पैसे की महत्व

कालिया और सुमंत मार्केट में मिले। दोनो दोस्त है, नाश्ता स्टॉल के पास। शाम हो रहा था, अभी अभी सुमंत को ओडिशा पुलिस में कांस्टेबल की नौकरी मिला था । प्रशिक्षण खतम हो चुका था। लेकिन कालिया गांव में अनाज और चावल तथा कभी कभी अन्य कारोबार भी करता था । मात्र दोनो का मासिक भुगतान करीब आश पास रहता था । मगर पैसा हरवक्त नौकरी वाले के पास ही दिखाई देता है।

भले ही हर महीने या दो महीने में खाते में पैसा आता है उसको कोई नहीं पूछता । इधर घर कैसे चलता है सब भगवान के ऊपर निर्भर है ।

तभी कालिया बोलने लगा अरे तेरी नौकरी की पार्टी कहाँ है? सुमंत ने कहा, “पार्टी करते है ना, क्यों नहीं , कब करना है बोलो, अभी नाश्ता खाएं ?” कालिया ने कहा, ठीक है मगर में जितना खाऊंगा उतना देगा ना ?? सुमंत ने कहा अरे खाओ भाई, जितना खाना है उतना खाओ । दूसरी ओर, यह सच था की, सुमंत के पॉकेट में केवल 50 की नोट ही था । और उसने सोचा। यदि जरुरत पड़े तो फोन पे अथवा गूगल पे से भुगतान कर दूंगा ।

कालिया नखरेबाज था और फ्री का नाश्ता मिले तो 2 से 5 प्लेट खा लेगा और इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि एक बार वह बात करना शुरू कर देता है तो कभी खत्म होगा कोई गारंटी नहीं । कालिया खाने लगता है इसी बीच सुमंत नाश्ता करके खड़ा रहा । कालिया खा रहा था और और बह खा 4 प्लेट नाश्ता खा गया और आखरी में बोला भाई पार्टी बाकी रह गया । पार्टी कब होगी?
सुमंत कहने लगा कि अपने सभी दोस्तों को ग्रुप में मेसेज कर दो और एक दिन तय करते हैं। उस दिन पार्टी करेंगे। इतना कहकर दोनों ने आपस को अलविदा कह कर निकल गए।

अगले दिन सुबह सुबह कालिया का पोटी की नदी बहना शुरू होगया। 3 बजे उठा और लैट्रिन की ओर भागा। उसने अपना पेट पकड़ के बैठ गया । उसको याद आने लगा की कल रात मैंने मुफ्त में नाश्ता खाया था और उसके सारे परिणाम आज निकल रहा है और मैंने जो मिर्चें की चटनी मैंने कल रात खाईं थीं बह आज निकल रहा है । और बह सुबह से बिस्तर पर पेट पकड़ कर बैठा रहा। कुछ देर बाद उसको पत्नी अपने गांव से वापस आ गई क्योंकि आज बुधवार है क्योंकि गुरुवार को लक्ष्मी की पूजा होगी।

कालिया को देखकर पत्नी ने पूछा कि क्या हुआ तुमको? कालिया ने कहा कि लालची खाने की वजह से ऐसा हुआ है। पत्नी ने पूछा कि कहां रेस्टोरेंट में खाना खाया और और कहीं ? और तुम्हारी वासना नहीं मिटेगी। जब फ्री का मिलेगा तुम खुदको रोक नहीं पाते हो, इतना कहकर महिला ओआरएस का पानी कालिया के हाथ में देकर किचन में चली गई।

देखते देखते, 10 बज गया था। लग रहा था डायरिया तो नहीं हो गया। तब तक शौचालय में 7 बार पानी खत्म हो चुका था। स्थिति असंभव है। अंत में चाचा के बेटा भाई कालिया को मेडिकल लेकर पहुंचा । वहां कालिया ने सब सच सच कहा। डॉक्टर ने मुस्कराते हुए कहा। बस यहाँ एक ग्लूकोज की बोतल लगा दो और सब ठीक हो जाएगा। अंत में कालिया को एक ग्लूकोज की बोतल लगी और दो इंजेक्शन लगे। कालिया थोड़ा थका हुआ अवस्था में अस्पताल से बाहर आता है। अचानक सुमंत दिख गया। सुमंत ने पूछा अरे क्या हुआ तुझे? कालिया ने कहा क्या कहूं भाई कल का शाम का नाता आज महंगा पड़ गया।

तू मुझे माफ कर देना भाई। आज सुबह से पेट खराब है। अब यहां आकर ग्लूकोज की बोतल चढ़ने के बाद थोड़ा ठीक है। भाई सच कहूँ तो, कल खाते समय तुम्हें बुरा लग रहा होगा इसके लिए मैं एक बार फिर से माफी मांगता हूं। पैसा तेरे लिए जितना महत्वपूर्ण है उतना मेरे लिए भी लेकिन तेरे साथ इस तरह का व्यवहार करना मेरे लिए सही नहीं था।
तो चलिए, अब से आगे हम कुछ खाना खायेंगे तो उसका भुगतान हम दोनों मिलकर करेंगे ।

सुमंत भी थोड़ा मुस्कुराया और बोला, चलो, कुछ नहीं, मैं बुरा क्यों सोचूं। ठीक हो जाओ और एक अच्छी पार्टी करते हैं।

वे दोनों हंसने लगे और अपने-अपने घर चले गए।

तो यह कालिया और सुमंत के कुछ पल था। अच्छा लगे तो कृपया शेयर करें। हालाँकि, दूसरे लोगों के पैसे को नज़रअंदाज़ करना कभी-कभी हमें महंगा पड़ जाता है।

आखरी तक पढ़ने केलिए आपको धन्यवाद

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