ ନଥାନ୍ତା, ପ୍ରାୟ ପାଞ୍ଚ ବର୍ଷ ପରେ ଜଣେ ହଜିଯାଇଥିବା ବ୍ୟକ୍ତି ଘରକୁ ଫେରିଛି ।
ସେଦିନ ସକାଳୁ ସକାଳୁ ଗୋଟିଏ କାର୍ ଆସି ପହଞ୍ଚିଥିଲା ଜଗା ର ଘର ଆଗରେ । ଦୁଇ ଜଣ ଲୋକ ଜଗା କୁ ଓହ୍ଲାଇ ହ୍ବିଲ ଚେୟାର ରେ ବସେଇ ତାକୁ ଘର ବାରଣ୍ଡା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ନେଇ ଗଲେ। ସେତେବେଳେ ଜଗା ର ବାପା ଘରେ ଚା ପିଉ ଥିଲେ । ଏପଟେ ଜଗା କୁ ଦେଖି ମୁଁ ଆଉ ମୋ ସାଙ୍ଗ ମାନେ ତଥା ଗାଁ ର ବହୁତ୍ ଲୋକ ଜମା ହୋଇଗଲେ । କବାଟ ଠକ୍ ଠକ୍ ପରେ ଜଗା ର ବାପା କବାଟ ଖୋଲି ଦେଖି ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ହେଲେ ।
ରୋଷେଇ ଘରୁ ଜଗା ର ମା ଦଉଡ଼ି ଆସିଲେ । ସମସ୍ତେ ଖୁସିରେ କାନ୍ଦୁଥିଲେ। ମୁଁ ସଙ୍ଗେ ସଙ୍ଗେ ଆଶିଷ କୁ କଲ୍ କରିଲା ପରେ ସେ ଆସି ପହଞ୍ଚିଲା । ଆମେ ସମସ୍ତେ ଖୁସି ଥିଲୁ କିନ୍ତୁ ଦୁଃଖ ର କଥା ଯେ ତାର ଅଣ୍ଟା ଭାଙ୍ଗି ଯାଇଛି। ବହୁତ୍ ଚିକିତ୍ସା ପରେ ଡାକ୍ତର କହିଲେ ସେ ତା ଜୀବନରେ ଆଉ କେବେ ଚାଲି ପାରିବ ନାହିଁ।
ଟ୍ରେନ ଘଟଣା ସତ ଥିଲା । ସେ କହିଲା ଟ୍ରେନ ରେ ସିଟ୍ ପାଇଁ ସେମାନେ ଜବରଦସ୍ତି କରିବା ପରେ ସେମାନେ ବସିଥିବା ସିଟ୍ ରୁ ତାଙ୍କୁ ଟାଣି ଆଣି ଜଗା କୁ ବାହାରକୁ ଠେଲି ଦେଲେ।
ଜଗା କହିବା ଅନୁସାରେ ତାକୁ ଠେଲିବା ପରେ ସେ ଯାଇ ଗୋଟିଏ ବିଜୁଳି ଖମ୍ବ ରେ ଧକ୍କା ହୋଇଛି ତା ପରେ ଆଉ ତାର ମନେ ନାହିଁ । ତାର ପର ଦିନ କିଛି ଲୋକ ଜଙ୍ଗଲ ରାସ୍ତା ଦେଇ ଯାଉଥିବା ବେଳେ ତାକୁ ରକ୍ତାକ୍ତ ଅବସ୍ଥାରେ ଦେଖି ସେମାନଙ୍କ ଘରକୁ ନେଲେ।
ସେଠୁ ଗୋଟିଏ ଲୋକ ନିଜ ପୁଅ କହି ମେଡିକାଲ୍ ରେ ଜଏନ କରି ସେଠୀ ଚିକିତ୍ସା ପରେ ପ୍ରାୟ 2 ଦିନ ପରେ ଜଗା ର ହୋସ ଆସିଲା । ସେତେବେଳେ ଅଣ୍ଟା ସହିତ ଗୋଟିଏ ହାତ ଭାଙ୍ଗି ଯାଇଥିଲା । ପ୍ରାୟ 02 ମାସ ଚିକିତ୍ସା ପରେ ସେ ଲୋକ ଜଗା କୁ ଘରକୁ ଆଣି ସେଠୀ ଯତ୍ନ ନେବା ପରେ ତାର ହାତ ଭଲ ହୋଇଗଲା କିନ୍ତୁ ଅଣ୍ଟା ଖରାପ ଯୋଗୁ ସେ ପୁରା ଜୀବନ ଅପଙ୍ଗ ହୋଇଗଲା ।
ଜଗା ଯେତେବେଳେ ଜାଣିଲା କି ସେ ଅପଙ୍ଗ ହୋଇ ସାରିଛି ସେ ଘରକୁ ଖବର ଦେଲା ନାହିଁ କାରଣ ତମେ ଅପେକ୍ଷା କରିବ ବୋଲି। ସେ ଜାଣି ଶୁଣି ଚୁପ୍ ରହିଥିଲା। ସେ କାହା ସହିତ ସମ୍ପର୍କ ରଖି ନଥିଲା । ସେ ଯୋଉ ଘରେ ଥିଲା, ସେ ଲୋକ ର ମଧ୍ୟ ପୁଅ ଅଳ୍ପ ବୟସରେ ମୃତ୍ୟୁ ବରଣ କରିଥିଲା ସେଥିପାଇଁ ଜଗା କୁ ସେଠୀ ପୁଅ ଭଳି ସମ୍ମାନ ମିଳୁଥିଲା ।
ଜଗା ଯେତେବେଳେ ଜାଣିଲା ଯେ ତମର ବିବାହ ସରିଗଲା ସେ ଆସିବା ପାଇଁ ଇଛା କରିଲା ।
ଏତିକି ଶୁଣି ମୁଁ ଦଉଡ଼ି ଗଲି ଜଗା ପାଖକୁ କିନ୍ତୁ ସେ ମୋ ସହିତ କଥା ହେବାକୁ ମନା କରିଲା। ଏବଂ ବହୁତ୍ ଅନୁରୋଧ ପରେ ତଥା ଆଶିଷ ଏବଂ ଟିକି ର ଅନୁରୋଧ ରେ ସେ ମୋ ସହିତ କଥା ହେଲା।
ପ୍ରଥମେ ସେ ମୋ ମଥା ସିନ୍ଦୂର କୁ ଦେଖି ଅଳ୍ପ ହସି ପଚାରିଲା କେମିତି ଅଛ ? ଆଖିରେ ଅଳ୍ପ ଭିଜା ଲୁହ ରେ ହସ ଥିଲା କେବଳ ବାହାନା । ବହୁତ୍ କିଛି କହିବାକୁ ଚାହୁଁଥିଲା କିନ୍ତୁ ପୋଖରି ର ତୁଠ ପଥର ସଦୃଶ୍ୟ ସବୁ ସହି ବାର ବାହାନା ଥିଲା ତା ପାଖରେ।
ପୁଣି ପଚାରିଲି କଣ ପାଇଁ ଏତେ ଦିନ ନିଜକୁ ଲୁଚେଇ ରଖିଥିଲ, କୁହ ଜଗା ???
ଜଗା କହିଲା କେବଳ ତମ ଖୁସି ପାଇଁ ଏବଂ ଆଜି ତମେ ଖୁସିରେ ଅଛ ମୋତେ ଆଉ କିଛି ଦରକାର ନାହିଁ। ଦୟାକରି ମୋତେ ଭୁଲିବା ପାଇଁ ଚେଷ୍ଟା କର । ମୁଁ ଜାଣି ଶୁଣି ଆସି ନଥିଲି କେବଳ ତମେ ଭଲ ଘରେ ବିବାହ କରି ଖୁସିରେ ରହିବା ପାଇଁ ଏବଂ ବର୍ତ୍ତମାନ ତମେ ଖୁସିରେ ଅଛ ।
ଏହି କଥା ଶୁଣି ମୋ ଅଶ୍ରୁ କୁ ରୋକି ପାରିଲିନି। ମୁଁ କହି ଉଠିଲି, ତମେ ଏତେ ସ୍ବାର୍ଥ ପର କେମିତି ହୋଇଗଲ। ମୋ ଭାଗ୍ୟ ରେ ଯାହା ଅଛି ତାହା ହେବ କିନ୍ତୁ ମୁଁ ଭାବିଥିଲି ଯେ କୌଣସି ସମସ୍ୟା ଆସିଲେ ତାକୁ ଆମେ ଦୁଇ ଜଣ ମିଶି ସମ୍ମୁଖୀନ କରି ଆମ ଜୀବନ କୁ ଭଲରେ ଚଳେଇବା ।
କେବଳ ମୁଁ ତମ ପାଇଁ ୩ ବର୍ଷ ଅପେକ୍ଷା କରିଲି ଶେଷରେ ବିବାହ କରିଲି । ମୋ ମନରେ ବିଶ୍ୱାସ ଥିଲା ଯେ ତମେ କୋଉଠି ଥିବ ନିଶ୍ଚୟ ଫେରି ଆସିବ କିନ୍ତୁ ସମସ୍ତଙ୍କ ବାଧ୍ୟ ପରେ ମୁଁ ବିବାହ କରିବାକୁ ବାଧ୍ୟ ହେଲି ।
ଜଗା କହିଲା, ଶୁଣ ଶୃତି ତମେ ଏବେ ତୁମ ଜୀବନରେ ଖୁସିରେ ଅଛ, ମୋତେ ଭୁଲିବା ହିଁ ତମର ପ୍ରଥମ କର୍ତ୍ତବ୍ୟ । ମୁଁ ଜଗା ର ଗୋଡ଼ ତଳେ ପଡ଼ିଗଲି । କହି ଉଠିଲି ସତରେ ତମେ ମହାନ୍ । ତମେ ମୋ ଭାଇ ର ସର୍ତ୍ତ କୁ ମହତ୍ତ୍ଵ ଦେଲ କିନ୍ତୁ ମୋର ଭଲ ପାଇବା କୁ ନୁହଁ । କଣ କହିବି ତୁମକୁ କହିବାକୁ ମୋ ପାଖରେ କିଛି ପ୍ରଶ୍ନ ନାହିଁ ।
ଜଗା କହିଲା, ଶୁଣ ଶ୍ରୁତି ମୋ ଜୀବନ ତ ଅଧୁରା ମୟ ହୋଇ ରହିଗଲା କିନ୍ତୁ ତମେ ମୋ ପାଇଁ ତୁମ ଜୀବନ କୁ ନଷ୍ଟ କରିବ ନାହିଁ । ଯଦି ଅବା ମୋ ପ୍ରତି ଅଳ୍ପ ଭଲ ପାଇବା ଥିବ ତେବେ ମୋ ମୁଣ୍ଡ ଛୁଇଁ ଶପଥ କର ।
କି ତମେ ମୋତେ ଭୁଲି ଯାଅ ଏବଂ ତମ ପାଇଁ ଯୋଉ ବଳିଦାନ ଦେଇଛି ତାହା ବେକାର କର ନାହିଁ ।
ଅନ୍ୟଟି ହେଲା ଯଦି ଅବା ମୋ ପ୍ରତି କିଛି ସ୍ନେହ ପ୍ରେମ ଥିବ ତେବେ ସବୁ ଜାଗାରେ ମୋତେ ଜଣେ ଅଚିହ୍ନା ବ୍ୟକ୍ତି ଭଳି ବ୍ଯବହାର କରିବ ।
ଶେଷ ଶପଥ ହେଲା ଆମ ଭଲ ପାଇବା ସ୍ମୃତି କୁ ପୁଣି କେବେ ଓଲଟାଇ ଦେଖିବ ନାହିଁ ।
ଏତିକି କଥା ଶୁଣି ମୋତେ ଯେମିତି ବିଜୁଳି ର ଶକ୍ତ ଝଟକା ଲାଗିଲା ସଙ୍ଗେ ସଙ୍ଗେ ତା ମୁଣ୍ଡରୁ ହାତ ଛଡେଇ ଆଣିଲି।
ମୁଁ ଜାଣିଛି ମୁଁ ମଧ୍ୟ ମନ ଦେଇ ଭଲ ପାଇଥିଲି ଯଦି ଅବା ସେ ଏହା ଚାହୁଁଚି ତେବେ ମୁଁ ମଧ୍ୟ ସ୍ୱାର୍ଥପର ହିସାବରେ ନୁହେଁ ତା ପ୍ରତି ଥିବା ଭଲ ପାଇବା କୁ ଆଖି ଆଗରେ ରଖି ତାର ସବୁ କଥା ରଖିବି।
ଫେରିଗଲି ମୋ ବୈବାହିକ ଜୀବନକୁ । ଜାଣିଥିଲି ମୋ ପ୍ରେମ ମୟ ଜୀବନ ସାର୍ଥକ ହେଲା ନାହିଁ କି ହେବ ନାହିଁ । ପ୍ରେମ ଥିଲା ମୋ ଜୀବନ ର ଭାଗ୍ୟ ରେଖା ଯାହା ପ୍ରମାଣ ସ୍ୱରୂପ ମୋତେ ତାର ପରିଣାମ ଦେଇ ଚାଲିଛି ।
ଦୁନିଆ ଆଗରେ ମୁଁ ଜଣେ ବିବାହିତ ନାରୀ ହେଲେ ମଧ୍ୟ ମୋତେ କଲଙ୍କିନି ର ଅନୁଭବ ହେଉଥାଏ ।
ଘରେ ଆସି ପହଁଚିଲା ବେଳକୁ ମୋ ସ୍ବାମୀ ମୋ ଫେରିବା ବାଟକୁ ଚାହିଁ ରହିଥିଲେ। ପ୍ରକୃତରେ ସେ ବାହାଘର ରୁ ଫେରି ନଥିଲେ । ସେ ପୂର୍ବରୁ ଜାଣିଥିଲେ ଜଗା ଫେରି ଆସିଛି ଏବଂ ସେ ଭାବିଲେ ଆଜି କିଛି ଘଟଣା ଘଟିବ।
ସେଥିପାଇଁ ସେ ମଧ୍ୟ ସେ ଉତ୍ସବ ରେ ଲୁକାୟିତ ଭାବେ ଅପେକ୍ଷା ରତ ଅବସ୍ଥାରେ ଥିଲେ ଯଦି ଦରକାର ପଡ଼େ ତେବେ ତାଙ୍କର ସ୍ବାମୀ ର କର୍ତ୍ତବ୍ୟ କରି ଥାନ୍ତେ ଏବଂ ଆମର ପ୍ରତିଟି କଥା ବାର୍ତ୍ତା ସେ ଶୁଣିଛନ୍ତି ।
ଘରେ ସେ ମୋ ଆଖିରେ ଥିବା ଲୁହ ର ଶୁଖିଲା ଦାଗ କୁ ଦେଖି ପ୍ରଶ୍ନ କରିଲେ । ଆଜି ତ ଖୁସିର ଦିନ। ଏମିତି ଦିନରେ ତମେ ଲୁହ ବର୍ଷା ରେ ଭିଜିବାର କାରଣ ଜାଣିପାରେ କି?
ମୁଁ ମନା କରିଲି କିଛି ନାହିଁ ଏମିତି କାନ୍ଦ ଲାଗିଲା ତ? କାନ୍ଦିଦେଲି ।
ସେ କହିଲେ କଣ ଜଗା କୁ ଦେଖି ?
ମୁଁ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ଅବସ୍ଥାରେ ଚାହିଁ ରହିଲି !!!!
ସତ କଥାଟି ହେଲା ମୁଁ ସେଠୀ ଉପସ୍ଥିତ ଥିଲି । ତମେ କିଛି ମିଛ କୁହ ଏବଂ ତାହା ଶୁଣି ମୁଁ ତମକୁ ଖରାପ ଭାବିବି ତାହା ମୁଁ ଚାହୁଁ ନାହିଁ ।
ମୋ ମନରେ ଡର ର ସୀମା ଧିରେ ଧୀରେ ବଢ଼ିବାକୁ ଲାଗୁଥିଲା ।
ସେ ପୁଣି କହିଲେ ତମେ କାହିଁକି ଶାନ୍ତ ହୋଇଗଲ ?
ତମେ ଅପେକ୍ଷା କରି ଥିଲ କିନ୍ତୁ ଜଗା ତ ତୁମ ପାଇଁ ତା ଜୀବନ କୁ ଉତ୍ସର୍ଗ କରିଦେଲା । ଏବେ ତମେ ସ୍ଥିର କର ଆଗୁଆ ଜୀବନକୁ ତମେ କେମିତି ଅତିବାହିତ କରିବ ।
ଯଦି ତମେ ଚାହୁଁଛ ଫେରି ଯିବା ପାଇଁ ତେବେ ମଧ୍ୟ ମୁଁ ତମକୁ ଖୁସିରେ ଖୁସିରେ ତମକୁ ତା ପାଖରେ ଛାଡି ଆସିବି ।
ମୁଁ ଦୌଡ଼ି ଗଲି ମୋ ସ୍ବାମୀ ପାଖକୁ ତାଙ୍କୁ କୁଣ୍ଢେଇ ଧରି କହିଲି । ମୁଁ ଆଜି ଯୋଉ ଭୁଲ କରିଛି ତା ପାଇଁ ମୋତେ କ୍ଷମା କରିଦିଅ। (କାନ୍ଦି କାନ୍ଦି)
ସେ ମୋ ଆଖି ଲୁହ କୁ ପୋଛି କହିଲେ ମୋ ମତରେ ତମେ ଆଜି କିଛି ଭୁଲ କରିନ ତେବେ ତମକୁ କ୍ଷମା କରିବି କାହିଁକି ।
ମୁଁ କହିଲି ଯଦି ଜଗା ତା କର୍ତ୍ତବ୍ୟ କରିଲା ତାର ଦେଇଥିବା ପ୍ରତିଟି ଶପଥ କୁ ମୁଁ ମୋର କର୍ତ୍ତବ୍ୟ ବୋଲି ମାନି ଚଳିବି ।
ମୋ ସ୍ବାମୀ ମୋତେ କୁଣ୍ଢେଇ ନେଲେ ଏବଂ କହି ଉଠିଲେ ସେତେବେଳେ ତୁମ ଭାଗ୍ୟ ରେଖା କଣ ଥିଲା ମୁଁ ଭୁଲି ଗଲିଣି କିନ୍ତୁ ବର୍ତ୍ତମାନ ତୁମ ଭାଗ୍ୟ ରେଖା ରେ କେବଳ ଖୁସି ଅଛି । କାରଣ ତମେ ଏବେ ମୋର । ସେ ପୁଣି ମୋତେ କୁଂଢ଼େଇ ନେଲେ ।
ତା ପର ଠାରୁ ମୁଁ ମୋ ପୁରୁଣା କାହାଣୀ କୁ ଭୁଲି ମୋ ସ୍ବାମୀ ସହିତ ଆମ ନୂଆ ଜୀବନ କୁ ପୁନଃ ଆରମ୍ଭ କରିଲୁ ।
ଠିକ୍ ବର୍ଷେ ପରେ ମୋର ଗୋଟିଏ ଗୁଲୁ ଗୁଲିଆ ପୁଅ ଟିଏ ଜନ୍ମ ହୋଇଛି ଏବଂ ପୁରୁଣା ସ୍ମୃତି ସବୁ ଭୁଲି ଯାଇଛି କିନ୍ତୁ ମୋ ସ୍ବାମୀ ଆଜି କିଛି ଅଲଗା କରିଦେଲେ । ଆଜି ଥିଲା ମୋ ପୁଅ ର ନାମକରଣ ଉତ୍ସବ ।
ମୋ ସ୍ବାମୀ ଙ୍କ ତରଫରୁ ଏହି ନାମ କୁ ଚୟନ କରାଯାଇଛି । ତାହା ଥିଲା ” ଜଗନ୍ନାଥ ମିଶ୍ର” ଡାକ ନାମ ” ଜଗା” ।
ମୁଁ ଶୁଣି ପ୍ରଥମେ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ହେଲି କିନ୍ତୁ ଏହା ହିଁ ସତ୍ୟ ।
କେଉଁ ମହାନ୍ ସନ୍ଥ ଠିକ୍ କଥା କହିଥିଲେ ଯେ ପ୍ରେମ ଅମର ରହେ । ତାହା କୋଉ ରୂପରେ ହେଉ ଅବା କୋଉ ନାମରେ।
। । ଧନ୍ୟବାଦ । ।
ଗାଳ୍ପିକ. ନୀଳମାଧବ ଭୂୟାଁ

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କାହାଣୀ ଟି କେମିତି ଲାଗିଲା ନିଶ୍ଚୟ ଜଣାଇବେ।।।
Thanking You.

ଶ୍ରୁତି ର ଭାଗ୍ୟରେଖା…9

ଶ୍ରୁତି ର ଭାଗ୍ୟରେଖା...9
ଶ୍ରୁତି ର ଭାଗ୍ୟରେଖା…9
ରେଳ ପୋଲିସ ଆସି ପହଞ୍ଚିଗଲେ । ସେଇ ତିନି ଜଣ ଙ୍କୁ ଗିରଫ କରି ନେଲେ ଏବଂ ଗତ ରେଳ ଷ୍ଟେସନ କୁ ଖବର ଦେଇ ଟ୍ରେନ ରୁ ଠେଲି ଦେଇଥିବା ଯୁବକ ଙ୍କୁ ଖୋଜିବା ପାଇଁ କହିଲେ କିନ୍ତୁ ଏବେ କେବଳ ଜଣେ ମିଳିଛି ଏବଂ ସେ ମୃତ କିନ୍ତୁ ସେ ଜଗା ନୁହନ୍ତି । ବାକି ଦୁଇ ଜଣ ଙ୍କୁ ଖୋଜା ଖୋଜି ଚାଲିଛି । ଏତିକି ଶୁଣି ଜଗା ର ବାପା ବେହୋସ୍ ହୋଇଗଲେ । ପୋଲିସ ବାବୁ ସଙ୍ଗେ ସଙ୍ଗେ ପାଣି ଦେଇ ତାଙ୍କୁ ଉଠେଇଲେ ଏବଂ ତାଙ୍କୁ ଆଶ୍ୱାସନା ଦେଇ କହିଲେ ଆମେ ଖୋଜା ଖୋଜି କରୁଛୁ ଯେବେ ଜଣା ପଡ଼ିବ ସେତେବେଳେ ଆପଣଙ୍କୁ ଜଣେଇ ଦେବୁ କହି ଫେରେଇ ଦେଲା ।
ଆଶିଷ ଜଗା ର ବାପା ମା ଙ୍କୁ ନେଇ ଘରକୁ ପହଞ୍ଚି ମୋତେ କଲ୍ କରି ସବୁ କଥା କହିଲା । ସେ କଥା ଶୁଣି ମୋ ପାଦ ତଳୁ ମାଟି ଖସି ଗଲା ଏବଂ ନିଜକୁ କଲଙ୍କିନି ଭାବିଲି ଏବଂ ମୋ ଭାଗ୍ୟ ରେଖା ହିସାବ ରେ ସେମିତି ହିଁ ହେଲା । ବହୁତ୍ କାନ୍ଦିଲି । ଇଚ୍ଛା ହେଉଥିଲା ଜଗା ର ଘରକୁ ଯାଇ ବାପା ମା ଙ୍କୁ ଦେଖି ଆସିବି କିନ୍ତୁ ମୁଁ ନିଜେ ଏକ ଜିଅନ୍ତା ଶବ ପାଲଟି ଗଲି ପ୍ରାୟ ଏକ ମାସ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ମୁଁ କଣ କରୁଛି କଣ ଖାଉଛି ତାହା ମୁଁ ଜାଣି ପାରୁ ନଥିଲି । ଏ ଖବର ଶୁଣି ମୋ ଭାଇ ଛୁଟି ନେଇ ଆସିଲେ । ମୋତେ ବହୁତ୍ ବୁଝାଇଲେ ଏବଂ ଆଶ୍ୱାସନା ଦେଇ କହିଲେ ତାର କିଛି ହେବନି ସେ ଫେରି ଆସିବ ।
ପ୍ରତ୍ୟେକ ସପ୍ତାହ ରେ ଜଗା ର ବାପା ପୋଲିସ ଷ୍ଟେସନ ଯାଇ ପଚାରି ଆସୁଥିଲେ । କେତେବେଳେ ଆଶିଷ ଯାଉଥିଲା ତ ଆଉ କେତେବେଳେ ମୁଁ ଏବଂ ଟିକି ଯାଇ ପଚାରି ବାକୁ ଯାଉ କିନ୍ତୁ ସବୁବେଳେ ସେ ଉତ୍ତର ଏବେ ପର୍ୟନ୍ତ ତାର କିଛି ଖବର ନାହିଁ । ଦେଖୁ ଦେଖୁ ବର୍ଷେ ପାଖେଇ ଗଲା । ପୋଲିସ ବାବୁ ଜଗା ର ବାପା ଙ୍କୁ କହିଲେ , ଆଜ୍ଞା ଗୋଟିଏ କଥା କହିବି ଖରାପ ଭାବିବେ ନାହିଁ । ମୋତେ ଲାଗୁଛି ଜଗା ଏ ଦୁନିଆ ଛାଡ଼ି ଚାଲି ଯାଇଛି ।
ଜଗା ର ବାପା ରାଗରେ କହିଲେ , ତାର ଏବେ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ତାର କିଛି ପ୍ରମାଣ ମିଳିନି , କେମିତି ତମେ କହି ପାରୁଛ ?? ସେ ଏ ଦୁନିଆ ଛାଡ଼ି ଚାଲି ଯାଇଛି। ପୋଲିସ ବାବୁ କହିଲେ , ତାଙ୍କୁ ଯୋଉଠି ଟ୍ରେନ ରେ ଠେଲି ଥିଲେ ସେ ସମୟରେ ଗୋଟିଏ ଜଙ୍ଗଲ ସ୍ଥାନ ଥିଲା। କାଳେ ଜଂଗଲୀ ଜନ୍ତୁ ମାନେ…??? ଜଗା ର ବାପା କହିଲେ, ଚୁପ୍ କର… ଆପଣ ଯଦି ଖୋଜି ପାରୁ ନାହାଁନ୍ତି ତେବେ ମନା କରି ଦିଅନ୍ତୁ, ଏମିତି ବକବାସ୍ କଥା କୁହନ୍ତୁ ନାହିଁ । ସେହି ସମୟରେ ଆଶିଷ ଜଗା ର ବାପା କୁ ପୋଲିସ ଷ୍ଟେସନ ବାହାର କୁ ଡାକି ବୁଝେଇ ଘରକୁ ଫେରିଲେ। ତା ପର ଠାରୁ ସମସ୍ତେ ଯେମିତି ଜଗା ପାଇଁ ଆଶା ଛାଡ଼ି ଦେଲେ ।
ଦେଖୁ ଦେଖୁ 3 ବର୍ଷ ବିତିବାକୁ ଲାଗିଲା । ମୋ ଘରେ ଚିନ୍ତା ପଡ଼ିଲା ମୋ ବାହାଘର କଥା । ଭାଇ ମୋତେ ବୁଝେଇ କହିଲା, ଜଗା ର ଏବେ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ କିଛି ଖବର ନାହିଁ, କେତେ ଦିନ ଏମିତି ଅପେକ୍ଷା କରିଥିବୁ। ମୁଁ କହିଲି, ନା ଭାଇ ମୁଁ ଆଉ କାହାକୁ ବିବାହ କରିବି ନାହିଁ, ସେ ଯଦି ନ ଆସିବ ତେବେ ମୁଁ ସେମିତି ରହିଯିବି । ତାପରେ ଭାଇ, ଘର ଲୋକେ ସମସ୍ତେ ମୋତେ ବୁଝେଇ ବାରେ ଲାଗିଲେ। ବିଭୁ ଭାଇ,ଟିକି, ଆଶିଷ ସମସ୍ତେ ଆସି ମୋତେ ସେହି କଥା କହିଲେ କି କେତେ ଦିନ ଅପେକ୍ଷା କରିବୁ , ତୁ ଘର କଥା ମାନି ବିବାହ କରି ନେ ।
ମୋ ଜିଦ୍ ରେ ମୁଁ ଅଟଳ। ଘରେ ବହୁତ୍ ରାଗ ରୋଷ ଲାଗି ରହିଲା , କେତେବେଳେ ରାଗରେ ବାବା ଖାଆନ୍ତି ନାହିଁ ତ ଆଉ କେତେବେଳେ ମମି ଖାଆନ୍ତି ନାହିଁ । ସମସ୍ତ ଙ୍କ ଏକା ଜିଦ୍ ତୁ ଶିଘ୍ର ବିବାହ କର । କେତେ ଦିନ ଆଉ ତାଙ୍କର ରାଗ ରୋଷ ଦେଖିବି , ଶେଷ ଥର ପାଇଁ ଭାଇ, ବିଭୁ ଭାଇ, ଟିକି ଆଶିଷ ମୋତେ ବୁଝାଇଲେ । ପ୍ରାୟ 4 ଘଣ୍ଟା ମୋତେ ବୁଝେଇବା ରେ ଲାଗିଲେ ଶେଷରେ ମୁଁ ମାନିଗଲି ।
ଏବଂ ମୋ ପାଇଁ ପୁଅ ଦେଖା ଆରମ୍ଭ ହେଲା। ପୁଅ ଦେଖା ଫାଇନାଲ ହେଲା । ପୁଅ ଟି ଭୁବନେଶ୍ୱର ପାଖରେ କୋଉ ସହର ରେ RI ଅଛନ୍ତି ଏବଂ ୬ ମାସ ଭିତରେ ବାହାଘର ସମ୍ପନ୍ନ ହେଲା। ମୋ ଶଶୁର ଜଣେ ଅବସର ପ୍ରାପ୍ତ ଶିକ୍ଷକ ସେ ଭୁବନେଶ୍ଵର ରେ ଘର କରି ରୁହନ୍ତି ।
ଆଶିଷ ର ବାହାଘର ବେଳକୁ ମୋ ବାହାଘର ର ଦୁଇ ବର୍ଷ ବିତିଗଲାଣି । ମୁଁ ଏବଂ ମୋ ସ୍ବାମୀ ବହୁତ୍ ଖୁସିରେ ଅଛୁ । 10 ଦିନ ପୂର୍ବରୁ ଆଶିଷ ଭୁବନେଶ୍ୱର ଆସି ମୋ ଶଶୁର ଘରେ ନିମନ୍ତ୍ରଣ ପତ୍ର ଦେଇ ଯାଇଥିଲା।
ସେଦିନ ମୁଁ ମୋ ସ୍ଵାମୀ ସହିତ ମୋ ନିଜ ଗାଁ କୁ ଆସିଛୁ କେବଳ ଆଶିଷ ଏବଂ ଟିକି ର ବାହାଘର ରେ ଯୋଗ ଦେବା ପାଇଁ କିନ୍ତୁ ଆମେ ଗୋଟିଏ ଦିନ ବିଳମ୍ବ ରେ ଆସିଲୁ କାରଣ ସ୍ବାମୀ ଙ୍କ ଛୁଟି ହୋଇ ନଥିଲା ।
ଗତ କାଲି ତାଙ୍କର ବାହାଘର ସରି ଯାଇଛି ଆଜି Reception ଅଛି । ସଂଧ୍ୟା 5 ଟା ରେ ପହଞ୍ଚିଲୁ ସେଠୀ ମୋ ପୁରୁଣା କଲେଜ୍ ସାଙ୍ଗ ସହିତ ଦେଖା ହେଲା ।
କିଛି ସମୟ ପରେ ଆମେ ପହଞ୍ଚିଲୁ ଆଶିଷ ର Reception ଷ୍ଟେଜ ପାଖରେ। Reception ଷ୍ଟେଜ ଉପରକୁ ଯିବା ପୂର୍ବରୁ ଦେଖିଲି ଆଶିଷ ପାଖରେ ଜଣେ ବ୍ୟକ୍ତି ବସିଥାଏ । ଜାଣିଛନ୍ତି ସେ କିଏ?? ସେ ହେଉଛି ଜଗା । ମୁଁ ଦେଖି ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ହେଲି । ମୋ ପାଦ ତଳୁ ମାଟି ଖସିଗଲା । ସାହାସ ହେଲା ନାହିଁ ଷ୍ଟେଜ ଉପରକୁ ଯିବା ପାଇଁ , ମୋ ସ୍ବାମୀ ମୋତେ ଡାକୁଥାନ୍ତି କିନ୍ତୁ ମୋର ପାଦ ଆଗକୁ ବଢ଼ିବା କଷ୍ଟ କର ହୋଇଗଲା ।
ମୋ ସ୍ବାମୀ ପଚାରିଲେ କଣ ହେଲା ଚାଲ ଯିବା ଷ୍ଟେଜ କୁ?? ମୁଁ କଣ କହିବି ତାଙ୍କୁ, ସେ ଜଗା ବିଷୟରେ ଜାଣିଛନ୍ତି କିନ୍ତୁ ତାଙ୍କୁ କେବେ ଦେଖି ନାହାଁନ୍ତି । ହଠାତ୍ ଆଶିଷ ର ନଜର ମୋ ଉପରେ ପଡ଼ିଲା। ସେ ଉପରକୁ ଡାକିଲା ଆସ ଉପରକୁ।
ଆଶିଷ ଉପରେ ମନେ ମନେ ବହୁତ୍ ରାଗ ହେଲା ଏବଂ ଏପଟେ ଲୁହ ବାହାରି ବାକୁ ଜିଦି କରୁଥାଏ। ମୋ ଲୁହ କୁ ମୁଁ ବାଧ୍ୟ ରେ ରଖି ଆଗକୁ ବଢ଼ି ଚାଲିଲି। ଜଗା ର ନଜର ମୋ ଉପରେ ପଡ଼ିଲା ସେ ପୂର୍ବ ଭଳି ମୁହଁ ଫେରେଇ ନେଲା ।
କିଛି କହିଲା ନାହିଁ କୁ ଥରେ ମଧ୍ଯ ମୋତେ ବୁଲି ଚାହିଁଲା ନାହିଁ । ମୋ ମନରେ ବହୁତ୍ ପ୍ରଶ୍ନ ଉଠିଲା । ଆମର ଫୋଟୋ ଉଠା ସରିବା ପରେ ଆମେ ତଳକୁ ଆସିଲୁ। ସ୍ବାମୀ କହିଲେ ଚାଲ ଯିବା ।
ଡିନର କରି ଫେରିବା କିନ୍ତୁ ମୋର ମନରେ କିଛି ଅଲଗା ପ୍ରଶ୍ନ ଉଠୁଥିଲା। କାହାକୁ ପଚାରିବି ଭାବି ଭାବି ଆସିଲା ବେଳକୁ ଜଗା ଏବଂ ଆଶିଷ ର ଆଉ ଜଣେ ସାଙ୍ଗ ଶ୍ରବଣ ତା ସହିତ ଦେଖା ହେଲା।
ସେ ମୋତେ ଦେଖି ପଚାରିଲା ଭାଉଜ କେତେବେଳେ ଆସିଲ?? ମୋ ମନରେ ଥିବା ପ୍ରଶ୍ନ ର ଉତ୍ତର ଶ୍ରବଣ ଦେଇପାରେ ଭାବି ତା ସହିତ ଅଳ୍ପ କଥା ହେଲା ପରେ ସେ ଯିବାକୁ ବାହାରିଲା ମୁଁ ତାକୁ ପଚାରିଲି ମଉସା ମାଉସୀ ଆସିଛନ୍ତି କି ସେ କହିଲା ହଁ ଆସିଛନ୍ତି ତାଙ୍କୁ ଯଦି ଦେଖା କରିବାକୁ ଚାହୁଁଛ ତେବେ ସେପଟେ ଲେଡିଜ୍ ଗ୍ରୁପ୍ ରେ ଠିଆ ହୋଇଛନ୍ତି କହି ସେ ଚାଲିଗଲା। ମୋ ସ୍ବାମୀ ବହୁତ୍ ଭଲ କିନ୍ତୁ ଯଦି ରାଗିବେ ତେବେ ପୃଥିବୀ ଓଲଟ ପାଲଟ ହୋଇଯିବ ।
ମୁଁ କିଛି ପ୍ଲାନ୍ କରି ଏଠି କିଛି ସମୟ ରହିବାକୁ ପଡ଼ିବ । ହଠାତ୍ ବିଭୁ ଭାଇ ଙ୍କ ସହ ଦେଖା ହେଲା , ବିଭୁ ଭାଇ ଙ୍କୁ ମୋ ସ୍ଵାମୀ ପସନ୍ଦ କରନ୍ତି କାରଣ ଯେବେ ଯେବେ ମୋ ସ୍ଵାମୀ ଘରକୁ ଆସନ୍ତି ପ୍ରାୟତ ଚର୍ଚ୍ଚା ବିଭୁ ଭାଇ କରନ୍ତି କାରଣ ଜିତୁ ଭାଇ ଚାକିରି ରେ ରୁହନ୍ତି ।
ବିଭୁ ଭାଇ ଏବଂ ମୋ ସ୍ବାମୀ କଥା ହେଉଥିବା ସମୟରେ ମୁଁ ବାଥରୁମ୍ ଯିବା ବାହାନାରେ ସାଇଡ କୁ ଯାଇ ବିଭୁ ଭାଇ କୁ କଲ୍ କରି କହିଲି ତମେ ମୋ ସ୍ଵାମୀ କୁ କହିଦିଅ ସେ ଡିନର ଖାଇ ଫେରିଯିବେ ଏବଂ କୁହ ଶ୍ରୁତି ମାଉସୀ ସହିତ କିଛି ସମୟ ପରେ ଘରକୁ ଫେରିବେ ଏବଂ ବିଭୁ ଭାଇ ମଧ୍ୟ ମୋ ପ୍ଲାନ୍ କୁ Success କରିଦେଲେ ଏବଂ ସେ ଫେରିଗଲେ ।
ଏବେ ମୁଁ ଯାଇ ପହଞ୍ଚିଲି ଶ୍ରବଣ ପାଖରେ । ତାକୁ ବାହାରକୁ ଡାକି ଆଣି ପଚାରିଲି। ଯେ ଦେଖ ଶ୍ରବଣ ମୋତେ ତମେ ଭାଉଜ ବୋଲି ଡାକି ସମ୍ମାନ ଦେଉଛ, ଆଜି ଯାହା ପଚାରିବି ସତ ସତ କହିବ। ଶ୍ରବଣ କହିଲା ଜଗା ଭାଇ କଥା ଛାଡ଼ି ବାକି କିଛି ପଚାର ସବୁ କହିବି। ମୁଁ ପଚାରିଲି କାହିଁକି , ଶ୍ରବଣ କହିଲା ଜଗା ଭାଇ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ରାଣ ଦେଇ ମନା କରିଛି ।
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ଆଗକୁ ପଢ଼ିବେ:

ଜଗା କୁ ଦେଖି କିଏ ଅବା ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ହୋଇ ନଥାନ୍ତା, ପ୍ରାୟ ପାଞ୍ଚ ବର୍ଷ ପରେ ଜଣେ ହଜିଯାଇଥିବା ବ୍ୟକ୍ତି ଘରକୁ ଫେରିଛି ।

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By. Nilamadhab Bhuyan

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