जैसी करनी वैसी भरनी

हरेकृष्ण बाबू बहुत ही शांत स्वभाव के व्यक्ति हैं। उनके पिता के त्याग के बाद, उनके सारा संपति हरेकृष्ण के लिए छोड़ गए हैं। हरकृष्ण बाबू 35 साल से शिक्षक भी रह चुके हैं। उसने अपने जीवनकाल में बहुत संपत्ति जमा कर ली है और उसका भोग करने वाला कोई नहीं है। भाग्य का न तो कोई पुत्र है और न ही कोई पुत्री। शायद उनके जीवन दुर्भाग्य पूर्ण है। अंत में उसने सोचा कि उसका भाई के पुत्र को अपना पुत्र के रूप में ग्रहण करेगा। यहां तक कि अगर कुछ नहीं होता है, तो वह उसके आखरी समय में साथ तो रहेगा। क्या हुआ? जैसा कि कहा जाता है, जिसके नसीब खराब है, उसके साथ अन्याय होता रहता है।

दिन बीत रहा था। हरेकृष्ण बाबू ने सोचा कि उनका बेटा आखिरी वक्त तक रहेगा । तो मुझे इस संपत्ति का क्या करना चाहिए? बिना आगे सोचे-समझे सब कुछ संपाती पुत्र के नाम पर कर दिया, लेकिन जो होने वाला था, धीरे-धीरे परिणाम दिखने लगा। भाई का बेटा, अनंत ने शादी कर ली और पत्नी के बात पे आ कर और हरे कृष्ण बाबू और उसकी पत्नी को घर से निकाल दिया।


अंत में हरेकृष्ण बाबू ने बुद्ध आश्रम में शरण ली। कुछ दिन बीत गए। यह बात हरेकृष्ण बाबू को पता चला कि असल में यह चाल उसके भाई का है ना की उसकी बेटे की पत्नी की है । यह उनके भाई और बेटे की पहले से योजना थी। और आज वो अपने उस प्लान में कामयाब हो गए हैं. सच्चाई का पता चलने पर हरेकृष्ण बाबू ने थाने में जाकर रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन किसी ने उसकी व्यथा नहीं सुनी। वह खाली हाथ लौट आया। कोई रास्ता न होने के कारण वह चुप रहा।

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दिन गुजरते हैं। अंत में, हरेकृष्ण बाबू ने संपती और उनके पुत्र मोह को छोड़ कर भगवान की शरण लेने के लिए वृंदावन चले गए ।


वहां पहुंचे उन्हें एक साल से ज्यादा का समय भी हो गया । उसने खुशी-खुशी अपना जीवन भगवान को समर्पित कर रहे थे और इस दुनिया के सभी भ्रमों को भूल गए। लेकिन कहा जाता है कि अगर कोई पाप किया गया है तो उसका हिसाब जरूर होता है ।

इस बीच, सालों बाद, अनंत की पत्नि । वह अपनी योजना में सफल हो गई और सारी संपत्ति अपने नाम कर ली और एक अन्य युवक के साथ भाग गया। इधर अनंत और उसका परिवार अब भिखारी बन गए । जैसा कि कहा जाता है, “जैसी करनी वैसी भरनी।”

अनंत की पत्नी की शादी दूसरे युवक से हो चुकी है और अब वह विदेश में रह रही है, लेकिन उसकी भी हिसाब होगा, जो झूठ बोलकर धोखा देती है और धन कमाती है, वह धन भी अधिक दिनों तक टिक नहीं सकता।

हरेकृष्ण बाबू ने अपना जीवन ईश्वर को समर्पित कर दिया, लेकिन अनंत के परिवार को अब दो वक्त के भोजन के लिए भीख मांगना पड़ रहा है ।

दो साल बीत गए। एक दिन अनंत को पता चला कि उसकी पत्नी अपने गांव लौट आई है। वह बिना देर किए बदला लेने के लिए अपने ससुराल पहुंच गया। लेकिन वहां जो देखा वह इसके विपरीत था। वहां उसने देखा कि उसकी पत्नी के पास एक फूटी कौड़ी भी नहीं है ।

उसे पता चला कि उसकी पत्नी जिस युवक के साथ चली गई थी, कुछ दिनों के बाद, युवक ने सारी संपत्ति अपने नाम कर के उसे वेश्या काम करने के लिए मजबूर किया, और जब उसने वेश्या के रूप में काम करने से इनकार कर दिया, तो उसे साथ ही जबरन वेश्या के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया गया। उसके एक साल बाद वह युवक की पत्नी को गांव में छोड़कर फिर विदेश चला गया।

वहां अनंत की पत्नी भी निराश पड़ी थी। न सम्मान, न मर्यादा, उन्होंने कानून का सहारा लेने की कोशिश तक नहीं की। उसने सोचा कि मैंने जो किया वह मेरे कर्म का फल है और वह अपना जीवन अकेले बिताना चाहती है। लेकिन अनंत को देखकर उनमें थोड़ी हिम्मत आई।

लेकिन अनंत ने आखिरकार अपनी पत्नी को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और दुखी होकर दूसरे राज्य में वापस चला गया।

पुराणों और शास्त्रों में लिखी हुई सारी बातें सच हो गई हैं। एक बार फिर मैं कहूंगा, “जैसी करनी वैसी भरनी “

अब सोचिये उस युवक का क्या हुआ? उसके लिए भी कुछ सजा जरूर होगी। वह तो समय बताएगा लेकिन यह कहानी बस इतनी ही थी। इस कहानी के माध्यम से एक संदेश यह था कि यदि हम किसी की प्रति अन्याय करते हैं, तो वह निश्चित रूप से अन्याय के रूप में हमारे ऊपर ही आयेगा ।

तो आप कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको कहानी कैसी लगी।

आपका नीलामाधव भुयां

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