Category Archives: #ଓଡ଼ିଆ

Surprise

Surprise
ମନ ଅସ୍ଥିର ହୋଇ ପଡ଼ିଲା ଯେବେ
ତମେ ନ ଆସିବ ବୋଲି ଜାଣିଲି…..
କହିପାରିଲିନି କି ଆସ ଥରେ ଦେଖା କରି ଯାଅ
ମନ କୁ ବହୁତ ବୁଝେଇଲି…
କିନ୍ତୁ ଅଶ୍ରୁ କୁ ରୋକିବା ମୋ ପାଇଁ କଷ୍ଟ କର ଥିଲା
ଗୋଟିଏ ମାସର ଉପରାନ୍ତ ରେ
ତୁମ କୁ ଦେଖିବାକୁ ବହୁତ ଇଛା ହେଉଥିଲା
ଦୁଃଖ ହେଲା କିନ୍ତୁ କହିଲି ନାହିଁ
ମନ ରେ ବହୁତ ବିଶ୍ୱାସ ଥିଲା କି….
ତୁମେ ଆସିବ ବୋଲି ??
କିନ୍ତୁ
ସେଦିନ ବିସ୍ମିତ ହେଲି
ତୁମକୁ ଦେଖିଲା ପରେ !!
ଖୁସିର ଲୁହ କୁ ରୋକି ପାରିଲିନି….
ଲାଗୁଥିଲା ଯେମିତି ସ୍ବପ୍ନ ରେ ଆସିଛ
ଶରୀର ସ୍ପର୍ଷ ଅନୁଭବ ରେ ଜାଣିଲି
ଯେ ତୁମେ ପ୍ରକୃତରେ ଆସିଛ ??
ମନ ରେ ଥିବା ସବୁ ଦୁଖଃ ଉଭେଇଗଲା
ଦୌଡ଼ି ଆସିଲି ତୁମ ପାଖକୁ।।
ଅଶ୍ରୁ ର ବନ୍ଧ ଭାଙ୍ଗି ଗଲା……
ଖୁସି ର ସୀମା ଟପି ଗଲା…..
ସେଦିନ ଜାଣିଲି !
ମୋ ହୃଦୟର ପ୍ରତି ଟି ଶବ୍ଦ କୁ
ତୁମେ ବୁଝି ପାରୁଛ…..
ସେଇ ବିସ୍ମୟକର ପରିସ୍ଥିତି ରେ ତୁମକୁ
ମନ ଭରି ଦେଖିଲି….
ମୋ ମନର ମଣିଷ ମୋ ସମ୍ମୁଖରେ
ଭାବନା ସତ ଥିଲା ।
ତୁମର ପ୍ରତି ଟି Surprise ମୋ ପାଈଁ
ଖୁସିର ଆଲୋକ ନେଇ ଆସିଛି
ଆଉ ସେ Surprise ମୋ ପାଇଁ
ଅଭୁଲା ସ୍ମୃତି ହୋଇ ରହିଯାଇଛି ।।
ରୁବି ନାହାକ
…….ଙ୍କ କଲମରୁ
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ବିମର୍ଷ ପୃଥିବୀ

Bimarsh prithibi
ବିମର୍ଷ ପୃଥିବୀ

ଆଜିର ଏ ଦୁନିଆକୁ ଯିଏ ଦେଖେ
କହିଥାଏ…..ଦୁନିଆରେ ସବୁ ଅଛି…….. କିଛି ନାହିଁ
କି ପ୍ରକାର ରହସ୍ୟ ଏଠି ?
ହସ ଖୁସି – ସୁଖ – ଦୁଖଃ ଆଉ ଲୁହ
ଏଠି ବାସ୍ତବତା ଅଛି, ସ୍ବପ୍ନ ମଧ୍ୟ
ସ୍ବପ୍ନ ଯେବେ ବିକଳ୍ପର ଦ୍ୱାର ଖୋଲେ
ବାସ୍ତବତା ନିର୍ଦ୍ଦୟ କଠୋର ହୋଇ
ତଳି ତଳାନ୍ତ କରିଦିଏ ।
ବସନ୍ତ ଏଠି ସ୍ବପ୍ନ ର ଅଭିପ୍ସା,
ଗ୍ରୀଷ୍ମ ତାକୁ ଦେଇଥାଏ ଉଜୁଡା ସମ୍ଭାର,
ଶ୍ରାବଣର ମାଦକତା, ଶୀତର ଚପଳତା,
ଏଠି ଅଛି ପଥରର ବିଗ୍ରହ, ପୁଣି…………
ଗଦା ଗଦା ପାହାଡ଼ ପର୍ବତ………..
ମୋହିନୀ ନିର୍ଝରିଣୀ ଅଛି ଆଉ
ପ୍ରବଳ ସ୍ରୋତସ୍ୱିନି
ଭସାଇ ନେବାକୁ ବନ୍ୟାଜଳେ……
ଅଛି ଏଠି ଜୀବନ……………..ଜୀବନ ସତ୍ତା
ସମାଜ ଅଛି ଏଠି ସଭ୍ୟତା ଏଠି
ଖାଲି କୁସଂସ୍କାର ଅନ୍ଧ ବିଶ୍ୱାସ…..
ଏହା କଣ ପୃଥିବୀ ??
ପୃଥିବୀ ର ବାସ୍ତବତା ??
ମନେ ହୁଏ ଏହି ପରା
ବିମର୍ଷ ପୃଥିବୀ ।।।
ନୀଳମାଧଵ ଭୂୟାଁ
ଙ୍କ କଲମରୁ……
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ମା



ତୁମକୁ ଭୁଲି ପାରୁନି ବୋଲି ତ..

ସାନ୍ତ୍ୱନା ଦିଏ ଦି ଧାର ଲୁହ ପ୍ରତିଦିନ….

ତୁମ ବିନା ବଞ୍ଚି ପାରୁନି ବୋଲି ତ..

କଷ୍ଟ ଦିଏ ମୋତେ ପ୍ରତି ମୁହୂର୍ତ୍ତରେ….,

ତୁମ ଭଲ ପାଇବା…. 

ତୁମ ସ୍ନେହ ବୋଳା ଆଶୀର୍ବାଦ…..

ତୁମ ବିନା ନିଶ୍ୱାସ ବି ଅବିଶ୍ୱାସ ଲାଗୁଛି

ଏତେ ବଡ଼ ପୃଥିବୀରେ……

ଏକା ଏକା ବଞ୍ଚିବାର…….

ପୀଡା ଅନୁଭବରେ ଆଖିରୁ ଅଶ୍ରୁ ବଦଳରେ

ଲହୁ ଝରିଯାଏ…

ତୁମର ସେ ଦି ଗୁଣ୍ଡା ଖାଇବା

ମୋ ପାଈଁ ସ୍ବପ୍ନ ହୋଇ ପଡିଛି…

ପ୍ରତ୍ୟେକ ସନ୍ଧ୍ୟା ରେ ତୁମେ ମୋତେ

 ଖୋଜିବାର ସ୍ମୃତି ମନେ ପଡିଲେ 

ଆଖି ରେ କେବଳ ଅଶ୍ରୁ ର ବନ୍ୟା ଦେଖାଯାଏ

ଫେରାଇ ନିଅ ମା ମୋତେ

ସେ ସମୟ କୁ 

ଯୋଉ ସମୟରେ ତୁମ କୋଳ ମୋର

ଖେଳଘର ପାଲଟି ଥିଲା

ଆଉ ତୁମ ଆଖିର ଠାର ରେ

ମୋ ଓଠରେ ଆସୁଥିବା ହସ କୁ 

ଅନୁଭବ କରିବାକୁ ଚାହେଁ “ମା…”

ପୁଣି ଥରେ କୋଳେଇ ନିଅ ମୋତେ

ତୁମ ପଣତ କାନି ଦେଇ….

ପିଆଇ ଦିଅ..

ଦୁଇ ଟୋପା ଅମୃତ……..

ଆଉ

ଶାନ୍ତି ର ନିଦ୍ରା ରେ ଶୋଇ ଯିବା ପାଇଁ ….




ମନୋଜ କୁମାର ବେହେରା
……. ଙ୍କ କଲମରୁ



ବାପା

Father

ବାପା

ଆମ ହାତଧରି ଚାଲିବା ଶିଖାଇଛ
ବଂଚିବାର ମାର୍ଗ ଦର୍ଶକ ସାଜି…
ତୁମ ଭଲପାଇବା….
ତୁମ ପ୍ରେମ…… ବିଶ୍ୱାସ…. ତୁମ ସ୍ବପ୍ନ……
ତୁମର ବଳିଷ୍ଠ ନେତୃତ୍ୱରେ
ଆମେ ଏ ଯାଏଁ ପହଞ୍ଚି ପାରିଛୁ……
ଏତେ ବଡ଼ ପୃଥିବୀରେ …….।
ତୁମ ଆଶୀର୍ବାଦ….
ଆମ ଉଜ୍ଜ୍ବଳ ଭବିଷ୍ୟତକୁ……
ସୁପୁଷ୍ପିତ କରି ଦେଇଛି……
ତୁମର ତ୍ୟାଗ…… ତୁମର ଅକ୍ଲାନ୍ତ ପରିଶ୍ରମ……।
ଆମ ଆଶାର ଆକାଶ ଠାରୁ ବି…
ତୁମ ଭଲପାଇବା……
ତୁମର ସ୍ନେହ …..ପ୍ରେମ……ଆଶୀର୍ବାଦ…..
ବିଛାଇ ଦେଇଛ ବର୍ଷ ବର୍ଷ ଧରି
ଆମ ଓଠରେ ହସ ଟିକେ
ଦେଖିବା ପାଇଁ………।
ବାପା ତୁମକୁ ମୋର
ଶତ ପ୍ରଣାମ…..।।
ମନୋଜ କୁମାର ବେହେରା
ଙ୍କ କଲମରୁ……

ଅପହଞ୍ଚ ଇଲାକା




ଅପହଞ୍ଚ ଇଲାକା


ମନ ହଜିଯାଏ……
ବର୍ଷାର ପ୍ରତ୍ୟେକ ବିନ୍ଦୁରେ,
ଆଖି କୋଣରୁ ବାହାରୁଥିବା
ଲୁହ ବଦଳରେ….. ଛଳନାରେ,
ଅଟ୍ଟହାସ୍ୟରେ………!
ଅଭିଳାଷର ଉଚ୍ଚ ସୋପାନରୁ
ନିର୍ଦ୍ଦୟ ହୋଇ ଟାଣିନିଏ……
କେଉଁ ଏକ ନିଭୃତ-ନିଘଞ୍ଚ
ବେଦନାସିକ୍ତ ଅପହଞ୍ଚ ଇଲାକାକୁ
ଯେଉଁଠି ଥାଏ ଖାଲି 
ମିଥ୍ୟା ଅଭିମାନ,
ଦେଖାଇ ହେବା ଆଉ
ଅଭିନୟ କରିବା ।

ମନୋଜ କୁମାର ବେହରା
ଙ୍କ କଲମରୁ………       

Success Story ( Part-1 )

Success Story ( Part-1 )
Success Story ( Part-1 )

16 फरबरी 2010 को शाम को में गाय केलिए खर लेकर आ रहा था । मेरे गांव को प्रबेश से पहले एक चौकी पड़ता है । उश जगह मेरे भाग्य खोलने बाला ब्यक्ति मेरा इंतजार कर रहे थे । पीछे से आवाज़ आया कोई पत्र(Letter) आया है तुम्हारे नाम पर । मेंने पूछा कहाँ से आया है । तो वो बोले कि “तू फ्रेश होकर घर के सामने आ जा” में इंतजार कर रहा हूँ आने के बाद खुद देख लेना । में हां बोलते हुए गाय को खर देकर जल्दी जल्दी फ्रेश हो कर घर के सामने आया । बह ब्यक्ति के चेहरे पर थोड़ा मुस्कान था । बह मुस्कान देख कर मेरे चेहरे पर भी थोड़ा मुस्कान आया । में पूछा बताओ तो क्या है पत्र ? बो पत्र को मेरे हाथ मे थमाते हुए बोले की यह तीसरा पत्र है । में क्या बोलूं तू ही खोल और बता क्या है ये ? इस से पहले भी 02 लेटर समान पते से मुझे प्राप्त हुआ था । पत्र को खोला और कुछ शब्द को पढ़कर इतना खुस हुआ जैसे कि मेरे चेहरे में रौनक आ गया । बह था मेरा Medical Examination की आमंत्रण पत्र । में इतना जानता था कि में मेडिकल परीक्षा में विफल नहीं हो सकता । इसलिए मेरे अपने ऊपर भरोसा था ओर खुसी के मारे नाचने को मन किया था । सामने बैठा ब्यक्ति हमारे गांब के पोस्ट मास्टर थे । उनको बहुत धन्यवाद दिया । क्योंकि उश समय मेरे भाग्य लेकर आने बाला ब्यक्ति वही थे । बो भी बहुत खुस हुए । बह एक शब्द बोले कि मुझे लगा कि कोई अति महत्वपूर्ण पत्र होगा इशलिये बह उसको आज ही लेकर आये। इतना बोलकर पोस्ट मास्टर जी अपने गांब की और प्रस्थान किये ।

अगले दिन 17 तारीख मेरा BA Last Year की आखरी Paper था । परंतु मेरा मन तो आमंत्रित पत्र पर था । परीक्षा कैसे गया और क्या लिखा मुझे ठीक से याद नहीं फिर भी परिक्षा मेरा अच्छा हुआ था । मेरे पास सिर्फ 05 दिन था और उसी 05 दिन के अंदर एक दिन इतवार भी था बचा 04 दिन में कुछ कागजात इकठ्ठा करना था । जो तहसीलदार और पुलिस स्टेशन तथा जिलापाल कार्यालयों से इकठ्ठा करना था । आप जानते होंगे इस कार्यलयों में काम जल्दी होता नहीं है फिर भी मेरा भाग्य मेरा साथ दिया था ।
18 तारीख को में पुलिस स्टेशन पर गया जो कि मुझे अपनी Personal Verification करना था । Verification यह कि मेरे ऊपर कोई गैर कानूनी मुकदमा तो नहीं चल रहा है या पहले हुआ है । किसी भी सरकारी नौकरी होने से पूर्ब यह कागजात आपको इकठ्ठा करना पड़ता है तो उस दिन सुबह 10 बजह पुलिस स्टेशन पहुंच गया । मेरे हाथ में अपना आमंत्रित पत्र तथा Blank Police Verification Letter को लेकर पुलिस स्टेशन के अन्दर प्रबेश किया । मन मे डर रहते हुए जीबन काल मे पहली बार पुलिस स्टेशन में प्रबेश कर रहा था । अंदर दो पुलिस के जवान कुछ लिख रहे थे । मुझे पूछे क्या हुआ भाई मेने दोनों पत्र उनको दिखाते हुए कहा कि श्रीमान मुझे अपनी पुलिस Verification करना है । दोनों जवान मेरे चेहरे को बार बार देखें और बोले कि जाओ बाहर जो बेंच है उसमें बैठो हम जब बुलाएंगे तब आप आओगे । उनकी जबाब के बाद में बाहर बेंच में आकर बैठ गया । सुबह 10.00 बजह से लेकर दोपहर 4.00 बजह तक कई बार उनके पास गया । मुझे बही उत्तर मिलता था जाओ बाहर बैठो आपको हम बुलायेंगे । मन तो कर रहा था चला जाऊं अपनी गांब ! सरकारी नौकरी केलिए इतना तंग होना पड़ता है !!! फिर मन को शांत करके बोलता था थोड़ा संयम रख इतना मेहनत के बाद ये मिला है उसको ऐसे जाने देगा क्या?? ठीक है कब तक बिठाएंगे रात भी हो जाये आज Sign करके ही जाऊंगा । 4.05 में एक हाबिलदार मेजर स्टेशन में प्रबेश करने से पहले उनकी नज़र मेरे ऊपर पड़ा । मुझे इसारे से पूछे कहाँ और यहां क्यों बैठे हो ?? उनकी इसारा का जबाब देते हुए अपना आमंत्रित पत्र तथा Verification पत्र दिखाया । तो बह बोले यहां क्यों बैठे हो ?? अंदर आकर Sign करके जाओ अपने गांब । उनकी ये बात सुनकर मेरे दिल मे कुछ समय केलिए खुसी महसुस हुआ । हाबिलदार मेजर को बोला की में कई बार अंदर Sign करने केलिए आया हूँ परंतु बो दोनों Sir मुझे यह बोलते हैं कि आपको हम बुलाएंगे आप बाहर बैठो । फिर हाबिलदार मेजर ने मुझे पूछे की आप कब आये ? मेने कहा श्रीमान में सुबह 10 बजह से यहाँ बैठा हूँ । इतना सुनकर बह थोड़ा गुस्से में उन जवान को बोले “क्यों भी इनका काम क्यों नहीं कर रहे हो” । बाद में मुझे अंदर बुलाया गया और मेरा नाम तथा मेरे बारें मे जानकारी लिया गया और पूछा गया कि कोई गैर कानूनी काम किये हो क्या या कोई राजनीति पार्टी के साथ घूमते हो क्या ?? तथा बहुत सारे प्रश्न पूछे । उन्होंने मेरा नाम उनकी रेजिस्टर में दर्ज किये तथा SHO Sir के चैम्बर में जाने केलिए बोले और आदेश दिया कि जो जो सबाल हम आपको किये बही सबाल SHO Sir पूछ सकते हैं तो सही सही जबाब देना नहीं तो कोई Sign नहीं कराएंगे । उनकी आदेश का पालन करते हुए चैम्बर के अंदर गया । बहां SHO Sir के साथ और एक आदमी बैठे थे । मे उनको सम्मान देते हुए अंदर प्रबेश किया । SHO Sir ने मुझे प्रथम प्रश्न पूछे कि “आप आखरी बार police स्टेशन कब आये थे” तो मैने जबाब दीया Sir में आज पहली बार आया हूँ । दूसरा प्रश्न नहीं था एक सलाह था “आप एक देश के जवान बन ने जा रहे हो ” देश का नाम ऊंचा रखना । इतना सुन कर में बहुत खुश हुआ । Sir मुझे Pen मांगे और मेरे Pen से Verification पत्र पर Sign किये । दिन भर भूका था जब आखरी में SHO Sir की सलाह सुनकर दिल को थोड़ा सुकून मिला और मन मे एक अलग सी आशा जागने लगा था ।
तीसरा दिन मेरा तहसीलदार कार्यालय में Central OBC Certificate में Sign की जरूरत था । बह कार्य भी हुआ परंतु दोपहर के बाद हुआ क्योंकि तहसीलदार साहब कार्यालय से बाहर थे । आखरी में जिल्लापाल कार्यालय में कागजात बाकी रह गया । परंतु शनिबार होने हेतु काम होगा या नहीं होगा मन में डर बिठाकर जिल्लापाल कार्यालय में गया मगर बहां भी बहुत आदमी कतार में खड़े थे । परंतु उश जगह भी सही बक्त पर कागजात पर Sign हो गया ।
22 तारीख को शाम को बस से Rourkela की और निकल पड़ा और दूसरे दिन सुबह पहुंचा । अगले दिन सुबह यानी कि 24 feb को मेरा medical Examination था और सुबह Recruitment की गेट पर सही समय पर पहुंच गया था।
बाकी की कहानी में अगले Blog में लेकर आऊंगा । वह भी बहुत मजेदार कहानी है । मुझे पता है आप जरूर पढ़ेंगे परंतु इस से पूर्ब मेरा Blog को आप follow करना पड़ेगा तब आपको Email में Notification आएगा और बाकी की कहानी को आप आसानी से पढ़ पाएंगे ।
दोस्तो एक सबाल था आपसे की असल मे उश दिन भर मुझे पुलिस स्टेशन पर क्यों बैठना पड़ा । वह दोनों जवान मेरे साथ ऐसा ब्यबहार क्यों किये ??? अगर वह चाहते तो मेरा काम 10 मिनट में कर सकते परंतु सुबह 10.00 बजह से दोपहर 04.00 बजह तक बिठाके रखने का क्या तात्पर्य था ???
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