LCT-66: किसीको खुसी करने केलिए कुछ कहना पड़े तो पहले करना चाहिए । अर्थात अगर कोई झूठी तारीफ से बहुत खुश होता है तो आप जरूर कीजिये क्योंकि इसमें कोई पाप नहीं है ।
LCT-67: ” मेरा मन जो कहे में बही करूँगा ” बात तब पैदा होता है जब अहंकार को अपना लेते हैं । मगर सलाह देने वाला व्यक्ति आपकी भलाई केलिए बोलता हो । जरा सोचिए???
LCT-68: ऐसा समय था साधारण जल की स्नान से दिन का प्रारंभ होता था । परंतु बर्तमान ठंड की मात्रा धीरे धीरे बढ़ रही है जल की तापमान की बजह से तबीयत खराब होने का डर है । सचेत रहें ।।।
LCT-69:
कभी कभी आपके सारे मार्ग बंद हो जाते है । गलत कदम से पेहले सयंम तथा शांत मन से बह ब्यक्ति से सलाह लीजिये जिन्हें मार्ग का सरल उपाय पता हो । इस परीक्षा में खुद की काबिलियत का पता चलता है ।।
LCT-70: भगवान का दिया हुआ आज का यह दिन को खुसी से उपभोग कीजिये । क्योंकि अस्पताल की बेड में पड़ा ब्यक्ति को एक दिन बिताना बहुत कष्टदायक है ।।
खुसी में सुख का तलाश कीजिये और यह सबको बांटने की कोशिस करें ।
LCT-61: किसीके बारे में बेकार चिंता अर्थात अपनी समय का बरबाद करना बराबर है । सुप्रभात अपने लिए और परिवार केलिए सोचना अर्थात समय का सही उपयोग माना जाता है ।।
LCT-62: जहां पे प्रतिदिन बरशात होता है वहां बारिश का हालचाल नहीं पूछा जाता। अर्थात कोई कार्य को किसी ब्यक्ति के द्वारा प्रतिदिन किया जाता हैं तो उशी कार्य के बारे में पूछताछ करना मुर्खता है ।।
गम को कुछ समय केलिए भुला देता है। मन हल्का तथा शरीर को पीड़ा मुक्त करता है ।। अर्थात यह महसूस कुछ समय केलिए है। उसके पश्च्यात आपको गलत एहसास होता है । इसीलिए मदिरा पान का त्याग खुसी का उचित मार्ग है ।।