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Lifestyle Changing Thoughts in Hindi Part-34 |
LCT-182
जब कभी मेरे मुख से गलत शब्द निकल जाता है ना? तत्पश्चात में दस बार सोचता हूँ । में ऐसा क्यों बोला !!!
मगर कुछ लोग इसको एक बार भी नहीं सोचते हैं ।
अजीब दुनिया है यारों ###
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LCT-183
खुद गरीब हो कर चल पड़े हैं, अपनी मंजिल की और… क्यों कि ! हम कभी संतुष्टि का अनुभब नहीं कर पाएंगे ।
जो अनुभव कर लिया बह सबसे सुखी मनुष्य है ।
## सत्य कथा ##
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LCT-184
में कितना हद तक सही हूँ ?? यह मुझे पता होनी चाहिए, क्योंकि में दूसरे को आसानी से आरोप लगा देता हूँ ।
यह आदत अपने अंदर एक बार लागू करके देखिए ।
मुझे तो guilty अनुभव हुआ, आपको क्या लगा ??
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LCT-185
भरोसा दिलाना और भरोसा करने बाले ब्यक्ति के मध्य बहुत अंतर है ।
इसलिए सोच समझ कर ब्यक्ति का चयन करें जिस से आपकी कार्य आसानी से हो जाय ।
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LCT-186
अपने परिबार की दोष या त्रुटि दूसरे को बोलना मतलब, आप अपनी त्रुटि को बताना बराबर है।
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